14-09-2021, 03:09 PM
मैं दीदी की चूचियां चूसने और दबाने लगा। दीदी मजे लेकर अपनी चूचियां चुसवाने लगी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी। मैंने अपना लोअर उतार दिया और दीदी की चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा।
तभी दीदी के फ़ोन की घंटी बजी। उधर से नीरा का कॉल था।
दीदी ने मुझे रुकने का इशारा किया और फ़ोन उठा कर बोली- सॉरी नीरा, मनीष सो गया है। अभी उसको उठाना ठीक नहीं है। कल बात करते हैं। मैं भी सोने जा रही हूँ अब।
यह कहकर दीदी ने फ़ोन काट दिया और मेरे लंड को हाथो में ले कर ऊपर नीचे करने लगी।
“ओह्ह मनीष … तुम्हारा लौड़ा कितना बड़ा है!” यह कहते हुए दीदी नीचे सरक कर मेरे लंड को चूसने लगी। पहली बार किसी ने मेरे लंड को मुंह में लिया था और मुझे स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था।
मैं मजे ले कर अपना लंड चुसवाने लगा और दीदी के चेहरे को पकड़ कर अपनी कमर हिलाने लगा।
मेरा लंड पूरा तन गया था और दीदी किसी पोर्न स्टार की तरह उसे चूसे जा रही थी।
फिर दीदी ने अचानक ही अपने भाई का लंड चूसना बंद कर दिया और बोली- अब तेरी बारी।
दीदी बेड पर लेट गयी और अपनी पेंटी उतरने को मुझसे कहा।
मैंने एक ही झटके में दीदी की पेंटी उतर कर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहा था और चूत की लिप्स को दांतों से बीच बीच में काटने भी लगा।
“उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मनीष … उम्म्म उम्म्म!” करती हुई दीदी मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी और बिस्तर पर अपना सर इधर उधर कर रही थी।
तभी दीदी के फ़ोन की घंटी बजी। उधर से नीरा का कॉल था।
दीदी ने मुझे रुकने का इशारा किया और फ़ोन उठा कर बोली- सॉरी नीरा, मनीष सो गया है। अभी उसको उठाना ठीक नहीं है। कल बात करते हैं। मैं भी सोने जा रही हूँ अब।
यह कहकर दीदी ने फ़ोन काट दिया और मेरे लंड को हाथो में ले कर ऊपर नीचे करने लगी।
“ओह्ह मनीष … तुम्हारा लौड़ा कितना बड़ा है!” यह कहते हुए दीदी नीचे सरक कर मेरे लंड को चूसने लगी। पहली बार किसी ने मेरे लंड को मुंह में लिया था और मुझे स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था।
मैं मजे ले कर अपना लंड चुसवाने लगा और दीदी के चेहरे को पकड़ कर अपनी कमर हिलाने लगा।
मेरा लंड पूरा तन गया था और दीदी किसी पोर्न स्टार की तरह उसे चूसे जा रही थी।
फिर दीदी ने अचानक ही अपने भाई का लंड चूसना बंद कर दिया और बोली- अब तेरी बारी।
दीदी बेड पर लेट गयी और अपनी पेंटी उतरने को मुझसे कहा।
मैंने एक ही झटके में दीदी की पेंटी उतर कर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहा था और चूत की लिप्स को दांतों से बीच बीच में काटने भी लगा।
“उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मनीष … उम्म्म उम्म्म!” करती हुई दीदी मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी और बिस्तर पर अपना सर इधर उधर कर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.