26-08-2021, 09:53 AM
(This post was last modified: 26-08-2021, 11:27 AM by naag.champa. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मलाई- एक रखैल-13
आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल वापस जाने वाले थे|
उस दिन सुबह उठते के साथ ही से मेरा चेहरा बिल्कुल मुरझाया हुआ था|
सचिन अंकल ने मुझे काफी दिलासा दिया... लेकिन मेरे आंसू और मेरी सिसकियां रुक ही नहीं रही थी|
खैर सचिन अंकल तो कुछ ही दिनों के लिए यहां आए हुए थे और उन्हें वापस तो जाना ही था| वह वक्त जल्दी आया जब सचिन अंकल एयरपोर्ट पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे... मैंने उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए जाने वाली थी इसलिए मैं भी तैयार हो रही थी- कमला मौसी के कहने पर मैंने फिर से एक स्लीवलेस टीशर्ट और एक स्किन टाइट जींस पहनने का फैसला किया था- इतने में सचिन अंकल ने मुझे आवाज लगाई, वह बोले "मलाई यह देखो क्या हो गया?"
मैंने मुड़कर देखा तो सचिन अंकल ने अपनी पेंट नीचे घुटनों तक सरकार की थी और उनका लिंग फिर से कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो कर मानो फना फना और तमतमा रहा था...
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि इतने में सचिन अंकल ने खुद ही मुझसे कहा, "जल्दी से अपनी पैंट उतारो, मलाई... मेरे अंदर बहुत जोर का ज्वार आया है उसे थोड़ा ठंडा कर लेने दो.. चलो- चलो जल्दी करो- अपनी पैंट उतारो"
मैंने कहा, “जी अच्छा”
यह कह कर मैंने अपनी जींस नीचे सरका दी और जैसे ही मैं बेड पर जैसे ही बैठी सचिन अंकल ने मुझे धकेल कर बेड पर लेटा दिया और वह मेरे ऊपर चढ़ गए और फिर उन्होंने मेरी टीशर्ट ऊपर सरका कर मेरे स्तनों को नंगा किया और फिर उन्हें मसलते हुए उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर डाल दिया और फिर मैथुन करने लग गए...
अभी हम दोनों कामलीला में मगन हो ही रखे थे कि इतने में कमला मौसी यह कहते हुए कमरे के अंदर आई की Uber वाला आ गया है|
हम दोनों को इस हालत में देखकर वह थोड़ा सा चौक गई क्योंकि जल्दबाजी में हम दोनों को ध्यान नहीं था कि कमरे का दरवाजा खुला ही हुआ है...
सचिन अंकल की पीठ उनकी तरफ थी, उन्होंने मुड़कर अपना सर स्वीकृति में दो-चार बार हिलाया... मानो वह इशारे इशारे में ही बोल रहे हो, ' हां हां, बस थोड़ा सा वक्त दो- हम बस अभी आए' और फिर वापस मगन हो गए हो अपनी मैथुन लीला में…
कमला मौसी तुरंत पीछे मुड़कर कमरे से बाहर जाती हुई और बोली, " ठीक है… ठीक है… ठीक है… मैं Uber वाले को 10-15 मिनट इंतजार करने के लिए बोल दूंगी"
जल्दी ही मेरा बदन कामवासना के जबरदस्त विस्फोट के साथ कांप उठा मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल के गरम गरम गाढ़े चिपचिपे माल (वीर्य) सैलाब मेरे अंदर फूट पड़ा...
कुछ देर तक हम लोग ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे सचिन अंकल काफी देर तक मेरी जीभ को अपने मुंह में के अंदर लेकर चूसते रहें उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए और फिर मैं अपने मुंह अपने बाएं हाथ की हथेली की उल्टी तरफ से पोंछा और कपड़ों को ठीक करती हुई उनसे पूछी, “ यह अचानक आपको आज क्या हो गया था?"
“कुछ नहीं मलाई इतने दिनों चौबीसों घंटे में तुमको नंगी देखता आया हूं, आज जब तुम जींस और पैंट पहनकर अपने बालों में कंघी कर रही थी तो न जाने क्यों तुम बहुत ही सेक्सी दिख रही थी और यही देखते देखते मुझे चढ़ गई... और मेरा लंड खड़ा हो गया… और जब तुम मेरे करीब हो, मेरे पास हो तब मैं बैठ बैठ कर सिर्फ मुठ तो नहीं मार सकता इसलिए मैंने कहा मलाई अपनी पैंट उतारो… अच्छा हुआ तुमने ब्रा और पेंटी नहीं पहन रखी है… ”
“शुक्रिया मलाई... जाते-जाते भी बहुत मजा आ गया”
सुबह से आज पहली बार मेरे होठों पर मुस्कुराहट छाई और मैंने आईना देखती हुई अपने बालों का जुड़ा बांधते हुए उनकी तरफ तिरछी नजरों से देखा और फिर शरारत से कहा, "इसमें शुक्रिया कहने की क्या बात है? आपके कुतुब मीनार के लिए मेरी सुरंग में हमेशा जगह बनी रहेगी... मैं बहुत ही मिस करूंगी आपको"
"मैं भी तुम्हें बहुत मिस करूंगा मलाई"
***
बारिश की वजह से जगह-जगह सड़कों पर पानी भरा हुआ था| इसलिए गाड़ियां रेंग रही थी| हमें सब मालूम था इसलिए हमने घर से जल्दी निकलने का फैसला किया था| अच्छा हुआ किस सफर में थोड़ा ज्यादा ही टाइम लग रहा था| मैं और सचिन अंकल Uber की पिछली वाली सीट में एक दूसरे के साथ हाथों में हाथ डालकर बिल्कुल चिपक कर बैठे हुए थे| मौका देख देख कर सचिन अंकल बार-बार मुझे चुम रहे थे और मेरे कोमल अंगों कोदबा- दबा कर खेल रहे थे… सहला भी रहे थे... मेरे बालों को जी भर के सूंघ रहे थे… मुझे भी थोड़ी मस्ती सूजी, पैंटी तो मैंने पहन नहीं रखी थी... इसलिए मैंने अपनी एक टांग सचिन अंकल की जांग पर रखकर अपने जींस के पैंट की जिप खोल दी... सचिन अंकल अपनी उंगलियां अंदर डालकर मेरे यौनांग को सहलाने लगे...
मैंने दो-तीन गहरी सांसे छोड़ी...
फिर सचिन अंकल ने कहा, "अच्छा हुआ मलाई कि तुमने पैंटी नहीं पहनी… उस दिन जब तुम पहली बार मेरे साथ बैठकर बीयर पी रही थी तुमने मुझसे कहा था कि -मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं... लेकिन लगता है हमें मौका ही नहीं मिला| अगर कुछ कहना है, तो तुम अभी कह सकती हो"
मैंने एक गहरी उसांस ली और फिर मैंने उनके कंधे पर सर रखकर कहा, "न जाने क्यों शुरू शुरू में मुझे कैसा अजीब सा लगता था यह सब... लेकिन उस दिन जब न्यू मार्केट के बस स्टैंड में आपने मुझे चूमा था... तब से न जाने क्यों मेरे अंदर की काफी दबी हुई जैसे कोई ज्वालामुखी एकदम से फूट पड़ी... उस दिन रात को तो आप सोने चले गए थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी... और उसके बाद कमला मौसी मुझे आपके कमरे में ले आई थी... "
फिर मैं थोड़ी देर चुप रही और फिर सचिन अंकल की आंखों में आंखें डाल कर देखा कि वह बड़े ध्यान से मेरी बातों को सुन रहे थे, मैंने बोलना जारी रखा, "मैं तो किसी दूसरे की बीवी हूं लेकिन मैं बेशर्मों की तरह... बिना कुछ सोचे समझे आपके कमरे में चली गई थी... आपने इस बात का बुरा तो नहीं माना?"
"इसमें बुरा मानने वाली बात क्या है मलाई? तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की को अपने इतना करीब पाकर मैं बस स्टैंड में अपने आप को रोक नहीं पाया था और मैंने तुम्हें जबरदस्ती चूम लिया... मुझे तो यह लग रहा था कि तुम बुरा मान जाओगी"
"आपने तो मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी..."
"हालांकि तुमको पहली झलक देखकर ही मैंने तुम्हें पसंद कर लिया था और मैं यह भी जानता हूं कि तुम शादीशुदा हो लेकिन मैं भी क्या करूं?", सचिन अंकल थोड़ी देर बाहर देखते रहे और फिर उन्होंने मेरी आंखों मैं आंखें डाल कर कहा, "और वैसे भी मलाई, तुम्हारे जैसी खूबसूरत और जवानी से भरपूर लड़की अगर थोड़ा बहुत लेचारी कर भी लेगी इसमें क्या फर्क पड़ता है? किसको पता चलेगा भला?"
लेचारी- मैं नहीं जानती थी कि सचिन अंकल भी इस बारे में जानते हैं| हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
मैंने गहरी सांस छोड़ी और नीचे देखते हुए मैंने कहा, "एक बात बताइए सचिन अंकल, किसी की बीवी होने का यह तो मतलब नहीं होता कि मैं किसी और से प्यार नहीं कर सकती?"
"तुम ने ठीक ही कहा- हर इंसान के अंदर तरह तरह के अरमान होते हैं- लेकिन समाज के दायरे में रहने के कारण अक्सर हमारे जैसे कई लोगों को अपने अरमानों की कुर्बानी देनी पड़ती है... लेकिन मैं अपने आप को बहुत ही खुश किस्मत समझता हूं जो मैं तुम्हारे साथ इन चंद दिनों में प्यार और मदहोशी के वह पल बिताए जो शायद मुझे नसीब ना होता"
मैं मुस्कुराई और मैंने कहा, "खुशकिस्मती तो मेरी थी.. जो मुझे आप जैसे आदमी का साथ और प्यार मिला..."
हम दोनों की नजरें एक दूसरे के साथ फिर मिली और हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को चुम लिया|
तब तक एयरपोर्ट आ गया था| मैंने अपनी पैंट की जिप चढ़ा ली यौनांग के गीलेपन से भीगी हुई अपनी ऊँगलिया चूस लीं|
मैंने हैरान होकर पूछा, "अरे सचिन अंकल यह आप क्या कर रहे हैं?"
उन्होंने कहा, "कुछ नहीं, बस जाते जाते तुम्हारी जवानी का स्वाद चख रहा हूं..."
"लेकिन मुझे लगता है कि आपका गिराया हुआ माल अभी भी मेरे अंदर बिल्कुल ताजा है"
"तो क्या हुआ? मुझे तो बस तुम्हारा ही स्वाद आ रहा है... तुम्हारे जैसी औरत बस नसीब वालों को ही मिलती है| अगर मेरा बस चलता तुम्हें हमेशा के लिए तुम्हें अपने पास ही रखता"
भाग्य का यह अजीब सा सहयोग था| जब सचिन अंकल कुछ दिन पहले अमेरिका से भारत आए हुए थे और मैं उन्हें एयरपोर्ट से अपने घर लेकर आ रही थी, तब मैंने देखा था कि सामने वाली टैक्सी की पिछली सीट में एक जोड़ा आपस में चुम्मा चाटी कर रहे हैं|
और अब, जबकि सचिन अंकल वापस अमेरिका जा रहे थे तब हम दोनों एक दूसरे को चुम रहे थे, चाट रहे थे और प्यार कर रहे थे...
हम लोग Uber से उतरे और Uber वाले ने डिक्की से सामान उतारने में सचिन अंकल की मदद की|
मेरा मन फिर से दुखी हो गया मेरी आंखें छलक आई थी| मैंने सचिन अंकल से पूछा, "अब आप दोबारा भारत कब आने वाले हैं"
सचिन अंकल ने कहा, "देखो यहां की एक लेदर फैक्ट्री में मैंने एक कंसलटेंसी का काम शुरू किया है, अगले 5- 6 साल का कॉन्ट्रैक्ट है... इसलिए साल में मेरे तीन चार चक्कर तो लग ही जाएंगे"
मैंने कहा, "ठीक है- मेरे पति अनिमेष को भी अक्सर काम के सिलसिले में हफ्तों के लिए हैदराबाद जाना पड़ता है, मैं वह डेट्स आपको बता दूंगी... हो सके तो आप जब चक्कर लगाना उसी बीच लगाना क्योंकि मैं चाहती हूं कि जब आप भारत में हमारे घर रुके मैं आपके कमरे में ही रहूं आपकी औरत बन कर- और यह सारी बातें मैं अनिमेषको नहीं बताऊंगी... और रही बात कमला मौसी की..."
"वह तो यही चाहती थी कि तुम मेरे से शारीरिक संबंध बनाओ और हां मलाई, मुझे इस बात की खुशी है कि तुमने मुझे एक बार भी कंडोम इस्तेमाल करने के लिए नहीं कहा"
मैं मुस्कुराई और मैंने कहा, "मुझे मालूम है कि मर्दों को बिना कॉन्डम के सेक्स करने में और ज्यादा मजा आता है"
सचिन अंकल भी एक शरारत भरी मुस्कान से मेरी तरफ देखते हुए बोले, "और तुम औरतों को मजा नहीं आता क्या?"
मुझे थोड़ी ही देर पहले उनके साथ बिताए हुए वह पल याद आ गए जब सचिन अंकल के साथ सहवास करते वक्त मेरा बदन कामवासना के जबरदस्त विस्फोट के साथ कांप उठा था और मैंने साफ महसूस किया था कि सचिन अंकल के गरम गरम गाढ़े चिपचिपे माल (वीर्य) सैलाब मेरे अंदर फूट पड़ा है...
अब मैं जोर से हंस पड़ी…
इतने में एयरपोर्ट में अनाउंसमेंट हुआ... सचिन अंकल की फ्लाइट के लिए सिक्योरिटी चेक शुरू होने वाला था हम दोनों एक दूसरे से गले मिलकर काफी देर तक लिपटे रहे...
“मैं जाते-जाते तुमको कुछ देना चाहता हूं, मलाई”
यह कहकर सचिन अंकल ने अपना हैंडबैग खोला और उसमें से प्लास्टिक का एक बैग निकाला| और उसमें कार्डबोर्ड का एक लंबा सा बक्सा था| जहां तक मुझे याद आया कि ऐसा ही एक पैकेट और बक्सा मैंने उनके हाथ में तब देखा था जब वह उस दिन मेरे लिए पहली बार बीयर लेकर आए थे|
मैंने वह पैकेट उनके हाथ से लिया और बड़ी उत्सुकता के साथ उसे पूछा, “क्या है इसमें?”
सचिन अंकल ने कहा, “अगर तुम चाहो तो खोल कर देख सकती हो लेकिन जरा ध्यान से...”
बक्सा बहुत सुंदर तरीके से गिफ्ट रैप किया हुआ था| मैंने बड़ी सावधानी से उसकी रैपिंग फाड़ी और देखा कि उसके अंदर लाल रंग के कांच की चूड़ियों एक लड़ी थी|
सचिन अंकल ने मुझसे कहा, "यूं तो तुम एक बंगाली बहु होने के नाते अपने पति के नाम का सिंदूर और अपने सुहाग की रक्षा के लिए शाखा पोला पहनती हो... अगर तुम मेरे नाम की यह कांच की चूड़ियां भी पहनोगी तो मुझे बहुत खुशी होगी और किसी को शक भी नहीं होगा"
मैंने मुस्कुराकर सच में कुल को दोबारा गले से लगा लिया और मैंने कहा, “मैं इन चूड़ियों को जरूर पहनूंगी… अच्छा होगा कि आप इसी वक्त मुझे यह चूड़ियां पहना दे”
एयरपोर्ट पर इतने सारे लोग थे लेकिन किसी ने भी हमारी तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया क्योंकि एयरपोर्ट पर ऐसे नजारे अक्सर देखे जा सकते हैं| या तो छोटे हैं बड़ों के पैर छू रहे हो या फिर एक आदमी और औरत एक दूसरे से गले मिल रहे हो...
सचिन अंकल ने मेरे गालों को प्यार से चूमा और फिर एयरपोर्ट के अंदर चले गए... और एयरपोर्ट के कांच के गेट के अंदर से ही उन्होंने मुझे हाथ हिला कर के 'बाय' किया... मैंने भी उनका जवाब दिया पर मेरी आंखों से आंसू टपक रहे थे मैं कांच के गेट के बाहर से ही उनको देखती रही तब तक जब तक वह भीड़ में घुल मिल कर ओझल नहीं हो गए...
Uber वाला पार्किंग में गाड़ी लगाकर इंतजार कर रहा था|
मैंने उसको फोन लगाया... मुझे अब वापस कमला मौसी के घर जाना था...
घर पहुंचते कि मैंने यह फैसला किया कि मैं सचिन अंकल के लिए अपने पीले रंग की साड़ी और इन चूड़ियों को पहन के एक सेल्फी खींचूंगी और उन्हें व्हाट्सएप कर दूंगी, और हां मुझे मालूम था जो सेल्फी मैं की खींचूंगी उसमें मुझे अपने बालों को खुला रखना बहुत ही जरूरी है|
कमला मौसी ने आज का दिन मुझे आराम करने के लिए कहा था क्योंकि कल फिर से मेरी वह पुरानीवाली दिनचर्या शुरू होने वाली थी...
लेकिन अब चीजें थोड़ी बदल गई थी क्योंकि मुझे सचिन अंकल जैसा एक साथी मिल गया था... और अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतजार रहेगा कि सचिन अंकल दोबारा भारत कब आने वाले हैं....
आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल वापस जाने वाले थे|
उस दिन सुबह उठते के साथ ही से मेरा चेहरा बिल्कुल मुरझाया हुआ था|
सचिन अंकल ने मुझे काफी दिलासा दिया... लेकिन मेरे आंसू और मेरी सिसकियां रुक ही नहीं रही थी|
खैर सचिन अंकल तो कुछ ही दिनों के लिए यहां आए हुए थे और उन्हें वापस तो जाना ही था| वह वक्त जल्दी आया जब सचिन अंकल एयरपोर्ट पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे... मैंने उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए जाने वाली थी इसलिए मैं भी तैयार हो रही थी- कमला मौसी के कहने पर मैंने फिर से एक स्लीवलेस टीशर्ट और एक स्किन टाइट जींस पहनने का फैसला किया था- इतने में सचिन अंकल ने मुझे आवाज लगाई, वह बोले "मलाई यह देखो क्या हो गया?"
मैंने मुड़कर देखा तो सचिन अंकल ने अपनी पेंट नीचे घुटनों तक सरकार की थी और उनका लिंग फिर से कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो कर मानो फना फना और तमतमा रहा था...
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि इतने में सचिन अंकल ने खुद ही मुझसे कहा, "जल्दी से अपनी पैंट उतारो, मलाई... मेरे अंदर बहुत जोर का ज्वार आया है उसे थोड़ा ठंडा कर लेने दो.. चलो- चलो जल्दी करो- अपनी पैंट उतारो"
मैंने कहा, “जी अच्छा”
यह कह कर मैंने अपनी जींस नीचे सरका दी और जैसे ही मैं बेड पर जैसे ही बैठी सचिन अंकल ने मुझे धकेल कर बेड पर लेटा दिया और वह मेरे ऊपर चढ़ गए और फिर उन्होंने मेरी टीशर्ट ऊपर सरका कर मेरे स्तनों को नंगा किया और फिर उन्हें मसलते हुए उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर डाल दिया और फिर मैथुन करने लग गए...
अभी हम दोनों कामलीला में मगन हो ही रखे थे कि इतने में कमला मौसी यह कहते हुए कमरे के अंदर आई की Uber वाला आ गया है|
हम दोनों को इस हालत में देखकर वह थोड़ा सा चौक गई क्योंकि जल्दबाजी में हम दोनों को ध्यान नहीं था कि कमरे का दरवाजा खुला ही हुआ है...
सचिन अंकल की पीठ उनकी तरफ थी, उन्होंने मुड़कर अपना सर स्वीकृति में दो-चार बार हिलाया... मानो वह इशारे इशारे में ही बोल रहे हो, ' हां हां, बस थोड़ा सा वक्त दो- हम बस अभी आए' और फिर वापस मगन हो गए हो अपनी मैथुन लीला में…
कमला मौसी तुरंत पीछे मुड़कर कमरे से बाहर जाती हुई और बोली, " ठीक है… ठीक है… ठीक है… मैं Uber वाले को 10-15 मिनट इंतजार करने के लिए बोल दूंगी"
जल्दी ही मेरा बदन कामवासना के जबरदस्त विस्फोट के साथ कांप उठा मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल के गरम गरम गाढ़े चिपचिपे माल (वीर्य) सैलाब मेरे अंदर फूट पड़ा...
कुछ देर तक हम लोग ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे सचिन अंकल काफी देर तक मेरी जीभ को अपने मुंह में के अंदर लेकर चूसते रहें उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए और फिर मैं अपने मुंह अपने बाएं हाथ की हथेली की उल्टी तरफ से पोंछा और कपड़ों को ठीक करती हुई उनसे पूछी, “ यह अचानक आपको आज क्या हो गया था?"
“कुछ नहीं मलाई इतने दिनों चौबीसों घंटे में तुमको नंगी देखता आया हूं, आज जब तुम जींस और पैंट पहनकर अपने बालों में कंघी कर रही थी तो न जाने क्यों तुम बहुत ही सेक्सी दिख रही थी और यही देखते देखते मुझे चढ़ गई... और मेरा लंड खड़ा हो गया… और जब तुम मेरे करीब हो, मेरे पास हो तब मैं बैठ बैठ कर सिर्फ मुठ तो नहीं मार सकता इसलिए मैंने कहा मलाई अपनी पैंट उतारो… अच्छा हुआ तुमने ब्रा और पेंटी नहीं पहन रखी है… ”
“शुक्रिया मलाई... जाते-जाते भी बहुत मजा आ गया”
सुबह से आज पहली बार मेरे होठों पर मुस्कुराहट छाई और मैंने आईना देखती हुई अपने बालों का जुड़ा बांधते हुए उनकी तरफ तिरछी नजरों से देखा और फिर शरारत से कहा, "इसमें शुक्रिया कहने की क्या बात है? आपके कुतुब मीनार के लिए मेरी सुरंग में हमेशा जगह बनी रहेगी... मैं बहुत ही मिस करूंगी आपको"
"मैं भी तुम्हें बहुत मिस करूंगा मलाई"
***
बारिश की वजह से जगह-जगह सड़कों पर पानी भरा हुआ था| इसलिए गाड़ियां रेंग रही थी| हमें सब मालूम था इसलिए हमने घर से जल्दी निकलने का फैसला किया था| अच्छा हुआ किस सफर में थोड़ा ज्यादा ही टाइम लग रहा था| मैं और सचिन अंकल Uber की पिछली वाली सीट में एक दूसरे के साथ हाथों में हाथ डालकर बिल्कुल चिपक कर बैठे हुए थे| मौका देख देख कर सचिन अंकल बार-बार मुझे चुम रहे थे और मेरे कोमल अंगों कोदबा- दबा कर खेल रहे थे… सहला भी रहे थे... मेरे बालों को जी भर के सूंघ रहे थे… मुझे भी थोड़ी मस्ती सूजी, पैंटी तो मैंने पहन नहीं रखी थी... इसलिए मैंने अपनी एक टांग सचिन अंकल की जांग पर रखकर अपने जींस के पैंट की जिप खोल दी... सचिन अंकल अपनी उंगलियां अंदर डालकर मेरे यौनांग को सहलाने लगे...
मैंने दो-तीन गहरी सांसे छोड़ी...
फिर सचिन अंकल ने कहा, "अच्छा हुआ मलाई कि तुमने पैंटी नहीं पहनी… उस दिन जब तुम पहली बार मेरे साथ बैठकर बीयर पी रही थी तुमने मुझसे कहा था कि -मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं... लेकिन लगता है हमें मौका ही नहीं मिला| अगर कुछ कहना है, तो तुम अभी कह सकती हो"
मैंने एक गहरी उसांस ली और फिर मैंने उनके कंधे पर सर रखकर कहा, "न जाने क्यों शुरू शुरू में मुझे कैसा अजीब सा लगता था यह सब... लेकिन उस दिन जब न्यू मार्केट के बस स्टैंड में आपने मुझे चूमा था... तब से न जाने क्यों मेरे अंदर की काफी दबी हुई जैसे कोई ज्वालामुखी एकदम से फूट पड़ी... उस दिन रात को तो आप सोने चले गए थे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी... और उसके बाद कमला मौसी मुझे आपके कमरे में ले आई थी... "
फिर मैं थोड़ी देर चुप रही और फिर सचिन अंकल की आंखों में आंखें डाल कर देखा कि वह बड़े ध्यान से मेरी बातों को सुन रहे थे, मैंने बोलना जारी रखा, "मैं तो किसी दूसरे की बीवी हूं लेकिन मैं बेशर्मों की तरह... बिना कुछ सोचे समझे आपके कमरे में चली गई थी... आपने इस बात का बुरा तो नहीं माना?"
"इसमें बुरा मानने वाली बात क्या है मलाई? तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की को अपने इतना करीब पाकर मैं बस स्टैंड में अपने आप को रोक नहीं पाया था और मैंने तुम्हें जबरदस्ती चूम लिया... मुझे तो यह लग रहा था कि तुम बुरा मान जाओगी"
"आपने तो मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी..."
"हालांकि तुमको पहली झलक देखकर ही मैंने तुम्हें पसंद कर लिया था और मैं यह भी जानता हूं कि तुम शादीशुदा हो लेकिन मैं भी क्या करूं?", सचिन अंकल थोड़ी देर बाहर देखते रहे और फिर उन्होंने मेरी आंखों मैं आंखें डाल कर कहा, "और वैसे भी मलाई, तुम्हारे जैसी खूबसूरत और जवानी से भरपूर लड़की अगर थोड़ा बहुत लेचारी कर भी लेगी इसमें क्या फर्क पड़ता है? किसको पता चलेगा भला?"
लेचारी- मैं नहीं जानती थी कि सचिन अंकल भी इस बारे में जानते हैं| हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
मैंने गहरी सांस छोड़ी और नीचे देखते हुए मैंने कहा, "एक बात बताइए सचिन अंकल, किसी की बीवी होने का यह तो मतलब नहीं होता कि मैं किसी और से प्यार नहीं कर सकती?"
"तुम ने ठीक ही कहा- हर इंसान के अंदर तरह तरह के अरमान होते हैं- लेकिन समाज के दायरे में रहने के कारण अक्सर हमारे जैसे कई लोगों को अपने अरमानों की कुर्बानी देनी पड़ती है... लेकिन मैं अपने आप को बहुत ही खुश किस्मत समझता हूं जो मैं तुम्हारे साथ इन चंद दिनों में प्यार और मदहोशी के वह पल बिताए जो शायद मुझे नसीब ना होता"
मैं मुस्कुराई और मैंने कहा, "खुशकिस्मती तो मेरी थी.. जो मुझे आप जैसे आदमी का साथ और प्यार मिला..."
हम दोनों की नजरें एक दूसरे के साथ फिर मिली और हम दोनों ने एक दूसरे के होठों को चुम लिया|
तब तक एयरपोर्ट आ गया था| मैंने अपनी पैंट की जिप चढ़ा ली यौनांग के गीलेपन से भीगी हुई अपनी ऊँगलिया चूस लीं|
मैंने हैरान होकर पूछा, "अरे सचिन अंकल यह आप क्या कर रहे हैं?"
उन्होंने कहा, "कुछ नहीं, बस जाते जाते तुम्हारी जवानी का स्वाद चख रहा हूं..."
"लेकिन मुझे लगता है कि आपका गिराया हुआ माल अभी भी मेरे अंदर बिल्कुल ताजा है"
"तो क्या हुआ? मुझे तो बस तुम्हारा ही स्वाद आ रहा है... तुम्हारे जैसी औरत बस नसीब वालों को ही मिलती है| अगर मेरा बस चलता तुम्हें हमेशा के लिए तुम्हें अपने पास ही रखता"
भाग्य का यह अजीब सा सहयोग था| जब सचिन अंकल कुछ दिन पहले अमेरिका से भारत आए हुए थे और मैं उन्हें एयरपोर्ट से अपने घर लेकर आ रही थी, तब मैंने देखा था कि सामने वाली टैक्सी की पिछली सीट में एक जोड़ा आपस में चुम्मा चाटी कर रहे हैं|
और अब, जबकि सचिन अंकल वापस अमेरिका जा रहे थे तब हम दोनों एक दूसरे को चुम रहे थे, चाट रहे थे और प्यार कर रहे थे...
हम लोग Uber से उतरे और Uber वाले ने डिक्की से सामान उतारने में सचिन अंकल की मदद की|
मेरा मन फिर से दुखी हो गया मेरी आंखें छलक आई थी| मैंने सचिन अंकल से पूछा, "अब आप दोबारा भारत कब आने वाले हैं"
सचिन अंकल ने कहा, "देखो यहां की एक लेदर फैक्ट्री में मैंने एक कंसलटेंसी का काम शुरू किया है, अगले 5- 6 साल का कॉन्ट्रैक्ट है... इसलिए साल में मेरे तीन चार चक्कर तो लग ही जाएंगे"
मैंने कहा, "ठीक है- मेरे पति अनिमेष को भी अक्सर काम के सिलसिले में हफ्तों के लिए हैदराबाद जाना पड़ता है, मैं वह डेट्स आपको बता दूंगी... हो सके तो आप जब चक्कर लगाना उसी बीच लगाना क्योंकि मैं चाहती हूं कि जब आप भारत में हमारे घर रुके मैं आपके कमरे में ही रहूं आपकी औरत बन कर- और यह सारी बातें मैं अनिमेषको नहीं बताऊंगी... और रही बात कमला मौसी की..."
"वह तो यही चाहती थी कि तुम मेरे से शारीरिक संबंध बनाओ और हां मलाई, मुझे इस बात की खुशी है कि तुमने मुझे एक बार भी कंडोम इस्तेमाल करने के लिए नहीं कहा"
मैं मुस्कुराई और मैंने कहा, "मुझे मालूम है कि मर्दों को बिना कॉन्डम के सेक्स करने में और ज्यादा मजा आता है"
सचिन अंकल भी एक शरारत भरी मुस्कान से मेरी तरफ देखते हुए बोले, "और तुम औरतों को मजा नहीं आता क्या?"
मुझे थोड़ी ही देर पहले उनके साथ बिताए हुए वह पल याद आ गए जब सचिन अंकल के साथ सहवास करते वक्त मेरा बदन कामवासना के जबरदस्त विस्फोट के साथ कांप उठा था और मैंने साफ महसूस किया था कि सचिन अंकल के गरम गरम गाढ़े चिपचिपे माल (वीर्य) सैलाब मेरे अंदर फूट पड़ा है...
अब मैं जोर से हंस पड़ी…
इतने में एयरपोर्ट में अनाउंसमेंट हुआ... सचिन अंकल की फ्लाइट के लिए सिक्योरिटी चेक शुरू होने वाला था हम दोनों एक दूसरे से गले मिलकर काफी देर तक लिपटे रहे...
“मैं जाते-जाते तुमको कुछ देना चाहता हूं, मलाई”
यह कहकर सचिन अंकल ने अपना हैंडबैग खोला और उसमें से प्लास्टिक का एक बैग निकाला| और उसमें कार्डबोर्ड का एक लंबा सा बक्सा था| जहां तक मुझे याद आया कि ऐसा ही एक पैकेट और बक्सा मैंने उनके हाथ में तब देखा था जब वह उस दिन मेरे लिए पहली बार बीयर लेकर आए थे|
मैंने वह पैकेट उनके हाथ से लिया और बड़ी उत्सुकता के साथ उसे पूछा, “क्या है इसमें?”
सचिन अंकल ने कहा, “अगर तुम चाहो तो खोल कर देख सकती हो लेकिन जरा ध्यान से...”
बक्सा बहुत सुंदर तरीके से गिफ्ट रैप किया हुआ था| मैंने बड़ी सावधानी से उसकी रैपिंग फाड़ी और देखा कि उसके अंदर लाल रंग के कांच की चूड़ियों एक लड़ी थी|
सचिन अंकल ने मुझसे कहा, "यूं तो तुम एक बंगाली बहु होने के नाते अपने पति के नाम का सिंदूर और अपने सुहाग की रक्षा के लिए शाखा पोला पहनती हो... अगर तुम मेरे नाम की यह कांच की चूड़ियां भी पहनोगी तो मुझे बहुत खुशी होगी और किसी को शक भी नहीं होगा"
मैंने मुस्कुराकर सच में कुल को दोबारा गले से लगा लिया और मैंने कहा, “मैं इन चूड़ियों को जरूर पहनूंगी… अच्छा होगा कि आप इसी वक्त मुझे यह चूड़ियां पहना दे”
एयरपोर्ट पर इतने सारे लोग थे लेकिन किसी ने भी हमारी तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया क्योंकि एयरपोर्ट पर ऐसे नजारे अक्सर देखे जा सकते हैं| या तो छोटे हैं बड़ों के पैर छू रहे हो या फिर एक आदमी और औरत एक दूसरे से गले मिल रहे हो...
सचिन अंकल ने मेरे गालों को प्यार से चूमा और फिर एयरपोर्ट के अंदर चले गए... और एयरपोर्ट के कांच के गेट के अंदर से ही उन्होंने मुझे हाथ हिला कर के 'बाय' किया... मैंने भी उनका जवाब दिया पर मेरी आंखों से आंसू टपक रहे थे मैं कांच के गेट के बाहर से ही उनको देखती रही तब तक जब तक वह भीड़ में घुल मिल कर ओझल नहीं हो गए...
Uber वाला पार्किंग में गाड़ी लगाकर इंतजार कर रहा था|
मैंने उसको फोन लगाया... मुझे अब वापस कमला मौसी के घर जाना था...
घर पहुंचते कि मैंने यह फैसला किया कि मैं सचिन अंकल के लिए अपने पीले रंग की साड़ी और इन चूड़ियों को पहन के एक सेल्फी खींचूंगी और उन्हें व्हाट्सएप कर दूंगी, और हां मुझे मालूम था जो सेल्फी मैं की खींचूंगी उसमें मुझे अपने बालों को खुला रखना बहुत ही जरूरी है|
कमला मौसी ने आज का दिन मुझे आराम करने के लिए कहा था क्योंकि कल फिर से मेरी वह पुरानीवाली दिनचर्या शुरू होने वाली थी...
लेकिन अब चीजें थोड़ी बदल गई थी क्योंकि मुझे सचिन अंकल जैसा एक साथी मिल गया था... और अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतजार रहेगा कि सचिन अंकल दोबारा भारत कब आने वाले हैं....
*** समाप्त ***
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া