23-09-2021, 01:57 PM
भाई का मोटा लंड चूसते हुए मुझे बहुत मजा आने लगा. मैंने उसके लंड को पूरा मुंह में लिया हुआ था और भाई के मुंह से कामुक आवाजें निकल रही थी. मगर हम दोनों बहुत कम आवाज करने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि नीचे मौसी और दादा-दादी भी सो रहे थे.
मैंने भाई के लंड को चूसते हुए उसका पानी चखा. उसका पानी नमकीन सा लगा. अब उसके लंड में बहुत ही जोर का कड़ापन आ गया था.
उसने मेरे मुंह से लंड को निकाल लिया. फिर उसने अपने मोटे लंड को मेरी चूत पर रख दिया.
भाई का लंड वाकई में बहुत बड़ा था. मैंने कहा- ये मेरी चूत के अंदर नहीं जा पायेगा.
उसने डांटते हुए चुप करवा दिया और बोला- साली रंडी चुप कर. अब तू मुझे सिखाएगी कि छेद में लौड़ा कैसे जाता है!
वो बोला- इस लंड ने कई छेद खोले हैं. तू चुपचाप लेट कर लंड का मजा ले.
यह कह कर भाई ने मेरी चूत में लंड को धकेलना शुरू कर दिया. मगर लंड का सुपारा बहुत मोटा था और वो अंदर नहीं जा रहा था.
मैंने फिर कहा- भाई ये मेरी चूत में नहीं जा पायेगा. कुछ चिकना पदार्थ लगाना पड़ेगा.
मगर वो बोला- मैं तेरी चूत को बिना थूक लगाये ही चोदूंगा.
उसने मेरी चूत में लंड को धकेलना जारी रखा और बहुत कोशिश करने के बाद मेरी चूत में जैसे ही उसके लंड का सुपारा गया तो मेरी जैसे जान निकल गयी. मैं उसको हटाने लगी. मगर उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. अपने लंड के टोपे को मेरी चूत में घुसा कर वो मेरे होंठों को पीने लगा तो मुझे आराम मिला.
मैंने भाई के लंड को चूसते हुए उसका पानी चखा. उसका पानी नमकीन सा लगा. अब उसके लंड में बहुत ही जोर का कड़ापन आ गया था.
उसने मेरे मुंह से लंड को निकाल लिया. फिर उसने अपने मोटे लंड को मेरी चूत पर रख दिया.
भाई का लंड वाकई में बहुत बड़ा था. मैंने कहा- ये मेरी चूत के अंदर नहीं जा पायेगा.
उसने डांटते हुए चुप करवा दिया और बोला- साली रंडी चुप कर. अब तू मुझे सिखाएगी कि छेद में लौड़ा कैसे जाता है!
वो बोला- इस लंड ने कई छेद खोले हैं. तू चुपचाप लेट कर लंड का मजा ले.
यह कह कर भाई ने मेरी चूत में लंड को धकेलना शुरू कर दिया. मगर लंड का सुपारा बहुत मोटा था और वो अंदर नहीं जा रहा था.
मैंने फिर कहा- भाई ये मेरी चूत में नहीं जा पायेगा. कुछ चिकना पदार्थ लगाना पड़ेगा.
मगर वो बोला- मैं तेरी चूत को बिना थूक लगाये ही चोदूंगा.
उसने मेरी चूत में लंड को धकेलना जारी रखा और बहुत कोशिश करने के बाद मेरी चूत में जैसे ही उसके लंड का सुपारा गया तो मेरी जैसे जान निकल गयी. मैं उसको हटाने लगी. मगर उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. अपने लंड के टोपे को मेरी चूत में घुसा कर वो मेरे होंठों को पीने लगा तो मुझे आराम मिला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.