14-09-2021, 02:59 PM
रे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी क्यूंकि ठीक उसी समय दीदी थोड़ा सा ऊपर खिसकी और मेरी उँगलियाँ उनके गले से सरकते हुए थोड़ा सा नीचे चली गयी और एक मलमल से उठे हुए उनके बूब्स पर पहुँच गयीं।
मेरी उँगलियाँ कुछ कांपी लेकिन तब तक अपनी वासना से इतना मजबूर हो चुका था मैं कि कब उनके एक बूब्स को पूरा हाथ में भर कर हल्का हल्का दबाने लगा मुझे इस बारे में सोचने का मौका भी नहीं दिया मेरे मन में उठ रहे वासना के वेग ने।
वासना जैसे-जैसे बढ़ती गयी उनके उरोज पर मेरा दबाव और पकड़ बढ़ती गयी। थोड़ी देर बाद अहसास हुआ कि टाइट सूट होने की वजह से उनके बूब्स पर हाथ फिराने में जो दिक्कत हो रही थी वो अचानक सूट के ढीला होने से दूर हो गयी। मेरा हाथ उनके बूब्स की घाटियों में पूरा घूमने लगा।
तभी एहसास हुआ कि मेरे हाथों पर उनके होंठों के चुम्बन हुए जिसने मेरे लंड को अपनी उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया। जिसका सीधा मतलब था कि मैं यौवन की प्यास को जगा चुका था।
मेरे शरीर में उनके प्रति इतना आकर्षण बढ़ गया कि कब मैं अपनी चारपाई से उठकर उनकी चारपाई पर पहुँच गया पता ही न चला। उस समय मैं यह भी भूल गया था कि भले ही घर में पूरा अँधेरा था लेकिन घर में और लोग भी तो मौजूद थे।
मेरी उँगलियाँ कुछ कांपी लेकिन तब तक अपनी वासना से इतना मजबूर हो चुका था मैं कि कब उनके एक बूब्स को पूरा हाथ में भर कर हल्का हल्का दबाने लगा मुझे इस बारे में सोचने का मौका भी नहीं दिया मेरे मन में उठ रहे वासना के वेग ने।
वासना जैसे-जैसे बढ़ती गयी उनके उरोज पर मेरा दबाव और पकड़ बढ़ती गयी। थोड़ी देर बाद अहसास हुआ कि टाइट सूट होने की वजह से उनके बूब्स पर हाथ फिराने में जो दिक्कत हो रही थी वो अचानक सूट के ढीला होने से दूर हो गयी। मेरा हाथ उनके बूब्स की घाटियों में पूरा घूमने लगा।
तभी एहसास हुआ कि मेरे हाथों पर उनके होंठों के चुम्बन हुए जिसने मेरे लंड को अपनी उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया। जिसका सीधा मतलब था कि मैं यौवन की प्यास को जगा चुका था।
मेरे शरीर में उनके प्रति इतना आकर्षण बढ़ गया कि कब मैं अपनी चारपाई से उठकर उनकी चारपाई पर पहुँच गया पता ही न चला। उस समय मैं यह भी भूल गया था कि भले ही घर में पूरा अँधेरा था लेकिन घर में और लोग भी तो मौजूद थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.