14-09-2021, 03:00 PM
मैं जैसे ही दीदी की चारपाई पर पहुंचा, उन्होंने भी अपनी आगोश में मुझे भर लिया। मेरा सिर उनके उभारों के मखमली और सबसे मुलायम जगह पर था।
अपने मुंह को दीदी के उभारों में घुसा कर उस पहले अहसास के आनंद में ऐसा डूबने लगा कि मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि अब और गहराई में उतरना है. पहली बार दीदी के उभारों को अपने होंठों से छुआ था इसलिए आनंद की कोई सीमा न थी.
मेरा मन कर रहा था कि अब आगे चलूं, आगे क्या होगा. हवस ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया था और मेरा लंड को फाड़ने के लिए बार-बार पैंट में ही दीदी की जांघों पर धक्के पर धक्के दिये जा रहा था. मगर अभी तक ये समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या करना है. पहला अनुभव था किसी लड़की के बदन के स्पर्श का.
मगर दीदी को शायद थोड़ा ज्यादा तजुरबा था. उन्होंने मेरे बालों को सहलाया और फिर मेरी गर्दन को हल्के से उठा कर मेरा माथा चूम लिया. बस अब मुझे आगे का रास्ता भी दिख गया था. मैंने अपने बदन को दीदी के बदन पर घिसते हुए खुद को थोड़ा और ऊपर घसीटा और अपने होंठों को दीदी के होंठों पर रख दिया.
दीदी के लबों से लब मिले तो जैसे चाशनी में डूबी जलेबी का स्वाद जबान को मिलने लगा. मगर पहली बार था इसलिए ये भी नहीं जानता था कि किस कैसे करते हैं.
अपने मुंह को दीदी के उभारों में घुसा कर उस पहले अहसास के आनंद में ऐसा डूबने लगा कि मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि अब और गहराई में उतरना है. पहली बार दीदी के उभारों को अपने होंठों से छुआ था इसलिए आनंद की कोई सीमा न थी.
मेरा मन कर रहा था कि अब आगे चलूं, आगे क्या होगा. हवस ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया था और मेरा लंड को फाड़ने के लिए बार-बार पैंट में ही दीदी की जांघों पर धक्के पर धक्के दिये जा रहा था. मगर अभी तक ये समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे क्या करना है. पहला अनुभव था किसी लड़की के बदन के स्पर्श का.
मगर दीदी को शायद थोड़ा ज्यादा तजुरबा था. उन्होंने मेरे बालों को सहलाया और फिर मेरी गर्दन को हल्के से उठा कर मेरा माथा चूम लिया. बस अब मुझे आगे का रास्ता भी दिख गया था. मैंने अपने बदन को दीदी के बदन पर घिसते हुए खुद को थोड़ा और ऊपर घसीटा और अपने होंठों को दीदी के होंठों पर रख दिया.
दीदी के लबों से लब मिले तो जैसे चाशनी में डूबी जलेबी का स्वाद जबान को मिलने लगा. मगर पहली बार था इसलिए ये भी नहीं जानता था कि किस कैसे करते हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.