13-09-2021, 05:56 PM
जब दीदी से कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने अपनी चूत से मेरा मुंह हटा दिया और खड़ी हो गई. उसने दोनों ही खटिया को एक तरफ करके जमीन पर गद्दा बिछाया और उस पर लेट गई और फिर मुझे उसके ऊपर चढ़ने का इशारा किया. मैं भी सांड की तरह फटाक से पोजीशन तैयार करके चुदाई के लिए रेडी हो गया.
मैंने दीदी की चूत पर लंड को लगाया और अंदर डालने की कोशिश करने लगा लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था. दीदी ने अपने मुंह से थूक निकाला और मेरे लंड पर मल दिया. फिर जब लंड चिकना हो गया तो दीदी ने धक्का लगाने का इशारा किया.
आंखें बंद करके मैंने भी पूरी ताकत से एक धक्का लगाया और मेरा रामपुरी लंड जियरा दीदी की चूत को चीरता हुआ अंदर समा गया. दीदी दर्द से कांप उठी.
मैंने उनकी हालत देखी और रुक कर उनके सिर और पीठ पर हाथ फेर कर उन्हें सामान्य होने दिया. जब दीदी थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा. अब दीदी के चेहरे पर भी आनंद नजर आ रहा था.
अब मेरा मन कर रहा था कि दीदी की पोजीशन बदलवा दूं लेकिन लंड चूसने की बात पर दीदी मुझसे गुस्सा हो गई थी इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.
दीदी भी अपने पैर मेरी कमर के पीछे लॉक करके हर धक्के का आनंद ले रही थी। इसी पोजीशन में मैंने लगभग काफी देर तक दीदी को चोदा। हम दोनों पसीने से भीग गये थे।
मेरे धक्के तेज हो गये और हम दोनों का शरीर अब अकड़ने लगा था. मैंने बिना कुछ बोले अपना पानी दीदी की चूत में छोड़ दिया और साथ में दीदी भी झड़ गयी। अपनी दीदी की चूत के गर्म पानी का लंड पर जो अहसास मुझे उस समय मिल रहा था वो तो मेरे जैसा बहनचोद ही समझ सकता था.
चुदाई करने के बाद हम दोनों एकदम निढ़ाल से हो गये थे. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में था और मैं उसके मम्मों से खेल रहा था.
तब दीदी बोली- प्रतीक तुझे पता नहीं है क्या, इस तरह से तूने जो मेरी चूत के अंदर अपना पानी छोड़ दिया है उससे मैं प्रेग्नेंट हो सकती हूँ.
मैं- तो अब क्या होगा दीदी?
दीदी- कुछ नहीं, कल में बाजार से गर्भनिरोधी गोली ला कर खा लूंगी लेकिन अगली बार ध्यान रखना।
जब दीदी ने अगली बार कहा तो मैं खुश हो गया. इसका मतलब अब दीदी की चूत मुझे अगली बार भी मिलने वाली थी.
दीदी बोली- अब खटिया सही कर ले और हम भाई-बहन की तरह ही सो जाते हैं.
जब हम उठने लगे तो मेरी नज़र दीदी की चूत पर से बह रहे खून पर पड़ी.
मैंने कहा- दीदी ये खून!
वो बोली- कुछ नहीं है भाई, बस मेरी सील टूट गई है. मैं तेरे से कई साल बड़ी हूं, तुझे इन सब बातों के बारे में अभी नहीं पता है. इसमें तेरी कोई गलती नहीं है.
फिर हमने उठ कर अपने गुप्तांगों को साफ किया और कपड़े पहन कर सोने लगे. हम दोनों धीमी आवाज़ में ही बात कर रहे थे. सुबह जब मैं उठा तो दीदी खेत पर जा चुकी थी. मुझे बड़ा मजा आया इस चुदाई में. उसके बाद तो दीदी की चूत चुदाई का ये सिलसिला शुरू ही हो गया.
अब मैं भी शहर में अप-डाउन करके नौकरी पर जाने लगा. हम दोनों दिन भर मेहनत करने लगे. दीदी खेत पर काम करती थी और मैं नौकरी करने लगा था. फिर रात को हम भाई-बहन चुदाई का मजा लेते और सो जाते. हम दोनों ही खुश रहने लगे थे.
इस भाई-बहन के रिश्ते की आड़ में मैं दीदी को कई बार मूवी दिखाने भी लेकर चला जाता था. हम दोनों शहर में जाकर खूब मस्ती करते थे.
मैंने दीदी की चूत पर लंड को लगाया और अंदर डालने की कोशिश करने लगा लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था. दीदी ने अपने मुंह से थूक निकाला और मेरे लंड पर मल दिया. फिर जब लंड चिकना हो गया तो दीदी ने धक्का लगाने का इशारा किया.
आंखें बंद करके मैंने भी पूरी ताकत से एक धक्का लगाया और मेरा रामपुरी लंड जियरा दीदी की चूत को चीरता हुआ अंदर समा गया. दीदी दर्द से कांप उठी.
मैंने उनकी हालत देखी और रुक कर उनके सिर और पीठ पर हाथ फेर कर उन्हें सामान्य होने दिया. जब दीदी थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा. अब दीदी के चेहरे पर भी आनंद नजर आ रहा था.
अब मेरा मन कर रहा था कि दीदी की पोजीशन बदलवा दूं लेकिन लंड चूसने की बात पर दीदी मुझसे गुस्सा हो गई थी इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा.
दीदी भी अपने पैर मेरी कमर के पीछे लॉक करके हर धक्के का आनंद ले रही थी। इसी पोजीशन में मैंने लगभग काफी देर तक दीदी को चोदा। हम दोनों पसीने से भीग गये थे।
मेरे धक्के तेज हो गये और हम दोनों का शरीर अब अकड़ने लगा था. मैंने बिना कुछ बोले अपना पानी दीदी की चूत में छोड़ दिया और साथ में दीदी भी झड़ गयी। अपनी दीदी की चूत के गर्म पानी का लंड पर जो अहसास मुझे उस समय मिल रहा था वो तो मेरे जैसा बहनचोद ही समझ सकता था.
चुदाई करने के बाद हम दोनों एकदम निढ़ाल से हो गये थे. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में था और मैं उसके मम्मों से खेल रहा था.
तब दीदी बोली- प्रतीक तुझे पता नहीं है क्या, इस तरह से तूने जो मेरी चूत के अंदर अपना पानी छोड़ दिया है उससे मैं प्रेग्नेंट हो सकती हूँ.
मैं- तो अब क्या होगा दीदी?
दीदी- कुछ नहीं, कल में बाजार से गर्भनिरोधी गोली ला कर खा लूंगी लेकिन अगली बार ध्यान रखना।
जब दीदी ने अगली बार कहा तो मैं खुश हो गया. इसका मतलब अब दीदी की चूत मुझे अगली बार भी मिलने वाली थी.
दीदी बोली- अब खटिया सही कर ले और हम भाई-बहन की तरह ही सो जाते हैं.
जब हम उठने लगे तो मेरी नज़र दीदी की चूत पर से बह रहे खून पर पड़ी.
मैंने कहा- दीदी ये खून!
वो बोली- कुछ नहीं है भाई, बस मेरी सील टूट गई है. मैं तेरे से कई साल बड़ी हूं, तुझे इन सब बातों के बारे में अभी नहीं पता है. इसमें तेरी कोई गलती नहीं है.
फिर हमने उठ कर अपने गुप्तांगों को साफ किया और कपड़े पहन कर सोने लगे. हम दोनों धीमी आवाज़ में ही बात कर रहे थे. सुबह जब मैं उठा तो दीदी खेत पर जा चुकी थी. मुझे बड़ा मजा आया इस चुदाई में. उसके बाद तो दीदी की चूत चुदाई का ये सिलसिला शुरू ही हो गया.
अब मैं भी शहर में अप-डाउन करके नौकरी पर जाने लगा. हम दोनों दिन भर मेहनत करने लगे. दीदी खेत पर काम करती थी और मैं नौकरी करने लगा था. फिर रात को हम भाई-बहन चुदाई का मजा लेते और सो जाते. हम दोनों ही खुश रहने लगे थे.
इस भाई-बहन के रिश्ते की आड़ में मैं दीदी को कई बार मूवी दिखाने भी लेकर चला जाता था. हम दोनों शहर में जाकर खूब मस्ती करते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.