20-09-2021, 11:12 AM
चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी अपडेट -25
अगला दिन निकल चूका था सुबह सुहानी थी कहाँ घुड़वती का अंग अंग खिल रहा था, एक अलग ही रोमांच उठ रहा था बदन मे.
उसे विषरूप के जंगल जाना था,
नाग कुमार भी अपने हसीन सपने को साकार करने के लिए जग चूका था, खूब मन लगा के तैयार हुआ इत्र कि शीशी खाली कर दि गई.
होती भी क्यों ना उस बला कि खूबसूरती के सामने जो जाना था.
गुप्त नाग कि नजर बराबर नागकुमार पे बनी हुई थी,
वो सर्पटा को सूचित करता है कि नागकुमार निकलने को तैयार है.
तभी सर्पटा नागकुमार के कक्ष मे पहुँचता है.
सर्पटा :- अरे मेरा राजकुमार कहाँ जा रहे हो?
नागकुमार :- जो कि अपने पिता से डरता था, ज़ी ज़ी.... वो वो... पिताजी यु ही जंगल पानी के लिए जा रहा था.
सर्पटा :- इतना सज धज के?
नागकुमार के मुँह से बोल नहीं फुटते.
सर्पटा :- ये घूमना फिरना छोडो थोड़ा राज काज मे मन लगाओ आखिर तुम होने वाले राजा हो.
नागेंद्र को देखो कैसे पाताल लोक गुरुकुल मे मेहनत कर रहा है.
नागकुमार :- ज़ी ज़ी ज़ी.... पिताजी
सर्पटा :- अच्छा हम इसलिए आये थे कि पास के राज्य मे ठाकुर जलन सिंह रहते है उनके यहाँ से फल ओर मांस ले के आना है.अपने दोस्तों के साथ चले जाओ घूमना भी हो जायेगा थोड़ा व्यापार भी समझ लोगे.
अब नागकुमार क्या बोलता, विरोध कर नहीं सकता था.
तो मन मार के चल देता है ठाकुर जलन सिंह के घर.
सर्पटा मन ही मन ख़ुश था कि उसने बड़ी चालाकी से नागकुमार को रास्ते से हटा दिया.
अब वो खुद जा के देखेगा कि कौन है ये सुंदरी?
मेरे लायक है भी या नहीं, या फिर ये गुप्त नाग फेंक रहा था.
दिन चढ़ चूका था....
घुड़पुर मे घुड़वती बेकरारा थी, कल हुई चुत चुसाई उसे विष रूप के जंगलो मे खींचने को मजबूर कर रही थी, नया जवान जिस्म साथ नहीं दे रहा था.
दिमाग़ जाने से मना कर रहा था परन्तु सुलगता जिस्म कहाँ मान रहा था
उसे तो अपने जिस्म कि आग मिटानी थी, वही छुवन वही चुत चटाई चाहिए थी....
शेरनी को नया नया खून लगा था अब कहाँ रुकने वाली थी...
हवस वासना भी ऐसा ही नशा है एक बार लग जाये तो उतारे नहीं उतरता.
"काश घुड़वती रूक जाती "
रूपवती :- आगे क्या हुआ वीरा?
वीरा बताने लगता है.
घुड़वती सरपट दौड़ी चली जा रही थी उसके सामने सिर्फ नागकुमार का चेहरा ओर प्यारा सा लंड ही झूल रहा था..
धूल उड़ाती घुड़वती झरने के पास पहुंच चुकी थी.. अब वो मानव रूप मे थी मादक जवान कमसिन घोड़ी.
नाग कुमार.... ओह... नाग कुमार... घुड़वती आवाज़ देती है लेकिन वहाँ कोई नहीं था
"लगता है वो अभी आया नहीं? या फिर कल कि तरह बदमाशी कर रहा है "
जरूर मुझे छुप के देख रह होगा.
हवस मे डूबी स्त्री कितना गलत सोचने लगती है. हवस चढ़ी हो तो दिमाग़ वैसे भी काम नहीं करता.
घुड़वती झरने के नीचे चल पड़ती है, आह्हः.... वही ठंडा पानी वही मादक खुशबू
उसके बदन मे कामुकता उठने लगती है, यही तो करने आई थी घुड़वती.
आज उसे काम क्रीड़ा का नया पाठ पढ़ना था.
झरने के नीचे पहुंच के खुद को भीगाने लगती है सिर्फ एक महीन कपडे मे लिपटी हुई थी घुड़वती.
कपड़ा गिला होने से उसके मादक बदन का एक एक हिस्सा नजर आ रहा था, नींपल तो कड़क हो के बाहर आने को आतुर थे.
वही दूरझाडी मे छुपे बैठे सर्पटा ओर उसके दो सेवक गुप्त नाग ओर सुप्त नाग.
दोनों ही सर्पटा के वफादार थे सर्पटा जिस भी औरत का शिकार करता बाद मे इन दोनों मे बाँट देता.
सर्पटा :- आअह्ह्ह.... ववाह्ह... गुप्त नाग तूने बिल्कुल सही कहाँ था क्या स्त्री है एक दम जवान, अभी तो ठीक से खिली भी नहीं है.
गुप्त नाग :- मालिक जवानी तो आप खिला ही देंगे hehehehe...
तीनो हलकी हसीं मे हस पड़ते है..
ये धीमी हसीं सरसराहट मे घुड़वती तक भी पहुँचती है उसे लगता है नागकुमार कल कि तरह ही उसे छुप के देख रहा है.
इसे बाहर निकालना पड़ेगा, कैसे निकालना है ये मुझे पता है.
वो मुस्कुरा देती है.... ओर धीरे से अपने स्तन से गिला वस्त्र हटा देती है जैसे कि सामने नागकुमार बैठा है उसे ललचा रही हो.
सर्पटा ओर उसके साथी ये नजारा देख हक्के बक्के रह गये, तीनो कि घिघी बंध गई,
कच्ची जवानी मे भी इतने बड़ेस्तन जिसमे कोई लचक ही नहीं एक दम तने हुए, निप्पल सामने को उठे हुए.
घुड़वती अपनी मदहोशी कामवासना मे जल रही थी उसे तो नागकुमार को झाड़ी से बाहर निकालना था वो उसे रिझा रही थी...
वो अपना एक हाथ अपने स्तन पे रख हलके से दबा देती है...
आअह्ह्ह... उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है जो सीधा सर्पटा के कानो से टकराती है, इस सिसकारी मे इतनी मदकता थी कि सर्पटा का 12"का लोकी जैसा मोटा लंड फूंकार उठा.
सर्पटा :- आह्हः... क्या स्त्री है जवानी तो झूम के आई है इसपे.
भगवान ने फुर्सत से बनाया है इसे.
मजा आ गया गुप्त नाग.
गुप्त नाग ओर सुप्त नाग के लंड भी खड़े थे वो कपडे के ऊपर से ही अपने अंगों को सहला रहे थे अब भला ऐसा खूबसूरत कामुक नजारा देख कौन पागल नहीं हो जायेगा.
सामने झरने मे ठंडी पानी कि बौछार का आनन्द लेती घुड़वती गरम हुए जा रही थी उसके बदन से आग निकल रही थी... ये आग उसकी चुत को कुरेद रही थी, आग लावे कि शक्ल मे चुत से बहना शुरू हो गई थी.
दोनों हाथो से अपने स्तन पकडे मसल रही थी नोच रही थी...
दोनों निप्पल को नोच लेना चाहती थी, काम कि आग ऐसी ही होती है.
नाग कुमार नहीं आ रहा था.... अचानक उसने अपने पुरे कपड़े निकल फेंके.
पूरी नंगी पानी के नीचे भीगति जवान मादक गद्दाराई घोड़ी हवस मे तड़प रही थी.
उसके हाथ कभी स्तन सहलाते कभी अपने सपाट पेट को, उत्तेजना के मारे उसका सर पीछे को झुक गया था, आंखे बंद थी सीना ऊपर को उठ गया था,
चढ़ती उतरती साँसो के साथ बड़े तीखे स्तन भी उठ गिर रहे थे.
सीधा प्रहार सर्पटाऔर दोनों सेवकों के लंड हो रहा था ऐसा कामुक नजारा, हवस मे भीगी स्त्री प्यार के लिए नागकुमार के लंड के लिए मचल रही थी.
लेकिन नागकुमार नहीं था बदकिस्मती घुड़वती कि.
तीनो से रहा नहीं गया, तीनो ही पानी मे हेल जाते है और घुड़वती कि और चल पड़ते है.
घुड़वती आअह्ह्ह.... नागकुमार आ भी जाओ देखो क्या हालत है मेरी
ऐसा बोल घुड़वती अपनी टांगे एकदम से खोल के पत्थर पे अपनी पीठ टिका देती है, उसकी जाँघ पूरी खुल चुकी थी... पानी छोड़ती लकीर सामने आ चुकी थी, यही लकीर चुत थी घुड़वती कि बिल्कुल चिपकी हुई.
उसके कुंवरेपन का प्रमाण थी ये गोरी लकीर.
सर्पटा ये दृश्य देख अचंभित हो जाता है,
उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है... आहहहह...
वो भी अपने कपडे निकल फेंकता है और अपना काला बड़ा लंड पकड़ के पीछे को खिंचता है, गुलाबी लंड अंदर से प्रकट होता है साथ ही एक मादक गंध फ़ैल जाती है जो कि सीधा घुड़वती कि नाक से टकराती है.
आअह्ह्ह... नागकुमार आ ही गये तुम.
उसे अब इंतज़ार था कि नागकुमार कि लापलापति जीभ उसकी चुत को छुए प्यार करे कल कि तरह ही चाटे...
उसके रस को निकल दे,
घुड़वती नागकुमार के अहसास से अति उत्तेजित हो जाती है इसी उत्तेजना मे वो अपने एक हाथ को नीचे ले जाती है अपनी चुत कि लकीर पे रख देती है जैसे वो आमंत्रण दे रही ही आओ डूब जै इस समुद्र मे.
उसकी आंखे बंद थी मुँह लगातार सिसकारी छोड़ रहा था सर पीछे को झुका इंतज़ार मे था.
हवस कि आग उसे तड़पा रही थी... लेकिन ये क्या कुछ कर क्यों नहीं रहा नागकुमार.
उसकी खुशबू तो आ रही है वही कामुक अंग से निकली गंध.
वो अपना सर ऊपर कि और उठा अपनी आंखे खोलती है...
आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... एक जोरदार चीख निकलती है उसके हलक से.
घुड़वती :- कौन हो तुम? उसके लिए तो जैसे धरती ही फट गई थी उसे लग रहा था कि नागकुमार खड़ा है.
लेकिन ये राक्षस जैसा भीमकाय आदमी कौन खड़ा है.
वो डर के मारे जड़ हो गई थी उसका गोरा नंगा बदन सर्पटा और सेवकों के सामने नंगा चट्टान पे भीग रहा था.
मानो घुड़वती कि सांसे ही बंद हो गई थी.
तभी एक जोर दार अट्ठाहस गूंज उठता है.
हाहाहाहाहाहाहा.... हे खूबसूरत नारी मै सर्पटा हूँ.
लगता है तुम्हे इसकी जरुरत है ऐसा बोल वो अपने लंड कि तरफ इशारा कर देता है.
घुड़वती उसकी ऊँगली का पीछा करती हुई नीचे देखती है तो उसके होश फाकता हो जाते है.
इतना बड़ा काला झूलता लंड.
"ये ये ये.... क्या है उसके हलक से शब्द नहीं निकल रहे थे.
सर्पटा :- मेरी रानी ये तेरी जरुरत है.
ऐसा बोल वो लंड को हाथ मे ले आगे पीछे करता है उसके लंड से एक तेज़ गंध निकल के घुड़वती कि नाक से टकरा जाती है.
घुड़वती डर रही थी उसकी सांस रुकी हुई थी लेकिन ये गंध कुछ जादू सा कर रही थी.
उसे थोड़ा होश आता है वो अपने हाथ से चुत और स्तन को ढँक लेती है
उसे ऐसा करता देख तीनो जोरदार हसीं हस पड़ते है..
घुड़वती ऐसी भयानक हसीं से सहम जाती है उसकी सारी हवस सारी उत्तेजना ठंडीपड़ने लगती है.
उसका दिल दिमाग़ उसे यहाँ से भाग लेने को प्रेरित कर रहा था.
"मै यहाँ नागकुमार के लिए आई थी " मुझे भागना चाहिए.
लेकिन लंड से निकलती मादक कामुक गंध के अहसास से उसका बदन को कुछ हो रहा था.
उसका बदन उसे जाने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा था.
उसके निप्पल अभी भी खड़े थे.चुत वापस से रिसने लगी थी चुत रस से घुड़वती कि ऊँगली गीली हो रही थी.
"ये क्या हो रहा है मुझे? मुझे यहाँ नहीं रुकना चाहिए?
लेकिन ये... ये... मेरे बदन मे अजीब सुरसुरहत क्यों हो रही है "
सर्पटा घुड़वती कि ओर बढ़ चलता है उसे खुद पे नियंत्रण नहीं था ऐसा कामुक कमसिन बदन सामने रखा हो तो सब्र कैसे हो.
घुड़वती डरी सहमी चुत से पानी छोड़ती पीछे कि ओर सरकती जा रही थी.
कथा जारी है....
अगला दिन निकल चूका था सुबह सुहानी थी कहाँ घुड़वती का अंग अंग खिल रहा था, एक अलग ही रोमांच उठ रहा था बदन मे.
उसे विषरूप के जंगल जाना था,
नाग कुमार भी अपने हसीन सपने को साकार करने के लिए जग चूका था, खूब मन लगा के तैयार हुआ इत्र कि शीशी खाली कर दि गई.
होती भी क्यों ना उस बला कि खूबसूरती के सामने जो जाना था.
गुप्त नाग कि नजर बराबर नागकुमार पे बनी हुई थी,
वो सर्पटा को सूचित करता है कि नागकुमार निकलने को तैयार है.
तभी सर्पटा नागकुमार के कक्ष मे पहुँचता है.
सर्पटा :- अरे मेरा राजकुमार कहाँ जा रहे हो?
नागकुमार :- जो कि अपने पिता से डरता था, ज़ी ज़ी.... वो वो... पिताजी यु ही जंगल पानी के लिए जा रहा था.
सर्पटा :- इतना सज धज के?
नागकुमार के मुँह से बोल नहीं फुटते.
सर्पटा :- ये घूमना फिरना छोडो थोड़ा राज काज मे मन लगाओ आखिर तुम होने वाले राजा हो.
नागेंद्र को देखो कैसे पाताल लोक गुरुकुल मे मेहनत कर रहा है.
नागकुमार :- ज़ी ज़ी ज़ी.... पिताजी
सर्पटा :- अच्छा हम इसलिए आये थे कि पास के राज्य मे ठाकुर जलन सिंह रहते है उनके यहाँ से फल ओर मांस ले के आना है.अपने दोस्तों के साथ चले जाओ घूमना भी हो जायेगा थोड़ा व्यापार भी समझ लोगे.
अब नागकुमार क्या बोलता, विरोध कर नहीं सकता था.
तो मन मार के चल देता है ठाकुर जलन सिंह के घर.
सर्पटा मन ही मन ख़ुश था कि उसने बड़ी चालाकी से नागकुमार को रास्ते से हटा दिया.
अब वो खुद जा के देखेगा कि कौन है ये सुंदरी?
मेरे लायक है भी या नहीं, या फिर ये गुप्त नाग फेंक रहा था.
दिन चढ़ चूका था....
घुड़पुर मे घुड़वती बेकरारा थी, कल हुई चुत चुसाई उसे विष रूप के जंगलो मे खींचने को मजबूर कर रही थी, नया जवान जिस्म साथ नहीं दे रहा था.
दिमाग़ जाने से मना कर रहा था परन्तु सुलगता जिस्म कहाँ मान रहा था
उसे तो अपने जिस्म कि आग मिटानी थी, वही छुवन वही चुत चटाई चाहिए थी....
शेरनी को नया नया खून लगा था अब कहाँ रुकने वाली थी...
हवस वासना भी ऐसा ही नशा है एक बार लग जाये तो उतारे नहीं उतरता.
"काश घुड़वती रूक जाती "
रूपवती :- आगे क्या हुआ वीरा?
वीरा बताने लगता है.
घुड़वती सरपट दौड़ी चली जा रही थी उसके सामने सिर्फ नागकुमार का चेहरा ओर प्यारा सा लंड ही झूल रहा था..
धूल उड़ाती घुड़वती झरने के पास पहुंच चुकी थी.. अब वो मानव रूप मे थी मादक जवान कमसिन घोड़ी.
नाग कुमार.... ओह... नाग कुमार... घुड़वती आवाज़ देती है लेकिन वहाँ कोई नहीं था
"लगता है वो अभी आया नहीं? या फिर कल कि तरह बदमाशी कर रहा है "
जरूर मुझे छुप के देख रह होगा.
हवस मे डूबी स्त्री कितना गलत सोचने लगती है. हवस चढ़ी हो तो दिमाग़ वैसे भी काम नहीं करता.
घुड़वती झरने के नीचे चल पड़ती है, आह्हः.... वही ठंडा पानी वही मादक खुशबू
उसके बदन मे कामुकता उठने लगती है, यही तो करने आई थी घुड़वती.
आज उसे काम क्रीड़ा का नया पाठ पढ़ना था.
झरने के नीचे पहुंच के खुद को भीगाने लगती है सिर्फ एक महीन कपडे मे लिपटी हुई थी घुड़वती.
कपड़ा गिला होने से उसके मादक बदन का एक एक हिस्सा नजर आ रहा था, नींपल तो कड़क हो के बाहर आने को आतुर थे.
वही दूरझाडी मे छुपे बैठे सर्पटा ओर उसके दो सेवक गुप्त नाग ओर सुप्त नाग.
दोनों ही सर्पटा के वफादार थे सर्पटा जिस भी औरत का शिकार करता बाद मे इन दोनों मे बाँट देता.
सर्पटा :- आअह्ह्ह.... ववाह्ह... गुप्त नाग तूने बिल्कुल सही कहाँ था क्या स्त्री है एक दम जवान, अभी तो ठीक से खिली भी नहीं है.
गुप्त नाग :- मालिक जवानी तो आप खिला ही देंगे hehehehe...
तीनो हलकी हसीं मे हस पड़ते है..
ये धीमी हसीं सरसराहट मे घुड़वती तक भी पहुँचती है उसे लगता है नागकुमार कल कि तरह ही उसे छुप के देख रहा है.
इसे बाहर निकालना पड़ेगा, कैसे निकालना है ये मुझे पता है.
वो मुस्कुरा देती है.... ओर धीरे से अपने स्तन से गिला वस्त्र हटा देती है जैसे कि सामने नागकुमार बैठा है उसे ललचा रही हो.
सर्पटा ओर उसके साथी ये नजारा देख हक्के बक्के रह गये, तीनो कि घिघी बंध गई,
कच्ची जवानी मे भी इतने बड़ेस्तन जिसमे कोई लचक ही नहीं एक दम तने हुए, निप्पल सामने को उठे हुए.
घुड़वती अपनी मदहोशी कामवासना मे जल रही थी उसे तो नागकुमार को झाड़ी से बाहर निकालना था वो उसे रिझा रही थी...
वो अपना एक हाथ अपने स्तन पे रख हलके से दबा देती है...
आअह्ह्ह... उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है जो सीधा सर्पटा के कानो से टकराती है, इस सिसकारी मे इतनी मदकता थी कि सर्पटा का 12"का लोकी जैसा मोटा लंड फूंकार उठा.
सर्पटा :- आह्हः... क्या स्त्री है जवानी तो झूम के आई है इसपे.
भगवान ने फुर्सत से बनाया है इसे.
मजा आ गया गुप्त नाग.
गुप्त नाग ओर सुप्त नाग के लंड भी खड़े थे वो कपडे के ऊपर से ही अपने अंगों को सहला रहे थे अब भला ऐसा खूबसूरत कामुक नजारा देख कौन पागल नहीं हो जायेगा.
सामने झरने मे ठंडी पानी कि बौछार का आनन्द लेती घुड़वती गरम हुए जा रही थी उसके बदन से आग निकल रही थी... ये आग उसकी चुत को कुरेद रही थी, आग लावे कि शक्ल मे चुत से बहना शुरू हो गई थी.
दोनों हाथो से अपने स्तन पकडे मसल रही थी नोच रही थी...
दोनों निप्पल को नोच लेना चाहती थी, काम कि आग ऐसी ही होती है.
नाग कुमार नहीं आ रहा था.... अचानक उसने अपने पुरे कपड़े निकल फेंके.
पूरी नंगी पानी के नीचे भीगति जवान मादक गद्दाराई घोड़ी हवस मे तड़प रही थी.
उसके हाथ कभी स्तन सहलाते कभी अपने सपाट पेट को, उत्तेजना के मारे उसका सर पीछे को झुक गया था, आंखे बंद थी सीना ऊपर को उठ गया था,
चढ़ती उतरती साँसो के साथ बड़े तीखे स्तन भी उठ गिर रहे थे.
सीधा प्रहार सर्पटाऔर दोनों सेवकों के लंड हो रहा था ऐसा कामुक नजारा, हवस मे भीगी स्त्री प्यार के लिए नागकुमार के लंड के लिए मचल रही थी.
लेकिन नागकुमार नहीं था बदकिस्मती घुड़वती कि.
तीनो से रहा नहीं गया, तीनो ही पानी मे हेल जाते है और घुड़वती कि और चल पड़ते है.
घुड़वती आअह्ह्ह.... नागकुमार आ भी जाओ देखो क्या हालत है मेरी
ऐसा बोल घुड़वती अपनी टांगे एकदम से खोल के पत्थर पे अपनी पीठ टिका देती है, उसकी जाँघ पूरी खुल चुकी थी... पानी छोड़ती लकीर सामने आ चुकी थी, यही लकीर चुत थी घुड़वती कि बिल्कुल चिपकी हुई.
उसके कुंवरेपन का प्रमाण थी ये गोरी लकीर.
सर्पटा ये दृश्य देख अचंभित हो जाता है,
उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है... आहहहह...
वो भी अपने कपडे निकल फेंकता है और अपना काला बड़ा लंड पकड़ के पीछे को खिंचता है, गुलाबी लंड अंदर से प्रकट होता है साथ ही एक मादक गंध फ़ैल जाती है जो कि सीधा घुड़वती कि नाक से टकराती है.
आअह्ह्ह... नागकुमार आ ही गये तुम.
उसे अब इंतज़ार था कि नागकुमार कि लापलापति जीभ उसकी चुत को छुए प्यार करे कल कि तरह ही चाटे...
उसके रस को निकल दे,
घुड़वती नागकुमार के अहसास से अति उत्तेजित हो जाती है इसी उत्तेजना मे वो अपने एक हाथ को नीचे ले जाती है अपनी चुत कि लकीर पे रख देती है जैसे वो आमंत्रण दे रही ही आओ डूब जै इस समुद्र मे.
उसकी आंखे बंद थी मुँह लगातार सिसकारी छोड़ रहा था सर पीछे को झुका इंतज़ार मे था.
हवस कि आग उसे तड़पा रही थी... लेकिन ये क्या कुछ कर क्यों नहीं रहा नागकुमार.
उसकी खुशबू तो आ रही है वही कामुक अंग से निकली गंध.
वो अपना सर ऊपर कि और उठा अपनी आंखे खोलती है...
आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... एक जोरदार चीख निकलती है उसके हलक से.
घुड़वती :- कौन हो तुम? उसके लिए तो जैसे धरती ही फट गई थी उसे लग रहा था कि नागकुमार खड़ा है.
लेकिन ये राक्षस जैसा भीमकाय आदमी कौन खड़ा है.
वो डर के मारे जड़ हो गई थी उसका गोरा नंगा बदन सर्पटा और सेवकों के सामने नंगा चट्टान पे भीग रहा था.
मानो घुड़वती कि सांसे ही बंद हो गई थी.
तभी एक जोर दार अट्ठाहस गूंज उठता है.
हाहाहाहाहाहाहा.... हे खूबसूरत नारी मै सर्पटा हूँ.
लगता है तुम्हे इसकी जरुरत है ऐसा बोल वो अपने लंड कि तरफ इशारा कर देता है.
घुड़वती उसकी ऊँगली का पीछा करती हुई नीचे देखती है तो उसके होश फाकता हो जाते है.
इतना बड़ा काला झूलता लंड.
"ये ये ये.... क्या है उसके हलक से शब्द नहीं निकल रहे थे.
सर्पटा :- मेरी रानी ये तेरी जरुरत है.
ऐसा बोल वो लंड को हाथ मे ले आगे पीछे करता है उसके लंड से एक तेज़ गंध निकल के घुड़वती कि नाक से टकरा जाती है.
घुड़वती डर रही थी उसकी सांस रुकी हुई थी लेकिन ये गंध कुछ जादू सा कर रही थी.
उसे थोड़ा होश आता है वो अपने हाथ से चुत और स्तन को ढँक लेती है
उसे ऐसा करता देख तीनो जोरदार हसीं हस पड़ते है..
घुड़वती ऐसी भयानक हसीं से सहम जाती है उसकी सारी हवस सारी उत्तेजना ठंडीपड़ने लगती है.
उसका दिल दिमाग़ उसे यहाँ से भाग लेने को प्रेरित कर रहा था.
"मै यहाँ नागकुमार के लिए आई थी " मुझे भागना चाहिए.
लेकिन लंड से निकलती मादक कामुक गंध के अहसास से उसका बदन को कुछ हो रहा था.
उसका बदन उसे जाने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा था.
उसके निप्पल अभी भी खड़े थे.चुत वापस से रिसने लगी थी चुत रस से घुड़वती कि ऊँगली गीली हो रही थी.
"ये क्या हो रहा है मुझे? मुझे यहाँ नहीं रुकना चाहिए?
लेकिन ये... ये... मेरे बदन मे अजीब सुरसुरहत क्यों हो रही है "
सर्पटा घुड़वती कि ओर बढ़ चलता है उसे खुद पे नियंत्रण नहीं था ऐसा कामुक कमसिन बदन सामने रखा हो तो सब्र कैसे हो.
घुड़वती डरी सहमी चुत से पानी छोड़ती पीछे कि ओर सरकती जा रही थी.
कथा जारी है....