26-09-2021, 12:46 AM
मेरी रूपाली दीदी अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आ गई.. उन्होंने सोनिया को नाश्ता करवाया फिर उसको तैयार करके घर से बाहर चली गई.. भीमा नाई की दुकान की तलाश में... जाने से पहले उन्होंने अपना दूध निकाल कर बोतल में भरकर मुझे दे दिया था और बोली थी कि अगर नूपुर रोने लगे तो उसे थोड़ी थोड़ी देर पर पिला देना...
मुझे और मेरे जीजू को नूपुर के साथ घर में छोड़कर मेरी बहन सोनिया के साथ उसके बाल कटवाने के लिए बाहर चली गई थी... ठाकुर साहब तो सुबह सुबह घर से निकल गए थे अपने काम से... जाने से पहले उन्होंने मेरी दीदी को भीमा हजाम की दुकान का एड्रेस अच्छी तरह बता दिया था.. फिर भी मेरी दीदी बाहर सड़क पर निकल कर परेशान हो रही थी... उनको भीमा की दुकान कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी तो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी.. खूब सजधज के तैयार होकर आज मेरी बहन घर से बाहर निकली थी... मेरी रूपाली दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी.. काफी देर तक मेरी दीदी मोहल्ले की सड़कों पर घूमती रही... भीमा की तलाश में... मेरी रूपाली दीदी थकने लगी थी... सोनिया तो रोने ही लगी थी... वह बोलने लगी... नहीं मम्मी अब मैं और नहीं चल पाऊंगी प्लीज मुझे अपनी गोद में उठा लो ना..
मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया.. सोनिया 4 साल की हो चुकी थी.. मेरी दीदी को उसको उठाने में तकलीफ हो रही थी.. ऊपर से गर्मी... मेरी बहन पसीना पसीना हो चुकी थी...
सोनिया को अपनी गोद में लिए हुए मेरी रूपाली दीदी कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की उनको भीमा की दुकान दिखाई देने लगी... कुछ ही देर में मेरी बहन भीमा की दुकान के सामने खड़ी थी..
अब भीमा की दुकान के सामने खड़ी मेरी रूपाली दीदी खुश होने के बजाय दुविधा में फंसी हुई थी... दरअसल सामने का दृश्य ही कुछ ऐसा था.. उस दुकान के अंदर और बाहर भी बहुत सारे मर्द लाइन लगाकर बैठे हुए थे.. और फिर जब उन मर्दों में दुकान के बाहर खड़ी मेरी रूपाली दीदी, हुस्न परी को देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई.. मेरी बहन को देखकर सब के सब अपने मुंह से लार टपका रहे थे.. लाल रंग की साड़ी, मैचिंग लाल रंग की चोली लो कट डीप टाइप की, मेरी बहन की आधी चूचीया तो चोली के बाहर ही झलक रही थी... सूरज की रोशनी में चमकता हुआ मंगलसूत्र मेरी बहन की छातियों के ऊपर टिका हुआ था.. मांग में गाढ़ा सिंदूर... बालों में गजरा... आंखों में कजरा... होठों पर लाली.. पतली कमर... गहरी नाभि... और चोली में दो बड़े बड़े उभरे हुए जोबन... देख वहां पर सारे के सारे मर्द मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर पर लाकर उनको नंगी करने के सपने देखने लगे थे..
उन सभी मर्दों की आंखों में अपने लिए हवस और वासना के लाल डोरे देखकर मेरी रूपाली दीदी घबरा उठी थी.. यह उनके लिए पहला अनुभव था... जब इतने सारे मर्दों उनको अपनी आंखों से ही हवस का शिकार बना रहे थे... मेरी दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... साथ उनको यह अनुभव अजीब सा रोमांचक भी लग रहा था... लेकिन फिर भी मेरी दीदी वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी.... तभी पीछे से अचानक एक मर्द उस भीड़ को चीरता हुआ बाहर निकला और पीछे से मेरी दीदी को पुकारा..
वह मर्द और कोई नहीं बल्कि भीमा था.
भीमा: काहे जात हो मैडम जी... क्या हुआ आपको...
भीमा की आवाज सुनकर जब मेरी रूपाली दीदी पीछे मुड़कर देखी तो दंग रह गई... 6 फुट 5 इंच लंबा... काला... तगड़ा मर्द हाथ में कैंची लिए उनकी आंखों के सामने खड़ा था... और उनको ही घूर रहा था..
भीमा लुंगी और बनियान में मेरी बहन के सामने खड़ा था.. उसकी चौड़ी छाती और लंबी मजबूत भुजाएं देखकर मेरी दीदी घबरा रही थी... तकरीबन 5 फीट लंबी मेरी रूपाली दीदी उसके आगे तो बिल्कुल बच्ची की तरह लग रही थी.. दीदी कुछ बोल पाती उसके पहले ही ...
भीमा: हम जानत हैं आप कौन हो... आप रूपाली मैडम हो ना... हमारे ठाकुर साहब तोहार हमारे पास भेजे हैं ना... तोहार बिटिया के बाल काटने की खातिर...
मुझे और मेरे जीजू को नूपुर के साथ घर में छोड़कर मेरी बहन सोनिया के साथ उसके बाल कटवाने के लिए बाहर चली गई थी... ठाकुर साहब तो सुबह सुबह घर से निकल गए थे अपने काम से... जाने से पहले उन्होंने मेरी दीदी को भीमा हजाम की दुकान का एड्रेस अच्छी तरह बता दिया था.. फिर भी मेरी दीदी बाहर सड़क पर निकल कर परेशान हो रही थी... उनको भीमा की दुकान कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी तो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी.. खूब सजधज के तैयार होकर आज मेरी बहन घर से बाहर निकली थी... मेरी रूपाली दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी.. काफी देर तक मेरी दीदी मोहल्ले की सड़कों पर घूमती रही... भीमा की तलाश में... मेरी रूपाली दीदी थकने लगी थी... सोनिया तो रोने ही लगी थी... वह बोलने लगी... नहीं मम्मी अब मैं और नहीं चल पाऊंगी प्लीज मुझे अपनी गोद में उठा लो ना..
मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया.. सोनिया 4 साल की हो चुकी थी.. मेरी दीदी को उसको उठाने में तकलीफ हो रही थी.. ऊपर से गर्मी... मेरी बहन पसीना पसीना हो चुकी थी...
सोनिया को अपनी गोद में लिए हुए मेरी रूपाली दीदी कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की उनको भीमा की दुकान दिखाई देने लगी... कुछ ही देर में मेरी बहन भीमा की दुकान के सामने खड़ी थी..
अब भीमा की दुकान के सामने खड़ी मेरी रूपाली दीदी खुश होने के बजाय दुविधा में फंसी हुई थी... दरअसल सामने का दृश्य ही कुछ ऐसा था.. उस दुकान के अंदर और बाहर भी बहुत सारे मर्द लाइन लगाकर बैठे हुए थे.. और फिर जब उन मर्दों में दुकान के बाहर खड़ी मेरी रूपाली दीदी, हुस्न परी को देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई.. मेरी बहन को देखकर सब के सब अपने मुंह से लार टपका रहे थे.. लाल रंग की साड़ी, मैचिंग लाल रंग की चोली लो कट डीप टाइप की, मेरी बहन की आधी चूचीया तो चोली के बाहर ही झलक रही थी... सूरज की रोशनी में चमकता हुआ मंगलसूत्र मेरी बहन की छातियों के ऊपर टिका हुआ था.. मांग में गाढ़ा सिंदूर... बालों में गजरा... आंखों में कजरा... होठों पर लाली.. पतली कमर... गहरी नाभि... और चोली में दो बड़े बड़े उभरे हुए जोबन... देख वहां पर सारे के सारे मर्द मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर पर लाकर उनको नंगी करने के सपने देखने लगे थे..
उन सभी मर्दों की आंखों में अपने लिए हवस और वासना के लाल डोरे देखकर मेरी रूपाली दीदी घबरा उठी थी.. यह उनके लिए पहला अनुभव था... जब इतने सारे मर्दों उनको अपनी आंखों से ही हवस का शिकार बना रहे थे... मेरी दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... साथ उनको यह अनुभव अजीब सा रोमांचक भी लग रहा था... लेकिन फिर भी मेरी दीदी वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी.... तभी पीछे से अचानक एक मर्द उस भीड़ को चीरता हुआ बाहर निकला और पीछे से मेरी दीदी को पुकारा..
वह मर्द और कोई नहीं बल्कि भीमा था.
भीमा: काहे जात हो मैडम जी... क्या हुआ आपको...
भीमा की आवाज सुनकर जब मेरी रूपाली दीदी पीछे मुड़कर देखी तो दंग रह गई... 6 फुट 5 इंच लंबा... काला... तगड़ा मर्द हाथ में कैंची लिए उनकी आंखों के सामने खड़ा था... और उनको ही घूर रहा था..
भीमा लुंगी और बनियान में मेरी बहन के सामने खड़ा था.. उसकी चौड़ी छाती और लंबी मजबूत भुजाएं देखकर मेरी दीदी घबरा रही थी... तकरीबन 5 फीट लंबी मेरी रूपाली दीदी उसके आगे तो बिल्कुल बच्ची की तरह लग रही थी.. दीदी कुछ बोल पाती उसके पहले ही ...
भीमा: हम जानत हैं आप कौन हो... आप रूपाली मैडम हो ना... हमारे ठाकुर साहब तोहार हमारे पास भेजे हैं ना... तोहार बिटिया के बाल काटने की खातिर...