23-09-2021, 01:51 PM
(This post was last modified: 05-07-2022, 04:02 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दीदी मेरी आंखों में झांकते हुए बोलीं- क्या हुआ?
मैंने कहा- आज आपको साड़ी में पहली बार देख रहा हूं … आप अच्छी लग रही हो.
वो मुस्कुरा कर नाश्ता बनाने लगीं.
नाश्ता करते हुए उन्होंने बोला- तुम्हारी मैडम से मैंने सुबह वॉट्सएप पर बात की थी. तुम उसे डांटते क्यों हो और उससे लड़ते भी हो.
मैंने कहा- अरे प्यार में इतना तो चलता है.
दीदी ने हंस कर मुझे एक धौल जमा दी.
फिर दीदी और मैं दीवार का टेक लेकर टीवी देखने लगे. दीदी फिर से अपने माथे को मेरे कंधे पर रखकर टीवी देख रही थीं. मेरी दाईं कोहनी कभी उनकी चूची को छू जाती, तो कभी उनके पेट को. मुझे मज़ा आने लगा था. कभी कभी मैं उनकी नाभि पर भी नजर मार लेता था.
फिर दिन बीता, रात हुई. फिर भांग के बाद खाना हुआ और मैं छत पर चला गया. मैं दीदी की ब्रा और पैंटी लंड पर लगाए अपनी मैडम से सेक्सी बातें कर रहा था. उसी समय ना जाने मैं कब सो गया … कुछ होश ही नहीं रहा.
सुबह दीदी मुझे जगाने आ रही थीं, तो उनकी पायल की आवाज अचानक से आई. उनकी पैंटी और ब्रा मेरे निक्कर में रह गई थी. मैं डर के मेरे सोने का नाटक करने लगा और दीदी मुझे देखकर चली गईं.
उनके जाने के बाद मैंने उठकर ब्रा और पैंटी अलगनी पर टांग दी और नीचे आ गया.
मैंने कहा- आज आपको साड़ी में पहली बार देख रहा हूं … आप अच्छी लग रही हो.
वो मुस्कुरा कर नाश्ता बनाने लगीं.
नाश्ता करते हुए उन्होंने बोला- तुम्हारी मैडम से मैंने सुबह वॉट्सएप पर बात की थी. तुम उसे डांटते क्यों हो और उससे लड़ते भी हो.
मैंने कहा- अरे प्यार में इतना तो चलता है.
दीदी ने हंस कर मुझे एक धौल जमा दी.
फिर दीदी और मैं दीवार का टेक लेकर टीवी देखने लगे. दीदी फिर से अपने माथे को मेरे कंधे पर रखकर टीवी देख रही थीं. मेरी दाईं कोहनी कभी उनकी चूची को छू जाती, तो कभी उनके पेट को. मुझे मज़ा आने लगा था. कभी कभी मैं उनकी नाभि पर भी नजर मार लेता था.
फिर दिन बीता, रात हुई. फिर भांग के बाद खाना हुआ और मैं छत पर चला गया. मैं दीदी की ब्रा और पैंटी लंड पर लगाए अपनी मैडम से सेक्सी बातें कर रहा था. उसी समय ना जाने मैं कब सो गया … कुछ होश ही नहीं रहा.
सुबह दीदी मुझे जगाने आ रही थीं, तो उनकी पायल की आवाज अचानक से आई. उनकी पैंटी और ब्रा मेरे निक्कर में रह गई थी. मैं डर के मेरे सोने का नाटक करने लगा और दीदी मुझे देखकर चली गईं.
उनके जाने के बाद मैंने उठकर ब्रा और पैंटी अलगनी पर टांग दी और नीचे आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.