29-09-2021, 05:33 PM
तभी ट्रेन आ गयी। हम लोग अपनी शीट पर जाकर बैठ गए। मैं अपनी शीट पर बैठी थी। खिड़की तरफ जाकर आर्यन बैठ गया। मेरे बगल में एक मर्द बैठा था। वो मेरे को घूर घूर कर देख रहा था। आर्यन मेरे को खिड़की के बगल की शीट देकर खुद मेरी वाली शीट पर बैठ गया। रात के लगभग 1 बज गए। सारे लोग चादर ओढ़ कर झपकी ले रहे थे। उस समय हल्की हल्की ठंडी पड़ रही थी। कही से हवा पास होकर हम लोगो को लग रही थी। मेरे पास एक ही चादर था। मै चादर ओढ़े हुए बैठी थी। आर्यन ने उस दिन हाफ जैकेट पहना हुआ था। जिससे उसके हाथ में ठण्ड लग रही थी। चादर काफी बड़ा था। मैंने उसे थोड़ा सा चादर देकर ओढ़ने को कहा। वो मेरे करीब आकर ओढ के बैठ गया। मेरा मूड तो खराब हो रहा था। मै चुदने का बहाना ढूंढने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.