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Incest बहन के जिस्म का पहला स्पर्श
#13
दीदी के पीरियड्स के दिनों को छोड़कर चुदाई की छुट्टी कभी नहीं होती थी. मैं लगातार तीन साल तक अपनी दीदी की चूत की चुदाई करता रहा. मुझे चुदाई का हर सबक मेरी दीदी ने ही सिखाया था.

हम रोज रात नंगे बदन एक दूसरे की बांहों में लिपट कर प्यार की बातें किया करते थे. हम दोनों भाई-बहन अब एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे. फिर दीदी के रिश्ते की बातें होने लगी. दीदी भी शादी नहीं करना चाहती थी और मैं भी दीदी के बगैर नहीं रह सकता था इसलिए शादी के ख्याल से ही दोनों की गांड फटने लगी.

मैंने और दीदी ने मिल कर एक प्लान बनाया. हमने अपने एक्सीडेंट का नाटक किया. उसमें हमने एक बाइक को खाई में फेंक दिया और घरवालों को लगा कि हम भी खाई में गिर कर ऊपर पहुंच गये. इस तरह से दुनिया की नजर में हम अब इस दुनिया में जिंदा नहीं थे. इसी बात का फायदा उठाकर हम दोनों घर से भाग गये.

बैंगलोर जाकर हमने मंदिर में शादी कर ली और अब हम पति-पत्नी की तरह रहने लगे थे. हम दोनों ही मेहनती थे और वहाँ पर हमने अपना नया घर बसा लिया. मैंने और दीदी ने मेहनत की. मैंने नौकरी में तरक्की भी की और हमारी चुदाई भी चलती रही.

इस तरह हमारी एक फूल सी बेटी हुई. इससे पहले न जाने कितनी बार मैंने दीदी को गोली खिला कर बच्चा होने से रोक कर रखा हुआ था. लेकिन शादी होने के बाद ऐसा कोई डर नहीं था. इसलिए दीदी ने हम दोनों की बच्ची को जन्म दिया.

उसके बाद दीदी ने एक बेटे को भी जन्म दिया. हम दोनों के बीच में अब चुदाई थोड़ी कम हो गई थी लेकिन बच्चे होने से पहले हम भाई-बहन ने इतनी चुदाई कर ली थी जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

दीदी मुझे राखी भी बांधती है और हम करवा चौथ भी मनाते हैं. रक्षा बंधन के दिन मैं दीदी को पूरी रात चोदता हूं. हम दोनों को ही ये भाई-बहन वाली चुदाई बहुत पसंद है.

आपको ये स्टोरी कैसी लगी इसके बारे में बताने की कोई जरूरत नहीं है. मेरा मन किया कि मैं आप लोगों को बताऊं इसलिए मैंने स्टोरी आप को बता दी. जिन लोगों को भी भाई-बहन की चुदाई पसंद है वो अपनी दीदी की चूत का मजा लो. जिस तरह से मैं ले रहा हूं.

मैंने अपनी दीदी की चूत को चोद कर उसको अपनी पत्नी ही बना लिया और मुझे अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है. मैं अपनी बहन के बिना नहीं रह सकता था और मेरी बहन भी मेरे बिना नहीं रह सकती थी. इसलिए हम दोनों ने अपने घर वालों को भी छोड़ दिया था.

कई बार तो मुझे लगता है कि घर वाले भी हमारे इस रिश्ते को अपना लेते तो ज्यादा अच्छा होता लेकिन ये तो फिर संभव लगने वाली बात थी ही नहीं. इसलिए हम दोनों ने अपने को परिवार से अलग कर लिया.

वैसे भी बाहर जाकर क्या पता लगने वाला था कि हम भाई-बहन हैं. हम दोनों तो पति-पत्नी बन कर रह रहे थे. मेरी बहन भी मुझे पति के रूप में पाकर खुश थी और मैं भी अपनी बहन को अपनी पत्नी के रूप में देख कर खुश था. कुछ लोगों को ये बात अटपटी लगे लेकिन हम दोनों भाई-बहन ने तो ऐसा ही किया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन के जिस्म का पहला स्पर्श - by neerathemall - 13-09-2021, 05:57 PM



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