14-09-2021, 03:17 PM
(This post was last modified: 05-07-2022, 04:01 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं दीदी की ब्रा देख ही चुका था, साइज पता ही चल गया था. आज रात उनके कड़क निप्पलों भी देख चुका था. बस अब दीदी को बिना कपड़ों के देखना रह गया था.
तभी अचानक बारिश होने लगी. मैं बोरिया बिस्तर और दीदी के कपड़े समेटकर नीचे भागा.
नीचे आकर मैंने कहा- दीदी दरवाज़ा खोलो.
दीदी ने दरवाज़ा खोला और मेरी तरफ देखा.
तो मैंने बताया कि बारिश हो रही है.
मेरा लंड अभी भी आकार में था. उधर मेरा ध्यान दीदी के ऊपर गया, तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. निप्पलों और खिल कर दिख रहे थे.
मैं समझ गया कि दीदी फोन सेक्स कर रही थीं. मेरा लंड फिर से तन कर तम्बू हो गया.
अब शमा और परवाना दोनों जल रहे थे, बस देखना ये था कि करीब आने पर आग बुझती है या और बढ़ती है.
मैंने कहा- ये लो अपने कपड़े!
दीदी बोलीं- तुम क्यों लाए!
मैंने कहा- आप भी तो मेरे कपड़े लाती हैं, आप तो मेरी इतनी सेवा करती हैं.
तभी अचानक बारिश होने लगी. मैं बोरिया बिस्तर और दीदी के कपड़े समेटकर नीचे भागा.
नीचे आकर मैंने कहा- दीदी दरवाज़ा खोलो.
दीदी ने दरवाज़ा खोला और मेरी तरफ देखा.
तो मैंने बताया कि बारिश हो रही है.
मेरा लंड अभी भी आकार में था. उधर मेरा ध्यान दीदी के ऊपर गया, तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. निप्पलों और खिल कर दिख रहे थे.
मैं समझ गया कि दीदी फोन सेक्स कर रही थीं. मेरा लंड फिर से तन कर तम्बू हो गया.
अब शमा और परवाना दोनों जल रहे थे, बस देखना ये था कि करीब आने पर आग बुझती है या और बढ़ती है.
मैंने कहा- ये लो अपने कपड़े!
दीदी बोलीं- तुम क्यों लाए!
मैंने कहा- आप भी तो मेरे कपड़े लाती हैं, आप तो मेरी इतनी सेवा करती हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.