20-04-2019, 10:35 AM
मंडप की रात
तो जब रात को शादी का समय था , मैं जान बूझ कर खूब टाइट सूट पहन कर कर बैठी थी , मुझे विश्वास था , वो आएगा।
और वो आया , सीधे दूल्हे के बगल में एकदम सामने ,... और एक बार फिर टकटकी लगा कर मुझे देखता ,
मेरी चुन्नी जो थोड़ा बहुत उभारों पर थी , एक बदमाश भाभी ने एकदम मेरे गले से चिपका दी और बोलीं ,
"यार इत्ते मस्त मस्त लौंडे हैं सामने चला अपनी दुनाली।"
पर उसको एकटक मेरी ओर देखते हुए दूसरी भौजाई ने नोटिस किया तो छेड़ते हुए बोलीं ,
" यार कोमलिया , तेरी दुनाली तो कस के चल गयी , ये बेचारा तो गया। "
मुझे तो मालूम था जब से मैंने बीड़ा उसे मारा था तभी से उस बेचारे का काम तमाम हो गया था।
मैं ढोलक सम्हाले थी , ... और गाँव की शादी हो तो गारियाँ न हो , ... और वो भी खुल्लम खुल्ला वाली ,
कुछ देर के बाद मेरी एक भौजाई बोली , सुन कोमलिया , अरे वो जरा अपने वाले को तो सुना दे ,... मैं क्यों मौक़ा चुकती , मैंने उसका नाम तो मालूम ही कर लिया था , बस चालू हो गयी , ...
आनंद की बहना बिकै कोई ले लो , …
इकन्नी में ले लो , दुअन्नी में ले लो ,
अरे जिया जर जाए जाए चवन्नी में ले लो ,..
और पहली बार मैंने उन्हें मुस्कराते देखा, ...
फिर तो मैंने एक और...
बिन बदरा के बिजुरिया कहाँ चमकी,
आनंद के बहिनी के गाल चमके,
चोली में दोनों अनार झलके ,
जांघिया के बिचवा दरार झलके ,
लेकिन दो चार के बाद, कोई बारात की लड़की बोली , इन्ही से , ...
‘ क्या भइया आप वाली तो एकदम बिना मिर्च के ,’
( मेरी शादी के बाद मुझे पता चला नाम उसका , मिली इनकी चचेरी बहन )
और मेरी एक भौजाई आ गयीं मेरा साथ देने, ...
फिर तो असली मिर्च वाली ,...
' चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में बोया था गन्ना ,
आंनद की बहना को ले गया बभना , दबावै दोनों जोबना , चने के खेत में ,...
चने के खेत में बोई थी राई , आनंद की बहना की हुयी चुदाई , चने के खेत में
चने के खेत में पड़ा था रोड़ा , आनंद की बहना को ले गया घोडा ,
घोंट रही लौंडा चने के खेत में ,... "
और वो भी नान स्टाप ,
ऊँचे चबूतरा पे बैठे आंनद राजा करें अपनी बहिनी का मोल ,
अरे बड़की का मांगे पांच रुपैय्या , अरे छुटकी हमार अनमोल।
रात भर ,
और उनकी निगाह बस मेरे ऊपर ,...
मेरे गाने , इनकी भीगी भीगी मुस्कान , नीम निगाहें ,
कभी खुल कर कभी छिप छिप कर चलता चार आँखों का खेल
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारे जाने है ,
जाने न जाने गुल ही न जाने , बाग़ तो सारा जाने है।
सुबह सुबह जब बाराती वापस चले गए , दुलहा कोहबर में ( तीन दिन की बारात थी , विदाई अगले दिन होनी थी ) और मुंह अँधेरे ,
मैं निकली किसी काम के लिए घर से बाहर तो ,...
वो ,...
अभी अँधेरा छाया ही था ,... मेरा दिल धक् से रहा गया ,
मुझे लगा की मैंने इन्हे इतनी खुल के कहीं बुरा तो नहीं लगा ,...
या क्या पता अब इन्होने हिम्मत जुटा ली हो और ,...
ऐसी बात नहीं की इसके पहले लड़के मेरे पीछे नहीं पड़े थे , ...
लेकिन मैंने तय कर लिया था मैं लिफ्ट उसी को दूंगी , जिस को देख के मेरे दिल में घंटी बजे ,..
और कल जब बीड़ा मारते समय इस लड़के को देखा था तब से ,... घंटी नहीं , घंटा बज रहा था ,... और पहली बार लग रहा था ,... आज ये कुछ भी कहेगा , ..
कुछ भी मांगेगा तो मैं मना नहीं करुँगी ,... कुछ भी मतलब कुछ भी ,...
मैंने बहुत लड़कों को लड़कियों के पीछे पड़ते देखा था , लेकिन इतना सीधा शर्मीला ,...
और माँगा भी क्या , बहुत हलके से बोला वो , इधर उधर देख कर , बहुत हलके से ,...
अगर आप बुरा न माने , ... आप का नाम ,...
गुस्सा भी आया और हंसी भी , लेकिन हंसी रोक कर मुस्कराकर उसे छेड़ते मैं बोली ,
" अबतक आप को तो पता ही चल गया होगा , ... मैंने तो आप का नाम पता कर लिया , और आपने मण्डप में सुना भी , ...
तो बस आप भी पता कर लीजिए मेरा नाम ,.. और नहीं मालूम कर पाइयेगा शाम तक ,
तो बस शाम को मैं बता दूंगी ,... पक्का प्रॉमिस ,... "
शाम को वो मिला , ...