29-09-2021, 03:30 PM
ठंड के मौसम में भी वो दोनों पसीने से तरबतर थे मगर झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।
हम दोनों की हालत ऐसी थी जैसे 10-15 जनों ने हमारा चोदन कर दिया हो। पहले हम अत्याधिक आनंद के कारण रो रही थी मगर अब तो हमारी माँ चुदी पड़ी थी और हम अब हमारे जिस्मों जगह जगह उन दोनों के काटने, नोचने, मारने और सबसे ज़्यादा बेहद वहशियाना तरीके से चोदने के कारण होने वाले दर्द से रो रही थी।
अब हमें इस सब से मुक्ति चाहिए थी तो मैंने कहा- अरे यार बस करो, हम और नहीं चुदवा सकती, अब रहने दो, हमें माफ करो।
हालत उनकी भी खस्ता हो रही थी तो एक बोला- तो ठीक है, हम अपना पानी छुड़वा दें फिर।
कविता बोली- हाँ, जल्दी छुड़वा दो।
दोनों लड़कों ने पहले थोड़ी जोरदार चुदाई करी हम दोनों की, इतनी जोरदार के लगा जैसे फुद्दी अंदर से छिल गई हो.
फिर पहले मेरे वाले ने अपना लंड एक झटके से मेरी फुद्दी से निकाला और मुट्ठ मारने लगा और फिर जो उसने माल गिराया, मार मार गर्म वीर्य की धारें, मेरा मुंह, मम्मे सब भर दिये।
इतने में ही दूसरे लड़के ने कविता की भी वही हालत कर दी।
हम दोनों सहेलियाँ निढाल, बेसुध, बेहद थकी हुई, और बेहद चुदी हुई। वैसे ही अधमरी हालत में बिस्तर पे लेटी थी। वो लड़के उठे, बाथरूम में गए, फ्रेश होकर वापिस आए और हमसे पूछा- मैडम, क्या आपको हमारी और सर्विस चाहिए?
मैंने कहा- अरे नहीं यार बस, साली माँ चोद डाली हमारी, अब तो एक महीने तक हमें किसी मर्द की और देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
हम दोनों की हालत ऐसी थी जैसे 10-15 जनों ने हमारा चोदन कर दिया हो। पहले हम अत्याधिक आनंद के कारण रो रही थी मगर अब तो हमारी माँ चुदी पड़ी थी और हम अब हमारे जिस्मों जगह जगह उन दोनों के काटने, नोचने, मारने और सबसे ज़्यादा बेहद वहशियाना तरीके से चोदने के कारण होने वाले दर्द से रो रही थी।
अब हमें इस सब से मुक्ति चाहिए थी तो मैंने कहा- अरे यार बस करो, हम और नहीं चुदवा सकती, अब रहने दो, हमें माफ करो।
हालत उनकी भी खस्ता हो रही थी तो एक बोला- तो ठीक है, हम अपना पानी छुड़वा दें फिर।
कविता बोली- हाँ, जल्दी छुड़वा दो।
दोनों लड़कों ने पहले थोड़ी जोरदार चुदाई करी हम दोनों की, इतनी जोरदार के लगा जैसे फुद्दी अंदर से छिल गई हो.
फिर पहले मेरे वाले ने अपना लंड एक झटके से मेरी फुद्दी से निकाला और मुट्ठ मारने लगा और फिर जो उसने माल गिराया, मार मार गर्म वीर्य की धारें, मेरा मुंह, मम्मे सब भर दिये।
इतने में ही दूसरे लड़के ने कविता की भी वही हालत कर दी।
हम दोनों सहेलियाँ निढाल, बेसुध, बेहद थकी हुई, और बेहद चुदी हुई। वैसे ही अधमरी हालत में बिस्तर पे लेटी थी। वो लड़के उठे, बाथरूम में गए, फ्रेश होकर वापिस आए और हमसे पूछा- मैडम, क्या आपको हमारी और सर्विस चाहिए?
मैंने कहा- अरे नहीं यार बस, साली माँ चोद डाली हमारी, अब तो एक महीने तक हमें किसी मर्द की और देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
