23-09-2021, 01:56 PM
मेरा नाम शैलजा सिंह है और मैं उत्तर प्रदेश के कानुपर की रहने वाली हूं. मैं एक सेक्सी जवान लड़की हूं और मेरे जिस्म को देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है. अभी मैं 22 साल की हुई हूं. मेरी गांड एकदम से उठी हुई है.
मेरे परिवार में चार सदस्य हैं. माता-पिता के अलावा मेरा एक भाई भी है. वो 21वें साल में है मैं उसके बदन को देख कर कई बार आकर्षित हो जाती हूं. वो जब बाथरूम से नहा कर निकलता है तो मेरा मन करता है कि उसके तौलिया को उतार दूं और उसके जिस्म को नंगा देखूं. अपने भाई से चुदाई करवाऊँ.
मैंने एक बार उसे फ्रेंची में देखा था. उसका लंड अलग से दिखाई दे रहा था. मेरा मन कर रहा था कि मैं उसके लंड को पकड़ लूं. कई बार मैंने उसे अंडरवियर में देखा है. उसका लंड काफी बड़ा दिखाई देता है.
मैं कई बार उसको देख कर गर्म हो जाती हूं. मेरा मन करता है कि अपनी चूत में उसका लंड लेकर भाई से चुदाई करवा लूं.
वो भी बहुत ठरकी है. मेरे चूचों को घूरता रहता है. ये कहानी मेरे भाई से चुदाई की पहले सेक्स के बारे में है. मेरा भाई चुदाई में बहुत माहिर है. जिस घटना के बारे में आपको बताने जा रही हूं उसको पढ़ कर आपको भी मेरी बात का यकीन हो जायेगा.
यह वाकया आज से करीब एक साल पहले हुआ था. उस दिन मौसी भी आई हुई थी क्योंकि घर पर कथा हो रही थी. मगर वो हमारे दादा दादी के घर पर हो रही थी. आपको बता दूं कि हम लोग मेरे दादा दादी से दूर शहर में रहते हैं क्योंकि मुझे गांव में रहना पसंद नहीं था.
मेरे परिवार में चार सदस्य हैं. माता-पिता के अलावा मेरा एक भाई भी है. वो 21वें साल में है मैं उसके बदन को देख कर कई बार आकर्षित हो जाती हूं. वो जब बाथरूम से नहा कर निकलता है तो मेरा मन करता है कि उसके तौलिया को उतार दूं और उसके जिस्म को नंगा देखूं. अपने भाई से चुदाई करवाऊँ.
मैंने एक बार उसे फ्रेंची में देखा था. उसका लंड अलग से दिखाई दे रहा था. मेरा मन कर रहा था कि मैं उसके लंड को पकड़ लूं. कई बार मैंने उसे अंडरवियर में देखा है. उसका लंड काफी बड़ा दिखाई देता है.
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वो भी बहुत ठरकी है. मेरे चूचों को घूरता रहता है. ये कहानी मेरे भाई से चुदाई की पहले सेक्स के बारे में है. मेरा भाई चुदाई में बहुत माहिर है. जिस घटना के बारे में आपको बताने जा रही हूं उसको पढ़ कर आपको भी मेरी बात का यकीन हो जायेगा.
यह वाकया आज से करीब एक साल पहले हुआ था. उस दिन मौसी भी आई हुई थी क्योंकि घर पर कथा हो रही थी. मगर वो हमारे दादा दादी के घर पर हो रही थी. आपको बता दूं कि हम लोग मेरे दादा दादी से दूर शहर में रहते हैं क्योंकि मुझे गांव में रहना पसंद नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.