28-08-2021, 10:05 AM
अपडेट - 33
राज ने अपने बाबूराव को तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ के अंदर बाहर करते हुए कहा…उसकी बातें सुन कर मैं शरम से मरी जा रही थी…..पर वो मुझे चोदते हुए लगतार ऐसी-2 बातें बोल रहा था…जिसे सुन कर मैं शर्मिंदा होने के साथ-2 गरम भी होती जा रही थी….”डॉली तेरी फुदी आहह कितनी टाइट है….देख मेरे लंड को कैसे दबा रही है….साली तेरी फुद्दि अहह…..मज़ा आ रहा है ना मेरा लंड लेकर…..”
उसने मेरे होंटो के ऊपेर होन्ट रख दिए….और पूरी रफ़्तार से अपने बाबूराव को अंदर बाहर करने लगा….हर पल मैं और मदहोश होती जा रही थी….मेरी चुनमुनियाँ मे संकुचन और बढ़ चुका था….मैं झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी…उसके हर झटके के साथ मेरा पूरा बदन हिले जा रहा था…..उसने मेरी टाँगो को और ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया, और पूरे ज़ोर शॉरो से अपने बाबूराव को सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर मेरी फुददी मे ठोकने लगा….उसकी जांघे मेरे मोटे चुतड़ों पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….जिसे सुनते ही मेरी चुनमुनियाँ ने धुनकते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया….
झाड़ते हुए मैं इतनी मस्त हो गयी थी, कि मुझे पता ही नही चला कि, कब मेरे होन्ट खुल गये, और कब मेने उसे अपने होंटो को चूसने देना शुरू कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए इतने ज़ोर-2 से घस्से मारे कि, मेरी फुद्दि झाड़ते हुए और ज़यादा पानी बहाने लगी….और फिर कुछ और झटको के बाद वो भी मेरी चुनमुनियाँ मे ही झड़ने लगा…
झड़ने के बाद वो मेरे ऊपेर ढेर हो गया….वासना का नशा जब दिमाग़ से उतरा, तो डर ने घेर लिया…मैं उसके नीचे अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी हुई थी…अगर कही आरके उठ कर देख लेते तो मेरा क्या होता….पर मुझे उस वक़्त कहाँ पता था कि, जो सब हुआ था. वो पहले से ही प्लान्ड था…भाभी का भी इसमे हाथ था….ये बात तो मुझे बहुत देर बाद पता चला थी….खाने से पहले भाभी ने चाइ मे वही स्लीपिंग पिल्स डाल कर आरके को पिला दी थी……जो उन्होने अपनी राज की पहली चुदाई के वक़्त भैया को दी थी…..
थोड़ी देर बाद राज मेरे ऊपेर से उठा….और अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उठा कर किचिन से बाहर निकल गया…..मैं बदहवास सी उठी…अपनी नाइटी ठीक की और जब रूम मे पहुँची तो देखा कि, आरके अभी सो रहे थे…मैने अपने आप को बहुत कोसा बुरा भला कहा… दिल मे आया कि राज को जान से ही मार दूं….पर अब मैं उसके ऊपेर कोई इल्ज़ाम भी नही लगा सकती थी….
क्योंकि घर मे सब माजूद थे, अगर मेरे साथ जबर्दाश्ती हुई थी, क्यों मेने किसी को मदद के लिए नही पुकारा….सब लोग तो यही कहेंगे ना कि मैं ही सही नही हूँ… इसलिए मैने वो बात अपने दिल के अंदर ही दबा ली थी….अगली सुबह जब उठी तो, देखा आरके पहले से ही तैयार थे….उसके बाद वो निकल गये…मैने नाश्ता किया और भाभी के साथ कॉलेज आ गयी…..राज कई बार मुझे देख कर मुस्कुरआया…पर उसकी वो कमीनी मुस्कान देख कर मैं जल कर रह जाती….दो दिन गुजर गये….पर राज ने फिर कभी कोई हरक़त नही की थी…
पर जब भी हमारी नज़रें टकराती तो अपने होंटो पर कमीनी मुस्कान लाकर देखता तो मैं अपना फेस घुमा लेती…पर इन दो दिनो मे पता नही कितनी बार मैं उस रात हुई अपनी जबरदस्त चुदाई के बारे मे सोच चुकी थी..और कई बार जब उसके बारे मे सोचते हुए, मैं गरम हो जाती तो, मैं अपने आप को ही कोसने लगती…कि आख़िर ये मुझे क्या हो रहा है…मैं क्या कर रही हूँ…? मैं कॉलेज के बाद अपने आप को बिज़ी रखने की कॉसिश करने लगती….
उस घटना को हुए पूरा एक हफ़्ता गुजर गया था….इस बार आरके सनडे वाले दिन ही सुबह आए थे….उस रात भी वही फीका सा सेक्स हुआ, और मैं तड़प कर रह गयी…मेरे अंदर की आग दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी…..मेने अपने आप को कॉलेज के वर्क मे इतना बिज़ी कर लिया था कि, अब वो घटना मेरे दिमाग़ मे नही आती थी…और ना ही राज ने दोबारा मेरे पास फटकने की कॉसिश की थी….ऐसा नही था कि, उसे कभी कोई ऐसा मौका ना मिला हो कि, वो मेरे पास आकर कुछ कर सके…पर वो नही आया….
ट्यूसडे का दिन था….शाम के 6 बज रहे थी कि, भाभी मेरे रूम मे आई, और आकर चुप चाप बेड पर बैठ गयी…उन्हे इस तरह आकर चुप चाप बैठे देख कर मुझसे रहा नही गया…”क्या हुआ भाभी आप कुछ परेशान दिखाई दे रही हो….?” भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोलने के लिए मूह खोला पर फिर कुछ सोच कर चुप हो गयी…..फिर थोड़ी देर बाद बोली…..”कुछ नही डॉली…..”
मैं: भाभी बात क्या है….बाताओ ना….ऐसे परेशान क्यों हो रही हो…?
भाभी: डॉली वो बात डॉली ये है कि, वो….
मैं: हां भाभी बताओ ना क्या बात है…
भाभी: डॉली तुम बुरा तो नही मनोगी….?
मैं: उफ्फ हो भाभी बताओ भी तो सही….
भाभी: वो डॉली आज मेरा बड़ा मन कर रहा है….
मैं: मन कर रहा है किस लिए भाभी मैं समझी नही सॉफ-2 कहो ना क्या बात है…
भाभी: वो सेक्स करने का…..
मैं: (भाभी के बात सुन कर एक दम चोंक गयी….) क्या सेक्स करने का….?
भाभी: हां डॉली वो तुम्हे तो पता ही है कि मैं और राज…(भाभी फिर से बोलते-2 चुप हो गयी….और मुझे भाभी की बात सुन कर बहुत गुस्सा आया….)
मैं: आप कहना क्या चाहती है भाभी…..?
भाभी: वो डॉली क्या तुम थोड़ी देर के लिए नीचे जा सकती हो….(भाभी ने कहते हुए अपने सर को झुका लिया…..)
मैं: भाभी आप होश मे तो है….ये आप मुझसे किस तरह की बात कर रही है….
भाभी: (मेरे हाथ को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए) प्लीज़ डॉली थोड़ी देर के लिए. तू तो जानती है नीचे तेरे भैया है…प्लीज़ थोड़ी देर के लिए, तू उनके पास जाकर बैठ ना.
मैं: नही भाभी प्लीज़ मुझे आपने इस पाप मे भागीदार ना बनाओ….
भाभी: (गुस्से मे आकर खड़ी होते हुए) ठीक है डॉली…..मैं समझ गयी, तुझसे मेरी ख़ुसी देखी नही जाती ना…..मत कर तू मेरी हेल्प…
मैं: भाभी आप जिस चीज़ के लिए मुझसे उम्मीद लगाए हुए है….उसके लिए मैं आपकी कोई हेल्प नही कर सकती….
भाभी: समझ गयी डॉली….पर ये सोच ले, आगे चल कर तेरी भाभी ही तेरे काम आएगी….आज तूने मेरी मदद करने से मना किया है ना…..
भाभी आँखे चढ़ाती हुई नीचे चली गयी…..मुझे इतना गुस्सा आ रहा था… कि पूछो मत…आख़िर ये मेरे घर मे हो क्या रहा है…..और भाभी ने मुझे और मेरे कमरे को समझ क्या रखा है….रंडी खाना….चाइयीयियी…उन्होने मुझसे ऐसे बात करने से पहले एक बार भी नही सोचा….मैने उन्हे मना तो कर दिया था..पर मुझे नही पता था कि, मेरे मना करने का क्या नतीजा होगा…
उसी रात जब मैं बेड पर लेटे हुए सोने की कॉसिश कर रही थी….तो मुझे किचिन से कुछ आवाज़ आई….मैं अपने डोर के पास गयी…और डोर कर खोला तो देखा, भाभी किचिन के अंदर ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी….और राज बाहर डोर पर खड़ा था. जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो मुस्कुराने लगा…”ये ये सब क्या है भाभी….?” मेने अपने डोर पर खड़े हुए भाभी से पूछा….
भाभी: तुम अपने काम से मतलब रखो डॉली…..
भाभी ने बिस्तर पर लेटते हुए राज को इशारे से अंदर के लिए कहा…राज ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराता हुआ किचिन के अंदर गया….और अगले ही पल धडाम की आवाज़ से डोर बंद हो गया…..मैं गुस्से मे उबली हुई अंदर आ गयी….डोर लॉक किया और बेड पर लेट गयी….अभी थोड़ी देर ही लेटी थी, कि किचिन से चुदाई के थपेड़ो की आवाज़ रूम मे आने लगी….”अह्ह्ह्ह ओह राज येस्स्स फक मी डियर ओह्ह्ह्ह आहह और जोर्र से घस्से मार अह्ह्ह्ह हाए मेरी फुदी….थप थप आह ओह्ह्ह…..” रात के करीब 12 बजे तक किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रही ……
मेने अपने ध्यान को वहाँ से हटाने की बहुत कॉसिश की, कभी अपने कानो को अपने हाथो से ढक लेती….पर दिल मे जिग्यासा उठती कि, अब क्या हो रहा है किचिन मे..भाभी किस तरह राज को अपनी फुद्दि दे रही होगी…ये सोच-2 कर मेरी कच्छी भी गीली हो गयी….फिर तो जैसे ये रोज की बात हो गयी….रोज रात रात के 12-1 बजे तक, उस किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रहती…मैं अंदर ही अंदर सुलग रही थी…एक वीक और गुजर गया….अब तो राज ने मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था…
वो अब जैसे मुझे इग्नोर करने लगा था….और मेरे और भाभी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था…..मैं सेक्षुयली फ़्रस्टेड हो चुकी थी….राज का इस तरह से मुझे इग्नोर करना खलने लगा था….वो जब भी मेरे सामने या मेरे पास से गुज़रता तो वो मेरी तरफ देखता भी नही….मुझे ये सब बहुत अजीब सा लगता….पर फिर मैं अपने आप को ही कोसने लगती, कि मैं क्या कर रही हूँ….
सनडे का दिन था…..आरके घर पर आए हुए थे….उस दिन भैया को चेकप के लिए हॉस्पिटल मे लेकर जाना था….आरके बाहर से कार ले आए थे….और फिर भैया और भाभी हॉस्पिटल मे चले गये…उनको दोपहर तक घर वापिस आना था…मैं किचिन मे दोपहर का खाना तैयार कर रही थी….और आरके ऊपेर रूम मे थी…तभी मुझे अहसास हुआ, कि कोई मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया है….जब मैने पलट कर देखा तो पीछे राज खड़ा था….उसकी आँखो मे भरी हुई वासना सॉफ दिखाई दे रही थी…..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. घर मे और कोई नही था….ये सोच कर मेरे हाथ पैर अजीब से डर के कारण काँपने लगी…
वो मेरी तरफ बढ़ा….”राज तुम त तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो…? “ पर उसने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…और मुझे अपनी बाहों मे भरने की कॉसिश करने लगा… मेने उसके कंधो पर हाथ रखा और उसे अपने से दूर धकेलने की कॉसिश करनी लगी. न नही राज प्लीज़ हट जाओ…..ना नही उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….” और फिर अगले ही पल उसके होंटो ने मेरे होंटो को दबोच कर मेरी आवाज़ को मेरे मूह मे ही बंद कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए मुझे दीवार के साथ सटा दिया…और मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर खेंचते हुए उसे खोल दिया…
जैसे ही मेरे सलवार का नाडा खुला, तो सलवार के जबरन कमर पर ढीली हो गयी…मेने सलवार को अपने हाथो से पकड़ लिया…पर जब तक मेरी समझ मे कुछ आता राज का हाथ मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था….उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डालते हुए, मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर अपना हाथ रख दिया…और मेरे होंटो को चूस्ते हुए, मेरी चुनमुनियाँ को मसलने लगा….मेरा पूरा बदन झंझणा गया….टाँगे काँपने लगी….कमर झटके खाने लगी..
उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए, अपनी एक उंगली को मेरी चुनमुनियाँ मे घुसा दिया…और अपने अंगूठे से मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसलने लगा….जैसे ही उसने मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसला…..मैं एक दम सिसक उठी….आँखे बंद होती चली गये…और सारा विरोध ख़तम होता चला गया….मैं राज के शर्ट के कॉलर को हाथ से कस्के पकड़े हुए थी…वो तेज़ी से अपने अंगूठे को मेरी चुनमुनियाँ के दाने पर हिलाता हुआ उसे मसल रहा था…मैं मदहोश होती जा रही थी….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….मेने अपने होंटो को उसके होंटो से अलग किया और तेज़ी से साँसे लेते हुए, धीरे-2 नीचे बैठने लगी…
राज की उंगली चुनमुनियाँ से बाहर आई, और फिर उसका हाथ मेरी सलवार से बाहर आ गया….मैं नीचे पैरो के बल बैठी हुई बुरी तरह से कांप रही थी..,..तभी मुझे राज की पेंट की ज़िप खुलने की आवाज़ आई, जैसे ही मेने अपनी आँखे खोल कर देखा तो राज का मुनसल जैसे साढ़े 8 इंच का बाबूराव मेरी आँखो के सामने झटके खा रहा था….उसने मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा और फिर अपने बाबूराव को हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरे सर को, उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर लगा दिया….
मेने अपना फेस दूसरी तरफ करने की कॉसिश की, मैने कभी बाबूराव को मूह मे नही लिया था….यहाँ तक कि आरके के बाबूराव को भी मूह मे नही लिया था…पर उसने मेरे सर को कस्के पकड़ा और अपने बाबूराव को बेस से पकड़ते हुए उसके सुपाडे को मेरे गालो पर मारने लगा….और फिर से होंटो पर सुपाडे को रगड़ने लगा….उस समय, राज बहुत उत्तेजित हो गया था…”
साली खोल और चूस इसे…..नही तो यही पटक कर चोद दूँगा.. चाहे तेरा पति देख ले…” उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर सटाते हुए कहा…और फिर जबरन मेरे मूह मे अपना बाबूराव ठूंस दिया….”चल अब चूस इसे…”
मेने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए….इस डर से कहीं आरके नीचे ना अजाए, और अगर मैं ना करती तो, शायद वो मुझे वही चोदने लग जाता….इस आई मुसबीत से पीछा छुड़ाने के लिए, मैने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए.. वो मेरे सर को पकड़ कर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बाबूराव को मेरे मूह के अंदर बाहर करने लगा…उसका मोटा बाबूराव हाथो मे लिए हुए जब मैं उसे चूस रही थी….तो मैं भी गरम होने लगी थी…जिस मोटे बाबूराव से मैं आज तक भाभी को चुदते हुए और भाभी को चुप्पे लगाते हुए देखती आ रही थी…..
वही मोटा और लंबा बाबूराव आज मेरे हाथो मे था….आज मेने उसके बाबूराव को पहली बार छुआ ही नही था….बल्कि, उसके बाबूराव को मूह मे लेकर सकिंग भी कर रही थी…एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था मुझ पर….और उस वासना के नशे मे आकर अब मैं खुद ही उसके बाबूराव के मोटे गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे दबा-2 कर चूस रही थी.
मुझे उसके बाबूराव की नसें अब फुलती हुई अपने हाथ मे सॉफ महसूस हो रही थी…करीब 6-7 मिनिट बाद उसने अपनी कमर को फिर से हिलाना शुरू कर दिया…”आहह डॉली मेरी जान….यस सक मी डियर….येस्स्स अहह ओह्ह्ह्ह्ह….” फिर उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे मूह के अंदर तक धकेल दिया….और काँपते हुए झड़ने लगा….जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ, तो मेने उसकी जाँघो को पकड़ कर पीछे पुश किया, तो उसका बाबूराव मेरे मूह से बाहर आ गया….पर तभी उस ने झटके लेते हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरे चेहरे पर छोड़नी शुरू कर दी…
मैं बदहवास सी नीचे बैठी हुई, अपनी उखड़ी हुई सांसो को काबू मे करने की कॉसिश करने लगी….मुझे कुछ होश नही था कि, कब राज किचिन से बाहर चला गया…जब थोड़ी देर बाद होश आया, तो मैं जल्दी से भाभी के रूम मे गयी, और फिर बाथरूम मे घुस कर अपने आप को आयने मे देखा….उसके कम से मेरा पूरा फेस भरा हुआ था…मेने जल्दी से अपने फेस को धोया….और फिर फ्रेश होकर बाहर आई…..
मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ….क्यों मैं उसको हर बार रोक नही पाती….
इसी तरह दो दिन और गुजर गये….एक बार फिर से राज मुझसे दूर रहने लगा था…मैं अपने मन मे चल रहे अंतर्द्वंद से परेशान थी…आख़िर ये सब क्या हो रहा है.. और मेरे साथ ही क्यों हो रहा है….अजीब से कस्मकश मे थी…हर दूसरी या तीसरी रात को वो दोनो ऊपेर किचिन मे आकर जबरदस्त सेक्स करते थे….उनकी चुदाई की आवाज़े आधी रात तक सुन-2 कर मैं तड़प कर रह जाती….सॅटर्डे का दिन था….मैं सुबह तैयार होकर नीचे आई….हमें कॉलेज के लिए निकलना था….मैं भाभी के रूम की तरफ बढ़ी. पर डोर पर पहुँचते ही मेरे कदम रुक गये….
भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई, अपने होंटो पर मरून कलर की लिपस्टिक लगा रही थी….और उनके पीछे राज खड़ा था…कॉलेज यूनिफॉर्म पहने वो भी तैयार था. “आह जान आज तो गजब ढा रही हो….सच्ची तुम्हारे होंटो पर ये मरून लिप कलर बहुत सेक्सी लगता है….” उसने भाभी के पीछे आकर उसे अपनी बाहों मई भरते हुए कहा..
“क्या इरादा है तुम्हारा आज सुबह-2 ही शुरू हो गये हो…” भाभी ने अपने दोनो हाथ ऊपेर उठाए और पीछे लाते हुए राज के सर को पकड़ लिया….
राज: आज इस मरून के लिप्स से बाबूराव चुसवाने का दिल कर रहा है…
भाभी: (ड्रेसिंग टेबल पर बैठे-2 राज की तरफ घूमते हुए) अच्छा तुम्हारा दिल कर रहा हो….और मैं तुम्हारे दिल की ख्वाहिश पूरी ना करूँ कभी ऐसा हो सकता है….?
राज ने अपनी पेंट की ज़िप को खोल दिया….और भाभी ने ज़िप के अंदर हाथ डाला और फिर थोड़ी देर बाद राज के बाबूराव को बाहर निकाल लिया…फिर राज की आँखो मे देखते हुए, अपने होंटो को खोल कर राज के बाबूराव के सुपाडे पर लगा दिया…और फिर राज के बाबूराव के सुपाडे पर अपने होंटो को रगड़ने लगी….”आहह शीइ….तुम्हारे लिपस्टिक लगे होंटो मे मेरा बाबूराव कितना सेक्सी लगता है मेरी जान…अह्ह्ह्ह….” ये सुनते हुए भाभी ने अपने होंटो को राज के बाबूराव पर चारो तरफ रगड़ना शुरू कर दिया…..
मैं वहाँ और खड़ी ना रह सकी, और ऊपेर अपने रूम मे आ गये….वेट करने लगी कि कब भाभी मुझे कॉलेज जाने के लिए आवाज़ लगाई….मैं रूम मे आकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठ गयी….और तभी मेरे नज़र वहाँ पड़ी मरून कलर की लिपस्टिक पर पड़ी…पता नही क्यों मेरे हाथ खुद ब खुद उस लिपस्टिक को उठाने के लिए बढ़ गये….मेने उसका ढक्कन खोला और उसे अपने होंटो पर लगाने लगी…मैं खुद पर हैरान भी हो रही थी कि, मैं ये क्या कर रही हूँ….और फिर मेने उठ कर जैसे ही अपने होंटो को कपड़े से सॉफ करना चाहा, तो भाभी एक दम से रूम मे आ गयी….
भाभी : डॉली चलना नही है क्या….चल जल्दी कर बहुत देर हो गयी है…
मैं: हां भाभी चलो…
उसके बाद मैं और भाभी कॉलेज आ गये…कॉलेज शुरू होने मे अभी टाइम था…इसलिए मैं बाहर ग्राउंड मे खड़े होकर भाभी के साथ और दूसरे टीचर के साथ कुछ बातें कर रही थी…तभी मेरी नज़र राज पर पड़ी…जो ललिता के पास खड़ा था…उससे बातें कर रहा था….पर मेरी तरफ देख रहा था…मुझे नज़ाने क्यों ऐसा महसूस हो रहा था कि, उसके नज़र मेरे मरून कलर मे रंगे होंटो पर जमी हुई थी…मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था….पर कुछ-2 अच्छा भी लग रहा था….क्योंकि पिछले कुछ दिनो से उसने मुझे फिर से इग्नोर करना शुरू कर दिया था…
मैं दो राहे पर खड़ी थी…..आख़िर ये सब क्या हो रहा है….कुछ समझ मे नही आ रहा था…..फिर क्लासस शुरू हो गयी….पता नही क्यों मेरा मूड आज कुछ अजीब सा हो रहा था…मैं अपने ऑफीस मे बैठे हुए उकता सी गयी थी…तभी जय सर, ऑफीस के अंदर आए, तो मैं उन्हे देख कर अपनी चेयर से खड़ी हो गयी…”अर्रे बैठो-2…..”
मैं: जी सर,
सर: डॉली तुम अभी राज के साथ मेरे घर चली जाओ…वहाँ मेरे रूम मे कॉलेज के कुछ ज़रूरी डॉक्युमेंट पड़े हुए है एक फाइल मे….उसे ले आओ…ढूँढने मे टाइम लगेगा. इसलिए राज के साथ तुम्हे भेज रहा हूँ….
मैं: जी सर कॉन सी फाइल है…..?
सर: कॉलेज के रिलेटेड जो भी फाइल्स मिले उन्हे ले आना….मैं राज को बेझता हूँ…
सर वापिस चले गये…..”अब ये क्या नयी मुसबीत आ गयी….ये राज का भूत मेरा पीछा कब छोड़ेगा….” मैं खुद ही बुदबुदाने लगी….थोड़ी देर बाद राज ऑफीस मे आ गया…और उसने मुझे साथ चलने के लिए बोला…मैं बिना बात किए उसके साथ बाहर आ गयी….और उसकी बाइक पर हम जय सर के घर पहुँच गये…..मैं और राज जय सर के रूम मे गये….और उनके रॅक मे से फाइल्स ढूँढने लगी…
राज जाकर सोफे पर बैठ गया…..वो लगतार मुझे घूर रहा था….मैं नीचे बैठ कर नीचे वाली सेल्फ़ पर फाइल्स को देखने लगी…तभी राज के कदमो की आहट नज़दीक आते हुए सुनाई दी तो, मेने चोंक कर उसके तरफ देखा…वो बिल्कुल मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था….मैं नीचे बैठे हुए, उसकी ओर देख रही थी…उसके होंटो पर वही कमीनी मुस्कान फेली हुई थी…उसने मेरे होंटो की तरफ देखते हुए, अपने पेंट की ज़िप को खोल दिया…मैं एक दम से ऐसे हडबडाइ…जैसे किसी सपने से बाहर आई हूँ…
आगे अगले अपडेट में ...
राज ने अपने बाबूराव को तेज़ी से मेरी चुनमुनियाँ के अंदर बाहर करते हुए कहा…उसकी बातें सुन कर मैं शरम से मरी जा रही थी…..पर वो मुझे चोदते हुए लगतार ऐसी-2 बातें बोल रहा था…जिसे सुन कर मैं शर्मिंदा होने के साथ-2 गरम भी होती जा रही थी….”डॉली तेरी फुदी आहह कितनी टाइट है….देख मेरे लंड को कैसे दबा रही है….साली तेरी फुद्दि अहह…..मज़ा आ रहा है ना मेरा लंड लेकर…..”
उसने मेरे होंटो के ऊपेर होन्ट रख दिए….और पूरी रफ़्तार से अपने बाबूराव को अंदर बाहर करने लगा….हर पल मैं और मदहोश होती जा रही थी….मेरी चुनमुनियाँ मे संकुचन और बढ़ चुका था….मैं झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुकी थी…उसके हर झटके के साथ मेरा पूरा बदन हिले जा रहा था…..उसने मेरी टाँगो को और ऊपेर उठाते हुए, अपने कंधो पर रख लिया, और पूरे ज़ोर शॉरो से अपने बाबूराव को सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर मेरी फुददी मे ठोकने लगा….उसकी जांघे मेरे मोटे चुतड़ों पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….जिसे सुनते ही मेरी चुनमुनियाँ ने धुनकते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया….
झाड़ते हुए मैं इतनी मस्त हो गयी थी, कि मुझे पता ही नही चला कि, कब मेरे होन्ट खुल गये, और कब मेने उसे अपने होंटो को चूसने देना शुरू कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए इतने ज़ोर-2 से घस्से मारे कि, मेरी फुद्दि झाड़ते हुए और ज़यादा पानी बहाने लगी….और फिर कुछ और झटको के बाद वो भी मेरी चुनमुनियाँ मे ही झड़ने लगा…
झड़ने के बाद वो मेरे ऊपेर ढेर हो गया….वासना का नशा जब दिमाग़ से उतरा, तो डर ने घेर लिया…मैं उसके नीचे अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी हुई थी…अगर कही आरके उठ कर देख लेते तो मेरा क्या होता….पर मुझे उस वक़्त कहाँ पता था कि, जो सब हुआ था. वो पहले से ही प्लान्ड था…भाभी का भी इसमे हाथ था….ये बात तो मुझे बहुत देर बाद पता चला थी….खाने से पहले भाभी ने चाइ मे वही स्लीपिंग पिल्स डाल कर आरके को पिला दी थी……जो उन्होने अपनी राज की पहली चुदाई के वक़्त भैया को दी थी…..
थोड़ी देर बाद राज मेरे ऊपेर से उठा….और अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकाला और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उठा कर किचिन से बाहर निकल गया…..मैं बदहवास सी उठी…अपनी नाइटी ठीक की और जब रूम मे पहुँची तो देखा कि, आरके अभी सो रहे थे…मैने अपने आप को बहुत कोसा बुरा भला कहा… दिल मे आया कि राज को जान से ही मार दूं….पर अब मैं उसके ऊपेर कोई इल्ज़ाम भी नही लगा सकती थी….
क्योंकि घर मे सब माजूद थे, अगर मेरे साथ जबर्दाश्ती हुई थी, क्यों मेने किसी को मदद के लिए नही पुकारा….सब लोग तो यही कहेंगे ना कि मैं ही सही नही हूँ… इसलिए मैने वो बात अपने दिल के अंदर ही दबा ली थी….अगली सुबह जब उठी तो, देखा आरके पहले से ही तैयार थे….उसके बाद वो निकल गये…मैने नाश्ता किया और भाभी के साथ कॉलेज आ गयी…..राज कई बार मुझे देख कर मुस्कुरआया…पर उसकी वो कमीनी मुस्कान देख कर मैं जल कर रह जाती….दो दिन गुजर गये….पर राज ने फिर कभी कोई हरक़त नही की थी…
पर जब भी हमारी नज़रें टकराती तो अपने होंटो पर कमीनी मुस्कान लाकर देखता तो मैं अपना फेस घुमा लेती…पर इन दो दिनो मे पता नही कितनी बार मैं उस रात हुई अपनी जबरदस्त चुदाई के बारे मे सोच चुकी थी..और कई बार जब उसके बारे मे सोचते हुए, मैं गरम हो जाती तो, मैं अपने आप को ही कोसने लगती…कि आख़िर ये मुझे क्या हो रहा है…मैं क्या कर रही हूँ…? मैं कॉलेज के बाद अपने आप को बिज़ी रखने की कॉसिश करने लगती….
उस घटना को हुए पूरा एक हफ़्ता गुजर गया था….इस बार आरके सनडे वाले दिन ही सुबह आए थे….उस रात भी वही फीका सा सेक्स हुआ, और मैं तड़प कर रह गयी…मेरे अंदर की आग दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी…..मेने अपने आप को कॉलेज के वर्क मे इतना बिज़ी कर लिया था कि, अब वो घटना मेरे दिमाग़ मे नही आती थी…और ना ही राज ने दोबारा मेरे पास फटकने की कॉसिश की थी….ऐसा नही था कि, उसे कभी कोई ऐसा मौका ना मिला हो कि, वो मेरे पास आकर कुछ कर सके…पर वो नही आया….
ट्यूसडे का दिन था….शाम के 6 बज रहे थी कि, भाभी मेरे रूम मे आई, और आकर चुप चाप बेड पर बैठ गयी…उन्हे इस तरह आकर चुप चाप बैठे देख कर मुझसे रहा नही गया…”क्या हुआ भाभी आप कुछ परेशान दिखाई दे रही हो….?” भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कुछ बोलने के लिए मूह खोला पर फिर कुछ सोच कर चुप हो गयी…..फिर थोड़ी देर बाद बोली…..”कुछ नही डॉली…..”
मैं: भाभी बात क्या है….बाताओ ना….ऐसे परेशान क्यों हो रही हो…?
भाभी: डॉली वो बात डॉली ये है कि, वो….
मैं: हां भाभी बताओ ना क्या बात है…
भाभी: डॉली तुम बुरा तो नही मनोगी….?
मैं: उफ्फ हो भाभी बताओ भी तो सही….
भाभी: वो डॉली आज मेरा बड़ा मन कर रहा है….
मैं: मन कर रहा है किस लिए भाभी मैं समझी नही सॉफ-2 कहो ना क्या बात है…
भाभी: वो सेक्स करने का…..
मैं: (भाभी के बात सुन कर एक दम चोंक गयी….) क्या सेक्स करने का….?
भाभी: हां डॉली वो तुम्हे तो पता ही है कि मैं और राज…(भाभी फिर से बोलते-2 चुप हो गयी….और मुझे भाभी की बात सुन कर बहुत गुस्सा आया….)
मैं: आप कहना क्या चाहती है भाभी…..?
भाभी: वो डॉली क्या तुम थोड़ी देर के लिए नीचे जा सकती हो….(भाभी ने कहते हुए अपने सर को झुका लिया…..)
मैं: भाभी आप होश मे तो है….ये आप मुझसे किस तरह की बात कर रही है….
भाभी: (मेरे हाथ को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए) प्लीज़ डॉली थोड़ी देर के लिए. तू तो जानती है नीचे तेरे भैया है…प्लीज़ थोड़ी देर के लिए, तू उनके पास जाकर बैठ ना.
मैं: नही भाभी प्लीज़ मुझे आपने इस पाप मे भागीदार ना बनाओ….
भाभी: (गुस्से मे आकर खड़ी होते हुए) ठीक है डॉली…..मैं समझ गयी, तुझसे मेरी ख़ुसी देखी नही जाती ना…..मत कर तू मेरी हेल्प…
मैं: भाभी आप जिस चीज़ के लिए मुझसे उम्मीद लगाए हुए है….उसके लिए मैं आपकी कोई हेल्प नही कर सकती….
भाभी: समझ गयी डॉली….पर ये सोच ले, आगे चल कर तेरी भाभी ही तेरे काम आएगी….आज तूने मेरी मदद करने से मना किया है ना…..
भाभी आँखे चढ़ाती हुई नीचे चली गयी…..मुझे इतना गुस्सा आ रहा था… कि पूछो मत…आख़िर ये मेरे घर मे हो क्या रहा है…..और भाभी ने मुझे और मेरे कमरे को समझ क्या रखा है….रंडी खाना….चाइयीयियी…उन्होने मुझसे ऐसे बात करने से पहले एक बार भी नही सोचा….मैने उन्हे मना तो कर दिया था..पर मुझे नही पता था कि, मेरे मना करने का क्या नतीजा होगा…
उसी रात जब मैं बेड पर लेटे हुए सोने की कॉसिश कर रही थी….तो मुझे किचिन से कुछ आवाज़ आई….मैं अपने डोर के पास गयी…और डोर कर खोला तो देखा, भाभी किचिन के अंदर ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी….और राज बाहर डोर पर खड़ा था. जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो मुस्कुराने लगा…”ये ये सब क्या है भाभी….?” मेने अपने डोर पर खड़े हुए भाभी से पूछा….
भाभी: तुम अपने काम से मतलब रखो डॉली…..
भाभी ने बिस्तर पर लेटते हुए राज को इशारे से अंदर के लिए कहा…राज ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराता हुआ किचिन के अंदर गया….और अगले ही पल धडाम की आवाज़ से डोर बंद हो गया…..मैं गुस्से मे उबली हुई अंदर आ गयी….डोर लॉक किया और बेड पर लेट गयी….अभी थोड़ी देर ही लेटी थी, कि किचिन से चुदाई के थपेड़ो की आवाज़ रूम मे आने लगी….”अह्ह्ह्ह ओह राज येस्स्स फक मी डियर ओह्ह्ह्ह आहह और जोर्र से घस्से मार अह्ह्ह्ह हाए मेरी फुदी….थप थप आह ओह्ह्ह…..” रात के करीब 12 बजे तक किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रही ……
मेने अपने ध्यान को वहाँ से हटाने की बहुत कॉसिश की, कभी अपने कानो को अपने हाथो से ढक लेती….पर दिल मे जिग्यासा उठती कि, अब क्या हो रहा है किचिन मे..भाभी किस तरह राज को अपनी फुद्दि दे रही होगी…ये सोच-2 कर मेरी कच्छी भी गीली हो गयी….फिर तो जैसे ये रोज की बात हो गयी….रोज रात रात के 12-1 बजे तक, उस किचिन से चुदाई की आवाज़े आती रहती…मैं अंदर ही अंदर सुलग रही थी…एक वीक और गुजर गया….अब तो राज ने मेरी तरफ देखना भी बंद कर दिया था…
वो अब जैसे मुझे इग्नोर करने लगा था….और मेरे और भाभी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था…..मैं सेक्षुयली फ़्रस्टेड हो चुकी थी….राज का इस तरह से मुझे इग्नोर करना खलने लगा था….वो जब भी मेरे सामने या मेरे पास से गुज़रता तो वो मेरी तरफ देखता भी नही….मुझे ये सब बहुत अजीब सा लगता….पर फिर मैं अपने आप को ही कोसने लगती, कि मैं क्या कर रही हूँ….
सनडे का दिन था…..आरके घर पर आए हुए थे….उस दिन भैया को चेकप के लिए हॉस्पिटल मे लेकर जाना था….आरके बाहर से कार ले आए थे….और फिर भैया और भाभी हॉस्पिटल मे चले गये…उनको दोपहर तक घर वापिस आना था…मैं किचिन मे दोपहर का खाना तैयार कर रही थी….और आरके ऊपेर रूम मे थी…तभी मुझे अहसास हुआ, कि कोई मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया है….जब मैने पलट कर देखा तो पीछे राज खड़ा था….उसकी आँखो मे भरी हुई वासना सॉफ दिखाई दे रही थी…..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. घर मे और कोई नही था….ये सोच कर मेरे हाथ पैर अजीब से डर के कारण काँपने लगी…
वो मेरी तरफ बढ़ा….”राज तुम त तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो…? “ पर उसने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…और मुझे अपनी बाहों मे भरने की कॉसिश करने लगा… मेने उसके कंधो पर हाथ रखा और उसे अपने से दूर धकेलने की कॉसिश करनी लगी. न नही राज प्लीज़ हट जाओ…..ना नही उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….” और फिर अगले ही पल उसके होंटो ने मेरे होंटो को दबोच कर मेरी आवाज़ को मेरे मूह मे ही बंद कर दिया…उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए मुझे दीवार के साथ सटा दिया…और मेरी सलवार का नाडा पकड़ कर खेंचते हुए उसे खोल दिया…
जैसे ही मेरे सलवार का नाडा खुला, तो सलवार के जबरन कमर पर ढीली हो गयी…मेने सलवार को अपने हाथो से पकड़ लिया…पर जब तक मेरी समझ मे कुछ आता राज का हाथ मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था….उसने मेरी पेंटी के अंदर हाथ डालते हुए, मेरी चुनमुनियाँ की फांको पर अपना हाथ रख दिया…और मेरे होंटो को चूस्ते हुए, मेरी चुनमुनियाँ को मसलने लगा….मेरा पूरा बदन झंझणा गया….टाँगे काँपने लगी….कमर झटके खाने लगी..
उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए, अपनी एक उंगली को मेरी चुनमुनियाँ मे घुसा दिया…और अपने अंगूठे से मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसलने लगा….जैसे ही उसने मेरी चुनमुनियाँ के दाने को मसला…..मैं एक दम सिसक उठी….आँखे बंद होती चली गये…और सारा विरोध ख़तम होता चला गया….मैं राज के शर्ट के कॉलर को हाथ से कस्के पकड़े हुए थी…वो तेज़ी से अपने अंगूठे को मेरी चुनमुनियाँ के दाने पर हिलाता हुआ उसे मसल रहा था…मैं मदहोश होती जा रही थी….मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….मेने अपने होंटो को उसके होंटो से अलग किया और तेज़ी से साँसे लेते हुए, धीरे-2 नीचे बैठने लगी…
राज की उंगली चुनमुनियाँ से बाहर आई, और फिर उसका हाथ मेरी सलवार से बाहर आ गया….मैं नीचे पैरो के बल बैठी हुई बुरी तरह से कांप रही थी..,..तभी मुझे राज की पेंट की ज़िप खुलने की आवाज़ आई, जैसे ही मेने अपनी आँखे खोल कर देखा तो राज का मुनसल जैसे साढ़े 8 इंच का बाबूराव मेरी आँखो के सामने झटके खा रहा था….उसने मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा और फिर अपने बाबूराव को हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरे सर को, उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर लगा दिया….
मेने अपना फेस दूसरी तरफ करने की कॉसिश की, मैने कभी बाबूराव को मूह मे नही लिया था….यहाँ तक कि आरके के बाबूराव को भी मूह मे नही लिया था…पर उसने मेरे सर को कस्के पकड़ा और अपने बाबूराव को बेस से पकड़ते हुए उसके सुपाडे को मेरे गालो पर मारने लगा….और फिर से होंटो पर सुपाडे को रगड़ने लगा….उस समय, राज बहुत उत्तेजित हो गया था…”
साली खोल और चूस इसे…..नही तो यही पटक कर चोद दूँगा.. चाहे तेरा पति देख ले…” उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे होंटो पर सटाते हुए कहा…और फिर जबरन मेरे मूह मे अपना बाबूराव ठूंस दिया….”चल अब चूस इसे…”
मेने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए….इस डर से कहीं आरके नीचे ना अजाए, और अगर मैं ना करती तो, शायद वो मुझे वही चोदने लग जाता….इस आई मुसबीत से पीछा छुड़ाने के लिए, मैने उसके बाबूराव के चुप्पे लगाने शुरू कर दिए.. वो मेरे सर को पकड़ कर तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बाबूराव को मेरे मूह के अंदर बाहर करने लगा…उसका मोटा बाबूराव हाथो मे लिए हुए जब मैं उसे चूस रही थी….तो मैं भी गरम होने लगी थी…जिस मोटे बाबूराव से मैं आज तक भाभी को चुदते हुए और भाभी को चुप्पे लगाते हुए देखती आ रही थी…..
वही मोटा और लंबा बाबूराव आज मेरे हाथो मे था….आज मेने उसके बाबूराव को पहली बार छुआ ही नही था….बल्कि, उसके बाबूराव को मूह मे लेकर सकिंग भी कर रही थी…एक अजीब सा नशा छाता जा रहा था मुझ पर….और उस वासना के नशे मे आकर अब मैं खुद ही उसके बाबूराव के मोटे गुलाबी सुपाडे को अपने होंटो मे दबा-2 कर चूस रही थी.
मुझे उसके बाबूराव की नसें अब फुलती हुई अपने हाथ मे सॉफ महसूस हो रही थी…करीब 6-7 मिनिट बाद उसने अपनी कमर को फिर से हिलाना शुरू कर दिया…”आहह डॉली मेरी जान….यस सक मी डियर….येस्स्स अहह ओह्ह्ह्ह्ह….” फिर उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को मेरे मूह के अंदर तक धकेल दिया….और काँपते हुए झड़ने लगा….जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ, तो मेने उसकी जाँघो को पकड़ कर पीछे पुश किया, तो उसका बाबूराव मेरे मूह से बाहर आ गया….पर तभी उस ने झटके लेते हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरे चेहरे पर छोड़नी शुरू कर दी…
मैं बदहवास सी नीचे बैठी हुई, अपनी उखड़ी हुई सांसो को काबू मे करने की कॉसिश करने लगी….मुझे कुछ होश नही था कि, कब राज किचिन से बाहर चला गया…जब थोड़ी देर बाद होश आया, तो मैं जल्दी से भाभी के रूम मे गयी, और फिर बाथरूम मे घुस कर अपने आप को आयने मे देखा….उसके कम से मेरा पूरा फेस भरा हुआ था…मेने जल्दी से अपने फेस को धोया….और फिर फ्रेश होकर बाहर आई…..
मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ….क्यों मैं उसको हर बार रोक नही पाती….
इसी तरह दो दिन और गुजर गये….एक बार फिर से राज मुझसे दूर रहने लगा था…मैं अपने मन मे चल रहे अंतर्द्वंद से परेशान थी…आख़िर ये सब क्या हो रहा है.. और मेरे साथ ही क्यों हो रहा है….अजीब से कस्मकश मे थी…हर दूसरी या तीसरी रात को वो दोनो ऊपेर किचिन मे आकर जबरदस्त सेक्स करते थे….उनकी चुदाई की आवाज़े आधी रात तक सुन-2 कर मैं तड़प कर रह जाती….सॅटर्डे का दिन था….मैं सुबह तैयार होकर नीचे आई….हमें कॉलेज के लिए निकलना था….मैं भाभी के रूम की तरफ बढ़ी. पर डोर पर पहुँचते ही मेरे कदम रुक गये….
भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी हुई, अपने होंटो पर मरून कलर की लिपस्टिक लगा रही थी….और उनके पीछे राज खड़ा था…कॉलेज यूनिफॉर्म पहने वो भी तैयार था. “आह जान आज तो गजब ढा रही हो….सच्ची तुम्हारे होंटो पर ये मरून लिप कलर बहुत सेक्सी लगता है….” उसने भाभी के पीछे आकर उसे अपनी बाहों मई भरते हुए कहा..
“क्या इरादा है तुम्हारा आज सुबह-2 ही शुरू हो गये हो…” भाभी ने अपने दोनो हाथ ऊपेर उठाए और पीछे लाते हुए राज के सर को पकड़ लिया….
राज: आज इस मरून के लिप्स से बाबूराव चुसवाने का दिल कर रहा है…
भाभी: (ड्रेसिंग टेबल पर बैठे-2 राज की तरफ घूमते हुए) अच्छा तुम्हारा दिल कर रहा हो….और मैं तुम्हारे दिल की ख्वाहिश पूरी ना करूँ कभी ऐसा हो सकता है….?
राज ने अपनी पेंट की ज़िप को खोल दिया….और भाभी ने ज़िप के अंदर हाथ डाला और फिर थोड़ी देर बाद राज के बाबूराव को बाहर निकाल लिया…फिर राज की आँखो मे देखते हुए, अपने होंटो को खोल कर राज के बाबूराव के सुपाडे पर लगा दिया…और फिर राज के बाबूराव के सुपाडे पर अपने होंटो को रगड़ने लगी….”आहह शीइ….तुम्हारे लिपस्टिक लगे होंटो मे मेरा बाबूराव कितना सेक्सी लगता है मेरी जान…अह्ह्ह्ह….” ये सुनते हुए भाभी ने अपने होंटो को राज के बाबूराव पर चारो तरफ रगड़ना शुरू कर दिया…..
मैं वहाँ और खड़ी ना रह सकी, और ऊपेर अपने रूम मे आ गये….वेट करने लगी कि कब भाभी मुझे कॉलेज जाने के लिए आवाज़ लगाई….मैं रूम मे आकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठ गयी….और तभी मेरे नज़र वहाँ पड़ी मरून कलर की लिपस्टिक पर पड़ी…पता नही क्यों मेरे हाथ खुद ब खुद उस लिपस्टिक को उठाने के लिए बढ़ गये….मेने उसका ढक्कन खोला और उसे अपने होंटो पर लगाने लगी…मैं खुद पर हैरान भी हो रही थी कि, मैं ये क्या कर रही हूँ….और फिर मेने उठ कर जैसे ही अपने होंटो को कपड़े से सॉफ करना चाहा, तो भाभी एक दम से रूम मे आ गयी….
भाभी : डॉली चलना नही है क्या….चल जल्दी कर बहुत देर हो गयी है…
मैं: हां भाभी चलो…
उसके बाद मैं और भाभी कॉलेज आ गये…कॉलेज शुरू होने मे अभी टाइम था…इसलिए मैं बाहर ग्राउंड मे खड़े होकर भाभी के साथ और दूसरे टीचर के साथ कुछ बातें कर रही थी…तभी मेरी नज़र राज पर पड़ी…जो ललिता के पास खड़ा था…उससे बातें कर रहा था….पर मेरी तरफ देख रहा था…मुझे नज़ाने क्यों ऐसा महसूस हो रहा था कि, उसके नज़र मेरे मरून कलर मे रंगे होंटो पर जमी हुई थी…मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था….पर कुछ-2 अच्छा भी लग रहा था….क्योंकि पिछले कुछ दिनो से उसने मुझे फिर से इग्नोर करना शुरू कर दिया था…
मैं दो राहे पर खड़ी थी…..आख़िर ये सब क्या हो रहा है….कुछ समझ मे नही आ रहा था…..फिर क्लासस शुरू हो गयी….पता नही क्यों मेरा मूड आज कुछ अजीब सा हो रहा था…मैं अपने ऑफीस मे बैठे हुए उकता सी गयी थी…तभी जय सर, ऑफीस के अंदर आए, तो मैं उन्हे देख कर अपनी चेयर से खड़ी हो गयी…”अर्रे बैठो-2…..”
मैं: जी सर,
सर: डॉली तुम अभी राज के साथ मेरे घर चली जाओ…वहाँ मेरे रूम मे कॉलेज के कुछ ज़रूरी डॉक्युमेंट पड़े हुए है एक फाइल मे….उसे ले आओ…ढूँढने मे टाइम लगेगा. इसलिए राज के साथ तुम्हे भेज रहा हूँ….
मैं: जी सर कॉन सी फाइल है…..?
सर: कॉलेज के रिलेटेड जो भी फाइल्स मिले उन्हे ले आना….मैं राज को बेझता हूँ…
सर वापिस चले गये…..”अब ये क्या नयी मुसबीत आ गयी….ये राज का भूत मेरा पीछा कब छोड़ेगा….” मैं खुद ही बुदबुदाने लगी….थोड़ी देर बाद राज ऑफीस मे आ गया…और उसने मुझे साथ चलने के लिए बोला…मैं बिना बात किए उसके साथ बाहर आ गयी….और उसकी बाइक पर हम जय सर के घर पहुँच गये…..मैं और राज जय सर के रूम मे गये….और उनके रॅक मे से फाइल्स ढूँढने लगी…
राज जाकर सोफे पर बैठ गया…..वो लगतार मुझे घूर रहा था….मैं नीचे बैठ कर नीचे वाली सेल्फ़ पर फाइल्स को देखने लगी…तभी राज के कदमो की आहट नज़दीक आते हुए सुनाई दी तो, मेने चोंक कर उसके तरफ देखा…वो बिल्कुल मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था….मैं नीचे बैठे हुए, उसकी ओर देख रही थी…उसके होंटो पर वही कमीनी मुस्कान फेली हुई थी…उसने मेरे होंटो की तरफ देखते हुए, अपने पेंट की ज़िप को खोल दिया…मैं एक दम से ऐसे हडबडाइ…जैसे किसी सपने से बाहर आई हूँ…
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