22-04-2019, 11:03 AM
देखते-ही-देखते दोनों प्यार करने लगे। किंतु शाब्दिक दीवार अभी तक बनी हुई थी। अंत में इस दीवार को भी गिरीश ने ही तोड़ा। साहस करके उसने एक पत्र में दिल की भावनाएं लिख दीं। उत्तर तुंरत मिला–आग की तपिश दोनों ओर बराबर थी।
फिर क्या था...बांध टूट चुका था...दीवार हट चुकी थी...पत्रों के माध्यम से बातें होने लगीं। एक दूसरे के पत्र का बेबसी से इंतजार करने लगे। पहले जमाने की बातें हुईं...फिर प्यार की बातों से पत्र भरे जाने लगे...धीरे-धीरे मिलन की लालसा जाग्रत हुई।
पत्रों में ही मिलन के प्रोगाम बने–फिर मिलन भी जैसे उनके लिए साधारण बात हो गई। वे मिलते, प्यार की बातें करते, एक-दूसरे की आंखों में खो जाते...और बस...।
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फिर क्या था...बांध टूट चुका था...दीवार हट चुकी थी...पत्रों के माध्यम से बातें होने लगीं। एक दूसरे के पत्र का बेबसी से इंतजार करने लगे। पहले जमाने की बातें हुईं...फिर प्यार की बातों से पत्र भरे जाने लगे...धीरे-धीरे मिलन की लालसा जाग्रत हुई।
पत्रों में ही मिलन के प्रोगाम बने–फिर मिलन भी जैसे उनके लिए साधारण बात हो गई। वे मिलते, प्यार की बातें करते, एक-दूसरे की आंखों में खो जाते...और बस...।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.