13-09-2021, 05:56 PM
बात तीन साल पहले की है जब मैं 18 साल का था और दीदी 22 साल की थी। उन दिनों मैं 12वीं की पढ़ाई खत्म करके कामाचलाऊ नौकरी ढूंढ रहा था। रोज काम की तलाश में जाता था और घर वापस आ जाता था. उन दिनों मम्मी-पापा ऊपर के कमरे में सोते थे और हम दोनों भाइ-बहन नीचे कमरे में कुंडी लगाकर सोते थे।
उस रात मैं चादर ओढ़ कर अन्तर्वासना की कहानी पढ़ रहा था और जियरा दीदी जैसे घोड़े बेच कर सो रही थी। उन्होंने काले रंग का टी-शर्ट और पतली ढीली हेरम पहन रखी थी। हमारी खटिया बिल्कुल नजदीक ही थी और नाइट लेम्प की रोशनी में उनके सुडौल स्तन और गांड बहुत प्यारे लग रहे थे।
दीदी की कमसिन जवानी देख कर और कहानी पढ़ कर मुझे मुठ मारने का बड़ा मन कर रहा था लेकिन सोच रहा था कि अगर उठ कर गया तो दीदी जग जायेगी. दीदी जाग जायेगी इस ख्याल से मैं लंड को हाथ में पकड़ कर चुपचाप सोता रहा।
इतने में दीदी ने करवट बदली और सीधी लेट कर सोने लगी। इससे उनकी चूत का गुब्बारा बिल्कुल मेरी आंखों के सामने आ गया. अब मैं चाह कर भी अपने आप को रोक नहीं पाया और नींद में हाथ उठाने का नाटक करते हुए मैंने उनकी चूत पर हाथ रख दिया. दीदी तो नींद में थी. मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं चूत के सुराख को हेरम के ऊपर से ही सहलाने लगा.
मेरी इस हरकत पर दीदी थोड़ी सी हिली और उसने मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया. अब मेरे अंदर की वासना की आग भड़क उठी थी. मैंने वापस वही हरकत की.
इस बार दीदी धीरे से बोल पड़ी- प्रतीक, भाई और बहन के बीच ये सब नहीं होता.
दीदी ने इतना तो कहा लेकिन अपनी चूत से मेरा हाथ नहीं हटाया.
मैंने नींद में ही बड़बड़ाने का नाटक करते हुए कहा- दीदी प्लीज, एक बार करने दो न।
दीदी बोली- अगर करना ही है तो मर्द की तरह कर, ऐसे बुजदिल बन कर क्यों कर रहा है.
मैंने अब होश संभालते हुए कहा- दीदी आप सच में मुझे करने दोगी?
वो बोली- हट बदमाश, मैं तो तुझे जगाने के लिए ऐसा कह रही थी. ये सब तू अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ही करना. मैं तुझे अपनी नहीं देने वाली।
मैंने कहा- दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेन्ड नहीं है. मैं ये सब किसके साथ करूं?
दीदी बोली- तो ढूंढ ले।
मैंने कहा- कोई भी नहीं मिल रही।
दीदी बोली- अगर कोई नहीं मिल रही तो बहनचोद बनेगा क्या?
मैं- आप हो ही इतनी प्यारी कि बहनचोद बनने का मन कर रहा है।
दीदी- चल झूठा।
मैं- सच में दीदी, आज की रात सिर्फ एक बार मुझे मेरी ख्वाहिश पूरी कर लेने दो प्लीज!
दीदी- चल ठीक है, लेकिन मेरी एक शर्त है!
उस रात मैं चादर ओढ़ कर अन्तर्वासना की कहानी पढ़ रहा था और जियरा दीदी जैसे घोड़े बेच कर सो रही थी। उन्होंने काले रंग का टी-शर्ट और पतली ढीली हेरम पहन रखी थी। हमारी खटिया बिल्कुल नजदीक ही थी और नाइट लेम्प की रोशनी में उनके सुडौल स्तन और गांड बहुत प्यारे लग रहे थे।
दीदी की कमसिन जवानी देख कर और कहानी पढ़ कर मुझे मुठ मारने का बड़ा मन कर रहा था लेकिन सोच रहा था कि अगर उठ कर गया तो दीदी जग जायेगी. दीदी जाग जायेगी इस ख्याल से मैं लंड को हाथ में पकड़ कर चुपचाप सोता रहा।
इतने में दीदी ने करवट बदली और सीधी लेट कर सोने लगी। इससे उनकी चूत का गुब्बारा बिल्कुल मेरी आंखों के सामने आ गया. अब मैं चाह कर भी अपने आप को रोक नहीं पाया और नींद में हाथ उठाने का नाटक करते हुए मैंने उनकी चूत पर हाथ रख दिया. दीदी तो नींद में थी. मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं चूत के सुराख को हेरम के ऊपर से ही सहलाने लगा.
मेरी इस हरकत पर दीदी थोड़ी सी हिली और उसने मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया. अब मेरे अंदर की वासना की आग भड़क उठी थी. मैंने वापस वही हरकत की.
इस बार दीदी धीरे से बोल पड़ी- प्रतीक, भाई और बहन के बीच ये सब नहीं होता.
दीदी ने इतना तो कहा लेकिन अपनी चूत से मेरा हाथ नहीं हटाया.
मैंने नींद में ही बड़बड़ाने का नाटक करते हुए कहा- दीदी प्लीज, एक बार करने दो न।
दीदी बोली- अगर करना ही है तो मर्द की तरह कर, ऐसे बुजदिल बन कर क्यों कर रहा है.
मैंने अब होश संभालते हुए कहा- दीदी आप सच में मुझे करने दोगी?
वो बोली- हट बदमाश, मैं तो तुझे जगाने के लिए ऐसा कह रही थी. ये सब तू अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ही करना. मैं तुझे अपनी नहीं देने वाली।
मैंने कहा- दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेन्ड नहीं है. मैं ये सब किसके साथ करूं?
दीदी बोली- तो ढूंढ ले।
मैंने कहा- कोई भी नहीं मिल रही।
दीदी बोली- अगर कोई नहीं मिल रही तो बहनचोद बनेगा क्या?
मैं- आप हो ही इतनी प्यारी कि बहनचोद बनने का मन कर रहा है।
दीदी- चल झूठा।
मैं- सच में दीदी, आज की रात सिर्फ एक बार मुझे मेरी ख्वाहिश पूरी कर लेने दो प्लीज!
दीदी- चल ठीक है, लेकिन मेरी एक शर्त है!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.