19-04-2019, 11:18 AM
जग्गू को रत्ती भर मतलब नहीं था कि नूतन कुंवारी है या नहीं | उसे रीमा की हवस का बुखार चढ़ गया था और अभी फिलहाल उसे उतारने के लिए उसे एक चूत की जरुरत थी | नूतन उसका प्रतिरोध करने लगी | जग्गू ने एक हाथ से उसके दोनों हाथ थाम लिए और दुसरे हाथ से उसकी बेल्ट खोलने लगा | अभी तक छिपकर विडिओ बना रही रीमा अब सामने आ गयी | दोनों आपस में ही ऐसे उलझे थे , इसलिए गेट की तरफ दोनों में से किसी ने देखा ही नहीं | दोनों में जबरदस्त नूर कुश्ती चल रही थी | जग्गू किसी तरह से नूतन को अपने हाथ से नीचे बिस्तर पर दबाये था और नूतन अपने पैर पटक रही थी | उसकी चूतड़ की दरारों के बीच से हाथ घुसा कर उसकी चिकनी गुलाबी चूत उंगलियों से रगड़ने लगा | नूतन उससके चंगुल से बचने की कोशिश में हाथ पांव मार रही थी |
नूतन की तरफ से जबरदस्त प्रतिरोध होता देख, उसकी चूत जोर जोर से रगड़ने लगा ताकि चूत गरम होने से उसके अन्दर चुदास जग सके | वो आराम से नूतन को चोदना चाहता था इसलिए नरमी बरतने की कोशिश कर रहा था - साली चुपचाप आराम से कर लेने दे, वरण क्यों हड्डी पसली तुड़वाकर चुदना चाहती है | तुझे भी पता है आज मै तुझे चोदकर ही रहूगां | जग्गू ने जो चीज ठान ली वो करकर ही रहता है | आराम से चुदवा ले, आइस्ते से डालूँगा चूत में लंड| जब धीर धीरे जायेगा तेरी चूत में मेरा लंड , तो तू भी अपनी चूत में मेरे लंड का मजा ले | अच्छे से चोदूगा तुझे, धीरे धीर तेरी चूत में पेलुगां, फिर जमकर चोदुंगा, बीच में अधूरा प्यासा तड़पता हुआ छोड़कर नहीं जाउगा |
नूतन को लगा अब उसकी कुंवारी चूत नहीं बचेगी | आज जग्गू उसे चोदकर ही मानेगा | एक बार को उसके मन में आया हाथ पाँव ढीले छोड़ दे | नूतन उसके भरी भरकम शरीर के नीचे अपने हाथ पाँव पटक रही थी | नूतन को फिर चूत चुदाई के बाद होने खतरे याद आ गए | कही वो पेट से हो गयी तो | इसके पास तो कंडोम भी नहीं है | अभी तो मुझे बहुत पढ़ना है, उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए |
आंसुओं से भरी आंखे लिए सदमे की दहसत में नूतन ने आखिरी बार गिडगिडाते हुए - कही भी कर ले जग्गू मै मना नहीं कर रही हूँ, बस मेरी चूत छोड़ दे | तू समझ नहीं रहा, कही पेट से हो गयी मै तो, तेरे पास कंडोम भी नहीं है | तुझे आगे पीछे जहाँ करना है, कर ले बस चूत छोड़ दे | मुहँ चोद ले, पीछे गांड में करना है वहां कर ले | जो भी दर्द होगा सह लूंगी, बस मेरी चूत छोड़ दे |
जग्गू वासना में पूरा अँधा हो चूका था, उसे न तो समझ आ रह था कि नूतन क्या कह रही है और न ही उसे मतलब था - साली तेरी गांड की टट्टी अपने माँ बाप से साफ़ करवाना, मै तो तेरी चूत ही मारूगां, चोद चोद कर तेरी चूत को सुरंग बना दूंगा | जग्गू नशे में धुत नूतन की चूत देखने लगा | पहाड़ी की तरह उठे दोनों चुताड़ो के बीच की दरार के निचले हिस्से में बनी घाटी में किसी नदी के बहाव की लकीर खीचती नूतन की चूत जो अपने दोनों ओंठो को कसकर एक दुसरे से चिपकाये हुए थी, ऐसी कसी टाइट चिकनी मक्खन मलाई जैसी नूतन की गुलाबी मखमली चूत देखकर जग्गू का लंड और जोर से फाड़ने लगा | उसके अन्दर की वासना की उत्तेजना अब बेकाबू होने लगी | बार बार नूतन की चूत देख जग्गू अपने होशो हवास खोने लगा | नशे में धुत, वासना में डूबा, हवस से सरोबार कुछ देर तक नूतन की चूत ही देखता रहा और बडबडाने लाहा - साला कैसे नजाकत से साफ़ सुथरी चिकनी मक्खन जैसी बनाकर रखी है अपनी चूत तूने | साला मन करता है गप गप करके खा ही जाऊ |
जग्गू उसकी पैंटी पहले ही छिलके की तरह उतार कर अलग फेंक चूका था, जग्गू उसकी चिकनी गोरी मांसल जांघो को सहला रहा था , नूतन को लगा अब उसके लिए करो या मरो की स्थिति है | नूतन ने अपने हाथ पांव ढीले कर दिए थे, जग्गू को लगा नूतन ने हथियार डाल दिए है, नूतन को इस तरह काबू में देखने के बाद जग्गू ने एक हुंकार भरी, जैसे उसकी ये पहली विजय हो | जग्गू एक हाथ अपने मुहँ की तरफ लार लेने के लिए ले गया | उसने अपनी हथेली पर लार निकाली और अपने लड़ के सुपाडे पर मलने लगा | नूतन के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो गयी थी | नूतन को लगा अब चुदना ही है, तो रोने धोने का क्या फायदा | कभी न कभी किसी न किस से तो चुदुंगी ही | कोई न कोई लंड पहली बार मुझे चोदेगा ही | रही बात पेट से होने की तो यहाँ से घर पंहुचते ही गोलियां खा लूंगी | नूतन ने हथियार डाल दिए थे | अब उसके आगे अपनी चूत जग्गू के लंड से चुदवाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था |
जग्गु ने अपने लंड पर मुहँ की गीली लार मलने के बाद अपने लंड को नूतन के चूत के मुहाने की तरफ बढाया और नूतन की चूत के मुहँ से सटा दिया | एक धक्का और नूतन की चूत में जग्गु का लंड घुस जाना था | जग्गू नूतन को पीछे से चोदने के सपने देखने लगा | वो पीछे से हचक हचक कर नुतन की गुलाबी कुंवारी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा है और नूतन उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा गिरा रही है | पहली बार चुदने से चूत में हो रही जलन और कामवासना से तर बतर नूतन जग्गू के हर धक्के के साथ कराह रही है, उसके मुहँ से आह आह की अवजे निकल रही है और जग्गू बिना रुके पूरा का पूरा सख्त लंड नूतन की चूत में पेल रहा है | नूतन की मादक सिसकारियां जग्गू का और जोश बढ़ा रही है और वो जमकर नूतन को चोद रहा है
| नूतन को समझ नहीं आया अचानक जग्गू को क्या हो गया, किस सोंच में पड़ गया, कही उसे अपनी गलती का अहसास तो नहीं हो गया |
शायद वो जो करने जा रहा है उसे उसके गलत होने का अहसास हो गया है | जग्गू नूतन के चोदने की सपनीली कल्पना में डूबा गीली लिसलिसी लार से अपने गरम लंड को मलकर चिकना कर रहा था, ताकि नूतन की सुखी कुंवारी चूत की सील तोड़ने में उसे ज्यादा जोर न लगाना पड़े |
नूतन अचानक - जग्गू रुको, मेरी सूखी चूत की संकरी सी सुरंग में, जिसमे आजतक किसी का लंड नहीं घुसा ऐसे ही लंड पेल दोगे, थोड़ी लार और लगा लो लंड पर |
जग्गू शराब और वासना दोनों के नशे में धुत था | इससे पहले जग्गू कुछ रियेक्ट करता नूतन ने जग्गू की ढीली पकड़ से अपना दाहिना हाथ छुड़ाया, और अपने मुहँ से ढेर सारा लार अपनी हथली में उड़ेल लिया | जग्गू जब तक कुछ समझता, तब तक नूतन अपनी लार से जग्गू का लंड मसलने लगी | जब जग्गू को अहसास हुआ कि नूतन क्या कर रही है, तब विजयी अंहकार के साथ बोल पड़ा - बोला था न, साली चुदने का मन सबका होता है बस नखरे इतने दिखाती है की गांड से पसीना निकाल दे |
नूतन - तुझे अच्छा लग रहा है मै तेरा लंड पकड़कर मल रही हूँ |
जग्गू - जल्दी से मल, अब रुका नहीं जाता, मेरे लंड का ठिकाना अब तेरी गुलाबी चूत की अँधेरी सुरंग है | इसे ज्यादा देर मत रोक
नूतन - हाँ हाँ, इसकी अलसी मालिश तो मेरी कुंवारी मखमली चूत की कसी हुई दीवारे ही करेगी, मै तो बस थोड़ा लोशन लगाये दे रही हूँ, ताकि आराम से मालिश हो |
जग्गू पूरी तरह से वासना में मस्तियाँ गया | नूतन एक हाथ से जग्गू का लंड मसल रही थी और दुसरे हाथ अभी भी जग्गू के सख्त पकड़ में था | नूतन ने अपनी करवट बदल जग्गू के ऊपर आने की कोशिश की, पहली कोशिश ने नाकाम रही लेकिन जब उसने जग्गू के लंड को जोर से मुठियाना शुरू किया तो जग्गू थोड़ा रिलैक्स हो गया और वो जग्गू के पैरो में से अपने पैर तो खिसकाने में कामयाब हो गयी | इतना होते ही उसने पूरी ताकत से जग्गू के तने हुए कठोर लंड जकड लिया और उसके दुसरे हाथ में कसकर काट लिया | एकदम अचानक हुए इस हमले से जग्गू के हाथ, पांव ढीले हो गए और नूतन उछालकर उसके चंगुल से बाहर आ गयी | जग्गू दर्द से बिलबिला गया | वो हाथ पकड़कर दर्द के मारे चिल्लाने लगा | इससे पहले नूतन रीमा को देख पाती रीमा फिर से दरवाजे के सामने से हटकर दरवाजे की ओट में चली गयी | नूतन के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था , वो पूरी तरह से नंगी थी, उसके चेहरे पर डर और सदमे का गहरा मिश्रण था, बाल उलझे हुए थे, गालो पर थप्पड़ के निशान थे और हाथो पर लालिमा छाई हुई थी | आँखों में आंसुओं का सैलाब था | रीमा को देखते ही फूटफूट कर रोने लगी | उसकी अहलत देखकर रीमा का कलेजा अन्दर तक काँप गया | ऐसी नंगी और बदहवास हालत में अगर वो बाहर जाती है तो उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और अगर नहीं गयी तो इज्जत खतरे में थी | किस्मत अच्छी थी जो समय पर रीमा आ गयी और नूतन का रेप नहीं हुआ, जग्गू जैसे जानवर के हाथो चुदने लुटने से बच्ग गयी | इससे पहले कि दर्द से बिलबिलाता जग्गू संभल कर नूतन पर वार करता या दहसत से भरी नूतन बाहर की तरफ भागती | बाहर से एक जोर की आवाज आई - प्रियम आर यू देयर ????
नूतन और जग्गू दोनों चौंक गए | नूतन कुछ समझ के लिए बाहर झांकती, इससे पहले रीमा हट के दरवाजे के मुहाने तक आ चुकी थी |
दरवाजे पर आते ही रीमा ने जो देखा - ओह माय गॉड,............................|
नूतन भी रीमा को देखकर एक दम शाक्ड रह गयी, उससे ज्यादा तगड़ा झटका जग्गू को लगा, जिसका कांपता हुआ तना कठोर सीधा लंड उसकी पेंट के बाहर झूल रहा था | नूतन सही गलत सोचने की स्थिति में नहीं थी, वो बस रीमा की तरफ लपकी और चीखी - ये जानवर मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा ने नूतन को सांत्वना दी | नूतन रीमा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी | रीमा ने ऐसा जताने की कोशिश की जैसे वो यहाँ बस अभी आई हो, तेज आवाज में गरजी - क्या हो रहा है यहाँ ??????
जग्गू बस बुत बनकर खड़ा हो गया - वो औरत जिसको चोदने के वो सपने देखता था, उसके सामने इस हालत में, पेंट पैरो में पड़ी हो, तना हुआ लंड खून के दौरान से कांपता हुआ, हाथ में काटे जाने का जख्म और बलात्कार का आरोप | जग्गू के रीमा को चोदने के सपने की तो जैसे बाल हत्या हो गयी | एक पल में वो विलेन बन गया | सबसे बड़ी बात थी इसके लिए किसी तरह के सबूतों की जरुरत नहीं थी |
जग्गू हतप्रभ था, ये यहाँ कैसे आ गयी, उसका नशा छु मंतर हो गया | रीमा उसे दरकिनार करते हुए अन्दर की तरफ बढ़ी | नूतन के कपड़े उठाये और तेजी से फिर नूतन के पास पंहुच गयी |
रीमा ने बिना पल गंवाए नूतन को बोला - भाग नूतन भाग |
नूतन की तरफ से जबरदस्त प्रतिरोध होता देख, उसकी चूत जोर जोर से रगड़ने लगा ताकि चूत गरम होने से उसके अन्दर चुदास जग सके | वो आराम से नूतन को चोदना चाहता था इसलिए नरमी बरतने की कोशिश कर रहा था - साली चुपचाप आराम से कर लेने दे, वरण क्यों हड्डी पसली तुड़वाकर चुदना चाहती है | तुझे भी पता है आज मै तुझे चोदकर ही रहूगां | जग्गू ने जो चीज ठान ली वो करकर ही रहता है | आराम से चुदवा ले, आइस्ते से डालूँगा चूत में लंड| जब धीर धीरे जायेगा तेरी चूत में मेरा लंड , तो तू भी अपनी चूत में मेरे लंड का मजा ले | अच्छे से चोदूगा तुझे, धीरे धीर तेरी चूत में पेलुगां, फिर जमकर चोदुंगा, बीच में अधूरा प्यासा तड़पता हुआ छोड़कर नहीं जाउगा |
नूतन को लगा अब उसकी कुंवारी चूत नहीं बचेगी | आज जग्गू उसे चोदकर ही मानेगा | एक बार को उसके मन में आया हाथ पाँव ढीले छोड़ दे | नूतन उसके भरी भरकम शरीर के नीचे अपने हाथ पाँव पटक रही थी | नूतन को फिर चूत चुदाई के बाद होने खतरे याद आ गए | कही वो पेट से हो गयी तो | इसके पास तो कंडोम भी नहीं है | अभी तो मुझे बहुत पढ़ना है, उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए |
आंसुओं से भरी आंखे लिए सदमे की दहसत में नूतन ने आखिरी बार गिडगिडाते हुए - कही भी कर ले जग्गू मै मना नहीं कर रही हूँ, बस मेरी चूत छोड़ दे | तू समझ नहीं रहा, कही पेट से हो गयी मै तो, तेरे पास कंडोम भी नहीं है | तुझे आगे पीछे जहाँ करना है, कर ले बस चूत छोड़ दे | मुहँ चोद ले, पीछे गांड में करना है वहां कर ले | जो भी दर्द होगा सह लूंगी, बस मेरी चूत छोड़ दे |
जग्गू वासना में पूरा अँधा हो चूका था, उसे न तो समझ आ रह था कि नूतन क्या कह रही है और न ही उसे मतलब था - साली तेरी गांड की टट्टी अपने माँ बाप से साफ़ करवाना, मै तो तेरी चूत ही मारूगां, चोद चोद कर तेरी चूत को सुरंग बना दूंगा | जग्गू नशे में धुत नूतन की चूत देखने लगा | पहाड़ी की तरह उठे दोनों चुताड़ो के बीच की दरार के निचले हिस्से में बनी घाटी में किसी नदी के बहाव की लकीर खीचती नूतन की चूत जो अपने दोनों ओंठो को कसकर एक दुसरे से चिपकाये हुए थी, ऐसी कसी टाइट चिकनी मक्खन मलाई जैसी नूतन की गुलाबी मखमली चूत देखकर जग्गू का लंड और जोर से फाड़ने लगा | उसके अन्दर की वासना की उत्तेजना अब बेकाबू होने लगी | बार बार नूतन की चूत देख जग्गू अपने होशो हवास खोने लगा | नशे में धुत, वासना में डूबा, हवस से सरोबार कुछ देर तक नूतन की चूत ही देखता रहा और बडबडाने लाहा - साला कैसे नजाकत से साफ़ सुथरी चिकनी मक्खन जैसी बनाकर रखी है अपनी चूत तूने | साला मन करता है गप गप करके खा ही जाऊ |
जग्गू उसकी पैंटी पहले ही छिलके की तरह उतार कर अलग फेंक चूका था, जग्गू उसकी चिकनी गोरी मांसल जांघो को सहला रहा था , नूतन को लगा अब उसके लिए करो या मरो की स्थिति है | नूतन ने अपने हाथ पांव ढीले कर दिए थे, जग्गू को लगा नूतन ने हथियार डाल दिए है, नूतन को इस तरह काबू में देखने के बाद जग्गू ने एक हुंकार भरी, जैसे उसकी ये पहली विजय हो | जग्गू एक हाथ अपने मुहँ की तरफ लार लेने के लिए ले गया | उसने अपनी हथेली पर लार निकाली और अपने लड़ के सुपाडे पर मलने लगा | नूतन के सोचने समझने की शक्ति ख़त्म हो गयी थी | नूतन को लगा अब चुदना ही है, तो रोने धोने का क्या फायदा | कभी न कभी किसी न किस से तो चुदुंगी ही | कोई न कोई लंड पहली बार मुझे चोदेगा ही | रही बात पेट से होने की तो यहाँ से घर पंहुचते ही गोलियां खा लूंगी | नूतन ने हथियार डाल दिए थे | अब उसके आगे अपनी चूत जग्गू के लंड से चुदवाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था |
जग्गु ने अपने लंड पर मुहँ की गीली लार मलने के बाद अपने लंड को नूतन के चूत के मुहाने की तरफ बढाया और नूतन की चूत के मुहँ से सटा दिया | एक धक्का और नूतन की चूत में जग्गु का लंड घुस जाना था | जग्गू नूतन को पीछे से चोदने के सपने देखने लगा | वो पीछे से हचक हचक कर नुतन की गुलाबी कुंवारी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा है और नूतन उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा गिरा रही है | पहली बार चुदने से चूत में हो रही जलन और कामवासना से तर बतर नूतन जग्गू के हर धक्के के साथ कराह रही है, उसके मुहँ से आह आह की अवजे निकल रही है और जग्गू बिना रुके पूरा का पूरा सख्त लंड नूतन की चूत में पेल रहा है | नूतन की मादक सिसकारियां जग्गू का और जोश बढ़ा रही है और वो जमकर नूतन को चोद रहा है
| नूतन को समझ नहीं आया अचानक जग्गू को क्या हो गया, किस सोंच में पड़ गया, कही उसे अपनी गलती का अहसास तो नहीं हो गया |
शायद वो जो करने जा रहा है उसे उसके गलत होने का अहसास हो गया है | जग्गू नूतन के चोदने की सपनीली कल्पना में डूबा गीली लिसलिसी लार से अपने गरम लंड को मलकर चिकना कर रहा था, ताकि नूतन की सुखी कुंवारी चूत की सील तोड़ने में उसे ज्यादा जोर न लगाना पड़े |
नूतन अचानक - जग्गू रुको, मेरी सूखी चूत की संकरी सी सुरंग में, जिसमे आजतक किसी का लंड नहीं घुसा ऐसे ही लंड पेल दोगे, थोड़ी लार और लगा लो लंड पर |
जग्गू शराब और वासना दोनों के नशे में धुत था | इससे पहले जग्गू कुछ रियेक्ट करता नूतन ने जग्गू की ढीली पकड़ से अपना दाहिना हाथ छुड़ाया, और अपने मुहँ से ढेर सारा लार अपनी हथली में उड़ेल लिया | जग्गू जब तक कुछ समझता, तब तक नूतन अपनी लार से जग्गू का लंड मसलने लगी | जब जग्गू को अहसास हुआ कि नूतन क्या कर रही है, तब विजयी अंहकार के साथ बोल पड़ा - बोला था न, साली चुदने का मन सबका होता है बस नखरे इतने दिखाती है की गांड से पसीना निकाल दे |
नूतन - तुझे अच्छा लग रहा है मै तेरा लंड पकड़कर मल रही हूँ |
जग्गू - जल्दी से मल, अब रुका नहीं जाता, मेरे लंड का ठिकाना अब तेरी गुलाबी चूत की अँधेरी सुरंग है | इसे ज्यादा देर मत रोक
नूतन - हाँ हाँ, इसकी अलसी मालिश तो मेरी कुंवारी मखमली चूत की कसी हुई दीवारे ही करेगी, मै तो बस थोड़ा लोशन लगाये दे रही हूँ, ताकि आराम से मालिश हो |
जग्गू पूरी तरह से वासना में मस्तियाँ गया | नूतन एक हाथ से जग्गू का लंड मसल रही थी और दुसरे हाथ अभी भी जग्गू के सख्त पकड़ में था | नूतन ने अपनी करवट बदल जग्गू के ऊपर आने की कोशिश की, पहली कोशिश ने नाकाम रही लेकिन जब उसने जग्गू के लंड को जोर से मुठियाना शुरू किया तो जग्गू थोड़ा रिलैक्स हो गया और वो जग्गू के पैरो में से अपने पैर तो खिसकाने में कामयाब हो गयी | इतना होते ही उसने पूरी ताकत से जग्गू के तने हुए कठोर लंड जकड लिया और उसके दुसरे हाथ में कसकर काट लिया | एकदम अचानक हुए इस हमले से जग्गू के हाथ, पांव ढीले हो गए और नूतन उछालकर उसके चंगुल से बाहर आ गयी | जग्गू दर्द से बिलबिला गया | वो हाथ पकड़कर दर्द के मारे चिल्लाने लगा | इससे पहले नूतन रीमा को देख पाती रीमा फिर से दरवाजे के सामने से हटकर दरवाजे की ओट में चली गयी | नूतन के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था , वो पूरी तरह से नंगी थी, उसके चेहरे पर डर और सदमे का गहरा मिश्रण था, बाल उलझे हुए थे, गालो पर थप्पड़ के निशान थे और हाथो पर लालिमा छाई हुई थी | आँखों में आंसुओं का सैलाब था | रीमा को देखते ही फूटफूट कर रोने लगी | उसकी अहलत देखकर रीमा का कलेजा अन्दर तक काँप गया | ऐसी नंगी और बदहवास हालत में अगर वो बाहर जाती है तो उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और अगर नहीं गयी तो इज्जत खतरे में थी | किस्मत अच्छी थी जो समय पर रीमा आ गयी और नूतन का रेप नहीं हुआ, जग्गू जैसे जानवर के हाथो चुदने लुटने से बच्ग गयी | इससे पहले कि दर्द से बिलबिलाता जग्गू संभल कर नूतन पर वार करता या दहसत से भरी नूतन बाहर की तरफ भागती | बाहर से एक जोर की आवाज आई - प्रियम आर यू देयर ????
नूतन और जग्गू दोनों चौंक गए | नूतन कुछ समझ के लिए बाहर झांकती, इससे पहले रीमा हट के दरवाजे के मुहाने तक आ चुकी थी |
दरवाजे पर आते ही रीमा ने जो देखा - ओह माय गॉड,............................|
नूतन भी रीमा को देखकर एक दम शाक्ड रह गयी, उससे ज्यादा तगड़ा झटका जग्गू को लगा, जिसका कांपता हुआ तना कठोर सीधा लंड उसकी पेंट के बाहर झूल रहा था | नूतन सही गलत सोचने की स्थिति में नहीं थी, वो बस रीमा की तरफ लपकी और चीखी - ये जानवर मेरा रेप करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा ने नूतन को सांत्वना दी | नूतन रीमा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी | रीमा ने ऐसा जताने की कोशिश की जैसे वो यहाँ बस अभी आई हो, तेज आवाज में गरजी - क्या हो रहा है यहाँ ??????
जग्गू बस बुत बनकर खड़ा हो गया - वो औरत जिसको चोदने के वो सपने देखता था, उसके सामने इस हालत में, पेंट पैरो में पड़ी हो, तना हुआ लंड खून के दौरान से कांपता हुआ, हाथ में काटे जाने का जख्म और बलात्कार का आरोप | जग्गू के रीमा को चोदने के सपने की तो जैसे बाल हत्या हो गयी | एक पल में वो विलेन बन गया | सबसे बड़ी बात थी इसके लिए किसी तरह के सबूतों की जरुरत नहीं थी |
जग्गू हतप्रभ था, ये यहाँ कैसे आ गयी, उसका नशा छु मंतर हो गया | रीमा उसे दरकिनार करते हुए अन्दर की तरफ बढ़ी | नूतन के कपड़े उठाये और तेजी से फिर नूतन के पास पंहुच गयी |
रीमा ने बिना पल गंवाए नूतन को बोला - भाग नूतन भाग |