19-04-2019, 03:38 PM
मैंने सोचा की रिया का फ़ोन है ,
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सूनकर मैं फिरसे वास्तव में लौट आई.
पढाई का बहाना बना के मैंने जैसेतैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की,
आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिरसे फ़ोन बज उठा .
फिरसे मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."
मैं फिरसे निचे गई , फ़ोन उठाया और बड़े ही अनमने ढंगसे बोला
" हेलो कौन बोल रहा है ?"
उधरसे रिया की खनकती आवाज आई
" हेल्लो महक ..... वो कल वाली अर्जंट असाइनमेंट की तयारी के लिए मैं तुम्हारे घर आ रही हू...... मैं आज रात को वही सो जाउंगी और सवेरे वही से हम कॉलेज जायेंगे"
मैं सुनती ही रही,
वह क्या बोल रही थी ये पहले समझ नहीं आया ,
लेकिन मैं ताड़ गयी की उसने घर पे कोई बहाना बनया है .
मैं प्रकट में बोली " हा रिया मैं तो तुम्हारी राह देख रही थी ..... तुम कब तक आओगी?"
उसने बताया की वो खाना खाके ९ बजे तक पहुचने वाली है
मैं तो ख़ुशी के मारे दीवानी हो गई थी .
मैं भागते हुए किचन में गयी और मामी से बोली
"मामी जल्दीसे खाना लगादो...... बादमे मुझे बहोत पढना हैं"
मामी अचरज से मेरे इस बदले हूए रूप को देख रही थी.
मामीने हसकर बोला
"बैठ बेटा मैं अभी खाना परोसती हूँ."
खाना खाते खाते मैं मामी से बोली
" मामीजी .... मेरी सहेली रिया है न ........ वो रात को यहाँ आने वाली है ..."
मामी: "इतनी रत को ?"
मैं: "हा मामी हमें कल एक अर्जेंट असाइनमेंट देना है......
इस लिए काफी देर तक पढना पड़ेगा..."
मामी: " तो फिर रियासे बोल .... की वो यही सो जाए ....."
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सूनकर मैं फिरसे वास्तव में लौट आई.
पढाई का बहाना बना के मैंने जैसेतैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की,
आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिरसे फ़ोन बज उठा .
फिरसे मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."
मैं फिरसे निचे गई , फ़ोन उठाया और बड़े ही अनमने ढंगसे बोला
" हेलो कौन बोल रहा है ?"
उधरसे रिया की खनकती आवाज आई
" हेल्लो महक ..... वो कल वाली अर्जंट असाइनमेंट की तयारी के लिए मैं तुम्हारे घर आ रही हू...... मैं आज रात को वही सो जाउंगी और सवेरे वही से हम कॉलेज जायेंगे"
मैं सुनती ही रही,
वह क्या बोल रही थी ये पहले समझ नहीं आया ,
लेकिन मैं ताड़ गयी की उसने घर पे कोई बहाना बनया है .
मैं प्रकट में बोली " हा रिया मैं तो तुम्हारी राह देख रही थी ..... तुम कब तक आओगी?"
उसने बताया की वो खाना खाके ९ बजे तक पहुचने वाली है
मैं तो ख़ुशी के मारे दीवानी हो गई थी .
मैं भागते हुए किचन में गयी और मामी से बोली
"मामी जल्दीसे खाना लगादो...... बादमे मुझे बहोत पढना हैं"
मामी अचरज से मेरे इस बदले हूए रूप को देख रही थी.
मामीने हसकर बोला
"बैठ बेटा मैं अभी खाना परोसती हूँ."
खाना खाते खाते मैं मामी से बोली
" मामीजी .... मेरी सहेली रिया है न ........ वो रात को यहाँ आने वाली है ..."
मामी: "इतनी रत को ?"
मैं: "हा मामी हमें कल एक अर्जेंट असाइनमेंट देना है......
इस लिए काफी देर तक पढना पड़ेगा..."
मामी: " तो फिर रियासे बोल .... की वो यही सो जाए ....."