30-08-2021, 10:15 PM
अपडेट -5 contd....
अब ये गर्मी सहन से बाहर थी रूपवती अपनी एडियों के बल बैठ जाती है और पीछे हाथ ले जा के अपनी ब्रा का हुक खोल देती है
अब तांत्रिक भी बैचेन होने लगता है उसे कुछ देखना था, वो खजाना देखना था जो पर्दे के पीछे था.
टक.... कि आवाज़ के साथ ब्रा खुल के आगे को लटक जाती है परन्तु रूपवती उसे गिरने नहीं देती और एक हाथ से दोनों स्तन को ढक लेती है और एक हाथ सर के पीछे मदहोसी मे आंख बंद किये अपनी कांख को चाटने लगती है.
ऐसा शानदार नजारा तांत्रिक क्या उसके पूर्वज ने भी कभी नहीं देखा था.
तांत्रिक मन मे :- हे देवता ये स्त्री को समझ पाना भी कितना मुश्किल है, किसी ने सही कहाँ है जब कोई घरेलु औरत हवस, कामवासना पे उतर आये तो पत्थर तक़ पिघला दे.
रूपवती तांत्रिक कि आँखों मे देखती हुई धीरे धीरे अपने हाथ स्तन से हटा लेती है....
आअह्ह्ह.... क्या नजारा था मोटे मोटे सुडोल स्तन धम से तांत्रिक के सामने छलछला गये.
ये नजारा देखते ही तांत्रिक के लिंग ने एक जोरदार झटका मारा और वापस लटक गया.
इस बार लिंग कि ये हरकत रूपवती कि नजर मे आ गई थी.
वो समझ चुकी थी कि वो सही रास्ते पर है... उसे और आगे बढ़ना होगा उसकी मेहनत सफल हो रही है
अब रूपवती भी गरम थी हवस से भरपूर थी, वो अपने घुटने के बल हाथ आगे कर के चौपया हो जाती है, ऐसा करते ही उसके स्तन आगे को लटक जाते है जैसे कोई दुधारू कुतिया हो.
इसी स्थति मे रूपवती घुटनो के बल किसी कुतिया कि तरह जीभ अपने होंठों पे फेरती हुई तांत्रिक कि और बढ़ चलती है और एक दम करीब पहुंच कर अपने दोनों स्तन ऊपर को उठा कर तांत्रिक को दिखाती है
और बारी बारी एक एक स्तन को हाथो से ऊपर नीचे हिला हिला के मादक अदा दिखाती है.
तांत्रिक ऐसा नजारा देख के दंग रह जाता है उसे लगता है वो अपना कण्ट्रोल खो देगा.
इधर रूपवती खुद हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर पा रही है, लेकिन इसमें एक मजा था, एक कसक थी
रूपवती खुद अपनी हरकत से उत्तेजित होती जा रही थी.
अँधेरी गुफानूमा कमरे मे दिये कि मद्दम रौशनी मे आज कामवासना का खेल अपने चरम पे था.
उधर काली पहाड़ी रंगा बिल्ला के अड्डे पर भी नजारा कुछ कम नहीं था
मादकता चारो तरफ फैली थी शराब और चुत से निकले पानी कि खुसबू कमरे मे फ़ैल गई थी
हाफ़ती हुई रुखसाना को देख के रंगा मुस्कुराता है और उसके मुँह पे जा के बैठ जाता है.
रंगा:- चल रांड गांड चाट मेरी, ऐसा कह के अपनी गली गांड रुखसाना के होंठो पे रख देता है और उसके टट्टे रुखसाना कि नाक मे घुसे जाते है और लंड माथे पर टक्कर देता है
रुखसाना जो अभी अभी बुरी तरह झड़ी थी वो रंगा के लंड और गांड कि खुसबू पा के फिर उत्तेजित होने लगती है.
उसकी खास बात ही यही थी कि वो चुदाई से कभी थकती नहीं थी.
तुरंत अपनी जीभ निकल के रंगा कि गांड के छेद को कुरेदने लगती है बड़ा कसैला स्वाद था परन्तु उसे वो पसंद था.
इधर बिल्ला चिकेन खाने और दारू पिने मे बिजी था और किसी भैसे कि तरह पड़ा हुआ रंगा कि गांड चटाई देख रहा था.
अब रुखसाना ने अपनी जीभ तिकोनी के रंगा कि गांड मे घुसाने कि कोशिश कि.
रंगा :- वाह रांड वाह तेरा कोई जवाब नहीं चाटने मे भी उस्ताद और चाटवाने मे भी उस्ताद.
रुखसाना :- मालिक सब आप कि ही कृपा है, अपने ही जगाया है मेरे अंदर कि रांड को
रंगा का लंड उत्तेजना मे पत्थर कि तरह कड़क हो जाता है और उछाल उछाल के रुखसाना के माथे पे चोट करने लगता है.
अब रुखसाना रंगा के टट्टे मुँह मे भर के चूस राही थी.
बिल्ला :- रांड मेरा भी चूस ले, या आज रंगा को ही पीयेगी. हाहाहाहाहा
इतना बोल के जमीन पे लेती रुखसाना के मुँह के पास आ के बैठ जाता है और अपने लंड कि चोट उसके गालो पे करने लगता.
रंगा अपना लंड रुखसाना के मुँह मे ठूस देता है बिल्ला भी कहाँ पीछे रहने वाला था
बिल्ला :- ले रांड मेरा लंड भी ले मुँह मे
अब रुखसाना के लिए एक लंड लेना ही मुश्किल था दो दो कैसे घुसाती मुँह मे, फिर भी कोशिश करती है और दोनों लंडो को पकड़ के एक साथ चाटने लगती है
रंगा एक हाथ पीछे ले जा के चुत के दाने से खेलने लगता है.
उत्तेजना और लज्जत कि वजह से रुखसाना हद से ज्यादा मुँह खोलती है और एक साथ दोनों लंड को अंदर ले लेती है.
अब हालात ये थे कि रंगा अपना लंड थोड़ा बाहर निकलता तो बिल्ला अपना भारी लंड गले टक ठूस देता, फिर बिल्ला लंड बाहर खींचता तो रंगा अपना भयंकर लंड जड़ तक़ थोक देता.
कमरे मे गु गु गुमममम फच फच कि आवाज़ गूंज रही थी. रुखसाना के मुँह से ढेर सारा थूक निकल निकल के फर्श पे गिरता जा रहा था.
रंगा लगातार रुखसाना कि चुत पे हाथ चलाये जा रहा था दोनों ही कोई रहम दिखाने के मूड मे नहीं थे
तीनो ही परम आनद कि चरम सीमा पे थे.
करीबन आधे घंटे हो गये थे मुख चुदाई को अब रंगा बिल्ला झड़ने वाले थे.
धप घप घप.... आअह्ह्ह आअह्ह्ह
हुंकार भरते हुए रंगा बिल्ला स्खालित होने लगे, मारे उत्तेजना के दोनों ने एक साथ ही अपना लंड रुखसाना के गले मे झाड तक़ ठूस दिया दोनों के टट्टे बुरी तरह रुखसाना के चेहरे पे दब गये थे.
भल भला के दोनों का वीर्य रुखसाना के गले और मुँह मे भरने लगा... एक मिनट तक़ दोनों ही अपने टट्टो को खाली करते रहे.
पूरी तरह खाली होने के बाद दोनों रुखसाना के अजूबाजू ढह जाते है.
रुखसाना खासती घरघारती बेचैनी से पेट के बल पलट जाती है, उसकी सांसे किसी धोकनी कि तरह चल रही थी सारा वीर्य उसके पेट मे जा चूका था एक बून्द भी व्यर्थ नहीं गया था.
रुखसाना तो वीर्य पी चुकी थी.
क्या रूपवती भी वीर्य पी पायेगी?
बने रहिये..... रूपवती कि अदाओ के साथ जल्दी मिलेंगे
अब ये गर्मी सहन से बाहर थी रूपवती अपनी एडियों के बल बैठ जाती है और पीछे हाथ ले जा के अपनी ब्रा का हुक खोल देती है
अब तांत्रिक भी बैचेन होने लगता है उसे कुछ देखना था, वो खजाना देखना था जो पर्दे के पीछे था.
टक.... कि आवाज़ के साथ ब्रा खुल के आगे को लटक जाती है परन्तु रूपवती उसे गिरने नहीं देती और एक हाथ से दोनों स्तन को ढक लेती है और एक हाथ सर के पीछे मदहोसी मे आंख बंद किये अपनी कांख को चाटने लगती है.
ऐसा शानदार नजारा तांत्रिक क्या उसके पूर्वज ने भी कभी नहीं देखा था.
तांत्रिक मन मे :- हे देवता ये स्त्री को समझ पाना भी कितना मुश्किल है, किसी ने सही कहाँ है जब कोई घरेलु औरत हवस, कामवासना पे उतर आये तो पत्थर तक़ पिघला दे.
रूपवती तांत्रिक कि आँखों मे देखती हुई धीरे धीरे अपने हाथ स्तन से हटा लेती है....
आअह्ह्ह.... क्या नजारा था मोटे मोटे सुडोल स्तन धम से तांत्रिक के सामने छलछला गये.
ये नजारा देखते ही तांत्रिक के लिंग ने एक जोरदार झटका मारा और वापस लटक गया.
इस बार लिंग कि ये हरकत रूपवती कि नजर मे आ गई थी.
वो समझ चुकी थी कि वो सही रास्ते पर है... उसे और आगे बढ़ना होगा उसकी मेहनत सफल हो रही है
अब रूपवती भी गरम थी हवस से भरपूर थी, वो अपने घुटने के बल हाथ आगे कर के चौपया हो जाती है, ऐसा करते ही उसके स्तन आगे को लटक जाते है जैसे कोई दुधारू कुतिया हो.
इसी स्थति मे रूपवती घुटनो के बल किसी कुतिया कि तरह जीभ अपने होंठों पे फेरती हुई तांत्रिक कि और बढ़ चलती है और एक दम करीब पहुंच कर अपने दोनों स्तन ऊपर को उठा कर तांत्रिक को दिखाती है
और बारी बारी एक एक स्तन को हाथो से ऊपर नीचे हिला हिला के मादक अदा दिखाती है.
तांत्रिक ऐसा नजारा देख के दंग रह जाता है उसे लगता है वो अपना कण्ट्रोल खो देगा.
इधर रूपवती खुद हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर पा रही है, लेकिन इसमें एक मजा था, एक कसक थी
रूपवती खुद अपनी हरकत से उत्तेजित होती जा रही थी.
अँधेरी गुफानूमा कमरे मे दिये कि मद्दम रौशनी मे आज कामवासना का खेल अपने चरम पे था.
उधर काली पहाड़ी रंगा बिल्ला के अड्डे पर भी नजारा कुछ कम नहीं था
मादकता चारो तरफ फैली थी शराब और चुत से निकले पानी कि खुसबू कमरे मे फ़ैल गई थी
हाफ़ती हुई रुखसाना को देख के रंगा मुस्कुराता है और उसके मुँह पे जा के बैठ जाता है.
रंगा:- चल रांड गांड चाट मेरी, ऐसा कह के अपनी गली गांड रुखसाना के होंठो पे रख देता है और उसके टट्टे रुखसाना कि नाक मे घुसे जाते है और लंड माथे पर टक्कर देता है
रुखसाना जो अभी अभी बुरी तरह झड़ी थी वो रंगा के लंड और गांड कि खुसबू पा के फिर उत्तेजित होने लगती है.
उसकी खास बात ही यही थी कि वो चुदाई से कभी थकती नहीं थी.
तुरंत अपनी जीभ निकल के रंगा कि गांड के छेद को कुरेदने लगती है बड़ा कसैला स्वाद था परन्तु उसे वो पसंद था.
इधर बिल्ला चिकेन खाने और दारू पिने मे बिजी था और किसी भैसे कि तरह पड़ा हुआ रंगा कि गांड चटाई देख रहा था.
अब रुखसाना ने अपनी जीभ तिकोनी के रंगा कि गांड मे घुसाने कि कोशिश कि.
रंगा :- वाह रांड वाह तेरा कोई जवाब नहीं चाटने मे भी उस्ताद और चाटवाने मे भी उस्ताद.
रुखसाना :- मालिक सब आप कि ही कृपा है, अपने ही जगाया है मेरे अंदर कि रांड को
रंगा का लंड उत्तेजना मे पत्थर कि तरह कड़क हो जाता है और उछाल उछाल के रुखसाना के माथे पे चोट करने लगता है.
अब रुखसाना रंगा के टट्टे मुँह मे भर के चूस राही थी.
बिल्ला :- रांड मेरा भी चूस ले, या आज रंगा को ही पीयेगी. हाहाहाहाहा
इतना बोल के जमीन पे लेती रुखसाना के मुँह के पास आ के बैठ जाता है और अपने लंड कि चोट उसके गालो पे करने लगता.
रंगा अपना लंड रुखसाना के मुँह मे ठूस देता है बिल्ला भी कहाँ पीछे रहने वाला था
बिल्ला :- ले रांड मेरा लंड भी ले मुँह मे
अब रुखसाना के लिए एक लंड लेना ही मुश्किल था दो दो कैसे घुसाती मुँह मे, फिर भी कोशिश करती है और दोनों लंडो को पकड़ के एक साथ चाटने लगती है
रंगा एक हाथ पीछे ले जा के चुत के दाने से खेलने लगता है.
उत्तेजना और लज्जत कि वजह से रुखसाना हद से ज्यादा मुँह खोलती है और एक साथ दोनों लंड को अंदर ले लेती है.
अब हालात ये थे कि रंगा अपना लंड थोड़ा बाहर निकलता तो बिल्ला अपना भारी लंड गले टक ठूस देता, फिर बिल्ला लंड बाहर खींचता तो रंगा अपना भयंकर लंड जड़ तक़ थोक देता.
कमरे मे गु गु गुमममम फच फच कि आवाज़ गूंज रही थी. रुखसाना के मुँह से ढेर सारा थूक निकल निकल के फर्श पे गिरता जा रहा था.
रंगा लगातार रुखसाना कि चुत पे हाथ चलाये जा रहा था दोनों ही कोई रहम दिखाने के मूड मे नहीं थे
तीनो ही परम आनद कि चरम सीमा पे थे.
करीबन आधे घंटे हो गये थे मुख चुदाई को अब रंगा बिल्ला झड़ने वाले थे.
धप घप घप.... आअह्ह्ह आअह्ह्ह
हुंकार भरते हुए रंगा बिल्ला स्खालित होने लगे, मारे उत्तेजना के दोनों ने एक साथ ही अपना लंड रुखसाना के गले मे झाड तक़ ठूस दिया दोनों के टट्टे बुरी तरह रुखसाना के चेहरे पे दब गये थे.
भल भला के दोनों का वीर्य रुखसाना के गले और मुँह मे भरने लगा... एक मिनट तक़ दोनों ही अपने टट्टो को खाली करते रहे.
पूरी तरह खाली होने के बाद दोनों रुखसाना के अजूबाजू ढह जाते है.
रुखसाना खासती घरघारती बेचैनी से पेट के बल पलट जाती है, उसकी सांसे किसी धोकनी कि तरह चल रही थी सारा वीर्य उसके पेट मे जा चूका था एक बून्द भी व्यर्थ नहीं गया था.
रुखसाना तो वीर्य पी चुकी थी.
क्या रूपवती भी वीर्य पी पायेगी?
बने रहिये..... रूपवती कि अदाओ के साथ जल्दी मिलेंगे