23-09-2021, 02:50 PM
उस दिन के बाद मैंने जान बूझ कर इसके बारे में रेनू से कोई बात नहीं की और न ही रेनू ने इसका जिक्र मुझसे किया। लेकिन उस दिन के बाद हम एक दूसरे के साथ थोडा कम बात कर रहे थे, मुझे लगा की हम दोनों को ही थोडा समय चाहिए ताकि हम उस अनोखे अनुभव से उबर सकें। हालाँकि यह भी सच था कि आज तक हमको चुदाई में इतना मजा नहीं आया जितना की उस दिन पूल में सेक्स करके आया था, और इसकी वजह साफ़ थी, हमारी चुदाई के दौरान वहां राजेश का उपस्थित होना।
करीब 10 दिन बाद एक दिन डिनर करते वक़्त रेनू ने धीरे से मुझसे पूछा, “क्या तुम उस दिन के बारे में बात करना चाहते हो?”।
“यार अब उसमे बात करने के लिए क्या है? हम दोनों ने काफी पी ली थी, राजेश भी नशे में था और तुम्हारी कातिल खूबसूरती ने मुझे और राजेश को बहुत उत्तेजित कर दिया था और नशे में तुम भी पूरा मस्ती के मूड में थी, फिर तो जो हुआ वो होना ही था।” मैं रुका, “अब इस बारे में सोचना छोडो मेरी जान।”
“नहीं, यह ठीक नहीं हुआ। हम लोग शादीशुदा हैं और हमारी सोसाइटी में शादीशुदा लोग इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं।”
“अरे रेनू। आजकल शादीशुदा लोग क्या नहीं करते। उसके मुकाबले तो हमने कुछ नहीं किया। और जो हुआ उसमें तुम भी जिम्मेदार थी, सबसे पहले कपडे तुमने ही उतारे थे लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ।” मैंने उसे समझाते हुआ कहा, “तुमको क्या गिल्ट फील हो रहा है... तो ये बेवजह है, थोड़ी सी मस्ती करने में क्या गलत है?”
वह अपनी थाली में खाने को इधर उधर करते हुए बोल रही थी, “पता नहीं, मैं... वो मुझे कुछ सही नहीं लग रहा। राजेश को इतनी छूट...”
मैं उसकी बात बीच में ही काट कर बोला, “मैंने तुम्हें इतना खुश कभी नहीं देखा, तुम एक पूरी तरह से एक अलग औरत लग रही थीं। अब फालतू की बाते मत सोचो और वैसे ही रहो जैसे उस दिन थी, तुम्हारे उस दिन के व्यव्हार में कोई गलती नहीं थी। सच सच बताओ क्या तुम्हे उस दिन मज़ा नहीं आया था”।
मेरे इस सवाल से वह शरमा गई, “...नहीं ये तो मैंने नहीं कहा।” उसने कहा।
मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुराया, उसकी जवाब से मुझे राहत मिली, “लेकिन राजेश को उतना मज़ा नहीं आया होगा।”
इस बात से उसका चेहरा थोडा लाल हो गया और वह मुस्कुराई, “क्यों?”
मैंने हँसते हुए बोला, “उसको हाथ से काम चलाना पड़ा, तुम्हे उसे एक मौका देना चाहिए था, लेकिन तुम्हें तो उसे चिढ़ाने में मज़ा आता है।”
करीब 10 दिन बाद एक दिन डिनर करते वक़्त रेनू ने धीरे से मुझसे पूछा, “क्या तुम उस दिन के बारे में बात करना चाहते हो?”।
“यार अब उसमे बात करने के लिए क्या है? हम दोनों ने काफी पी ली थी, राजेश भी नशे में था और तुम्हारी कातिल खूबसूरती ने मुझे और राजेश को बहुत उत्तेजित कर दिया था और नशे में तुम भी पूरा मस्ती के मूड में थी, फिर तो जो हुआ वो होना ही था।” मैं रुका, “अब इस बारे में सोचना छोडो मेरी जान।”
“नहीं, यह ठीक नहीं हुआ। हम लोग शादीशुदा हैं और हमारी सोसाइटी में शादीशुदा लोग इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं।”
“अरे रेनू। आजकल शादीशुदा लोग क्या नहीं करते। उसके मुकाबले तो हमने कुछ नहीं किया। और जो हुआ उसमें तुम भी जिम्मेदार थी, सबसे पहले कपडे तुमने ही उतारे थे लेकिन इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ।” मैंने उसे समझाते हुआ कहा, “तुमको क्या गिल्ट फील हो रहा है... तो ये बेवजह है, थोड़ी सी मस्ती करने में क्या गलत है?”
वह अपनी थाली में खाने को इधर उधर करते हुए बोल रही थी, “पता नहीं, मैं... वो मुझे कुछ सही नहीं लग रहा। राजेश को इतनी छूट...”
मैं उसकी बात बीच में ही काट कर बोला, “मैंने तुम्हें इतना खुश कभी नहीं देखा, तुम एक पूरी तरह से एक अलग औरत लग रही थीं। अब फालतू की बाते मत सोचो और वैसे ही रहो जैसे उस दिन थी, तुम्हारे उस दिन के व्यव्हार में कोई गलती नहीं थी। सच सच बताओ क्या तुम्हे उस दिन मज़ा नहीं आया था”।
मेरे इस सवाल से वह शरमा गई, “...नहीं ये तो मैंने नहीं कहा।” उसने कहा।
मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुराया, उसकी जवाब से मुझे राहत मिली, “लेकिन राजेश को उतना मज़ा नहीं आया होगा।”
इस बात से उसका चेहरा थोडा लाल हो गया और वह मुस्कुराई, “क्यों?”
मैंने हँसते हुए बोला, “उसको हाथ से काम चलाना पड़ा, तुम्हे उसे एक मौका देना चाहिए था, लेकिन तुम्हें तो उसे चिढ़ाने में मज़ा आता है।”


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