29-09-2021, 03:28 PM
कविता भी मेरे पास ही लेटी थी। वो लड़का कभी अपना लंड मेरे मुंह में डालता, कभी कविता के मुंह में! हम दोनों सहेलियों के थूक से तर हुआ लंड बारी बारी से एक दूसरी के मुंह में आ जा रहा था, और हमें इस तरह से एक दूसरी का थूक चाटने में भी कोई दिक्कत नहीं थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
