23-09-2021, 01:52 PM
(This post was last modified: 05-07-2022, 04:04 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं एक सांस में बोल पड़ा- आप बहुत सुंदर लगती हैं, वाकई हैं भी. मैं रात में मीनाक्षी से भले बात करता हूं, पर दिल दिमाग पर आप ही छाई रहती हैं. पता नहीं कौन सी डोर है, जो आपकी तरफ खींचती चली आई. मुझे माफ़ कर दीजिए, अब ऐसा नहीं होगा.
दीदी ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- मैं तुम्हारी होना चाहती हूं.
इस बात ने सारा माहौल, सारे जज्बात पलट दिए. दोनों को न जाने क्या हुआ. कोई खबर ही नहीं थी. हम दोनों बेबाक हो गए, जज्बात खुल गए.
मैंने भी तुरंत बोल पड़ा- तो ट्रांसपेरेंट वाली ब्रा पहन कर दिखाओ.
वो हंसते हुए बदतमीज कहकर मेरे ऊपर कूद पड़ीं. मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. दीदी ने तुरंत ही अपने होंठों की मधुशाला मेरे नशीले होंठों पर रख दी.
चूसना तो छोड़ो दोस्तो, हम दोनों एक दूसरे के लबों को काटने लगे थे. बेड पर पटका-झटकी शुरू हो गई. मेरे हाथ उनकी कमर में, उनके हाथ मेरे बालों में चलने लगे.
फिर मैं उनके ऊपर आ गया. होंठ चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को मसलने लगा. बड़ी होने के कारण चूचियां हाथ में नहीं आ रही थीं, पर एकदम तन गई थीं.
टी-शर्ट के ऊपर से ही मैं उनकी एक पूरी चूची को काटने लगा. चूचुकों को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा. मैं इस उत्तेजना भरे माहौल में कभी दीदी की गर्दन पर किस करता, तो कभी कंधे पर.
उस वक़्त हम दोनों में क्या केमिस्ट्री चल रही थी … हम दोनों को ही किसी बात का अहसास नहीं था.
मैंने अपना हाथ नीचे करके उनके लोअर को नीचे कर दिया और आंखें बन्द करके उनके होंठों की मधुशाला को पीता रहा.
दीदी ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- मैं तुम्हारी होना चाहती हूं.
इस बात ने सारा माहौल, सारे जज्बात पलट दिए. दोनों को न जाने क्या हुआ. कोई खबर ही नहीं थी. हम दोनों बेबाक हो गए, जज्बात खुल गए.
मैंने भी तुरंत बोल पड़ा- तो ट्रांसपेरेंट वाली ब्रा पहन कर दिखाओ.
वो हंसते हुए बदतमीज कहकर मेरे ऊपर कूद पड़ीं. मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. दीदी ने तुरंत ही अपने होंठों की मधुशाला मेरे नशीले होंठों पर रख दी.
चूसना तो छोड़ो दोस्तो, हम दोनों एक दूसरे के लबों को काटने लगे थे. बेड पर पटका-झटकी शुरू हो गई. मेरे हाथ उनकी कमर में, उनके हाथ मेरे बालों में चलने लगे.
फिर मैं उनके ऊपर आ गया. होंठ चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को मसलने लगा. बड़ी होने के कारण चूचियां हाथ में नहीं आ रही थीं, पर एकदम तन गई थीं.
टी-शर्ट के ऊपर से ही मैं उनकी एक पूरी चूची को काटने लगा. चूचुकों को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा. मैं इस उत्तेजना भरे माहौल में कभी दीदी की गर्दन पर किस करता, तो कभी कंधे पर.
उस वक़्त हम दोनों में क्या केमिस्ट्री चल रही थी … हम दोनों को ही किसी बात का अहसास नहीं था.
मैंने अपना हाथ नीचे करके उनके लोअर को नीचे कर दिया और आंखें बन्द करके उनके होंठों की मधुशाला को पीता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.