29-09-2021, 03:30 PM
ऐसा लगा जैसे पहली बार कोई लंड मेरी फुद्दी में घुसा हो, इससे पहले तो लगता था जैसे बच्चों से ही चुदवाती रही हूँ, असली लंड तो ये है, अब तक जितने भी मर्द मुझे मिले उनके पास तो जैसे लुल्लियाँ ही थी।
मैंने उसे शाबाशी दी- आह मज़ा आ गया यार, पेल, ज़ोर से पेल आज अपनी रांड को।
एक तरफ कविता और दूसरी तरफ मैं, दोनों उन शानदार मर्दों की ज़बरदस्त चुदाई से बेहाल हो गई।
हम दोनों के 3-3, 4-4 बार पानी गिरा, मगर वो दोनों सांड वैसे ही हमें पेलते रहे, कभी सीधा लेटा कर, कभी घोड़ी बना कर, कभी ऊपर बैठा कर, कभी बदल बदल कर। हमारे बाल बिखर गए, हमारा सारा मेक अप वो चाट कर साफ कर गए। चोद चोद कर हमारी फुद्दियों को भोंसड़े बना दिये।
मैंने उसे शाबाशी दी- आह मज़ा आ गया यार, पेल, ज़ोर से पेल आज अपनी रांड को।
एक तरफ कविता और दूसरी तरफ मैं, दोनों उन शानदार मर्दों की ज़बरदस्त चुदाई से बेहाल हो गई।
हम दोनों के 3-3, 4-4 बार पानी गिरा, मगर वो दोनों सांड वैसे ही हमें पेलते रहे, कभी सीधा लेटा कर, कभी घोड़ी बना कर, कभी ऊपर बैठा कर, कभी बदल बदल कर। हमारे बाल बिखर गए, हमारा सारा मेक अप वो चाट कर साफ कर गए। चोद चोद कर हमारी फुद्दियों को भोंसड़े बना दिये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
