14-09-2021, 03:08 PM
मैं दीदी की चूचियों को देखते हुए बोला- क्या हुआ दीदी क्यों उठाया मुझे?
दीदी संभलते हुए बोली- भाई मनीष, नीरा का फ़ोन आया था। वो भी घर में अकेली है और उसे अकेले डर लग रहा है। तुम जाकर उसे यहाँ लेते आओ। मैंने उससे कह दिया है कि तुम आ रहे हो उसे लेने।
दीदी की तरफ देख कर मैंने कहा- अभी ही जाना है क्या लाने के लिए नीरा को या थोड़ी देर बाद?
“थोड़ी देर बाद क्यों? अभी कुछ काम करना है क्या तुझे?”
मैंने दीदी की तरफ देख कर कहा- हाँ … और वो तुम भी जानती हो क्या काम करना है।
दीदी मेरी बात सुनकर घबड़ा गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।
“मतलब क्या है तुम्हारा?” उसने कहा।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला- मेरा मतलब वही है दीदी … जो तुम समझ रही हो.
और उनका हाथ अपने लोअर के ऊपर से लंड पर रख दिया।
दीदी ने झटके से हाथ हटाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो मनीष?
मैंने कहा- दीदी अब शरमाओ मत … मुझे सब पता चल गया है। तुम अभी इसे छू कर देख रही थी ना? और नीरा से तुम्हारी फ़ोन पर क्या बात हुई है और चैट में क्या बात हुयी है, सब जानता हूँ मैं। अब नीरा तो बाद में भी आ जाएगी लेकिन अभी हम दोनों तो हैं ना एक साथ।
यह कहते हुए मैंने अपना लोअर खींच कर नीचे कर दिया और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।
दीदी अचानक से ये सब सुनकर शायद हड़बड़ा गयी थी और उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।
मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड देकर उसकी चूचियों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मैंने दीदी की तरफ और अगले ही पल दीदी के हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगे और मैं दीदी की चूचियों को दबाने लगा।
दीदी संभलते हुए बोली- भाई मनीष, नीरा का फ़ोन आया था। वो भी घर में अकेली है और उसे अकेले डर लग रहा है। तुम जाकर उसे यहाँ लेते आओ। मैंने उससे कह दिया है कि तुम आ रहे हो उसे लेने।
दीदी की तरफ देख कर मैंने कहा- अभी ही जाना है क्या लाने के लिए नीरा को या थोड़ी देर बाद?
“थोड़ी देर बाद क्यों? अभी कुछ काम करना है क्या तुझे?”
मैंने दीदी की तरफ देख कर कहा- हाँ … और वो तुम भी जानती हो क्या काम करना है।
दीदी मेरी बात सुनकर घबड़ा गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।
“मतलब क्या है तुम्हारा?” उसने कहा।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला- मेरा मतलब वही है दीदी … जो तुम समझ रही हो.
और उनका हाथ अपने लोअर के ऊपर से लंड पर रख दिया।
दीदी ने झटके से हाथ हटाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो मनीष?
मैंने कहा- दीदी अब शरमाओ मत … मुझे सब पता चल गया है। तुम अभी इसे छू कर देख रही थी ना? और नीरा से तुम्हारी फ़ोन पर क्या बात हुई है और चैट में क्या बात हुयी है, सब जानता हूँ मैं। अब नीरा तो बाद में भी आ जाएगी लेकिन अभी हम दोनों तो हैं ना एक साथ।
यह कहते हुए मैंने अपना लोअर खींच कर नीचे कर दिया और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।
दीदी अचानक से ये सब सुनकर शायद हड़बड़ा गयी थी और उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।
मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड देकर उसकी चूचियों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मैंने दीदी की तरफ और अगले ही पल दीदी के हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगे और मैं दीदी की चूचियों को दबाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.