14-09-2021, 03:01 PM
आह्ह … पहली बार नंगी चूत को छूकर ऐसा तूफान उठा कि मुझसे रहा न गया और मैंने दीदी की योनि में उंगली ही डाल दी. दीदी हल्की सी उचकी लेकिन बिना आवाज किये.
हम दोनों भाई बहन फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे. आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी.
दीदी ने मेरी पैंट की चेन खोल दी और फिर मैं समझ गया कि दीदी मेरे लंड का स्पर्श पाना चाहती है. मैंने भी लंड को बाहर निकाल लिया और दीदी के हाथ में दे दिया.
नर्म हाथ में जाते ही लंड में ऐसी लहर उठी कि एक बार तो लगा कि स्खलन हो ही जायेगा लेकिन किसी तरह खुद को रोका और एकदम से दीदी का हाथ हटा दिया. दीदी भी जान गयी कि शायद मैं चरम पर पहुंचने के करीब हूं इसलिए उन्होंने भी दोबारा लंड को छूने की कोशिश नहीं की.
मैंने दीदी की गीली चूत से उंगली निकाली और उसको अपने मुंह में भर लिया. मुझे नहीं पता था कि ये सब करना भी होता है या नहीं, मगर जो भी हो रहा था अपने आप ही होता चला जा रहा था. दीदी का रस चखने के बाद अब उनकी योनि को अपने लंड का रस देने की बारी थी. अब और कुछ सूझ ही नहीं रहा था.
मैंने दीदी के कान के पास अपने होंठ ले जाकर फुसफुसाते हुए पूछा- डाल दूं क्या अंदर?
दीदी ने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा कर अपनी मंजूरी दे दी.
हम दोनों भाई बहन फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे. आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी.
दीदी ने मेरी पैंट की चेन खोल दी और फिर मैं समझ गया कि दीदी मेरे लंड का स्पर्श पाना चाहती है. मैंने भी लंड को बाहर निकाल लिया और दीदी के हाथ में दे दिया.
नर्म हाथ में जाते ही लंड में ऐसी लहर उठी कि एक बार तो लगा कि स्खलन हो ही जायेगा लेकिन किसी तरह खुद को रोका और एकदम से दीदी का हाथ हटा दिया. दीदी भी जान गयी कि शायद मैं चरम पर पहुंचने के करीब हूं इसलिए उन्होंने भी दोबारा लंड को छूने की कोशिश नहीं की.
मैंने दीदी की गीली चूत से उंगली निकाली और उसको अपने मुंह में भर लिया. मुझे नहीं पता था कि ये सब करना भी होता है या नहीं, मगर जो भी हो रहा था अपने आप ही होता चला जा रहा था. दीदी का रस चखने के बाद अब उनकी योनि को अपने लंड का रस देने की बारी थी. अब और कुछ सूझ ही नहीं रहा था.
मैंने दीदी के कान के पास अपने होंठ ले जाकर फुसफुसाते हुए पूछा- डाल दूं क्या अंदर?
दीदी ने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा कर अपनी मंजूरी दे दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.