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Adultery रीमा की दबी वासना
इससे पहले जग्गू हट के गेट तक पंहुचता | हट का गेट खुल गया | प्रियम और राजू दोनों चोरो की तरह उसमे से बाहर निकले, चारो तरफ नजर दौडाई, जब उन्हें कोई नजर नहीं आया तो चोरो की तरह चुपके से अपने गतव्य की ओर चल पड़े | प्रियम और राजू को देखकर जग्गू एक बारगी को एक पेड़ की ओट हो गया | जग्गू समझ गया कुछ तो गड़बड़ है | इतनी देर से इन्हें ढूंढ रहा हूँ और ये साले यहाँ इतनी दूर इस झोपड़े में क्या कर रहे है | उसे रंगे हाथो प्रियम और राजू को पकड़ना था लेकिन उसकी बजाय, उसकी दिलचस्पी हट में ज्यादा थी | ऊपर से प्रियम की चाची रीमा उसके लिए एक रहस्य सी बन गयी थी | उनको कहाँ कहाँ नहीं ढूँढा लेकिन वो कही दिख ही नहीं रही है | हाल में सब नशे में धुत है, कही तो वो भी नशे में धुत पड़ी होंगी, अपने हसीन जवान गोर जिस्म को लेकर | बस एक बार दर्शन हो जाये दूध जैसे गुलाबी गोरे बदन के,  जहाँ मिलेगी वही दबोच लूगाँ, मसल डालूँगा साली  | साली क्या माल है, ये आटू झान्टू लौडिया उसके आगे सब बेकार है | साला एक बार उसकी चूत गुलाबी के दर्शन हो जाये तो जिंदगी सफल हो जाये | बस एक बार साली को चोदने का मौका मिल जाये, जिंदगी भर की प्यास बुझा लूँगा | पूरी रात चोदुगा साली को, भले ही गोली खानी पड़े | यही सब सोचकर जग्गू तेजी से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था | जैसे ही प्रियम और राजी थोडा दूर निकल गए, जग्गू हट की तरफ बढ़ गया | 

रीमा भी झुरमुट की आंड से निकलकर हट के पास आ गयी | पता नहीं आज क्या होने को था, वो तो बस प्रियम को ढूढ़ने आई थी और यहाँ जो हो रहा था उसे देखकर रुक गयी लेकिन खेल तो पता नहीं किस तरफ जा रहा था | रीमा को अब ऐसे रहस्यमयी खेलों में बड़ी दिलचस्पी रहती थी | अब ये जग्गू हट के अन्दर जाकर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा | रीमा का वहां से जाने का मन था, वो प्रियम के लिए आई थी और प्रियम जा चूका था | अब उसका यहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं था, लेकिन जग्गू में अचानक जगी उसकी दिलचस्पी, उसके अंतर्मन को कुचल उसके शैतानी दिमाग पर हावी होती जा रही थी | रीमा ने लम्बी उहा पोह के बाद आखिर सच पता चलने तक रुकने और इन्तजार करने का फैसला किया |

नूतन और जग्गू की आपस में नहीं बनती थी, उसका कारन था जग्गू का मुहँ फट्ट होना | नूतन को उसका जाहिलपन बिलकुल पसंद नहीं था |  जग्गू नूतन के मुहँ पर ही वो सारी बाते बोल देता था जिनके बारे लोग नूतन की पीठ पीछे बाते करते थे | नूतन के नजर में जग्गू एक नंबर का लुच्चा लफंगा बदमाश और लडकियों की इज्जत न करने वाला लड़का था | जग्गू की नजर में नूतन एक नंबर की छिछोरी रंडीबाज लौंडिया थी जो न जाने कितने लंडो से कितनी बार चुद चुकी होगी, और चुदवा चुदवा कर अपनी चूत सुरंग बना चुकी होगी | नूतन जिस भी लड़के से बात करती थी जग्गू उसका मतलब ये समझता था की नूतन उससे भी चुदवा चुकी है या चुदवाने की तैयारी में है  | इसी वजह से जग्गू उसकी जरा सी भी इज्जत नहीं करता था |

रीमा हट के गेट के पास आ गयी, जग्गू अब तक अन्दर घुस चूका था | जग्गू ने अन्दर जाकर जो देखा, उसके मुहँ से अनायास ही निकल गया - अरे बहनचोद ये साले यहाँ इस रंडी को चोदने आये थे इसलिए साले हमको नहीं बताये  | इनकी माँ की चूत साला ये तो जैकपोट मार लिए, हमको बताया तक नहीं बहनचोदो | इनकी माँ का भोसना मादरचोदो की | इनको तो बाद में देखूगां, पहले जरा इस रंडी नूतन की चूत का हाल चल तो लू | जग्गू में मतलब भर की शराब पी रखी थी, और उसका साफ़ असर उसके बोल चाल में दिख रहा था |
नूतन ने भी एक पैग लगा रखा था लेकिन वो पुरे होशो हवास में थी, अचनक से जग्गू को हट में देखकर  हक्की बक्की सी जग्गू को देख रही है, उसे कुछ समझ नहीं आया, ये जग्गू कहाँ से आ गया | असल में प्रियम और  राजू के जाने के बाद नूतन हट का दरवाजा बंद करना भूल गयी | बल्कि ऐसे ही खुद को ठीक करने लगी | लंड रस से सने मुहँ को अच्छे से पोछकर मेकअप करने लगी | इसी चक्कर में अपने कपड़े पहनना भूल गयी , उसकी छातियाँ बिलकुल बेपर्दा थी | उसकी शार्ट पेंट भी नीचे को खिसकी हुई थी, उसकी गुलाबी पैंटी भी अपनी जगह से नीचे को खिसकी  हुई और उसके चूत त्रिकोण का चिकना बाल रहित इलाका और चूत की दरार  साफ़ दिख रहा था | जग्गू को देखते ही उसने झट से कपडे उठाकर खुद को ढकने की असफल कोशिश की, लेकिन जग्गू उसके जवान कमसिन जिस्म के उतार चढ़ाव की एक पैमाइश तो ले ही चूका था | जग्गू ने आज तक कभी नूतन की चुंचियां और उरोज नहीं देखे थे बस ऊपर से टाइट कपड़ो के उभारो उसके स्तनों और चुताड़ो का अंदाजा लगाता था  | 
[Image: girls23.jpg]

जग्गू  शराब के नशे में था, बहुत ज्यादा नहीं पी रखी थी लेकिन फिर भी मतलब भर की पीने के कारन ठीक थक नशा उसे चढ़ा हुआ था  - नूतन रानी यहाँ एकांत में दो दो लंडो से चुदवा रही थी | साला हमको भनक तक नहीं लगने दी बहनचोद | इतना बुरा है मेरा लंड क्या ???
नूतन अपने की ठीक करते करते भड़कती हुई - यहाँ क्या कर रहा है तू | 
जग्गू कुटिल मुस्कान के साथ - यही सवाल तो मै तुझसे पूछु साली कुतिया तो ......................|
नूतन - वहां बहुत शोर हो रहा था, मुझे एकांत चाहिए था इसलिए यहाँ आई थी |
जग्गू - रंडी की चूत साली रंगे हाथो पकड़ा है तुझे लेकिन फिर भी न झूठ बोलना नहीं छोड़ेगी | रंडी की औलाद सच काहे नहीं बोलती, चुदने आई थी और वो दोनों तुझे चोदकर चले भी गए  |
नूतन - देख जग्गू जबान संभलकर बात कर, वरना आज तू पिटेगा मेरे हाथो |
जग्गू - साली चुद्दकड़ कुतिया, तू मुझे धमका रही है | अभी एक आवाज लगा दू, तेरी सारी पोल पट्टी खुल जाएगी |
एक लंड काफी नहीं तो दो दो से चुदने का चस्का पाल लिया हरामजादी |
नूतन - बकवास बंद कर और यहाँ से फुट ले  जल्दी| तेरे जैसा आदमी गन्दी नाली का कीड़ा ही रहेगा | जैसी जगह से आया है वैसा ही सोचेगा, गटर छाप |
नूतन ने बस कमर के नीचे के  कपड़े काफी हद तक ठीक कर लिए थे | अपनी ब्रा बस पहनने जा रही थी......
गटर छाप सुनते ही जग्गू को गुस्सा आ गया, उसने आगे बढ़कर नूतन के बाल खीच लिए - साली कुतिया गटर छाप किसको बोला, तू गटर छाप, तेरा खानदान गटर छाप, यहाँ खुलेआम चुदवा रही थी और गटर छाप मै ?????
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नूतन बिलबिला गयी - आआआआईईईई छोड़ हरामी के लंड मादरचोद, छोड़ मेरे बालो को, सुवर की औलाद |
जग्गू - साली जबान संभाल कर बोलना, माँ की गली नहीं जानती नहीं मै कौन हूँ | साला यही रगड़ दूगां, 6 दिन तक बिस्तर से नहीं हिलेगी |
नूतन दर्द से बिलबिला रही थी, उसके पैर का घुटना चल गया लेकिन निशाना चुक गया, सेण्टर में लगने की बजाय वो जग्गू की बायीं जांघ पर जाकर लगा | 
अब जग्गू का गुस्सा और बढ़ गया - साली मुझे मर्दानगी दिखाएगी | जग्गू ने नूतन को बिस्तर पर पटक दिया | 
जग्गू का गुस्सा अब बहुत बढ़ चूका था - साली कुतिया मादरचोद, मुझे चोट पन्हुचाएगी | साला एक तो वैसे भी जब से पार्टी में आया हो, दिमाग ख़राब हो रखा है | उस भोसड़ी वाली प्रियम की चाची को भी आज ही आना था | मादरचोद दिमाग का दही कर दिया है, भोसड़ी वाली उस हुस्न परी को जब से देखा है, लंड नरम होने का नाम ही नहीं ले रहा | ऊपर से सहला सहला कर हाथ में भी दर्द हो गया है लेकिन  ये साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा | साला इतनी खूबसूरत औरते बनाने की क्या जरुरत है कि खुद को रोकना मुस्किल हो जाये | साली साड़ी में भी इतनी क्लासिक लग रही थी, उसी चूची देखि है साली कुतिया तूने, उसकी गांड देखि है, जब चलती है कैसे चूतड़ थलर थलर हिलते है | मेरा तो साला उसके चलते समय उठती हिलती गांड के झटके देखकर कर ही नियति ख़राब हो गयी थी | मन कर रहा था वही गिरा जमीं पर उसकी साड़ी खोलकर वही उसकी गांड में लंड घुसेड़ दू और कुतिया बनाकर खूब चोदु , जब तक मन न भर जाये  | उसके आगे तेरे जिस्म में तो कुछ भी नहीं है | उसके बारे में सोच सोच कर वैसे ही दिमाग ख़राब हो रखा है | ऊपर से तू रंडी की जनी यहाँ चूत खोलकर नंगी बैठी है | 
अब अगर तेरी जैसी किस्मत से अचानक नंगी मिली चूत को भी नहीं चोदा तो साला धिक्कार है अपनी जिंदगी पर | तुझे तो कुतिया बनाकर तेरी चीखे ना निकलवाई तो मेरा नाम भी जग्गू नहीं | 
जग्गू नशे और गुस्से में क्या क्या बक रहा था, उसे भी पता नहीं था, बस बक रहा था |  अब नूतन के चेहरे पर गुस्से और डर के भाव के जगह एक सन्नाटे वाली दहसत ने ले ली थी | एक खामोश सी चीत्कार करती दहसत, जिसकी खामोश चीखे नूतन के रोम रोम में घुसकर, उसके शरीर के हर नस नस में सिहरन भर रही थी | उसके सामने सवाल था अब क्या होगा, क्या आज सचमुच उसकी इज्जत लुट जाएगी, क्या आज जागु उसका बलात्कार कर डालेगा ?????????????? बिस्तर पर पड़ी नूतन के मन में ऐसे अनगिनत जिस्म में सिहरन पैदा करने वाले दहसत भरे सवाल उसके दिमाग में उमड़ रहे थे |


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जग्गू की बाते सुनकर हट के गेट के पास कड़ी रीमा के रोम रोम में सिहरन दौड़ गयी, जग्गू की बातो ने उसके अन्दर उत्तेजना, रोमांच और दहशत तीनो ही उसके अन्दर भर दी थी |  रीमा को लगा उसे जाकर नूतन को बचाना चाहिए | फिर उसने सोचा, कही वो ही उल्टा न फंस जाये, पता चला नशे में धुत जग्गू उसकी इज्जत तार तार करके उसकी दुर्गति कर दे, फिर वो समाज में कैसे जी पायेगी, कैसे खुद से आंख में आंख मिला पायेगी | दो टके का नाली का कीड़ा उसे पाने का कोई हसीन ख्वाब नहीं देख रहा था बल्कि सबसे दर्दनाक वहसी तरीके से उसके जिस्म को नोचने का सपना पाले बैठा था | उसके न मिलने पर आज वो मासूम नूतन को अपना शिकार बनाएगा | वो नूतन के मासूम नाजुक कोमल जिस्म को नोच नोच कर वसियाना तरीके से भोगेगा और बेचारी बेबस नूतन उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी  | डर और क्रोध के कारन रीमा का रोम रोम कांपने लगा | उसका बस चले तो जग्गू जैसो को अभी गोली मार दे |  

रीमा ने एक पल को आंखे बंद की, एक लम्बी साँस खीची और उसकी चेतना, गुस्से और डर से बाहर आई | उसने हर हाल में नूतन को बचाने का फैसला किया | उसने अपने फ़ोन का कैमरा ऑन कर दिया और दरवाजे को ओट से ही जो भी अन्दर हो रहा था उसे शूट करने लगी |

अपने दिमाग की उधेड़बुन से बाहर आती नूतन ने जग्गू से हवसी जकड़न से बचने की आखिरी कोशिश की और बिस्तर से हट के गेट की तरफ उठ भागी |  जग्गू ने बिस्तर से उठकर भागने की कोशिश करती नूतन को एक बार फिर से बिस्तर पर पटक दिया | 

एक तो शराब का नशा और ऊपर से नूतन की नौटंकी, जग्गू का गुस्सा बढ़ रहा था जग्गू गुस्से से दांत पीसता हुआ - देख ज्यादा हाथ पाँव मारेगी तो मुझे भी सख्ती करनी पड़ेगी | प्रियम और राजू से अपनी चूत चुदवा चुकी है, अब चुपचाप मुझसे भी चुदवा ले और शांति से घर चली जा | जग्गू नूतन की पैंटी खिसकाने लगा और एक झटके में नूतन के जिस्म से वो कपड़े का आखिरी टुकड़ा भी अलग हो गया |
नूतन को लगा अब जग्गू से बचने का एक ही तरीका है, उसने हाथ जोड़ लिए और  रिक्वेस्ट के मोड मोड़ में आ गयी, उसे लगा  रहा था कि वो जग्गू के चंगुल से निकालकर यहं से नहीं जा पायेगी, अपनी इज्जत बचाने के लिए उसकी चिरौरी करने में भी क्या बुराई है  |
नूतन तोडा नरम होते हुए - मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है, जग्गू तू समझ क्यों नहीं रहा है |
जग्गू को लगा ये उसका चुतिया काट रही है - साली तू मुझे क्या मंद बुद्धि समझती है |
नूतन - मेरी बात का यकीन करो, जैसा तुम सोच रहे हो वैसा बिलकुल नहीं है |
जग्गू - कैसा नहीं है साली कुतिया, अभी अभी यहाँ से राजू और प्रियम गए है | यहाँ तू अन्दर अधनंगी खुद को ठीक कर रही थी, क्या सोचु मै | उनसे आराम से चुदवा लिया, मेरे से चुदवाने में क्या तकलीफ है, मेरे लंड में क्या नागफनी के कांटे लगे है, जो तेरी चूत चीर डालेगे | जैसा उनका लंड है वैसा ही तो मेरा लंड है | 
नूतन की आँखों में आंसू आ गए - तू क्या बकवास कर रहा है, प्लीज  जग्गू मेरी बात मान, मै सच बोल रही हूँ हमने ऐसा वैसा कुछ नहीं किया |
जग्गू एक बार फिर से नूतन के दोनों हाथ दबाकर उस पर पसरता हुआ  - क्या नहीं किया ??? मेरे माथे पर क्या चुतिया लिखा हुआ है |
नूतन - हमने कोई चुदाई वुदाई नहीं करी, प्लीज मेरी बात का भरोसा कर | 
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जग्गू का गुस्सा और बढ़ गया - कुतिया साली, तो यहाँ नंगी होकर क्या भजन कीर्तन कर रही थी | देख कान खोलकर सुन, उस औरत ने पहले ही मेरा दिमाग ख़राब कर रखा, पता नहीं कहाँ गुम हो गयी है, पिछले घंटे भर से अपने लंड को सहलाकर उसको ढूंढ रहा हूँ, कही दिख ही नहीं रही | साला सोचा था कुछ नहीं मिलेगा तो उसको देखकर मुठ ही मार लूगाँ लेकिन पता नहीं कहाँ अंतर्ध्यान हो गयी | देख पिछले एक घंटे से लंड खड़े खड़े थक गया है, इसे तो बैठना पड़ेगा | अब तेरी मर्जी है तू आराम से चुदवा ले या मै जबदस्ती करके तुझे चोदु | देख प्रियम की चाची की चूत कब मिलेगी पता नहीं लेकिन अभी जो उसके नाम का बुखार चढ़ा है उसे तो उतरना ही पड़ेगा | अब सामने तू मिल गयी वो भी जांघे खोलकर नंगी चूत लिए हुए, तो तुझे ही चोदूगां |
रीमा ये सब बाते कान लगाये सुन रही थी, उसे तो यकीन ही नहीं हुआ इस उम्र के लडके भी उसके बारे में ऐसा भी सोच सकते है | 
नूतन अपनी ही उलझन में थी उसे रीमा से कोई लेना देना ही था - प्रियम की चाची का बुखार उन पर जाकर उतारो, उसको ढूंढो और जाकर चोदो, मेरी नन्ही जान के पीछे क्यों पड़ा.................. मेरी क्या गलती है | 
जग्गू - तेरी गलती ये है मेरा लंड खड़ा है और तू बिलकुल नंगी है मेरे सामने, अब तेरी नंगी गुलाबी चिकनी चूत ही मेरे लंड के सामने है |
नूतन - जाकर प्रियम और उसकी चाची से हिसाब करो अपना, मुझे छोड़ दो प्लीज जग्गू | 
जग्गू भी नरम होने लगा - छोड़ दूंगा लेकिन चोदने के बाद, सिर्फ एक बार चोद लेने दे, सिर्फ एक बार ही चोदूगां....................... जैसे खुसी खुसी प्रियम और राजू से चुद ली हो वैसे ही मुझे भी अपनी चूत चोद लेने दो , उसके बाद आराम से घर जावो | सब हैप्पी हैप्पी |
नूतन - जग्गू प्लीज मेरी बात मान,  मै सच बोल रही हूँ, उन्होंने मुझे नहीं चोदा, दोनों में से किसी ने भी नहीं |
जग्गू के तेवर उग्र हो गए - फिर वही ड्रामा, तू साली कुतिया रंडी की चूत, ऐसे नहीं मानेगी |
जग्गू नूतन पर पसर हुआ था , जग्गू ऊपर था और नूतन नीचे, जग्गू अपने  पेट की बेल्ट खोलने थोड़ा सा टूटन के जिस्म पर से बांयी तरफ को तिरछा हुआ , नूतन उसको धक्का देखर भागने की कोशिश करी, लेकिन जग्गू ने गिरते पड़ते उसे पकड़ लिया | अब जग्गू का गुस्सा हद से ज्यादा बढ़ गया था, रीमा की हवस और शराब के नशे में डूबा जग्गू पागलपन की हद तक तक पंहुच गया था | उसे लगा नूतन पर रहमदिली दिखाना व्यर्थ है |
उसने धड़ाम से नूतन को  बिस्तर पर पटका और तीन चार झापड़ नूतन को लगा दिए | नूतन दर्द और बेबसी के कारन रोने लगी | जग्गू उसके ऊपर पसर गया, उसे बेतहाशा चूमने लगा - अब तो न सिर्फ तू चुदेगी, बल्कि कुतिया की तरह चुदेगी | साली प्यार से मना रहा था तो नौटकी कर रही थी | अब रंडी की तरह चोदूगा तुझे तब पता चलेगा, जग्गू के लंड से पंगा लेने का क्या मतलब होता है | 

नूतन रोते रोते गिदगिड़ाइ, उसके हाथो की सख्त पकड़ को छुड़ाने की असफल कोशिश करती हुआ  - प्लीज जग्गू छोड़ दो मुझे, मैंने कुछ नहीं प्रियम और राजू के साथ | प्लीज मै तुमारा लंड भी झाड़ दूँगी हाथ से, चूस भी दूँगी | प्लीज नीचे मत करो, चूत मत चोदो मेरी |
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जग्गू - साली मुठ ही मरवानी होती तो लौडिया की क्या जरुरत है, अपने हाथ से ना मार लू |
नूतन - मेरा मुहँ चोद लो जग्गू प्लीज, लेकिन मेरी चूत मत मारो |
जग्गू एक हाथ से नूतन  को थामकर एक हाथ से अपनी पेंट की बेल्ट खोलता हुआ - साली कितनी नौटंकी बाज है, साला मुहँ में क्या चोदेगें, ऐसे नखरे दिखा रही है जैसे साली की चूत पहली बार चुदने जा रही हो |
 नूतन रोते हुए - ऐसा ही है जग्गू, प्लीज कही भी कर लो लेकिन चूत में नहीं जग्गू | कही भी कर ले लेकिन चूत में नहीं प्लीज.............................................................| मेरा मुहँ चोद ले, वो दोनों भी मुहँ में ही करके गए है, मै सच बोल रही हूँ, तेरी कसम  |
जग्गू ने पेंट नीचे खिसका दी, अपना तना हुआ लंड सहलाने लगा - कितनी बड़ी नौटंकी है तू, साला मेरी कसम खाकर मुझे ही मारना है............साले वो दोनों चुतिया है................. तो क्या मै भी तुझे चुतिया लगता हूँ, चूत सामने होते हुए भी जो मुहँ में झड कर चला जाये उससे बड़ा चुतिया लंड नहीं होगा कोई दुनिया में  .............और तू कौन कुंवारी कन्या है, जो इतना ड्रामा रच रही है, जहाँ इतने लंड ले लिए अपने अन्दर वहां एक और सही........ जिस चूत में एक बार लंड गया, उसमे फिर चाहे जीतनी बार जाये क्या फर्क पड़ता है | 
नूतन के अन्दर जग्गू की दहसत भर गयी थी उसे लगा अब ये नहीं रुकेगा, उसने रोते हुए हाथ जोड़कर - प्लीज जग्गू उसमे आज तक किसी का लंड नहीं गया, उसे मत चोदो |
जग्गू - साली कुतिया ये रोने धोने का ड्रामा बंद कर, सौ सौ लंड खाके चूत बोले मै कुंवारी, चुप कर साली, बंद कर ये नौटंकी | अगर साली तेरी चूत की सील नहीं भी टूटी है तो इससे अच्छा क्या होगा कि उसकी सील मै तोडू | तेरे उन रईस लौंडो के कागज के  लंडो से बेहतर है तो चूत के सामने होते हुए भी चुसवा कर चले गए , अलसी लंड है  मेरा, चूत चोदने वाला,  चूत की सील खोलने वाला, एक ही बार में पक्क्क से तेरी सुरंग का दरवाजा खोल देगा | फिर क्या सटा सट सटा सट सटा सट सटा सट सटा सट जमकर चुदो |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 19-04-2019, 10:40 AM



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