25-08-2021, 09:47 AM
मलाई- एक रखैल-12
शाम को जब मेरी नींद खुली तो सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पड़ गई| मैंने देखा कि रात के करीब 9:45 बज रहे हैं| दोपहर को सचिन अंकल के साथ बैठकर मैंने जो बियर पी थी उसका नशा अभी भी चढ़ा हुआ था| कमला मौसी दुकान बंद करके घर आ गई थी|
वह और सचिन अंकल बाहर वाले कमरे में बैठकर हंस हंस के बातें कर रहे थे और टीवी भी चल रहा था| मैंने बाथरूम में जाकर वह हाथ मुंह और फिर कमरे में लगे बड़े शीशे के सामने बैठकर अपने बालों में कंघी की और फिर बदन पर नाइटी चढ़ाकर कमरे से बाहर निकल कर सचिन कलर कमला मौसी के साथ बाहर वाले कमरे में बैठी|
कमला मौसी ने बड़े प्यार से मुस्कुरा कर मुझसे पूछा, “उठ गई मेरी बच्ची?”
मैंने कहा, “हां”
फिर उन्होंने सचिन अंकल से पूछा, “सचिन भाई मेरी इस लड़की ने आपको कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया?”
सचिन अंकल बोले, “अरे नहीं नहीं नहीं यह तो बहुत ही प्यारी बच्ची है और मुझे बहुत अच्छी लगती है…”
“हा हा हा हा हा है इसीलिए मैं चाहती थी कि मेरी यह मलाई आपके साथ जोड़ी बनाए... लेकिन मलाई यह बता, तूने की नाइटी क्यों पहन रखी है...”
“जी ऐसे ही, मुझे शर्म आ रही थी...”
कमला मौसी बोली, “कोई बात नहीं कुछ देर बाद हम लोग रात का खाना खा लेंगे उसके बाद दोबारा तू कमरे में चली जाना… वहां जाकर के नाइटी उतार कर बिल्कुल नंगी हो जाना| जब तक सचिन अंकल घर पर है... मैं तुझे मैं तुझे कोई काम नहीं करने दूंगी बस तुझे सचिन अंकल के साथ ही रहना है बिल्कुल उनकी रखी हुई औरत बन कर और वह भी बिल्कुल पूरी तरह से नंगी रहकर”
मैंने सर झुका कर कहा, “जी अच्छा”
“लेकिन पहले जाकर नहा ले तेरे पूरे बदन से बीयर की बदबू आ रही है और हां, गर्म पानी से नहाना- मौसम ठीक नहीं है”
इतने में दरवाजे की घंटी बजी| कमला मौसी ने जाकर दरवाजा खोला और देखा कि ‘जोमैटो’ वाला खाना लेकर आया हुआ था| वह एक एक करके कमला मौसी को पैकेट पकड़ा रहा था और बार-बार उसकी निगाहें मुझ पर आकर ही टिक जाती... सारे पैकेटों को संभालने में कमला मौसी को थोड़ी दिक्कत आ रही थी इसलिए मैं उठ कर दरवाजे के पास गई और उनके हाथों से खाने के पैकेट लिए और मैं जानती थी कि मेरे हर कदम पर मेरे स्तनों का जोड़ा थिरक थिरक कर मानो मेरी जवानी और खूबसूरती का रस छलका रहा था... और जोमैटो वाला अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था|
और वह बेचारा भी क्या करें? हर रोज उसको तो ऐसे नजारे देखने को नहीं मिलते... मुझे सिर्फ खूबसूरती लड़की ने अपने काले घने रेशमी लंबे बाल खुले छोड़ रखे थे... मैंने बदन पर सिर्फ एक नाइटी चढ़ा रखी थी और अंदर कुछ नहीं पहना था जिसकी वजह से मेरी चूचियां नाइटी में साफ उभर आई थी... फिर उसकी नजरें सचिन अंकल पर पड़ी... शायद वह सोच रहा होगा 'क्या यह आदमी इस लड़की के मजे लूटता है? लेकिन यह लड़की तो एकदम जवान और कमसिन है; और बाकी दोनों आदमी औरत तो अधेड़ उम्र के हैं... न जाने चक्कर क्या है?'
नशा तो मुझे हल्का हल्का चढ़ा ही हुआ था... और यही बातें सोचते सोचते मैं थोड़ा मुस्कुरा दी और यह देखकर जोमैटो वाले ने सोचा शायद में जान गई हूं कि वह मुझे ताड़ रहा है| इसलिए थोड़ा झेंप गया|
उसके जाने के बाद मैं सीधा सचिन अंकल के कमरे से लगे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के मैंने गीजर ऑन किया| इतने में कमला मौसी अंदर आए और उन्होंने कहा, "देख मलाई... तू बहुत ही खूबसूरत लड़की है- लेकिन फिलहाल तू मेरे सचिन भाई की अमानत है, इसलिए दूसरे मर्दों के सामने इस हालत में जाया मत कर"
मैंने कहा, "जी अच्छा"
"मेरी अच्छी बेटी- मेरी फूल सी बच्ची" कमला मौसी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "अब जल्दी से नहा ले उसके बाद मैं तेरे बाल सुखा दूंगी और फिर थोड़ा सा नशा करके खाना-वाना खा लेना और उसके बाद मैं तो सोने चली जाऊंगी पर तुझे याद है ना? तुझे सचिन अंकल के बिस्तर में ही सोना है और वह भी बिल्कुल नंगी होकर के"
मैंने शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली और मुस्कुराते हुए कहा, "जी हां, मुझे मालूम है"
“मेरी लाडली बच्ची... मैं तो यही चाहती हूं कि यह चंद दिन तो बाहर का ही अच्छा अच्छा खाना खाती रहे, तेरे मिजाज में हमेशा नशा चढ़ा रहे और हां तेरी जवानी का वह सूखा कुआं (यौनांग) मेरे सचिन भाई के गरम गरम माल (वीर्य) से हर वक्त बिल्कुल लबालब भरा रहे... मुश्किल से शायद तूने एक पूरा दिन सचिन अंकल के साथ बिताया था लेकिन तूने देखा भी है कि तेरा चेहरा कैसे खिला खिला सा लग रहा है तेरा कितना रूप निखर आया है? यह सब तेरे सचिन अंकल के दिए हुए प्यार का नतीजा है... मैंने तुमसे कहा था ना? मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा|
***
अगले 3 दिनों तक मेरी जिंदगी मानो एक तरह से बंधी- बंधाई ऐसी बनी रही|
मैं सुबह उठती, नहा धोकर साफ सुथरी हो जाती- और खासकर मैं अपने यौनांग को घिस- घिस कर धोती थी, क्योंकि मेरे शरीर का यह हिस्सा मुझे वह खुशियां दे रहा था जो आज तक मुझे नसीब नहीं हुआ था और मैं सचिन अंकल को शिकायत का कोई मौका नहीं देना चाहती थी- फिर कुछ देर तक मैं सचिन अंकल के साथ बैठकर टीवी देखती, बातें किया करती… सचिन अंकल यह जान गए थे कि जब मैं नशे में होती हूं तो मेरा स्वभाव बिल्कुल बदल जाता है... अपने शर्मो हया के सारे परदे हटा देती हूँ और उनके साथ कामलीला में पूरी तरह खुलकर और बेझिझक होकर शामिल हो जाती हूँ... इसलिए वह बियर, व्हिस्की या रम जो भी रहते मैं उनके साथ बैठकर पीती, नशा करती और फिर सारी दोपहर मैं उनके बिस्तर पर ही बिताती... शाम को जब मेरी नींद खुलती है तब भी मेरा रूटीन ऐसा ही हुआ करता था... और इतने दिनों कमला मौसी ने ही घर के सारे काम किए और दुकान भी संभाली...
उन्होंने पूरी तरह से मुझे सचिन अंकल के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उन्हें मालूम था कि आज तक मुझे जो सुख अनिमेष नहीं दे पाया था वह सचिन आकर दे रहे थे क्योंकि ऐसे सब का स्वाद हो खुद भी थक चुकी थी... लोगों का कहना भी सही है कि एक औरत ही एक औरत के दिल के दर्द को समझ सकती है…
कॉलेज के बच्चों को भी गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियां मिल जाती हैं जिससे वह कुछ दिनों के लिए ही सही अपनी पढ़ाई के दबाव को भूल सकते हैं| कामकाजी मर्दों को भी अपने दफ्तर से छुट्टी लेने का मौका मिलता है ताकि वह भी अपने काम को भूल कर थोड़ा सुस्ताने का मौका ले सकें| लेकिन हम औरतों की जिंदगी में मनोज छुट्टी जैसी कोई चीज है ही नहीं| साल के 365 दिन हम औरतों को घर संसार संभालना पड़ता है और जब से मैंने कमला मौसी की दुकान संभालने का काम शुरू किया तब से तुम्हें दो दो घर संभाल रही हूं... पर अब; सचिन अंकल के आजाने के बाद मुझे अपनी मशगूल जिंदगी से फुर्सत में सांस लेने में और खुली हवा में जीने का एक बेहतरीन मौका मिल गया था|
और साथ ही सचिन अंकल इन दिनों सचिन अंकल के साथ मैंने अपनी कामुकता और नारीत्व की उन पहलुओं को अनुभव करके ताज्जुब होती गई जिनके बारे में मुझे कभी मालूम ही नहीं था और अगर सचिन अंकल ना होते तो शायद उनके बारे में मैं जान भी नहीं पाती....
क्रमशः
शाम को जब मेरी नींद खुली तो सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पड़ गई| मैंने देखा कि रात के करीब 9:45 बज रहे हैं| दोपहर को सचिन अंकल के साथ बैठकर मैंने जो बियर पी थी उसका नशा अभी भी चढ़ा हुआ था| कमला मौसी दुकान बंद करके घर आ गई थी|
वह और सचिन अंकल बाहर वाले कमरे में बैठकर हंस हंस के बातें कर रहे थे और टीवी भी चल रहा था| मैंने बाथरूम में जाकर वह हाथ मुंह और फिर कमरे में लगे बड़े शीशे के सामने बैठकर अपने बालों में कंघी की और फिर बदन पर नाइटी चढ़ाकर कमरे से बाहर निकल कर सचिन कलर कमला मौसी के साथ बाहर वाले कमरे में बैठी|
कमला मौसी ने बड़े प्यार से मुस्कुरा कर मुझसे पूछा, “उठ गई मेरी बच्ची?”
मैंने कहा, “हां”
फिर उन्होंने सचिन अंकल से पूछा, “सचिन भाई मेरी इस लड़की ने आपको कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया?”
सचिन अंकल बोले, “अरे नहीं नहीं नहीं यह तो बहुत ही प्यारी बच्ची है और मुझे बहुत अच्छी लगती है…”
“हा हा हा हा हा है इसीलिए मैं चाहती थी कि मेरी यह मलाई आपके साथ जोड़ी बनाए... लेकिन मलाई यह बता, तूने की नाइटी क्यों पहन रखी है...”
“जी ऐसे ही, मुझे शर्म आ रही थी...”
कमला मौसी बोली, “कोई बात नहीं कुछ देर बाद हम लोग रात का खाना खा लेंगे उसके बाद दोबारा तू कमरे में चली जाना… वहां जाकर के नाइटी उतार कर बिल्कुल नंगी हो जाना| जब तक सचिन अंकल घर पर है... मैं तुझे मैं तुझे कोई काम नहीं करने दूंगी बस तुझे सचिन अंकल के साथ ही रहना है बिल्कुल उनकी रखी हुई औरत बन कर और वह भी बिल्कुल पूरी तरह से नंगी रहकर”
मैंने सर झुका कर कहा, “जी अच्छा”
“लेकिन पहले जाकर नहा ले तेरे पूरे बदन से बीयर की बदबू आ रही है और हां, गर्म पानी से नहाना- मौसम ठीक नहीं है”
इतने में दरवाजे की घंटी बजी| कमला मौसी ने जाकर दरवाजा खोला और देखा कि ‘जोमैटो’ वाला खाना लेकर आया हुआ था| वह एक एक करके कमला मौसी को पैकेट पकड़ा रहा था और बार-बार उसकी निगाहें मुझ पर आकर ही टिक जाती... सारे पैकेटों को संभालने में कमला मौसी को थोड़ी दिक्कत आ रही थी इसलिए मैं उठ कर दरवाजे के पास गई और उनके हाथों से खाने के पैकेट लिए और मैं जानती थी कि मेरे हर कदम पर मेरे स्तनों का जोड़ा थिरक थिरक कर मानो मेरी जवानी और खूबसूरती का रस छलका रहा था... और जोमैटो वाला अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था|
और वह बेचारा भी क्या करें? हर रोज उसको तो ऐसे नजारे देखने को नहीं मिलते... मुझे सिर्फ खूबसूरती लड़की ने अपने काले घने रेशमी लंबे बाल खुले छोड़ रखे थे... मैंने बदन पर सिर्फ एक नाइटी चढ़ा रखी थी और अंदर कुछ नहीं पहना था जिसकी वजह से मेरी चूचियां नाइटी में साफ उभर आई थी... फिर उसकी नजरें सचिन अंकल पर पड़ी... शायद वह सोच रहा होगा 'क्या यह आदमी इस लड़की के मजे लूटता है? लेकिन यह लड़की तो एकदम जवान और कमसिन है; और बाकी दोनों आदमी औरत तो अधेड़ उम्र के हैं... न जाने चक्कर क्या है?'
नशा तो मुझे हल्का हल्का चढ़ा ही हुआ था... और यही बातें सोचते सोचते मैं थोड़ा मुस्कुरा दी और यह देखकर जोमैटो वाले ने सोचा शायद में जान गई हूं कि वह मुझे ताड़ रहा है| इसलिए थोड़ा झेंप गया|
उसके जाने के बाद मैं सीधा सचिन अंकल के कमरे से लगे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के मैंने गीजर ऑन किया| इतने में कमला मौसी अंदर आए और उन्होंने कहा, "देख मलाई... तू बहुत ही खूबसूरत लड़की है- लेकिन फिलहाल तू मेरे सचिन भाई की अमानत है, इसलिए दूसरे मर्दों के सामने इस हालत में जाया मत कर"
मैंने कहा, "जी अच्छा"
"मेरी अच्छी बेटी- मेरी फूल सी बच्ची" कमला मौसी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "अब जल्दी से नहा ले उसके बाद मैं तेरे बाल सुखा दूंगी और फिर थोड़ा सा नशा करके खाना-वाना खा लेना और उसके बाद मैं तो सोने चली जाऊंगी पर तुझे याद है ना? तुझे सचिन अंकल के बिस्तर में ही सोना है और वह भी बिल्कुल नंगी होकर के"
मैंने शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली और मुस्कुराते हुए कहा, "जी हां, मुझे मालूम है"
“मेरी लाडली बच्ची... मैं तो यही चाहती हूं कि यह चंद दिन तो बाहर का ही अच्छा अच्छा खाना खाती रहे, तेरे मिजाज में हमेशा नशा चढ़ा रहे और हां तेरी जवानी का वह सूखा कुआं (यौनांग) मेरे सचिन भाई के गरम गरम माल (वीर्य) से हर वक्त बिल्कुल लबालब भरा रहे... मुश्किल से शायद तूने एक पूरा दिन सचिन अंकल के साथ बिताया था लेकिन तूने देखा भी है कि तेरा चेहरा कैसे खिला खिला सा लग रहा है तेरा कितना रूप निखर आया है? यह सब तेरे सचिन अंकल के दिए हुए प्यार का नतीजा है... मैंने तुमसे कहा था ना? मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा|
***
अगले 3 दिनों तक मेरी जिंदगी मानो एक तरह से बंधी- बंधाई ऐसी बनी रही|
मैं सुबह उठती, नहा धोकर साफ सुथरी हो जाती- और खासकर मैं अपने यौनांग को घिस- घिस कर धोती थी, क्योंकि मेरे शरीर का यह हिस्सा मुझे वह खुशियां दे रहा था जो आज तक मुझे नसीब नहीं हुआ था और मैं सचिन अंकल को शिकायत का कोई मौका नहीं देना चाहती थी- फिर कुछ देर तक मैं सचिन अंकल के साथ बैठकर टीवी देखती, बातें किया करती… सचिन अंकल यह जान गए थे कि जब मैं नशे में होती हूं तो मेरा स्वभाव बिल्कुल बदल जाता है... अपने शर्मो हया के सारे परदे हटा देती हूँ और उनके साथ कामलीला में पूरी तरह खुलकर और बेझिझक होकर शामिल हो जाती हूँ... इसलिए वह बियर, व्हिस्की या रम जो भी रहते मैं उनके साथ बैठकर पीती, नशा करती और फिर सारी दोपहर मैं उनके बिस्तर पर ही बिताती... शाम को जब मेरी नींद खुलती है तब भी मेरा रूटीन ऐसा ही हुआ करता था... और इतने दिनों कमला मौसी ने ही घर के सारे काम किए और दुकान भी संभाली...
उन्होंने पूरी तरह से मुझे सचिन अंकल के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उन्हें मालूम था कि आज तक मुझे जो सुख अनिमेष नहीं दे पाया था वह सचिन आकर दे रहे थे क्योंकि ऐसे सब का स्वाद हो खुद भी थक चुकी थी... लोगों का कहना भी सही है कि एक औरत ही एक औरत के दिल के दर्द को समझ सकती है…
कॉलेज के बच्चों को भी गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियां मिल जाती हैं जिससे वह कुछ दिनों के लिए ही सही अपनी पढ़ाई के दबाव को भूल सकते हैं| कामकाजी मर्दों को भी अपने दफ्तर से छुट्टी लेने का मौका मिलता है ताकि वह भी अपने काम को भूल कर थोड़ा सुस्ताने का मौका ले सकें| लेकिन हम औरतों की जिंदगी में मनोज छुट्टी जैसी कोई चीज है ही नहीं| साल के 365 दिन हम औरतों को घर संसार संभालना पड़ता है और जब से मैंने कमला मौसी की दुकान संभालने का काम शुरू किया तब से तुम्हें दो दो घर संभाल रही हूं... पर अब; सचिन अंकल के आजाने के बाद मुझे अपनी मशगूल जिंदगी से फुर्सत में सांस लेने में और खुली हवा में जीने का एक बेहतरीन मौका मिल गया था|
और साथ ही सचिन अंकल इन दिनों सचिन अंकल के साथ मैंने अपनी कामुकता और नारीत्व की उन पहलुओं को अनुभव करके ताज्जुब होती गई जिनके बारे में मुझे कभी मालूम ही नहीं था और अगर सचिन अंकल ना होते तो शायद उनके बारे में मैं जान भी नहीं पाती....
क्रमशः
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া