29-09-2021, 03:24 PM
अगले दिन हम दोनों फिर वहाँ गई, और उसी जगह से कमाए हुये पैसे से ऐश करने।
इस बार हम दोनों जैंट्स ग्लोरी होल में गई। वहाँ बड़े बड़े लकड़ी के फट्टे लगे थे, जिन के पीछे मर्द खड़े थे, मगर फट्टे में एक सुराख से उन लोगों के कडक खड़े लंड बाहर को झांक
रहे थे। आप लंड पसंद करो, और उस से जो चाहो करो, चूसो, चूमो, चाटो, या चुदवाओ।
मैंने और कविता दोनों ने एक एक हबशी का लंड पसंद किया। यही कोई 10-11 इंच का लंड था, खूब मोटा और सख्त। इतना प्यारा लंड मैंने तो उसे पकड़ कर खूब सहलाया, उसे बहुत प्यार किया। हिंदुस्तानी मर्दों के लंड से तो ये दुगना था। और ऐसे शानदार लंड रोज़ रोज़ कहाँ देखने को मिलते हैं।
वो लंड मैंने खूब चूसा. और फिर अपनी स्कर्ट उतारी और चड्डी भी; आगे को झुक कर एक टेबल का सहारा लिया और अपनी फुद्दी उस लंड से लगाई. और जैसे ही पीछे को हुई, वो शानदार गधा लंड मेरी फुद्दी में घुसता चला गया।
बेशक सारा ज़ोर मैं ही लगा रही थी। मैंने अपनी ताकत से चुदवाया और ये पहली बार था मेरी ज़िंदगी में जब सारा खेल मैंने खेला। क्योंकि कल मैं वैसे ही बहुत चुद चुकी थी, इस लिए मेरा इतनी जल्दी पानी छूटने वाला नहीं था, तो मैं करीब 15 मिनट उस बड़े सारे गधे लंड से झगड़ती रही, तब कहीं जा कर मेरा पानी गिरा।
मगर वो लंड अभी भी कड़क था, वैसे ही तना हुआ। मैंने कविता की ओर देखा, उसकी आँखों में भी शरारत थी।
इस बार हम दोनों जैंट्स ग्लोरी होल में गई। वहाँ बड़े बड़े लकड़ी के फट्टे लगे थे, जिन के पीछे मर्द खड़े थे, मगर फट्टे में एक सुराख से उन लोगों के कडक खड़े लंड बाहर को झांक
रहे थे। आप लंड पसंद करो, और उस से जो चाहो करो, चूसो, चूमो, चाटो, या चुदवाओ।
मैंने और कविता दोनों ने एक एक हबशी का लंड पसंद किया। यही कोई 10-11 इंच का लंड था, खूब मोटा और सख्त। इतना प्यारा लंड मैंने तो उसे पकड़ कर खूब सहलाया, उसे बहुत प्यार किया। हिंदुस्तानी मर्दों के लंड से तो ये दुगना था। और ऐसे शानदार लंड रोज़ रोज़ कहाँ देखने को मिलते हैं।
वो लंड मैंने खूब चूसा. और फिर अपनी स्कर्ट उतारी और चड्डी भी; आगे को झुक कर एक टेबल का सहारा लिया और अपनी फुद्दी उस लंड से लगाई. और जैसे ही पीछे को हुई, वो शानदार गधा लंड मेरी फुद्दी में घुसता चला गया।
बेशक सारा ज़ोर मैं ही लगा रही थी। मैंने अपनी ताकत से चुदवाया और ये पहली बार था मेरी ज़िंदगी में जब सारा खेल मैंने खेला। क्योंकि कल मैं वैसे ही बहुत चुद चुकी थी, इस लिए मेरा इतनी जल्दी पानी छूटने वाला नहीं था, तो मैं करीब 15 मिनट उस बड़े सारे गधे लंड से झगड़ती रही, तब कहीं जा कर मेरा पानी गिरा।
मगर वो लंड अभी भी कड़क था, वैसे ही तना हुआ। मैंने कविता की ओर देखा, उसकी आँखों में भी शरारत थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
