31-08-2021, 06:32 AM
मेरी नींद करीब 4 बजे खुली तो सीधे बाथरूम जाकर अपने को साफ किया और नंगे ही वापस मालविका के बिस्तर पर आकर, उसके बगल में लेट गया था। मेरी हलचल से मालविका की भी नींद खुल गई। वह अपने को नग्न व मुझे बगल में नँगा पड़ा देख पहले तो चौकी लेकिन कुछ पल बाद जब पूरी चेतनता वापस आई तो लजा कर बाथरुम भाग गई। उसने वहां शावर लिया और तौलिया लपेट कर कमरे में वापस आई। वो तौलिए में लिपटी खुजराओ की गणिका लग रही थी। उसके शरीर से हो रहे स्पंदन ने मेरी इंद्रियों को फिर से जाग्रत कर दिया और मेरे लंड की धमनियों में फिर से रक्त बहने लगा। मुझसे रहा नही गया और मैं बिस्तर से उठ कर मालविका को बाहों में ले लिया। मेरा खड़ा हुआ लंड मालविका की जांघों पर अपने प्रणय का संकेत दे रहा था। मालविका मेरे सीने में अपना सर रख खड़ी रही और मैंने जोर से उसको अपने आलिंगन में बांध लिया। मैं उसे चूमने लगा और उसने भी कुछ पलों के बाद अपने ओंठो को मेरे ओंठो के लिए खोल दिये।
हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुये फिर बिस्तर पर आगये और वहां पहुंचते पहुंचते मालविका के शरीर से तौलिया भी अलग हो कर फर्श पर गिर गई थी। मैं उसकी चुंचियो निप्पल्स और चूत से छेड़छाड़ कर रहा था और मालविका भी उत्तेजित हो मेरे शरीर को अपने शरीर से रगड़ रही थी और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर हिला रही थी। हम दोनों ही कामुकता के ज्वार में बह रहे थे कि तभी, मेरा मोबाइल बजने लगा। इतनी सुबह फोन आता देख मैं चौंका, जब स्क्रीन देखी तो श्वेता का फोन था। मुझे मालविका को कामुकता की हालत में बिस्तर पर छोड़ना ठीक नही लगा तो मैंने मालविका को इशारे से चुप रहने को कहा और मोबाइल उठा लिया।
श्वेता ने घर के हालचाल लिए और अस्पताल में मेरे ससुर की हालत के बारे में बताया। उसने बताया कि उसका भाई 3/4 दिन में ओमान से भोपाल पहुंच जाएगा, वह तभी आएगी। मैंने भी उसे यहां सब ठीक है, चिंता न करने को कहा। अंत मे श्वेता ने पूछा," मालविका का ख्याल रख रहे हो?"
मैंने कहा," हाँ सब ठीक है मालविका का मै पूरा ख्याल रखे हुए हूँ |"
यह कहते हुए मेरा ठीला पड़ गया लंड फिर कड़ा होने लगा और मोबाइल कट गया। मालविका ने भी मेरे खड़े होते हुए लंड का महसूस कर लिया था लेकिन श्वेता की कॉल आने पर अपने को दो राहे पर खड़ी पारही थी। मैंने मालविका को अपनी बाहों में ले लिया और कहा, "कॉल आने से पहले भी हम तुम थे और उसके बाद भी है। हम दोनों वर्तमान है और इतने परिपक्व है कि सामाजिक बंधनो को कैसे सहेज कर रखना है या जानते है।"
उसके बाद मालविका मुझसे चिपट गई और हम लोग बिना कुछ और किये फिर से सो गए।
अगले दिन रविवार था इसलिए घर पर ही रहना था। ब्रेकफास्ट के समय मालविका थोड़ा चुप थी और घर मे नौकर होने के कारण मैं उससे ज्यादा बात करना भी उचित नही लगा। दोपहर को खाना खाने के बाद जब नौकर चले गए तो मैं मालविका के कमरे में गया, वह कमरा बन्द कर लेटी थी। मेरे खटखटाने पर उसने दरवाजा खोल दिया और मैं अंदर चला आया। मालविका मैक्सी पहने थी और मेरा मन उसको बाहों में लेने को हो रहा था लेकिन मालविका की दिन भर की चुप्पी देख कर आगे बढ़ने की हिम्मत नही हई। मालविका ने मुझसे कोई प्रश्न नही पूछा, बस बिस्तर पर बैठ गई और नीचे फर्श को देखने लगी। मुझे उसकी मनोस्थिति को देख कर आत्मग्लानि होने लगी थी लेकिन समझ नही आरहा था कि मालविका को किस तरह संभालूं। थोड़ी देर खड़ा होने के बाद मैं भी मालविका के बगल में बैठ गया। मैंने डरते डरते उसका हाथ छुआ और कहा,"मालविका, जो हुआ उसके लिए मैं शर्मिंदा नही हूँ और न तुम्हे होना चाहिए। यह शायद प्रारब्ध था और मैं इसको हमेशा नियति मान स्वीकारता रहूंगा।" मालविका ने इस बार मेरा हाथ नही झटका बस धीरे से पूछा," बिरजू(नौकर) काम खत्म करके वापस चला गया है क्या?"
मैने आंखों से इशारा किया की वह गया और दरवाज़े बन्द कर दिए है। यह समझा के मैने मालविका के कंधे पर हाथ रक्खा तो उसने अपना सर मेरी गोदी पर लुढ़का दिया।
मैंने और मालविका ने अगले 5 दिन, जब तक श्वेता वापस नही आई, जी भर कर चुदाई की। घर का कोई कोना ऐसा नही बचा था जहां उसने न चुदवाया हो। कोई उसकी ऐसी फैंटेसी नही बची थी जो उसने मेरे साथ पूर्ण न की हो। श्वेता के आने के बाद, मालविका हमारे साथ करीब 4 माह रही लेकिन हम दोनों ने कभी भी शारीरिक सम्बंध बनाने की कोशिश नही की। हम लोगों ने हंसी मज़ाक और जीजा साली के रिश्ते के खुलापन को जरूर आनंद लिया लेकिन कभी एकांत में मिलने के मौके को ढूढने की कोशिश नही की और न ही जब भी एकान्त का अवसर मिला, तो उस अवसर का उपयोग करना चाहा। अब मालविका, नोएडा में स्थापित हो गई है और उसने अपने पति के रेडीमेड गारमेंट्स के बिज़नेस को संभाल लिया है। मैं आज भी जब भी दिल्ली नोएडा जाता हूँ, मालविका से मुलाकात करता है। मेरे वहां पहुंचने पर, मालविका खुद ही एकांत का अवसर निकाल लेती है। वो वहां आज भी मेरी 60 वर्ष की आयु में वैसे ही मिलती है जैसे मालविका, मुझे आज से 14 वर्ष पूर्व, मेरे घर मे, अपने कमरे में मिली थी। मैं समझता हूँ यह उन 4 महीनों के संयम का परिणाम है कि हम दिनों के रिश्तों के बीच अभी भी जीवंतता बनी हुई है।
हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुये फिर बिस्तर पर आगये और वहां पहुंचते पहुंचते मालविका के शरीर से तौलिया भी अलग हो कर फर्श पर गिर गई थी। मैं उसकी चुंचियो निप्पल्स और चूत से छेड़छाड़ कर रहा था और मालविका भी उत्तेजित हो मेरे शरीर को अपने शरीर से रगड़ रही थी और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर हिला रही थी। हम दोनों ही कामुकता के ज्वार में बह रहे थे कि तभी, मेरा मोबाइल बजने लगा। इतनी सुबह फोन आता देख मैं चौंका, जब स्क्रीन देखी तो श्वेता का फोन था। मुझे मालविका को कामुकता की हालत में बिस्तर पर छोड़ना ठीक नही लगा तो मैंने मालविका को इशारे से चुप रहने को कहा और मोबाइल उठा लिया।
श्वेता ने घर के हालचाल लिए और अस्पताल में मेरे ससुर की हालत के बारे में बताया। उसने बताया कि उसका भाई 3/4 दिन में ओमान से भोपाल पहुंच जाएगा, वह तभी आएगी। मैंने भी उसे यहां सब ठीक है, चिंता न करने को कहा। अंत मे श्वेता ने पूछा," मालविका का ख्याल रख रहे हो?"
मैंने कहा," हाँ सब ठीक है मालविका का मै पूरा ख्याल रखे हुए हूँ |"
यह कहते हुए मेरा ठीला पड़ गया लंड फिर कड़ा होने लगा और मोबाइल कट गया। मालविका ने भी मेरे खड़े होते हुए लंड का महसूस कर लिया था लेकिन श्वेता की कॉल आने पर अपने को दो राहे पर खड़ी पारही थी। मैंने मालविका को अपनी बाहों में ले लिया और कहा, "कॉल आने से पहले भी हम तुम थे और उसके बाद भी है। हम दोनों वर्तमान है और इतने परिपक्व है कि सामाजिक बंधनो को कैसे सहेज कर रखना है या जानते है।"
उसके बाद मालविका मुझसे चिपट गई और हम लोग बिना कुछ और किये फिर से सो गए।
अगले दिन रविवार था इसलिए घर पर ही रहना था। ब्रेकफास्ट के समय मालविका थोड़ा चुप थी और घर मे नौकर होने के कारण मैं उससे ज्यादा बात करना भी उचित नही लगा। दोपहर को खाना खाने के बाद जब नौकर चले गए तो मैं मालविका के कमरे में गया, वह कमरा बन्द कर लेटी थी। मेरे खटखटाने पर उसने दरवाजा खोल दिया और मैं अंदर चला आया। मालविका मैक्सी पहने थी और मेरा मन उसको बाहों में लेने को हो रहा था लेकिन मालविका की दिन भर की चुप्पी देख कर आगे बढ़ने की हिम्मत नही हई। मालविका ने मुझसे कोई प्रश्न नही पूछा, बस बिस्तर पर बैठ गई और नीचे फर्श को देखने लगी। मुझे उसकी मनोस्थिति को देख कर आत्मग्लानि होने लगी थी लेकिन समझ नही आरहा था कि मालविका को किस तरह संभालूं। थोड़ी देर खड़ा होने के बाद मैं भी मालविका के बगल में बैठ गया। मैंने डरते डरते उसका हाथ छुआ और कहा,"मालविका, जो हुआ उसके लिए मैं शर्मिंदा नही हूँ और न तुम्हे होना चाहिए। यह शायद प्रारब्ध था और मैं इसको हमेशा नियति मान स्वीकारता रहूंगा।" मालविका ने इस बार मेरा हाथ नही झटका बस धीरे से पूछा," बिरजू(नौकर) काम खत्म करके वापस चला गया है क्या?"
मैने आंखों से इशारा किया की वह गया और दरवाज़े बन्द कर दिए है। यह समझा के मैने मालविका के कंधे पर हाथ रक्खा तो उसने अपना सर मेरी गोदी पर लुढ़का दिया।
मैंने और मालविका ने अगले 5 दिन, जब तक श्वेता वापस नही आई, जी भर कर चुदाई की। घर का कोई कोना ऐसा नही बचा था जहां उसने न चुदवाया हो। कोई उसकी ऐसी फैंटेसी नही बची थी जो उसने मेरे साथ पूर्ण न की हो। श्वेता के आने के बाद, मालविका हमारे साथ करीब 4 माह रही लेकिन हम दोनों ने कभी भी शारीरिक सम्बंध बनाने की कोशिश नही की। हम लोगों ने हंसी मज़ाक और जीजा साली के रिश्ते के खुलापन को जरूर आनंद लिया लेकिन कभी एकांत में मिलने के मौके को ढूढने की कोशिश नही की और न ही जब भी एकान्त का अवसर मिला, तो उस अवसर का उपयोग करना चाहा। अब मालविका, नोएडा में स्थापित हो गई है और उसने अपने पति के रेडीमेड गारमेंट्स के बिज़नेस को संभाल लिया है। मैं आज भी जब भी दिल्ली नोएडा जाता हूँ, मालविका से मुलाकात करता है। मेरे वहां पहुंचने पर, मालविका खुद ही एकांत का अवसर निकाल लेती है। वो वहां आज भी मेरी 60 वर्ष की आयु में वैसे ही मिलती है जैसे मालविका, मुझे आज से 14 वर्ष पूर्व, मेरे घर मे, अपने कमरे में मिली थी। मैं समझता हूँ यह उन 4 महीनों के संयम का परिणाम है कि हम दिनों के रिश्तों के बीच अभी भी जीवंतता बनी हुई है।