12-09-2021, 12:13 AM
मेरी रूपाली दीदी किचन में से गुस्से में निकली और मेरे जीजू की तरफ देखते हुए अजीब नजरों से: यह ठाकुर साहब भी ना.... अजीब किस्म के मर्द है... उनका ही घर है फिर भी उनको नहीं पता होता है तो उनकी चीजें कहां पर है... और फिर ठाकुर साहब के बेडरूम में चली गई..
साथ ही साथ मेरी बहन ने दरवाजा भी थोड़ा और बंद कर लिया उस बेडरूम का.. पूरा बंद नहीं... मैं और मेरे जीजू उस दरवाजे की तरफ देख रहे थे... हैरान होकर...
थोड़ी देर में मेरी बहन बेडरूम से बाहर निकल कर आ गई.. मेरे जीजू के मन में जो शंका पैदा हुई थी शायद वह दूर हो गई थी... पर मुझे तो अच्छी तरह पता था कि इस घर में क्या खिचड़ी पक रही है... मैंने कुछ भी बोलना ठीक नहीं समझा उस वक्त किसी को भी...
हम सब ने साथ मिलकर ब्रेकफास्ट किया... ठाकुर साहब की निगाहें बार-बार में मेरी रुपाली दीदी के ऊपर ही जा रही थी... दीदी उनकी तरफ नहीं देख रही थी जानबूझकर.. उनका पति और उनका भाई जो सामने बैठा हुआ था...
वैसे तो ठाकुर साहब डरते तो किसी से भी नहीं थे.. पर फिर भी उनके अंदर कुछ मर्यादा और कुछ शर्म बची हुई थी... ब्रेकफास्ट के बाद ठाकुर साहब अपने बेडरूम में चले गय... मेरी रूपाली दीदी भी मेरे जीजू को उनके व्हीलचेयर पर घसीटते हुए उनके बेडरूम में ले गई और किसी तरह से उठाकर उनको बेड पर लिटा दि... फिर अपनी एक कॉटन की साड़ी और चोली लेकर बाथरूम में चली...
थोड़ी देर बाद मेरी रूपाली दीदी बाथरूम से बाहर निकली अपनी कॉटन की साड़ी और पुरानी चोली पहनकर...
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली... तुमने अपनी साड़ी क्यों चेंज कर दी.. बहुत अच्छी लग रही थी तुम तो उस साड़ी में...
मेरी रुपाली दीदी: क्या करूं जी.... आप तो जानते ही हो ना कि मेरे पास सिर्फ दो तीन अच्छी साड़ियां है.... अभी घर के इतने सारे काम करने हैं है हमको...
साड़ी खराब ना हो जाए इसलिए उसको बदलकर मैंने नई साड़ी पहन ली है... अब आप आराम करो.. ज्यादा मत सोचो..
मेरी रुपाली दीदी की बातें सुनकर मेरे जीजू की आंखों में आंसू आ गए ... वह रोने लगे... रुपाली मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर पाया ना... बोलते हुए उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... उनके होंठों को चूमते हुए मेरी दीदी ने कहा: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूं... बस आप रोना बंद कीजिए..
मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू के चेहरे को अपने दोनों छातियों के बीच में दबा लिया... मेरे जीजा जी की आंखों के आंसू बंद होने लगे थे... मेरी दीदी ने उनको बिस्तर पर अच्छे से लेटा दिया...
मेरी रुपाली दीदी: आप इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं.. सब ठीक हो जाएगा धीरे-धीरे... भगवान पर भरोसा रखिए...
मेरे जीजू को सुलाने के बाद दीदी किचन में चली गई काम करने के लिए...
साथ ही साथ मेरी बहन ने दरवाजा भी थोड़ा और बंद कर लिया उस बेडरूम का.. पूरा बंद नहीं... मैं और मेरे जीजू उस दरवाजे की तरफ देख रहे थे... हैरान होकर...
थोड़ी देर में मेरी बहन बेडरूम से बाहर निकल कर आ गई.. मेरे जीजू के मन में जो शंका पैदा हुई थी शायद वह दूर हो गई थी... पर मुझे तो अच्छी तरह पता था कि इस घर में क्या खिचड़ी पक रही है... मैंने कुछ भी बोलना ठीक नहीं समझा उस वक्त किसी को भी...
हम सब ने साथ मिलकर ब्रेकफास्ट किया... ठाकुर साहब की निगाहें बार-बार में मेरी रुपाली दीदी के ऊपर ही जा रही थी... दीदी उनकी तरफ नहीं देख रही थी जानबूझकर.. उनका पति और उनका भाई जो सामने बैठा हुआ था...
वैसे तो ठाकुर साहब डरते तो किसी से भी नहीं थे.. पर फिर भी उनके अंदर कुछ मर्यादा और कुछ शर्म बची हुई थी... ब्रेकफास्ट के बाद ठाकुर साहब अपने बेडरूम में चले गय... मेरी रूपाली दीदी भी मेरे जीजू को उनके व्हीलचेयर पर घसीटते हुए उनके बेडरूम में ले गई और किसी तरह से उठाकर उनको बेड पर लिटा दि... फिर अपनी एक कॉटन की साड़ी और चोली लेकर बाथरूम में चली...
थोड़ी देर बाद मेरी रूपाली दीदी बाथरूम से बाहर निकली अपनी कॉटन की साड़ी और पुरानी चोली पहनकर...
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली... तुमने अपनी साड़ी क्यों चेंज कर दी.. बहुत अच्छी लग रही थी तुम तो उस साड़ी में...
मेरी रुपाली दीदी: क्या करूं जी.... आप तो जानते ही हो ना कि मेरे पास सिर्फ दो तीन अच्छी साड़ियां है.... अभी घर के इतने सारे काम करने हैं है हमको...
साड़ी खराब ना हो जाए इसलिए उसको बदलकर मैंने नई साड़ी पहन ली है... अब आप आराम करो.. ज्यादा मत सोचो..
मेरी रुपाली दीदी की बातें सुनकर मेरे जीजू की आंखों में आंसू आ गए ... वह रोने लगे... रुपाली मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर पाया ना... बोलते हुए उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... उनके होंठों को चूमते हुए मेरी दीदी ने कहा: मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूं... बस आप रोना बंद कीजिए..
मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू के चेहरे को अपने दोनों छातियों के बीच में दबा लिया... मेरे जीजा जी की आंखों के आंसू बंद होने लगे थे... मेरी दीदी ने उनको बिस्तर पर अच्छे से लेटा दिया...
मेरी रुपाली दीदी: आप इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं.. सब ठीक हो जाएगा धीरे-धीरे... भगवान पर भरोसा रखिए...
मेरे जीजू को सुलाने के बाद दीदी किचन में चली गई काम करने के लिए...