22-09-2021, 09:07 AM
(This post was last modified: 22-09-2021, 09:10 AM by Andypndy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -35
रुखसाना पलंग पे लेती थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने से स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,
ये उठाव गिरावट असलम को बेचैन कर रहा था वो वैसे ही सम्भोग के हसीन खाब देख रहा था कि सामने जन्नत कि परी आ गई.
असलम आगे बढ़ता है और रुखसाना के पैर के पास टॉर्च ले के खड़ा हो जाता है.
असलम :- हाँ तो मोहतरमा आपका नाम क्या है? और चोट कहाँ लगी है दिखाइए?
चोट दिखाने के नाम पे रुखसाना कि तो हवा ही टाइट हो गई.... हाकलने लगी
वो.. वोवो..... डॉ. साहेब रुख... रुखसाना नाम है मेरा.
और चोट वहाँ लगी है नीचे
असलम समझ तो रहा था परन्तु उसे मजा आ रहा था रुखसाना कि हालत पे रतिवती के सम्भोग ने उसे लालची और निडर बना दिया था ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता था.
उसकी नजात मे रुखसाना कोई भोली भाली लड़की थी जिसे भोगने कि कोशिश कि जा सकती थी.
असलम उसके पैरो को छू लेता है और अपने हाथ वहाँ पे फेरने लगता है बिल्कुल होले से
असलम :- यहाँ दर्द है आपको?
रुखसाना शरमाते हुए पसीने से भीगी चली जाती है, "नहीं डॉ. साहेब वहाँ नहीं, यहाँ है '
इस बार वो अपनी ऊँगली से नीचे कि और इशारा करती है.
असलम अनजान बनते हुए कहाँ यहा असलम घुटने पे हाथ रख पूछता है उसका हाथ लगातर हरकत कर रहा था.
असलम के कड़क मजबूत हाथ रुखसाना के बदन मे हालचाल पैदा कर रहे थे.
रुखसाना सिसकती हुई.... थोड़ी ऊपर डॉ. साहेब जहाँ से पेशाब करते है
इसससस... ऐसा कह के रुखसाना शर्मा जाती है और दूसरी तरफ मुँह फेर लेती है
असलम इस अदा से मोहित हो जाता है इतना सुंदर मुखड़ा शर्मा रहा था, पेशाब शब्द जब जब सुनता उसकी मन मे तरंग उठ पड़ती थी.
असलम मन मे " साली ये लड़की तो मस्त है क्या बदन है, थोड़ी सी कोशिश से गरम हो सकती है "
असलम :- देखिये पहले तो आप शर्मानाछोड़िये
मुझे वो जहाग देखती होंगी
रुखसाना आश्चर्य भरी नजर से असलम को देखती है इसमें भी एक कामुक अदा थी.
असलम :- डॉ. से शर्माना कैसा? देखूंगा नहीं तो इलाज कैसे करूंगा आप ही बताइये?
रुखसानाऐसे दिखाती है जैसे बहुत गहरी सोच मे हो,
वो होले से अपनी गर्दन हाँ मे हिला देती है.
असलम बुरखे को पकड़ के धीरे धीरे ऊपर उठता है, जैसे जैसे पर्दा हटता जाता है गोरी टांगे उभरती चली जाती है...
आह्हः.... क्या चिकनी गोरी टांगे है एक दम मक्खन
असलम हैरान था उसके हाथ काँप रहे थे
बुरखे को जांघो तक ऊपर उठा देता है, क्या जाँघ थी मोटी गोरी चिकनी जैसे किसी ने केले के तने को कपड़े मे रख दिया हो.
जाँघ से ऊपर बुरखा नहीं जा पा रहा था ये वो बॉर्डर थी जिसे एक बार पार कर लिया तो समझो किला फतह था.
रुखसाना गर्म होनर लगी थी, वो सामने नहीं दिल्ली रही थी आंखे बंद किये सांसे दुरुस्त कर रही थी.
असलम :- मोहतरमा....
कोई जवाब नहीं...
असलम :- मोहतरमा अपने नीतम्ब ऊपर कीजिये कपड़ा फस गया है,
रुखसाना के कान मे ये शब्द हलचल मचा देते है
डॉ. साहेब मेरा वो अंग आज तक किसी ने नहीं देखा, उसके शब्दों मे शर्माहाट मदहोसी मिली हुई थी.
सांसे चढ़ रही थी.
असलम को ये देख मजा आने लगा, "सिर्फ ऊपर ऊपर से मना कर रही है मुझे थोड़ी कोशिश करनी होंगी '
असलम :- मै कोई पराया मर्द नहीं हूँ मोहतरमा, मै एक डॉ. हूँ
और डॉ. से शरमाते नहीं मुझे डॉ. कि नजर से ही देखे.
असलम अपने शब्दों के जाल मे रुखसाना को फ़साये जा रहा था.
भोला असलम... कौन बताये कि वो खुद ही फसे जा रहा है.
रुखसाना ना नुकुर करती अपनी भरी भरकम गद्देदार गांड होले से ऊपर उठा देती है
यही मौका है... असलम झट से बुर्के को कमर से ऊपर नाभी तक एक ही बार मे खींच देता है
नजारा देख वो गिरने को ही था... रतिवती के साथ उसने सम्भोग किया था परन्तु सब आनन फानन मे हुआ था असलम कभी रतिवती के कामुक अंगों का दीदार नहीं कर पाया था.
परन्तु आज पहली बार किसी जवान कामुक औरत के कामुक और मादक अंग इतने पास से देख पा रहा था.
उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे बंद हो गई है.... बेचारा सांस लेना ही भूल गया था.
जब अवस्था मे एक टक वो जांघो के बीच उभरी हुई लकीर को निहारे जा रहा था, एक दम गोरी फूली हुई चुत बालो का कोई नामोनिशान नहीं...
रुखसाना :- डॉ. साहेब... डॉ. असलम
असलम जड़ खड़ा, आंखे फ़ैल चुकी थी
रुखसाना :- डॉ. साहेब चोट देखिये ना? आप क्या देख रहे है
असलम :- वो मै.... वो... वो... मै कुछ नहीं
चोट तो नहीं दिख रही कही मुझे?
असलम जैसे तैसे खुद को संभालता है.
रुखसाना :- दर्द तो मुझे अपनी जांघो के बीच ही हो रहा है.
असलम अब संभाल चूका था " फिर तो आपको अपनी जाँघे खोलनी होंगी ताकि चोट देख सकूँ "
रुखसाना घन घना गई पराये मर्द के सामने टांगे खोल के दिखाने का सोच के ही
आलम को मंजिल नजदीक नजर आ रही थी
रुखसाना असलम कि तरफ सुनी आँखों से देखती है जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो या फिर दुविधा मे हो.
असलम :- देखो रुखसाना मुझ पे भरोसा रखो, मै सिर्फ इलाज करूंगा, मुझसे डरने या लजाने कि आवशयकता नहीं है
असलम अब उसे नाम से बुला रहा था वो रुखसाना का विश्वास जीत लेना चाहता था.
रुखसाना अपनी गोरी मोटी जाँघे धीरे से खोल देती है.
असलम को धीरे से चुत का दरवाजा खुलता दीखता है, चुत कि खिड़की के दोनों पाट थोड़े से अलग होते है चुत का उभरा हुआ दाना दिखने लगता है.
असलम मन्त्रमुग्ध सा दृश्य देख रहा था उसकी लुंगी मे तूफान मचा हुआ था, लंड झटके पे झटके मार रहा था.
लंड तो बिल्लू का भी झटके लगा रहा था भूरी कि गोरी गांड मे, भूरी दो बार झड़ के अपनी ताकत गवा चुकी थी बिल्लू के ऊपर गीर पड़ी थी, गांड का छेद गिल्ला चिकना होने से बिल्लू का लंड सीधा भूरी कि गांड चिरता अंदर समा गया था,
भूरी चिहूक उठती है परन्तु कोई विरोध नहीं करती
बिल्लू भी गरम था नीचे से अपनी जाँघ उठा के धचा धच धक्के मारने शुरू कर दिए थे...
चुत से निकलता पानी गांड रुपी खाई से होता हुआ बिल्लू के टट्टो को भिगो रहा था.
कालू रामु भी ये मौका नहीं गांवना चाहते थे.
कालू सीधा भूरी को गर्दन थाम के अपनी लंड पे झुका देता है
गांड मे पड़ते धक्को से भूरी गरमानें लगी थी एक बार मे ही कालू का लंड मुँह मे भर लेती है हवस मे डूबी भूरी को कोई तकलीफ नहीं होती, मुँह मे लंड लिए चुबलाने लगती है उसे परम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
कालू इस प्रकार के मुख मैथुन से भूरी का दीवाना हो उठा
कालू :- क्या चूसती हो काकी, बोल के गले तक लंड को धकेल देता है.
अब ये किस्सा यु ही शुरू हो चला कभी लंड बाहर खिंचता तो कभी वापस गले तक धकेल देता.
नीचे गाड़ पे पड़ता लंड मधुर संगीत पैदा कर रहा था.
इस संगीत से वहाँ मौजूद हर एक शख्स प्रभावित रहा, फच फच.... पच का संगीत सभी के लंडो को झकझोड़ रहा था.
झाड़ी मे छुपा बैठा चोर मंगूस भी इस रासलीला का लुत्फ़ उठा रहा था उसका लंड परिपक्व बदन को चुदता देख आनंद के सागर मे लोड़ा पकड़े गोते खा रहा था.
रामु जब से खड़ा भूरी को चुदता देख लंड हिला रहा था उसका सब्र जवाब देने लगा वो भी आगे बढ़ जाता है और बिल्लू भूरी के पैरो के बीच घुटने टिका के बैठ जाता है.
बिल्लू के चेहरे पे मुस्कान थी... भूरी लंड चूसने मे व्यस्त थी वो जैसे ही रामु कि तरफ देखती है....
अरे.. रे रे ... ये क्या भूरी विलम्भ हो गई
फचक.... से एक झटका पड़ता है औररामु का लंड पूरा का पूरा जड़ टक भूरी कि चुत मे समा गया था...
भूरी चीखने को हुई कि तभी गले मे कालू का लंड उयार गया.
अब तीनो तरफ से धक्का मुक्की चालू हो चुकी थी,
बिल्लू और रामु के लंड एक सतब बाहर आते फिर एक साथ अंदर जड़तक समा जाते.
दोनों के टट्टे आपस मे टकरा जाते... ये हर बार और जोरसे होता जैसे कोई दुश्मन आपस मे टक्कर मार के एक दूसरे को धाराशाई कर देना चाहते हो.
और इस टक्कर का अंजाम सीधा भूरी कि कामुक बदन पे हो रहा था उसके मुँह से कामुक सिसकारिया निकल रही थी, दोनों के लंड सिर्फ पतली झिल्ली से अलग थे वरना तो ऐसे लगता था जैसे एक साथ दो लंड अंदर घुसे हो...
यहाँ तो खुल के बेशर्मी से चुदाई चालू हो चुकी थी.
परन्तु अभी आलसम का किला फतह करना बाक़ी था.
बने रहिये
रुखसाना पलंग पे लेती थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने से स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,
ये उठाव गिरावट असलम को बेचैन कर रहा था वो वैसे ही सम्भोग के हसीन खाब देख रहा था कि सामने जन्नत कि परी आ गई.
असलम आगे बढ़ता है और रुखसाना के पैर के पास टॉर्च ले के खड़ा हो जाता है.
असलम :- हाँ तो मोहतरमा आपका नाम क्या है? और चोट कहाँ लगी है दिखाइए?
चोट दिखाने के नाम पे रुखसाना कि तो हवा ही टाइट हो गई.... हाकलने लगी
वो.. वोवो..... डॉ. साहेब रुख... रुखसाना नाम है मेरा.
और चोट वहाँ लगी है नीचे
असलम समझ तो रहा था परन्तु उसे मजा आ रहा था रुखसाना कि हालत पे रतिवती के सम्भोग ने उसे लालची और निडर बना दिया था ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता था.
उसकी नजात मे रुखसाना कोई भोली भाली लड़की थी जिसे भोगने कि कोशिश कि जा सकती थी.
असलम उसके पैरो को छू लेता है और अपने हाथ वहाँ पे फेरने लगता है बिल्कुल होले से
असलम :- यहाँ दर्द है आपको?
रुखसाना शरमाते हुए पसीने से भीगी चली जाती है, "नहीं डॉ. साहेब वहाँ नहीं, यहाँ है '
इस बार वो अपनी ऊँगली से नीचे कि और इशारा करती है.
असलम अनजान बनते हुए कहाँ यहा असलम घुटने पे हाथ रख पूछता है उसका हाथ लगातर हरकत कर रहा था.
असलम के कड़क मजबूत हाथ रुखसाना के बदन मे हालचाल पैदा कर रहे थे.
रुखसाना सिसकती हुई.... थोड़ी ऊपर डॉ. साहेब जहाँ से पेशाब करते है
इसससस... ऐसा कह के रुखसाना शर्मा जाती है और दूसरी तरफ मुँह फेर लेती है
असलम इस अदा से मोहित हो जाता है इतना सुंदर मुखड़ा शर्मा रहा था, पेशाब शब्द जब जब सुनता उसकी मन मे तरंग उठ पड़ती थी.
असलम मन मे " साली ये लड़की तो मस्त है क्या बदन है, थोड़ी सी कोशिश से गरम हो सकती है "
असलम :- देखिये पहले तो आप शर्मानाछोड़िये
मुझे वो जहाग देखती होंगी
रुखसाना आश्चर्य भरी नजर से असलम को देखती है इसमें भी एक कामुक अदा थी.
असलम :- डॉ. से शर्माना कैसा? देखूंगा नहीं तो इलाज कैसे करूंगा आप ही बताइये?
रुखसानाऐसे दिखाती है जैसे बहुत गहरी सोच मे हो,
वो होले से अपनी गर्दन हाँ मे हिला देती है.
असलम बुरखे को पकड़ के धीरे धीरे ऊपर उठता है, जैसे जैसे पर्दा हटता जाता है गोरी टांगे उभरती चली जाती है...
आह्हः.... क्या चिकनी गोरी टांगे है एक दम मक्खन
असलम हैरान था उसके हाथ काँप रहे थे
बुरखे को जांघो तक ऊपर उठा देता है, क्या जाँघ थी मोटी गोरी चिकनी जैसे किसी ने केले के तने को कपड़े मे रख दिया हो.
जाँघ से ऊपर बुरखा नहीं जा पा रहा था ये वो बॉर्डर थी जिसे एक बार पार कर लिया तो समझो किला फतह था.
रुखसाना गर्म होनर लगी थी, वो सामने नहीं दिल्ली रही थी आंखे बंद किये सांसे दुरुस्त कर रही थी.
असलम :- मोहतरमा....
कोई जवाब नहीं...
असलम :- मोहतरमा अपने नीतम्ब ऊपर कीजिये कपड़ा फस गया है,
रुखसाना के कान मे ये शब्द हलचल मचा देते है
डॉ. साहेब मेरा वो अंग आज तक किसी ने नहीं देखा, उसके शब्दों मे शर्माहाट मदहोसी मिली हुई थी.
सांसे चढ़ रही थी.
असलम को ये देख मजा आने लगा, "सिर्फ ऊपर ऊपर से मना कर रही है मुझे थोड़ी कोशिश करनी होंगी '
असलम :- मै कोई पराया मर्द नहीं हूँ मोहतरमा, मै एक डॉ. हूँ
और डॉ. से शरमाते नहीं मुझे डॉ. कि नजर से ही देखे.
असलम अपने शब्दों के जाल मे रुखसाना को फ़साये जा रहा था.
भोला असलम... कौन बताये कि वो खुद ही फसे जा रहा है.
रुखसाना ना नुकुर करती अपनी भरी भरकम गद्देदार गांड होले से ऊपर उठा देती है
यही मौका है... असलम झट से बुर्के को कमर से ऊपर नाभी तक एक ही बार मे खींच देता है
नजारा देख वो गिरने को ही था... रतिवती के साथ उसने सम्भोग किया था परन्तु सब आनन फानन मे हुआ था असलम कभी रतिवती के कामुक अंगों का दीदार नहीं कर पाया था.
परन्तु आज पहली बार किसी जवान कामुक औरत के कामुक और मादक अंग इतने पास से देख पा रहा था.
उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे बंद हो गई है.... बेचारा सांस लेना ही भूल गया था.
जब अवस्था मे एक टक वो जांघो के बीच उभरी हुई लकीर को निहारे जा रहा था, एक दम गोरी फूली हुई चुत बालो का कोई नामोनिशान नहीं...
रुखसाना :- डॉ. साहेब... डॉ. असलम
असलम जड़ खड़ा, आंखे फ़ैल चुकी थी
रुखसाना :- डॉ. साहेब चोट देखिये ना? आप क्या देख रहे है
असलम :- वो मै.... वो... वो... मै कुछ नहीं
चोट तो नहीं दिख रही कही मुझे?
असलम जैसे तैसे खुद को संभालता है.
रुखसाना :- दर्द तो मुझे अपनी जांघो के बीच ही हो रहा है.
असलम अब संभाल चूका था " फिर तो आपको अपनी जाँघे खोलनी होंगी ताकि चोट देख सकूँ "
रुखसाना घन घना गई पराये मर्द के सामने टांगे खोल के दिखाने का सोच के ही
आलम को मंजिल नजदीक नजर आ रही थी
रुखसाना असलम कि तरफ सुनी आँखों से देखती है जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो या फिर दुविधा मे हो.
असलम :- देखो रुखसाना मुझ पे भरोसा रखो, मै सिर्फ इलाज करूंगा, मुझसे डरने या लजाने कि आवशयकता नहीं है
असलम अब उसे नाम से बुला रहा था वो रुखसाना का विश्वास जीत लेना चाहता था.
रुखसाना अपनी गोरी मोटी जाँघे धीरे से खोल देती है.
असलम को धीरे से चुत का दरवाजा खुलता दीखता है, चुत कि खिड़की के दोनों पाट थोड़े से अलग होते है चुत का उभरा हुआ दाना दिखने लगता है.
असलम मन्त्रमुग्ध सा दृश्य देख रहा था उसकी लुंगी मे तूफान मचा हुआ था, लंड झटके पे झटके मार रहा था.
लंड तो बिल्लू का भी झटके लगा रहा था भूरी कि गोरी गांड मे, भूरी दो बार झड़ के अपनी ताकत गवा चुकी थी बिल्लू के ऊपर गीर पड़ी थी, गांड का छेद गिल्ला चिकना होने से बिल्लू का लंड सीधा भूरी कि गांड चिरता अंदर समा गया था,
भूरी चिहूक उठती है परन्तु कोई विरोध नहीं करती
बिल्लू भी गरम था नीचे से अपनी जाँघ उठा के धचा धच धक्के मारने शुरू कर दिए थे...
चुत से निकलता पानी गांड रुपी खाई से होता हुआ बिल्लू के टट्टो को भिगो रहा था.
कालू रामु भी ये मौका नहीं गांवना चाहते थे.
कालू सीधा भूरी को गर्दन थाम के अपनी लंड पे झुका देता है
गांड मे पड़ते धक्को से भूरी गरमानें लगी थी एक बार मे ही कालू का लंड मुँह मे भर लेती है हवस मे डूबी भूरी को कोई तकलीफ नहीं होती, मुँह मे लंड लिए चुबलाने लगती है उसे परम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
कालू इस प्रकार के मुख मैथुन से भूरी का दीवाना हो उठा
कालू :- क्या चूसती हो काकी, बोल के गले तक लंड को धकेल देता है.
अब ये किस्सा यु ही शुरू हो चला कभी लंड बाहर खिंचता तो कभी वापस गले तक धकेल देता.
नीचे गाड़ पे पड़ता लंड मधुर संगीत पैदा कर रहा था.
इस संगीत से वहाँ मौजूद हर एक शख्स प्रभावित रहा, फच फच.... पच का संगीत सभी के लंडो को झकझोड़ रहा था.
झाड़ी मे छुपा बैठा चोर मंगूस भी इस रासलीला का लुत्फ़ उठा रहा था उसका लंड परिपक्व बदन को चुदता देख आनंद के सागर मे लोड़ा पकड़े गोते खा रहा था.
रामु जब से खड़ा भूरी को चुदता देख लंड हिला रहा था उसका सब्र जवाब देने लगा वो भी आगे बढ़ जाता है और बिल्लू भूरी के पैरो के बीच घुटने टिका के बैठ जाता है.
बिल्लू के चेहरे पे मुस्कान थी... भूरी लंड चूसने मे व्यस्त थी वो जैसे ही रामु कि तरफ देखती है....
अरे.. रे रे ... ये क्या भूरी विलम्भ हो गई
फचक.... से एक झटका पड़ता है औररामु का लंड पूरा का पूरा जड़ टक भूरी कि चुत मे समा गया था...
भूरी चीखने को हुई कि तभी गले मे कालू का लंड उयार गया.
अब तीनो तरफ से धक्का मुक्की चालू हो चुकी थी,
बिल्लू और रामु के लंड एक सतब बाहर आते फिर एक साथ अंदर जड़तक समा जाते.
दोनों के टट्टे आपस मे टकरा जाते... ये हर बार और जोरसे होता जैसे कोई दुश्मन आपस मे टक्कर मार के एक दूसरे को धाराशाई कर देना चाहते हो.
और इस टक्कर का अंजाम सीधा भूरी कि कामुक बदन पे हो रहा था उसके मुँह से कामुक सिसकारिया निकल रही थी, दोनों के लंड सिर्फ पतली झिल्ली से अलग थे वरना तो ऐसे लगता था जैसे एक साथ दो लंड अंदर घुसे हो...
यहाँ तो खुल के बेशर्मी से चुदाई चालू हो चुकी थी.
परन्तु अभी आलसम का किला फतह करना बाक़ी था.
बने रहिये