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Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
अपनी आंखों के सामने इतने लंबे चौड़े तगड़े मर्द को देखकर पहले तो मेरी रूपाली दीदी को घबराहट होने लगी, लेकिन फिर भीमा की मीठी मीठी बातें सुनकर मेरी बहन को अपने मन में कुछ राहत हुई...
 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी... हम तो अपनी बेटी के बाल कटवाने के लिए आए थे आपके पास... लेकिन आपकी दुकान पर तो पहले से ही बहुत भीड़ है.. इसीलिए हम वापस जा रहे थे.
 भीमा:  अरे नहीं नहीं भौजी.... इस भीड़ का तुम चिंता मत करो... हम इन सब को अभी भगा देता हूं... ई सब तो यहां पर टीवी देखने के लिए बैठा हुआ है...
 भीमा ने मेरी बहन को भौजी कहा था... उसकी बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई थी... ना जाने क्या बात थी भीमा की पर्सनालिटी में या फिर उसकी देहाती बातों में... मेरी दीदी उसकी तरफ देखने लगी थी मुस्कुराते हुए...
 भीमा भी मेरी रुपाली दीदी को देखते हुए बड़ी मासूमियत से मुस्कुराने लगा था... पर उस मासूमियत भरी मुस्कान के पीछे एक  हवास का पुजारी इंसान छुपा हुआ था..
 भीमा:   भौजी... हम अभी भगा देत इन सभी  को...
 ऐसा बोलते हुए भीमा उसकी दुकान पर बैठे हुए लोगों को गंदी गंदी गालियां देता  वहां से भगाने लगा... सारे मर्द भीमा के डर से वहां से उठकर जाने लगे थे... लेकिन जाते जाते हुए भी मेरी  दीदी को देखते हुए अपनी  आंखों से ही मेरी बहन को नंगा कर रहे थे... गंदी गंदी कामुक सिसकारियां ले रहे थे... उन सबके बीच में एक 24 बरस का जवान मर्द था... जिसका नाम बिल्लू था.... वह जब मेरी रूपाली दीदी के बगल से गुजरा तो उसने मेरी बहन को एक गंदा से इशारा किया अपने खड़े हुए  हथियार की तरफ... और फिर धीरे से बोला मेरी दीदी के बिल्कुल पास गुजरते हुए उनके कान में..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......ह ह ह.. !! बहन चोद.. !!
 मेरी बहन पहले तो बिल्लू की हरकत पर घबरा उठी थी... फिर उन्होंने मन ही मन सोच लिया क्या इसको भाव देने से क्या फायदा है...
 कौन है बिल्लू.. आखिर क्या रिश्ता है मेरी बहन के साथ उसका.. क्या चाहता है वह.. इन सभी सवालों का जवाब दोस्तों आपको कहानी के अगले भाग में पता चलेगा... लेकिन फिलहाल  मेरी रूपाली दीदी उसकी  गंदी हरकतें और इशारों को देखते हुए भी उसको नजरअंदाज कर रही थी...
 भीमा:  बहुत सुंदर  बिटिया बा तोहार  भौजी...
 वह सोनिया को अपनी गोद में लेकर अपनी दुकान के अंदर ले जा रहा था.. मेरी दीदी भी उसके पीछे-पीछे उसकी दुकान के अंदर चली गई थी..
 दुकान के अंदर ले जाकर  भीमा ने सोनिया को एक कुर्सी के ऊपर बिठा दिया था... और  अपनी कैंची लेकर उसके बाल काटने की कोशिश करने लगा था... लेकिन सोनिया तो बस 4 साल की थी... वह रोने लगी थी और झटपट आने लगी थी... मेरी रूपाली दीदी बगल में ही खड़ी हो कर देख रही थी रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी:  भैया जी... काहे आप हमारे लिए इतना कर रहे हैं.. आप तो अपने दोस्तों को भी अपनी दुकान से भगा दिया.. हमारी खातिर.. काहे इतना करते हो हमारी खातिर...
 मेरी रूपाली दीदी अपनी टूटी फूटी  देहाती भाषा में बात करने की कोशिश कर रही थी  भीमा से..
 भीमा:  अरे नहीं भौजी.... कोनो दिक्कत की बात ना.... ई दुकान  तोहारा बा  भौजी.... ठाकुर साहब के हमरा ऊपर बहुत एहसान बा... उनका खातिर तो हम कुछ भी कर सके ला... आवा अपन बिटिया रानी के जरा पकड़ ला... 
 मेरी रूपाली दीदी ने आगे बढ़कर सोनिया को पकड़ लिया है जबरदस्ती.. भीमा को हेल्प करने के लिए... अब सोनिया बीच में थी... और मेरी रूपाली दीदी और भीमा एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े देख रहे थे मुस्कुरा रहे थे...
 भीमा  सोनिया के बाल काटते हुए मेरी रूपाली दीदी की तरफ ही देख रहा था... उसकी कैंची सोनिया के बालों के ऊपर चल रही थी लेकिन उसकी निगाहें मेरी रूपाली दीदी के लाल चोली  के अंदर से झांकती हुई   बड़ी-बड़ी चूचियां देख मन ही मन अजीब अजीब गंदी कल्पनाएं कर  रही थी...  भीमा का बाबूराव उसकी लूंगी मैं तन के खड़ा हो गया था और रूपाली दीदी को देख कर लूंगी डांस कर रहा था... मेरी दीदी की निगाहें अभी भी उसके नागराज के ऊपर नहीं गई थी.. वह तो सोनिया को संभालने में लगी हुई थी... और इसी चक्कर में उनकी साड़ी का पल्लू भी  सीने से नीचे गिर गया था... हाहाकारी मदमस्त नजारा था  भीमा की आंखों के सामने.....
 उसने बड़ी हिम्मत करके अपनी कैची की नोक से मेरी रूपाली दीदी  की एक  सूची के ऊपर दबा दिया... मेरी रूपाली दीदी हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगी... फिर जब उनकी नजर नीचे गई उसकी  लूंगी के ऊपर... तुम मेरी दीदी का गला सूख गया.... भीमा की लूंगी के अंदर एक काला सांप नाच रहा था मेरी बहन को देखते हुए...
 भीमा ने फिर अपनी कैंची वाले हाथ की बीच वाली उंगली बड़ी चालाकी के साथ सीधी की... और सोनिया के बालों की लट काटते हुए बड़ी  चतुराई के साथ मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों के बीच  बनी हुई लकीर के बीच में उतार दिया और अपने उस ऊंगली को ऊपर नीचे करने लगा.. उसका हाथ मेरी बहन की छाती के ऊपर तक पहुंच चुका था..
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से हल्की से सिसकारी निकल गई थी... एक गैर मर्द के हाथों का जादू पाकर उनकी चूचियां  तन की खड़ी होने लगी...
 सोनिया के आधे बाल कट चुके थे... मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह समझ रही थी कि भीमा क्या कर रहा है उनके साथ... लेकिन इस समय बीच में छोड़ना भी ठीक नहीं था...
 अपने कठोर मजबूत हाथों से  भीमा ने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को जोर से मसल दिया....
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RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 26-09-2021, 11:58 PM



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