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Incest बहन के जिस्म का पहला स्पर्श
#11
मैं- सब मंजूर है, बताइये क्या शर्त है?
दीदी- इस कमरे की बात बाहर नहीं जानी चाहिये और मेरी मर्जी के खिलाफ कुछ भी नहीं किया जायेगा। मंजूर है?
मैं- अरे मेरी जान सब मंजूर है।

इतना सुनते ही मैं उन की खटिया में कूद गया और उन पर टूट पड़ा; चुम्बनों की बारिश कर दी मैंने … और दीदी भी अच्छा सहकार दे रही थी। दोनों बहन भाई पूरे गर्म हो चुके थे।
अब मम्मे दबाने की बारी थी। मैंने दीदी की टी-शर्ट उतार दी. मैं दीदी की ब्रा के ऊपर से मम्मे दबा रहा था और मेरी जीभ उनके मुंह में टटोल रही थी. एक हाथ से मैं बहन की चूत को सहला रहा था।

थोड़ी देर मम्मे सहलाने के बाद मैंने खड़ा होकर अपनी पैंट निकाल ली. मेरा सात इंच का लंड तन कर बेहाल हो रहा था. मैंने अपने बेकाबू से लंड को दीदी के हाथ में पकड़ा कर दीदी को चूसने का इशारा किया तो दीदी ने खड़ी होकर मुझे जोरदार तमाचा मारा और कहा- बहनचोद, मैं रंडी हूं क्या जो तू मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोल रहा है?

दीदी की इस बात पर मुझे गुस्सा आया लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं क्योंकि बना बनाया काम बिगड़ सकता था. मैं चुपचाप अपने कपड़े वापस पहनने लगा तो दीदी घबरा सी गई. अब मुझे पता चल गया था कि आग दोनों तरफ ही बराबर की लगी हुई थी.
वो बोली- सॉरी, गुस्से में डांट दिया मैंने, बुरा क्यों मान रहा है?
मैंने कहा- गलती तो मुझसे हो गई है लेकिन अब मैं आपके साथ कुछ नहीं करूंगा.

मैं अपनी पैंट को वापस पहनने लगा. मेरा लंड तो कह रहा था कि आज तो दीदी की चूत मार ही ले लेकिन मैं दीदी को परखना चाह रहा था कि वो भी मेरे लंड को लेना चाहती है या नहीं.

जब मैं पैंट पहन रहा था तो दीदी मेरे कच्छे में तने हुए मेरे लौड़े की तरफ ही देख रही थी. उसकी चूत भी शायद मेरे लंड को लेकर अपने अंदर की गर्मी को शांत करने के लिए उससे माफी मंगवा रही थी.

मगर मैंने भी अपना नखरा जारी रखा. पैंट पहनने के बाद मैंने अपने तने हुए लंड को अपनी पैंट में एडजस्ट करने का दिखावा सा किया. मैं जानबूझकर दीदी के सामने बार-बार अपने खड़े हुए लंड को हाथ लगा रहा था. मैं जितनी बार भी अपने लंड को हाथ लगा रहा था तो दीदी अपना मन मसोस कर रह जाती थी. वह अपने मुंह से गुस्से में निकली डांट पर अब शायद पछता रही थी. उसको लगने लगा था कि मेरा गर्म लौड़ा अब उसकी चूत को शायद नहीं मिल पायेगा.

इसलिए कुछ देर पहले वो इतने गुस्से में थी और अब वो मुझसे खुद ही माफी मांग रही थी. मैं भी दीदी को और झुकाना चाह रहा था. मैंने अपनी शर्ट भी पहननी शुरू कर दी.

दीदी को लगा कि अब मैं उसकी बात नहीं मानने वाला. उसके चेहरे पर दुविधा के भाव मैं देख सकता था. एक तो उसकी चूत में मैंने आग लगा दी थी और अब मैं बिना लंड दिये ही उसको गर्म करके छोड़ रहा था. इसलिए वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे मनाये. उसने गुस्से में मुझे डांट तो दिया लेकिन अब उसको बात संभालनी मुश्किल हो रही थी.

मैंने अब तक शर्ट और पैंट दोनों ही पहन ली थी. मैं पूरा दिखावा कर रहा था कि मैं अब उसकी चूत को हाथ नहीं लगाने वाला. फिर जब उससे कुछ भी न होते बना तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मेरी दीदी बोली- मेरे भाई, जिस हाथ से तुझे राखी बांधी उसी से मैंने तुझे तमाचा मार दिया. मुझे माफ कर दे. आज अपनी बहन की चूत का भोसड़ा बना दे. नानी याद करा दे इसे!

दीदी के ऐसा कहते ही मैंने फिर से अपने कपड़े उतारे और उसके भी कपड़े उतारे. फिर उसकी चूत को चाटने लगा. मेरी जीभ जब दीदी की चूत पर लगी तो वो बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज को दबा पा रही थी. अगर उसकी सिसकारियों से कोई जाग जाता तो हमारी खैर नहीं थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बहन के जिस्म का पहला स्पर्श - by neerathemall - 13-09-2021, 05:56 PM



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