22-09-2021, 09:14 AM
चैप्टर :-3 नागमणि कि खोज अपडेट - 39
रंगा कि रिहाई
आज सुबह सुबह ही दरोगा वीरप्रताप के थाने मे ख़ुशी का माहौल था, होता भी क्यों ना आज सुबह ही हेड ऑफिस से चिठ्ठी आई थी, दरोगा कि वीरता को देखते हुए उसकी तरक्की कर दी गई थी वापस शहर बुलवा लिया गया था.
रंगा बिल्ला का आतंक खत्म कर दिया था वीरप्रताप ने.
दरोगा :- आअह्ह्ह.... अब अपनी बीवी कलावती के साथ इत्मीनान से रहूँगा, उसे अपनी बीवी का गोरा मखमली बदन याद आने लगता है, क्या उभार लिए गांड और स्तन है, बिल्कुल सपाट पेट, गहरी नाभी, कोई देखे तो यकीन ही ना कर पाए कि 40 साल कि शादी सुदा महिला है, एक जवान लड़की कि माँ है, चुत अभी भी चिपकी हुई, उस पर नशीली आंखे लगता है जैसे अभी अभी चुद के आई हो.
बड़ी सिद्दत से आज दरोगा अपनी बीवी कि काया को याद कर रहा था. उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
मै कभी उसपे ध्यान ही नहीं दे पाया काम और जिम्मेदारी के बोझ मे, जब से मेरी बेटी हुई है तभी से मैंने बस एक्का दुक्का बार ही सम्भोग किया है कलावती से, मै भी कैसा नादान हूँ इतनी खूबसूरत औरत का अपमान किया मैंने.
लेकिन अब नहीं अब इन जिम्मेदारी से मुक्त हो के खूब प्यार करूंगा, खूब रगडूंगा उसे.
दरोगा आज बहुत ख़ुश था उसके मन मे हसीन जीवन जीने के ख्याब उत्पन्न होने लगे थे.
उसका लंड आज बार बार खड़ा हो जा रहा था, इतने सालो से वो बेवजह ही फर्ज़ के नीचे दबा रहा परन्तु आज उसके फर्ज़ का इनाम उसे मिल चूका था इसलिए आज उसका ध्यान सम्भोग कि तरफ झुक गया था. वो जल्दी से शहर जा के कलावती को भोग लेना चाहता था. वो अपनी बीवी को तार भिजवा देता है कि कुछ दिनों मे घर आ जायेगा.
दरोगा :- शराब मँगाओ आज जश्न होगा आखिर रंगा को आज मौत देनी है.
हाहाहाबा.... रंगा कि तरफ देख वीरप्रताप हस देता है.
वही शहर मे दरोगा के घर...शाम हो चली थी
मालकिन... मालकिन... मालकिन कहाँ है आप....
आवाज़ के साथ ही वो शख्स कमरे का दरवाजा खोल देता है, अंदर कामवती नहा के आई थी साड़ी बदल रही थी..
वो चौक के दरवाज़े कि तरफ देखती है अभी ब्लाउज के पुरे बटन लगे नहीं थे, पल्लू नीचे गिरा हुआ था, सुन्दर गोरी काया काली साड़ी से झाँक रही थी.
कलावती :- ये क्या बदतमीज़ी है सुलेमान, मैंने कितनी बार कहाँ है कि दरवाजा बजा के आया करो.
बोल तो रही थी परन्तु उसने ना अपना पल्लू उठाने कि जहामत कि ना ही ब्लाउज के बटन बंद करने कि. उसने बड़ी अदा के साथ अपने हाथ उठा के सर पे रख दिए. आधे से ज्यादा गोरे स्तन ब्लाउज के बाहर टपक पडे.
ये नजारा देख सुलेमान को घिघी बंध गई,
सुलेमान :- मालकिन दरवाजा बजा के ही आऊंगा तो ऐसी अप्सरा कैसे देखने को मिलेगी. जितनी बार देखता हु कुछ नया ही दीखता है मालकिन
ऐसा बोल के मुस्कुरा देता है.
कलावती वापस कांच के तरफ मुड़ के साड़ी का पल्लू बनाने लगती है "वैसे आये क्यों थे तुम "
सुलेमान :- वो मालिकन साहेब का तार आया है वो कुछ दिनों मे आ जायेंगे उनकी तरक्की हो गई है ऐसा बोल सुलेमान उदास हो जाता है.
कलावती :-अरे वाह ये तो खुशी कि बात है, आखिर मेरे पतिदेव वापस लौट रहे है.
सुलेमान :- मुँह लटकाये ज़ी मालकिन
कलावती :- तो तू क्यों मुँह लटकाये हुए है?
सुलेमान :- साहेब आ जायेंगे तो मुझे तो अपनी सेवा से हटा देंगी ना आप.
अब तो साहेब ही सेवा करेंगे.
कलावती :- हट पागल.... कैसी बात करता है दरोगा ज़ी के जाने के बाद तूने ही तो मेरी सेवा कि है इतने बरसो से.
वो तोबेटी दे के चले गये अपने फर्ज़ मे व्यस्त रहे, बेटी भी बाहर पढ़ने को चली गई.
एक तेरा ही तो सहारा है सुलेमान
ये कलावती हमेशा इसकी ही रहेगी...ऐसा बोल कलावती पल्लू गिराए ब्लाउज से झाँकते स्तन को लिए ही आगे बढ़ जाती है और पाजामे के ऊपर से ही सुलेमान का लंड दबा देती है.
"अपनी सुलेमानी तलवार को संभाल के रख आज युद्ध करना है तुझे ज़ी भर के "
ऐसा सुन सुलेमान खिल खिला जाता है.
"चल अब खाना बना ले, मुझे तैयार होना है "
सूरज पूरी तरह डूब चूका था, थाने मे दरोगा और 3 सिपाही जम के शराब पी चूके थे.
दरोगा कुछ कुछ होश मे था उसे तरक्की का नशा चढ़ा था, बीवी से सम्भोग कि चाहत का नशा चढ़ा था उसपर दारू क्या असर करती, हालांकि शराब के शुरूर मे वो और भी गरम हो गया था,लंड पेंट से आज़ाद होना चाहता था टाइट पेंट मे लंड दर्द करने लगा था.
बाक़ी तीनो सिपाही पी के लुढ़के पडे थे.
"कलावती तो दूर है तब तक मुठ ही मार लेता हूँ " दरोगा मुठ मारने के इरादे से उठता है कि...
तभी अचानक.... गिरती पड़ती एक महिला थाने मे प्रवेश करती है
महिला :- मुझे बचा लीजिये दरोगा साहेब मुझे बचा लीजिये
वो लोग मुझे मार देंगे, मेरा बलात्कार कर देंगे, मुझे बचाइये
बोल के दरवाजे पे ही गिर पड़ती है वो लगातार रोये जा रही थी.
दरोगा भागता हुआ महिला के पास पहुँचता है तो पाता है कि उसके कपडे जगह जगह से फटे हुए थे कही कही खरोच आई हुई थी.
महिला :- दरोगा साहेब मै पास के ही गांव कामगंज जा रही थी कि रास्ते मे मुझे अकेला पा के 5 बदमाश मुझे उठा ले गये हुए मेरा बलात्कार करने कि कोशिश कि....
बूअअअअअअअ..... ऐसा बोल महिला दरोगा से लिपट जाती है.
दरोगा को एक कोमल सा अहसास होता है, महिला का गरम बदन उसे कुछ अजीब सा अहसास करा रहा था.
वैसे भी आज सुबह से वह कामअग्नि मे जल रहा था, ऊपर से शराब का शुरूर उसे बहका रहा था...
लेकिन नहीं नहीं.... मेरा फर्ज़...
दरोगा खुद को संभालता है. वो महिला को उठता है "चलो मेरे साथ बताओ कहाँ है वो लोग अभी अकल ठिकाने लगाता हूँ सबकी "
महिला जो कि डरी हुई थी वो फिर से दरोगा के सीने से लग जाती है इस बार जबरदस्त तरीके से चिपकी थी उसके बड़े स्तन दरोगा कि कठोर छाती से दब के ऊपर गले कि तरफ से निकलने को आतुर थे, उसके एक स्तन कि तरफ से कपड़ा फटा था, दरोगा उसे सांत्वना देने के लिए जैसे ही गर्दन नीचे करता है उसकी नजर महिला के स्तन पे पड़ती है पुरे बदन मे झुरझुरहत दौड़ जाती है.... बिल्कुल दूध कि तरह सफेद स्तन, बड़े बड़े उसके सीने से चिपके थे डर के मारे पसीने से भीगे जिस्म से एक मादक गंध दरोगा को हिला रही थी.
उसका फर्ज़ कामवासना मे जलने को तैयार था.
कौन है ये लड़की?
क्या करेगा दरोगा?
क्या ये रात रंगा कि आखिरी रात है?
बने रहिये कथा जारी है...
रंगा कि रिहाई
आज सुबह सुबह ही दरोगा वीरप्रताप के थाने मे ख़ुशी का माहौल था, होता भी क्यों ना आज सुबह ही हेड ऑफिस से चिठ्ठी आई थी, दरोगा कि वीरता को देखते हुए उसकी तरक्की कर दी गई थी वापस शहर बुलवा लिया गया था.
रंगा बिल्ला का आतंक खत्म कर दिया था वीरप्रताप ने.
दरोगा :- आअह्ह्ह.... अब अपनी बीवी कलावती के साथ इत्मीनान से रहूँगा, उसे अपनी बीवी का गोरा मखमली बदन याद आने लगता है, क्या उभार लिए गांड और स्तन है, बिल्कुल सपाट पेट, गहरी नाभी, कोई देखे तो यकीन ही ना कर पाए कि 40 साल कि शादी सुदा महिला है, एक जवान लड़की कि माँ है, चुत अभी भी चिपकी हुई, उस पर नशीली आंखे लगता है जैसे अभी अभी चुद के आई हो.
बड़ी सिद्दत से आज दरोगा अपनी बीवी कि काया को याद कर रहा था. उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
मै कभी उसपे ध्यान ही नहीं दे पाया काम और जिम्मेदारी के बोझ मे, जब से मेरी बेटी हुई है तभी से मैंने बस एक्का दुक्का बार ही सम्भोग किया है कलावती से, मै भी कैसा नादान हूँ इतनी खूबसूरत औरत का अपमान किया मैंने.
लेकिन अब नहीं अब इन जिम्मेदारी से मुक्त हो के खूब प्यार करूंगा, खूब रगडूंगा उसे.
दरोगा आज बहुत ख़ुश था उसके मन मे हसीन जीवन जीने के ख्याब उत्पन्न होने लगे थे.
उसका लंड आज बार बार खड़ा हो जा रहा था, इतने सालो से वो बेवजह ही फर्ज़ के नीचे दबा रहा परन्तु आज उसके फर्ज़ का इनाम उसे मिल चूका था इसलिए आज उसका ध्यान सम्भोग कि तरफ झुक गया था. वो जल्दी से शहर जा के कलावती को भोग लेना चाहता था. वो अपनी बीवी को तार भिजवा देता है कि कुछ दिनों मे घर आ जायेगा.
दरोगा :- शराब मँगाओ आज जश्न होगा आखिर रंगा को आज मौत देनी है.
हाहाहाबा.... रंगा कि तरफ देख वीरप्रताप हस देता है.
वही शहर मे दरोगा के घर...शाम हो चली थी
मालकिन... मालकिन... मालकिन कहाँ है आप....
आवाज़ के साथ ही वो शख्स कमरे का दरवाजा खोल देता है, अंदर कामवती नहा के आई थी साड़ी बदल रही थी..
वो चौक के दरवाज़े कि तरफ देखती है अभी ब्लाउज के पुरे बटन लगे नहीं थे, पल्लू नीचे गिरा हुआ था, सुन्दर गोरी काया काली साड़ी से झाँक रही थी.
कलावती :- ये क्या बदतमीज़ी है सुलेमान, मैंने कितनी बार कहाँ है कि दरवाजा बजा के आया करो.
बोल तो रही थी परन्तु उसने ना अपना पल्लू उठाने कि जहामत कि ना ही ब्लाउज के बटन बंद करने कि. उसने बड़ी अदा के साथ अपने हाथ उठा के सर पे रख दिए. आधे से ज्यादा गोरे स्तन ब्लाउज के बाहर टपक पडे.
ये नजारा देख सुलेमान को घिघी बंध गई,
सुलेमान :- मालकिन दरवाजा बजा के ही आऊंगा तो ऐसी अप्सरा कैसे देखने को मिलेगी. जितनी बार देखता हु कुछ नया ही दीखता है मालकिन
ऐसा बोल के मुस्कुरा देता है.
कलावती वापस कांच के तरफ मुड़ के साड़ी का पल्लू बनाने लगती है "वैसे आये क्यों थे तुम "
सुलेमान :- वो मालिकन साहेब का तार आया है वो कुछ दिनों मे आ जायेंगे उनकी तरक्की हो गई है ऐसा बोल सुलेमान उदास हो जाता है.
कलावती :-अरे वाह ये तो खुशी कि बात है, आखिर मेरे पतिदेव वापस लौट रहे है.
सुलेमान :- मुँह लटकाये ज़ी मालकिन
कलावती :- तो तू क्यों मुँह लटकाये हुए है?
सुलेमान :- साहेब आ जायेंगे तो मुझे तो अपनी सेवा से हटा देंगी ना आप.
अब तो साहेब ही सेवा करेंगे.
कलावती :- हट पागल.... कैसी बात करता है दरोगा ज़ी के जाने के बाद तूने ही तो मेरी सेवा कि है इतने बरसो से.
वो तोबेटी दे के चले गये अपने फर्ज़ मे व्यस्त रहे, बेटी भी बाहर पढ़ने को चली गई.
एक तेरा ही तो सहारा है सुलेमान
ये कलावती हमेशा इसकी ही रहेगी...ऐसा बोल कलावती पल्लू गिराए ब्लाउज से झाँकते स्तन को लिए ही आगे बढ़ जाती है और पाजामे के ऊपर से ही सुलेमान का लंड दबा देती है.
"अपनी सुलेमानी तलवार को संभाल के रख आज युद्ध करना है तुझे ज़ी भर के "
ऐसा सुन सुलेमान खिल खिला जाता है.
"चल अब खाना बना ले, मुझे तैयार होना है "
सूरज पूरी तरह डूब चूका था, थाने मे दरोगा और 3 सिपाही जम के शराब पी चूके थे.
दरोगा कुछ कुछ होश मे था उसे तरक्की का नशा चढ़ा था, बीवी से सम्भोग कि चाहत का नशा चढ़ा था उसपर दारू क्या असर करती, हालांकि शराब के शुरूर मे वो और भी गरम हो गया था,लंड पेंट से आज़ाद होना चाहता था टाइट पेंट मे लंड दर्द करने लगा था.
बाक़ी तीनो सिपाही पी के लुढ़के पडे थे.
"कलावती तो दूर है तब तक मुठ ही मार लेता हूँ " दरोगा मुठ मारने के इरादे से उठता है कि...
तभी अचानक.... गिरती पड़ती एक महिला थाने मे प्रवेश करती है
महिला :- मुझे बचा लीजिये दरोगा साहेब मुझे बचा लीजिये
वो लोग मुझे मार देंगे, मेरा बलात्कार कर देंगे, मुझे बचाइये
बोल के दरवाजे पे ही गिर पड़ती है वो लगातार रोये जा रही थी.
दरोगा भागता हुआ महिला के पास पहुँचता है तो पाता है कि उसके कपडे जगह जगह से फटे हुए थे कही कही खरोच आई हुई थी.
महिला :- दरोगा साहेब मै पास के ही गांव कामगंज जा रही थी कि रास्ते मे मुझे अकेला पा के 5 बदमाश मुझे उठा ले गये हुए मेरा बलात्कार करने कि कोशिश कि....
बूअअअअअअअ..... ऐसा बोल महिला दरोगा से लिपट जाती है.
दरोगा को एक कोमल सा अहसास होता है, महिला का गरम बदन उसे कुछ अजीब सा अहसास करा रहा था.
वैसे भी आज सुबह से वह कामअग्नि मे जल रहा था, ऊपर से शराब का शुरूर उसे बहका रहा था...
लेकिन नहीं नहीं.... मेरा फर्ज़...
दरोगा खुद को संभालता है. वो महिला को उठता है "चलो मेरे साथ बताओ कहाँ है वो लोग अभी अकल ठिकाने लगाता हूँ सबकी "
महिला जो कि डरी हुई थी वो फिर से दरोगा के सीने से लग जाती है इस बार जबरदस्त तरीके से चिपकी थी उसके बड़े स्तन दरोगा कि कठोर छाती से दब के ऊपर गले कि तरफ से निकलने को आतुर थे, उसके एक स्तन कि तरफ से कपड़ा फटा था, दरोगा उसे सांत्वना देने के लिए जैसे ही गर्दन नीचे करता है उसकी नजर महिला के स्तन पे पड़ती है पुरे बदन मे झुरझुरहत दौड़ जाती है.... बिल्कुल दूध कि तरह सफेद स्तन, बड़े बड़े उसके सीने से चिपके थे डर के मारे पसीने से भीगे जिस्म से एक मादक गंध दरोगा को हिला रही थी.
उसका फर्ज़ कामवासना मे जलने को तैयार था.
कौन है ये लड़की?
क्या करेगा दरोगा?
क्या ये रात रंगा कि आखिरी रात है?
बने रहिये कथा जारी है...