22-09-2021, 09:06 AM
चैप्टर-3 नागमणि कि खोज अपडेट -34
विष रूप मे ही कही
ठाक ठाक ठाक..... धम...
अरे इतनी रात कौन आ टपका अच्छा खासा चुदाई के सपने देख रहा था,
डॉ. असलम बड़बड़ाते हुए अपने बिस्तर से उठा,
उसे उठने कि इच्छा नहीं थी वो सपने मे रतिवती को पेल रहा था उसकीचुदाई कि सुनहरी याद सपने मे चल रही थी, उसका लोड़ा पूरी तरह तना हुआ लुंगी मे तनाव पैदा कर रहा था.
तभी फिर से... ठाक ठाक ठाक.... "कौन बेशर्म इंसान है ये "
डॉ. असलम धाड़ से दरवाज़ा खोल देता है
सामने बुरखे मे एक औरत खड़ी थी
डॉ. असलम :- मोहतरमा आप कौन है? इतनी रात गए मेरा दरवाज़ा क्यों पिट रही है?
महिला :- क्या ये डॉ. असलम का घर है?
असलम :- हाँ मै ही हूँ डॉ. असलम बोलो क्या बात है? वो बेरुखी से खीझता हुआ बात कर रहा था उसे लगा गांव कि ही कोई बुड्ढी महिला होंगी, जवान लड़किया तो उसके रंग रूप से ही डरती थी तो कोई आता नहीं था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब मुझे बचा लीजिये मै मर ना जाऊ कही?
डॉ. असलम :- अरी हुआ क्या है, क्यों मरे जा रही है ये तो बता,गुस्सा बरकरारा था उसकी आवाज़ मे वो इतना हसीन सपना देख रहा था रतिवती के कि उसे ये सब बकवास मे कोई दिलचस्पी नहीं थी.
महिला :- यही बता दू क्या?
असलम ना चाहते हुए भी महिला को अंदर आने को कहता है "लगता है ये बुढ़िया मेरी रात बर्बाद करेगी इसे जल्दी से भगाना पड़ेगा "
महिला और असलम अंदर आ जाते है, बुरखा पहनी महिला कुर्सी पर बैठती है परन्तु दर्द से तुरंत खड़ी हो जाती है.
आअह्ह्ह..... मर गई
असलम :- क्या हुआ मोहतरमा?
महिला :- दर्द है डॉ. साहेब
असलम :- अच्छा मै दवाई लिख़ देता हूँ ले लेना ठीक हो जायेगा.
असलम अपनी टेबल कि तरफ मुड़ जाता है और किसी कागज़ पे दवाई लिख़ के जैसे ही वापस मुड़ता है तो उसके होश फाकता हो जाते है
कमरा एक रूहानी रौशनी से भर गया था.
सामने वो महिला अपना बुरखा उतार रही थी उसका गोरा चेहरा दमक रहा था, गोरे बड़े स्तन ब्लाउज मे कैद ऊपर को झाँक रहे थे, कमर से बुरखे का कपड़ा बिल्कुल चिपका हुआ था जो गोल नाभी का अहसास करा रहा था.
नीचे सलवार कूल्हे पे चोडी हो रही थी जिस से साफ मालूम पड़ता था कि महिला बड़ी गांड कि मालकिन है.
![[Image: 20210831-214316.jpg]](https://i.ibb.co/zZQrZmm/20210831-214316.jpg)
असलम तो मुँह बाएं उसे देखता ही रह गया उसके हाथ से पर्ची छूट के ना जाने कहाँ चली गई थी.
तभी महिला के होंठ हिलते है...
डॉ. साहेब चोट तो देख लेते?
डॉ. असलम तो सोच रहा था कि कोई बुढ़िया होंगी परन्तु उसके सामने तो साक्षात् कामदेवी खड़ी थी ऐसा कातिलाना बदन कि क्या कहने "हान ... हान ..... बताओ क्या हुआ था.
असलम अपनी लुंगी मे उठते तूफान को छुपाने के लिए तुरंत पास मे पड़ी कुर्सी पे बैठ जाता है और एक टांग के ऊपर दूसरी टांग रखे लंड को जांघो के बीच दबा लेता है.
महिला :- ज़ी मेरा नाम रुखसाना है पास के गांव से ही आई हूँ विष रूप आते वक़्त जंगल मे मुझे जोर से पेशाब आया तो मै झाड़ी मे बैठ गई लेकिन बैठते ही लगा जैसे कुछ कांटा लग गया हो वहाँ.
कही कोई कीड़े ने तो नहीं काट लिया? डॉ. साहेब मै मरना नहीं चाहती मुझे बचा लीजिये.
असलम तो वही कुर्सी पे बैठा बैठा पथरा गया था रुखसाना जैसी कामुक बदन वाली महिला के मुँह से पेशाब शब्द सुन के उसके रोंगटे खड़े हो गये थे, आखिर उसके जीवन मे सम्भोग कि शुरुआत भी रतिवती के पेशाब करने से ही हुई थी.
असलम कि बांन्छे खिल उठी, वो हकलाता हुआ... वहा.... वहा..लेट जाओ आप मै देखता हूँ कि क्या हुआ है? उसका गुस्सा खीझ गायब हो गई थी,
असलम भले रतिवती को चोद चूका था फिर भी उसमे आत्मविश्वास कि बहुत कमी थी क्युकी उसे यकीन ही नहीं होता था कि कोई लड़की उसके पास आ भी सकती है.
रुखसाना :- लेकिन डॉ. साहेब मै आपके सामने कैसे?.. मेरा मतलब आप मेरी चोट कैसे देखेंगे?
रुखसाना जानबूझ के शर्माने और डरने का नाटक कर रही थी वो मजबूर औरत दिखना चाहती थी.
असलम :- देखो यहाँ कोई महिला डॉक्टर तो है नहीं मुझे ही देखना होगा, कही किसी जहरीले कीड़े ने ना काटा हो.
रुखसाना असलम कि बात सुन के डर जाती है.
रुखसाना :- नहीं नही डॉ.साहेब मुझे मरना नहीं है मुझे बचा लो अल्लाह के लिए मुझे बचा लो.
असलम को लगता है कि ये महिला बहुत डर गई है कुछ काम बन सकता है.
बेचारा भोला असलम अब उसे कौन बताये कि असलम जैसे को तो रुखसाना भोसड़े मे ले के घूमती है.
खेर रुखसाना डरी सहमी पास पड़ी पलंग पे लेट जाती है.... उसकी कमीज़ पसीने से तर हो गई थी लेटने से स्तन गले कि तरफ से बाहर निकलने को आतुर थे.
रुखसाना खींच खींच के सांस ले रही थी जिस वजह से उसके स्तन धाड़ धाड़ करते हुए कभी उठ रहे थे कभी हीर रहे थे....
उधर हवेली मे भूरी कि सांसे भी चढ़ी हुई थी उसे आज चुदाई कि ही जरुरत थी और आज तीन मजबत हाथ उसे रगड़ रहे थे
भूरी कि चुत से निकली पेशाब कि एक एक बून्द को कालू चाट चूका था.
भूरी के स्तन आज़ाद हो चुके थे, उसका ब्लाउज ना जाने कब बड़े स्तनो का साथ छोड़ के नीचे धूल चाट रहा था.पीछे से बिल्लू के मजबूत हाथ भूरी के स्तन को पकड़ पकड़ के रगड़ रहे थे, उसके होंठ लगातार भूरी कि गर्दन को चाट रहे रहे
![[Image: 1630490927839.jpg]](https://i.ibb.co/k9RR8m0/1630490927839.jpg)
आह्हः.... बिल्लू आह्हः... नोचो इसे कल से मौका नहीं मिलेगा
भूरी खुल चुकी थी पिछली चुदाई के बाद अब उसे कोई शर्म नहीं थी,
रामु भूरी के सपाट पेट पे टूट पड़ता है उसकी नाभी मे अपनी जीभ चला रहा था.
वही पीछे झाड़ी मे "ओह्म.. मदरचोद.. ये क्या देख रहा हूँ मै, यहाँ तो नंगा नाच हो रहा है भूरी काकी को तो मै कोई बूढ़ी औरत समझ रहा था साली ने तो किसी जवान को भी फ़ैल कर दिया क्या बदन है इसका और ये तीनो जमुरे इसके यार लगते है, अबतो मेरा काम आसन है "
मंगूस इस चुदाई का सीधा प्रसारण देख रहा था भूरी के कामुक बदन से उसका लंड भी कड़क हो चला था लेकिन ये वक़्त चुदाई का नहीं था उसे तो भूरी को पटाने का मस्त विचार मिल गया था.
बिल्लू ने निप्पल पकड़ के खींच दिया...
सिसकारी पूरी हवेली मे गूंज उठी.. आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... लेकिन किसी के कान मे ना पड़ी
अंदर ठाकुर तो घोड़े बेच के सोया था कामवती अपनी नाकामयाब सुहागरात मना के सौ चुकी थी.
मैदान खाली था जहाँ तीन घोड़े एक पुरानी नशीली घोड़ी पे चढाई कर रहे थे.
नीचे कालू चुत मे जीभ से धक्के मारे जा रहा था भूरी कि चुत भर भर के रस छोड़ रही थी जो कि अमृत सामान था कालू के लिए जितना पिता उतनी ही हवा बढ़ती जाती उसकी.
![[Image: gifcandy-pussy-licking-201.gif]](https://gifcandy.net/wp-content/uploads/2016/04/gifcandy-pussy-licking-201.gif)
उस से रहा नहीं गया पक्क से दो ऊँगली भूरी कि गीली चुत मे डाल आगे पीछे करने लगा, और चुत के दाने को जीभ से चुबलाने लगा.
निप्पल लाल हो चुके थे, उनका तनाव बारकरारा था, नाभी लगातार चाटे जाने से गीली हो गई थी, नीचे चुत मे दो उंगलियां खेल खेल रही थी
तभी ऊपर बिल्लू दोनों निप्पल को अपनी ऊँगली मे पकड़ के मरोड़ देता है, नीचे कालू चुत के दाने को दाँत मे पकड़ के दबा देता है
आअह्ह्ह..... मै मरी... भूरी ये हमाला ना झेल सकी वो भरभरा के झड़ने लगी उसकी चुत से तेज़ फव्वारा निकल के कालू के मुँह को भिगोने लगा...
भूरी धड़ाम से पीठ के बल वही बिल्लू के ऊपर ढह गई बिल्लू उसका वजन ना संभाल सका वो उसी के साथ नीचे घाँस ोे गिरता चला गया
गिरने से भूरी कि दोनों टांगे फ़ैल गई उसकी चुत से निकले पानी ने गांड को पूरी तरह भीगा दिया था, भूरी अपना पूरा वजन लिए बिल्लू पे गिरी... बिल्लू का लंड पहले से ही भूरी कि गांड कि खाई मे था जैसे ही वो गिरी उसका लंड सरसराता भूरी कि गांड मे समता चला गया एक मादक चीख उसके मुँह से निकली भूरी दूसरी बार अपना कामरस फेंकने लगी...
इस तरह तो कभी नहीं झाड़ी थी भूरी मात्र 5सेकंड मे दूसरी बार उसकी चुत छल छला गई थी..
भूरी कि सांसे उखाड़ गई थी.
परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...
विष रूप मे ही कही
ठाक ठाक ठाक..... धम...
अरे इतनी रात कौन आ टपका अच्छा खासा चुदाई के सपने देख रहा था,
डॉ. असलम बड़बड़ाते हुए अपने बिस्तर से उठा,
उसे उठने कि इच्छा नहीं थी वो सपने मे रतिवती को पेल रहा था उसकीचुदाई कि सुनहरी याद सपने मे चल रही थी, उसका लोड़ा पूरी तरह तना हुआ लुंगी मे तनाव पैदा कर रहा था.
तभी फिर से... ठाक ठाक ठाक.... "कौन बेशर्म इंसान है ये "
डॉ. असलम धाड़ से दरवाज़ा खोल देता है
सामने बुरखे मे एक औरत खड़ी थी
डॉ. असलम :- मोहतरमा आप कौन है? इतनी रात गए मेरा दरवाज़ा क्यों पिट रही है?
महिला :- क्या ये डॉ. असलम का घर है?
असलम :- हाँ मै ही हूँ डॉ. असलम बोलो क्या बात है? वो बेरुखी से खीझता हुआ बात कर रहा था उसे लगा गांव कि ही कोई बुड्ढी महिला होंगी, जवान लड़किया तो उसके रंग रूप से ही डरती थी तो कोई आता नहीं था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब मुझे बचा लीजिये मै मर ना जाऊ कही?
डॉ. असलम :- अरी हुआ क्या है, क्यों मरे जा रही है ये तो बता,गुस्सा बरकरारा था उसकी आवाज़ मे वो इतना हसीन सपना देख रहा था रतिवती के कि उसे ये सब बकवास मे कोई दिलचस्पी नहीं थी.
महिला :- यही बता दू क्या?
असलम ना चाहते हुए भी महिला को अंदर आने को कहता है "लगता है ये बुढ़िया मेरी रात बर्बाद करेगी इसे जल्दी से भगाना पड़ेगा "
महिला और असलम अंदर आ जाते है, बुरखा पहनी महिला कुर्सी पर बैठती है परन्तु दर्द से तुरंत खड़ी हो जाती है.
आअह्ह्ह..... मर गई
असलम :- क्या हुआ मोहतरमा?
महिला :- दर्द है डॉ. साहेब
असलम :- अच्छा मै दवाई लिख़ देता हूँ ले लेना ठीक हो जायेगा.
असलम अपनी टेबल कि तरफ मुड़ जाता है और किसी कागज़ पे दवाई लिख़ के जैसे ही वापस मुड़ता है तो उसके होश फाकता हो जाते है
कमरा एक रूहानी रौशनी से भर गया था.
सामने वो महिला अपना बुरखा उतार रही थी उसका गोरा चेहरा दमक रहा था, गोरे बड़े स्तन ब्लाउज मे कैद ऊपर को झाँक रहे थे, कमर से बुरखे का कपड़ा बिल्कुल चिपका हुआ था जो गोल नाभी का अहसास करा रहा था.
नीचे सलवार कूल्हे पे चोडी हो रही थी जिस से साफ मालूम पड़ता था कि महिला बड़ी गांड कि मालकिन है.
![[Image: 20210831-214316.jpg]](https://i.ibb.co/zZQrZmm/20210831-214316.jpg)
असलम तो मुँह बाएं उसे देखता ही रह गया उसके हाथ से पर्ची छूट के ना जाने कहाँ चली गई थी.
तभी महिला के होंठ हिलते है...
डॉ. साहेब चोट तो देख लेते?
डॉ. असलम तो सोच रहा था कि कोई बुढ़िया होंगी परन्तु उसके सामने तो साक्षात् कामदेवी खड़ी थी ऐसा कातिलाना बदन कि क्या कहने "हान ... हान ..... बताओ क्या हुआ था.
असलम अपनी लुंगी मे उठते तूफान को छुपाने के लिए तुरंत पास मे पड़ी कुर्सी पे बैठ जाता है और एक टांग के ऊपर दूसरी टांग रखे लंड को जांघो के बीच दबा लेता है.
महिला :- ज़ी मेरा नाम रुखसाना है पास के गांव से ही आई हूँ विष रूप आते वक़्त जंगल मे मुझे जोर से पेशाब आया तो मै झाड़ी मे बैठ गई लेकिन बैठते ही लगा जैसे कुछ कांटा लग गया हो वहाँ.
कही कोई कीड़े ने तो नहीं काट लिया? डॉ. साहेब मै मरना नहीं चाहती मुझे बचा लीजिये.
असलम तो वही कुर्सी पे बैठा बैठा पथरा गया था रुखसाना जैसी कामुक बदन वाली महिला के मुँह से पेशाब शब्द सुन के उसके रोंगटे खड़े हो गये थे, आखिर उसके जीवन मे सम्भोग कि शुरुआत भी रतिवती के पेशाब करने से ही हुई थी.
असलम कि बांन्छे खिल उठी, वो हकलाता हुआ... वहा.... वहा..लेट जाओ आप मै देखता हूँ कि क्या हुआ है? उसका गुस्सा खीझ गायब हो गई थी,
असलम भले रतिवती को चोद चूका था फिर भी उसमे आत्मविश्वास कि बहुत कमी थी क्युकी उसे यकीन ही नहीं होता था कि कोई लड़की उसके पास आ भी सकती है.
रुखसाना :- लेकिन डॉ. साहेब मै आपके सामने कैसे?.. मेरा मतलब आप मेरी चोट कैसे देखेंगे?
रुखसाना जानबूझ के शर्माने और डरने का नाटक कर रही थी वो मजबूर औरत दिखना चाहती थी.
असलम :- देखो यहाँ कोई महिला डॉक्टर तो है नहीं मुझे ही देखना होगा, कही किसी जहरीले कीड़े ने ना काटा हो.
रुखसाना असलम कि बात सुन के डर जाती है.
रुखसाना :- नहीं नही डॉ.साहेब मुझे मरना नहीं है मुझे बचा लो अल्लाह के लिए मुझे बचा लो.
असलम को लगता है कि ये महिला बहुत डर गई है कुछ काम बन सकता है.
बेचारा भोला असलम अब उसे कौन बताये कि असलम जैसे को तो रुखसाना भोसड़े मे ले के घूमती है.
खेर रुखसाना डरी सहमी पास पड़ी पलंग पे लेट जाती है.... उसकी कमीज़ पसीने से तर हो गई थी लेटने से स्तन गले कि तरफ से बाहर निकलने को आतुर थे.
रुखसाना खींच खींच के सांस ले रही थी जिस वजह से उसके स्तन धाड़ धाड़ करते हुए कभी उठ रहे थे कभी हीर रहे थे....
उधर हवेली मे भूरी कि सांसे भी चढ़ी हुई थी उसे आज चुदाई कि ही जरुरत थी और आज तीन मजबत हाथ उसे रगड़ रहे थे
भूरी कि चुत से निकली पेशाब कि एक एक बून्द को कालू चाट चूका था.
भूरी के स्तन आज़ाद हो चुके थे, उसका ब्लाउज ना जाने कब बड़े स्तनो का साथ छोड़ के नीचे धूल चाट रहा था.पीछे से बिल्लू के मजबूत हाथ भूरी के स्तन को पकड़ पकड़ के रगड़ रहे थे, उसके होंठ लगातार भूरी कि गर्दन को चाट रहे रहे
![[Image: 1630490927839.jpg]](https://i.ibb.co/k9RR8m0/1630490927839.jpg)
आह्हः.... बिल्लू आह्हः... नोचो इसे कल से मौका नहीं मिलेगा
भूरी खुल चुकी थी पिछली चुदाई के बाद अब उसे कोई शर्म नहीं थी,
रामु भूरी के सपाट पेट पे टूट पड़ता है उसकी नाभी मे अपनी जीभ चला रहा था.
वही पीछे झाड़ी मे "ओह्म.. मदरचोद.. ये क्या देख रहा हूँ मै, यहाँ तो नंगा नाच हो रहा है भूरी काकी को तो मै कोई बूढ़ी औरत समझ रहा था साली ने तो किसी जवान को भी फ़ैल कर दिया क्या बदन है इसका और ये तीनो जमुरे इसके यार लगते है, अबतो मेरा काम आसन है "
मंगूस इस चुदाई का सीधा प्रसारण देख रहा था भूरी के कामुक बदन से उसका लंड भी कड़क हो चला था लेकिन ये वक़्त चुदाई का नहीं था उसे तो भूरी को पटाने का मस्त विचार मिल गया था.
बिल्लू ने निप्पल पकड़ के खींच दिया...
सिसकारी पूरी हवेली मे गूंज उठी.. आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... लेकिन किसी के कान मे ना पड़ी
अंदर ठाकुर तो घोड़े बेच के सोया था कामवती अपनी नाकामयाब सुहागरात मना के सौ चुकी थी.
मैदान खाली था जहाँ तीन घोड़े एक पुरानी नशीली घोड़ी पे चढाई कर रहे थे.
नीचे कालू चुत मे जीभ से धक्के मारे जा रहा था भूरी कि चुत भर भर के रस छोड़ रही थी जो कि अमृत सामान था कालू के लिए जितना पिता उतनी ही हवा बढ़ती जाती उसकी.
![[Image: gifcandy-pussy-licking-201.gif]](https://gifcandy.net/wp-content/uploads/2016/04/gifcandy-pussy-licking-201.gif)
उस से रहा नहीं गया पक्क से दो ऊँगली भूरी कि गीली चुत मे डाल आगे पीछे करने लगा, और चुत के दाने को जीभ से चुबलाने लगा.
निप्पल लाल हो चुके थे, उनका तनाव बारकरारा था, नाभी लगातार चाटे जाने से गीली हो गई थी, नीचे चुत मे दो उंगलियां खेल खेल रही थी
तभी ऊपर बिल्लू दोनों निप्पल को अपनी ऊँगली मे पकड़ के मरोड़ देता है, नीचे कालू चुत के दाने को दाँत मे पकड़ के दबा देता है
आअह्ह्ह..... मै मरी... भूरी ये हमाला ना झेल सकी वो भरभरा के झड़ने लगी उसकी चुत से तेज़ फव्वारा निकल के कालू के मुँह को भिगोने लगा...
भूरी धड़ाम से पीठ के बल वही बिल्लू के ऊपर ढह गई बिल्लू उसका वजन ना संभाल सका वो उसी के साथ नीचे घाँस ोे गिरता चला गया
गिरने से भूरी कि दोनों टांगे फ़ैल गई उसकी चुत से निकले पानी ने गांड को पूरी तरह भीगा दिया था, भूरी अपना पूरा वजन लिए बिल्लू पे गिरी... बिल्लू का लंड पहले से ही भूरी कि गांड कि खाई मे था जैसे ही वो गिरी उसका लंड सरसराता भूरी कि गांड मे समता चला गया एक मादक चीख उसके मुँह से निकली भूरी दूसरी बार अपना कामरस फेंकने लगी...
इस तरह तो कभी नहीं झाड़ी थी भूरी मात्र 5सेकंड मे दूसरी बार उसकी चुत छल छला गई थी..
भूरी कि सांसे उखाड़ गई थी.
परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...