20-09-2021, 03:47 PM
कुछ दिन बीत चुके थे और अगला वीकेंड नजदीक आ गया था। मैं शनिवार को देर से उठा और जब मैंने खिड़की से बाहर देखा तो बाहर मुझे आश्चर्य में डालने वाला नज़ारा था क्योंकि मैंने रेनू और राजेश को बातचीत करते देखा। मेरी बीवी जो उस घटना के बाद से राजेश के सामने आने से कतराती थी वो हमारे बगीचे में कुछ पौधे लगा रही थी और राजेश उसकी मदद कर रहा था। हालाँकि रेनू ने सलवार कुरता पहना था लेकिन उन्हें हँस हँस कर बातचीत करते देखकर मेरे अंदर कुछ हलचल मच गई। राजेश ने कुछ दिन पहले ही उसे नंगा देखा था और यहाँ दोनों बॉटनी की बात कर रहे थे।
थोड़ी देर में रेनू अंदर आई, हलके पसीने से उसका चेहरा चमक रहा था।
मैंने मजाक किया, “तुम तो बोल रही थी की अब राजेश से कभी नजर नहीं मिला पाओगी।”।
वह शर्मा गई और बोली “आखिर पडोसी है, सामने पड़ने से कब तक बचा जा सकता है”
मैंने कहा, “ये तो है, वैसे क्या उस दिन के बाद आज उससे मिलना, बातें करना बहुत अजीब था?”
“हाँ! शुरुआत में” वह इस विषय पर बात नहीं करना चाहती थी और कुछ घबराई हुई लग रही थी।
“उसने क्या कहा?”
“कुछ नहीं” बोलते-बोलते वह कांप उठी, उसकी शर्म उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी “मैं बाहर टहल रही थी की वो अचानक कुछ पौधे लेकर आ गया और बोला की वो पौधे आ गए है जो मैंने आपके लिए मंगवाए थे। ये आप अपने लॉन में लगा लीजिये। मैंने पौधे ले लिए तो वो बोला की अभी लगा लीजिये वरना मुरझा जायेंगे और जब मैं पौधे लगाने लगी तो वो मेरी मदद करने के बहाने हमारे लॉन में आ गया और इधर उधर की बाते करने लगा। पहले तो उससे बात करना अजीब लग रहा था फिर धीरे धीरे हम सामान्य बातें करने लगे...”
फिर वो रुक गयी और उसने फ्रिज से एक गिलास पानी लेकर पिया। जाहिर था की वो अटपटा महसूस कर रही थी लेकिन मैं पूरी बात जानना चाहता था इसीलिए मैंने पूछा “फिर क्या हुआ?”।
थोड़ी देर में रेनू अंदर आई, हलके पसीने से उसका चेहरा चमक रहा था।
मैंने मजाक किया, “तुम तो बोल रही थी की अब राजेश से कभी नजर नहीं मिला पाओगी।”।
वह शर्मा गई और बोली “आखिर पडोसी है, सामने पड़ने से कब तक बचा जा सकता है”
मैंने कहा, “ये तो है, वैसे क्या उस दिन के बाद आज उससे मिलना, बातें करना बहुत अजीब था?”
“हाँ! शुरुआत में” वह इस विषय पर बात नहीं करना चाहती थी और कुछ घबराई हुई लग रही थी।
“उसने क्या कहा?”
“कुछ नहीं” बोलते-बोलते वह कांप उठी, उसकी शर्म उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी “मैं बाहर टहल रही थी की वो अचानक कुछ पौधे लेकर आ गया और बोला की वो पौधे आ गए है जो मैंने आपके लिए मंगवाए थे। ये आप अपने लॉन में लगा लीजिये। मैंने पौधे ले लिए तो वो बोला की अभी लगा लीजिये वरना मुरझा जायेंगे और जब मैं पौधे लगाने लगी तो वो मेरी मदद करने के बहाने हमारे लॉन में आ गया और इधर उधर की बाते करने लगा। पहले तो उससे बात करना अजीब लग रहा था फिर धीरे धीरे हम सामान्य बातें करने लगे...”
फिर वो रुक गयी और उसने फ्रिज से एक गिलास पानी लेकर पिया। जाहिर था की वो अटपटा महसूस कर रही थी लेकिन मैं पूरी बात जानना चाहता था इसीलिए मैंने पूछा “फिर क्या हुआ?”।