22-04-2019, 11:25 AM
‘चन्द्रकान्ता’ (सन 1818)
तिलिस्म शब्द
देवकीनन्दन खत्री ने समसामयिक नीति-प्रधान उपन्यासों से भिन्न कौतूहल प्रधान ‘तिलिस्मी ऐय्यारी’ उपन्यास रचना की नयी दिशा को उद्घटित करने का सफल प्रयास किया। ‘तिलिस्म’ अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ है- 'ऐन्द्रजालिक रचना, गाड़े हुए धन आदि पर बनायी हुई सर्प आदि की भयावनी आकृति व दवाओं तथा लग्नों के मेल से बँधा हुआ यन्त्र’।' ‘चन्द्रकान्ता’ के चौथे भाग के बीसवें बयान में ऐय्यार जीतसिंह ज़रूरत पड़ती थी तो वे बड़े-बड़े ज्योतिषी, नजूमी, वैद्य, कारीगर ‘तिलिस्म के सम्बन्ध में कहता है-
'तिलिस्मी वही शख़्स तैयार करता है, जिसके पास बहुत माल-ख़ज़ाना हो और वारिस न हो।...पुराने जमाने के राजाओं को जब तिलिस्मी बाँधने की और तांत्रिक लोग इकट्ठे किये जाते थे। उन्हीं लोगों के कहे मुताबिक तिलिस्मी बाँधने के लिए ज़मीन खोदी जाती थी, उसी ज़मीन के अन्दर ख़ज़ाना रखकर ऊपर तिलिस्मी इमारत बनायी जाती थी। उसमें ज्योतिषी, नजूमी, वैद्य, कारीगर और तांत्रिक लोग अपनी ताकत के मुताबिक उसके छिपाने की बंदिश करते थे मगर इसके साथ ही उस आदमी के नक्षत्र एवं ग्रहों का भी खयाल रखते थे, जिसके लिए वह ख़ज़ाना रक्खा जाता था।'....
तिलिस्म शब्द
देवकीनन्दन खत्री ने समसामयिक नीति-प्रधान उपन्यासों से भिन्न कौतूहल प्रधान ‘तिलिस्मी ऐय्यारी’ उपन्यास रचना की नयी दिशा को उद्घटित करने का सफल प्रयास किया। ‘तिलिस्म’ अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ है- 'ऐन्द्रजालिक रचना, गाड़े हुए धन आदि पर बनायी हुई सर्प आदि की भयावनी आकृति व दवाओं तथा लग्नों के मेल से बँधा हुआ यन्त्र’।' ‘चन्द्रकान्ता’ के चौथे भाग के बीसवें बयान में ऐय्यार जीतसिंह ज़रूरत पड़ती थी तो वे बड़े-बड़े ज्योतिषी, नजूमी, वैद्य, कारीगर ‘तिलिस्म के सम्बन्ध में कहता है-
'तिलिस्मी वही शख़्स तैयार करता है, जिसके पास बहुत माल-ख़ज़ाना हो और वारिस न हो।...पुराने जमाने के राजाओं को जब तिलिस्मी बाँधने की और तांत्रिक लोग इकट्ठे किये जाते थे। उन्हीं लोगों के कहे मुताबिक तिलिस्मी बाँधने के लिए ज़मीन खोदी जाती थी, उसी ज़मीन के अन्दर ख़ज़ाना रखकर ऊपर तिलिस्मी इमारत बनायी जाती थी। उसमें ज्योतिषी, नजूमी, वैद्य, कारीगर और तांत्रिक लोग अपनी ताकत के मुताबिक उसके छिपाने की बंदिश करते थे मगर इसके साथ ही उस आदमी के नक्षत्र एवं ग्रहों का भी खयाल रखते थे, जिसके लिए वह ख़ज़ाना रक्खा जाता था।'....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.