23-04-2019, 07:32 AM
(This post was last modified: 29-09-2019, 12:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रीमा और लाली
दस बज गए थे।
और हंसती खिलखिलाती , धड़धड़ाती दो उठती जवानियाँ , कच्ची कलियाँ , कच्चे टिकोरों वाली किशोरियां आ गयीं
अबीर और गुलाल की तरह,रंगो की छरछराती पिचकारी की तरह, छुटकी की सहेलियां
‘उनकी’ सालियाँ
रीमा और लाली।
दोनों के जोबन के उभार बस आना शुरू ही हुए थे। एक टाप और जींस में थी तो दूसरी टाप और स्कर्ट में।
रीमा टाप और जींस में थी और उसकी फिगर एकदम छुटकी सी थी।
बस थोड़े थोड़े बड़े-बड़े टिकोरे सलोने कचकचा के काटने लायक गाल और छोटे-छोटे लौंडो मार्का चूतड़,
लेकन थी वो एकदम हरी मिर्ची , देखने से ही चुदवासी लग रही थी।
और लीला,
टाप और स्कर्ट में, वो थी तो छुटकी के क्लास की ही लेकिन शायद उम्र में उससे थोड़ी बड़ी थी और फिगर में तो एकदम…
उसकी चूँचियाँ एकदम टॉप फाडू और चूतड़ भी भारी।
वो दोनों आयीं और होली शुरू हो गयी।
लेकन जैसा उन्होंने सोचा था, वैसा हुआ नहीं ।
पहली बाजी सालियों के हाथ में रही।
और बस इसलिए की जैसे हर भाभी छिनार होती हैं, रीतू भाभी भी छिनार थीं , बल्कि जब्बर छिनार ।
और उन्होंने बड़े से बड़े दलबदलू को भी मात कर दिया , सीधे पाला बदलकर, अपनी छोटी चुलबुली ननदों के साथ हो गयीं ।
तीन ननदें और एक वो, मेरी रीतू भौजी , इनकी सलहज , ...
सबके हिस्से में एक-एक हाथ, एक-एक पैर आया, और चारों ने गंगा डोली करके सीधे उसी रंग से भरे चहबच्चे में,
लेकिन वो डूबे तो साथ में सालियों को भी खिंच ले गए,
बस रीतू भाभी बची और वो मेरे साथ गड्ढे के किनारे बैठ के कभी एक पक्ष की हौसला अफजाई करतीं तो कभी दूसरे की।
और वो, उन्होंने रीमा को , टॉप जींस वाली को , कस के दबोच लिया था पीछे से।
उनके हाथ उसके पानी के अंदर , ढके बड़े-बड़े टिकोरों का मजा पहले ले रहे थे,
लेकिन होली हो, साली हो और जीजा और साली की मस्त उभरती चूची के बीच कोई टाप रहे, सख्त नाइंसाफी है।
और वो नाइंसाफी तो कत्तई नहीं बर्दाश्त कर सकते थे।
कुछ ही देर में, रीमा का छोटा सा टाप चहबच्चे के बाहर,
उनका जबरदस्त हेलीकाप्टर शाट, और बाउंड्री के बाहर, बैठी रीतू भाभी ने तुरंत कैच किया ।
ननदों के वस्त्र हरण में हर भाभी की तरह उन्हें भी मजा आ रहा था।
वो और रीमा अब छिछले हिस्से में आ गए थे।
और उनके हाथ के नीचे रीमा के दबे कुचले उरोज साफ़ दिख रहे थे।
रीमा की छोटी-छोटी चूची दबाने के साथ मटर के दाने के बराबर निपल को भी वो कभी पुल करते, कभी पिंच करते।
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।
दस बज गए थे।
और हंसती खिलखिलाती , धड़धड़ाती दो उठती जवानियाँ , कच्ची कलियाँ , कच्चे टिकोरों वाली किशोरियां आ गयीं
अबीर और गुलाल की तरह,रंगो की छरछराती पिचकारी की तरह, छुटकी की सहेलियां
‘उनकी’ सालियाँ
रीमा और लाली।
दोनों के जोबन के उभार बस आना शुरू ही हुए थे। एक टाप और जींस में थी तो दूसरी टाप और स्कर्ट में।
रीमा टाप और जींस में थी और उसकी फिगर एकदम छुटकी सी थी।
बस थोड़े थोड़े बड़े-बड़े टिकोरे सलोने कचकचा के काटने लायक गाल और छोटे-छोटे लौंडो मार्का चूतड़,
लेकन थी वो एकदम हरी मिर्ची , देखने से ही चुदवासी लग रही थी।
और लीला,
टाप और स्कर्ट में, वो थी तो छुटकी के क्लास की ही लेकिन शायद उम्र में उससे थोड़ी बड़ी थी और फिगर में तो एकदम…
उसकी चूँचियाँ एकदम टॉप फाडू और चूतड़ भी भारी।
वो दोनों आयीं और होली शुरू हो गयी।
लेकन जैसा उन्होंने सोचा था, वैसा हुआ नहीं ।
पहली बाजी सालियों के हाथ में रही।
और बस इसलिए की जैसे हर भाभी छिनार होती हैं, रीतू भाभी भी छिनार थीं , बल्कि जब्बर छिनार ।
और उन्होंने बड़े से बड़े दलबदलू को भी मात कर दिया , सीधे पाला बदलकर, अपनी छोटी चुलबुली ननदों के साथ हो गयीं ।
तीन ननदें और एक वो, मेरी रीतू भौजी , इनकी सलहज , ...
सबके हिस्से में एक-एक हाथ, एक-एक पैर आया, और चारों ने गंगा डोली करके सीधे उसी रंग से भरे चहबच्चे में,
लेकिन वो डूबे तो साथ में सालियों को भी खिंच ले गए,
बस रीतू भाभी बची और वो मेरे साथ गड्ढे के किनारे बैठ के कभी एक पक्ष की हौसला अफजाई करतीं तो कभी दूसरे की।
और वो, उन्होंने रीमा को , टॉप जींस वाली को , कस के दबोच लिया था पीछे से।
उनके हाथ उसके पानी के अंदर , ढके बड़े-बड़े टिकोरों का मजा पहले ले रहे थे,
लेकिन होली हो, साली हो और जीजा और साली की मस्त उभरती चूची के बीच कोई टाप रहे, सख्त नाइंसाफी है।
और वो नाइंसाफी तो कत्तई नहीं बर्दाश्त कर सकते थे।
कुछ ही देर में, रीमा का छोटा सा टाप चहबच्चे के बाहर,
उनका जबरदस्त हेलीकाप्टर शाट, और बाउंड्री के बाहर, बैठी रीतू भाभी ने तुरंत कैच किया ।
ननदों के वस्त्र हरण में हर भाभी की तरह उन्हें भी मजा आ रहा था।
वो और रीमा अब छिछले हिस्से में आ गए थे।
और उनके हाथ के नीचे रीमा के दबे कुचले उरोज साफ़ दिख रहे थे।
रीमा की छोटी-छोटी चूची दबाने के साथ मटर के दाने के बराबर निपल को भी वो कभी पुल करते, कभी पिंच करते।
हमला उन पे भी हो रहा था।
दो-दो किशोरियाँ , कच्ची उमर वाली छुटकी और लीला उनके पीछे पड़ी ।
दोनों के हाथ में रंग और पेंट की काकटेल, छुटकी का हाथ उनके गाल पे डबल कोट काही, बैंगनी, लाल रंग पोतने में लगा था तो लीला और आगे, उसका एक हाथ ‘इनकी’ शार्ट के सीधे अंदर , पिछवाड़े और दूसरा हाथ इनके टी-शर्ट के अंदर ।
मैंने अपनी छोटी बहनों का साथ देने का फैसला किया।