22-08-2021, 10:16 PM
मलाई- एक रखैल-9
सचिन अंकल हां दरवाजा खोलकर अंदर आए, दरवाजे के खुलते ही बाहर की ठंडी हवाओं के झोंके घर के अंदर आने लगे और मानो घर का पूरा माहौल बिल्कुल बदल सा गया... पहले वाली घुटन और उमस न जाने कहां गायब हो गई... वैसे तो पहले ही कमला मौसी से बात करने के बाद मेरी थोड़ी ढाँढस बंधी थी और अब सचिन अंकल के आ जाने के बाद मेरा मिजाज बिल्कुल बदल गया|
मैंने गौर किया कि उन्होंने सिर्फ एक हाफ पेंट और टीशर्ट पहन रखी थी... आंखों में चश्मा और उनके सर के बाल थोड़े बहुत बिखरे हुए... न जाने क्यों मुझे बहुत आकर्षक लग रहे थे... मैं उन्हें देख कर मुस्कुराई... उनके एक हाथ में एक थैला उसके साथ प्लास्टिक का एक पैकेट जिसमें शायद लंबा सा एक कार्डबोर्ड का बक्सा था और दूसरे में छाता... मैनें उनके हाथों से थैला और छाता ले लिया, लेकिन जब मैं वह प्लास्टिक का पैकेट उनके हाथ से लेने गई, तो उन्होंने मुझसे कहा, " इस रहने दो, इसे मैं ही रख लूंगा"
थैले में से पहले से ही ठन ठन के बजे आ रही थी... मैं जानती थी उस थैले में बीयर की बोतले हैं, लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उनसे पूछा, "अंकल जी क्या है इस थैले में?"
सचिन अंकल ने एक शरारत भरी मुस्कान के बीच मुझसे बोले, " बस आज थोड़ा बीयर पीने का मन कर रहा था, और करेगा क्यों नहीं? मुझे तुम्हारे जैसी जवान और खूबसूरत है लड़की का साथ जो मिल रखा है... लेकिन मलाई मेरी तुमसे एक रिक्वेस्ट है; आज तुम भी मेरे साथ बैठकर बीयर पीयोगी"
कमला मौसी ना तुम मुझे इस बारे में पहले ही बता दिया था लेकिन फिर भी मैं भोली और अनजान बन रही थी, "लेकिन अंकल मैंने तो पहले कभी बियर पी नहीं"
सचिन अंकल का जवाब भी कमला मौसी जैसा ही था, "कोई बात नहीं आज भी लेना, मलाई... और हां जब तक मैं यहां हूं, तुम्हें या फिर तुम्हारी कमला मौसी को किचन में घुस के खाना बनाने की मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है... हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेंगे"
मैंने यूं ही उनको चिढ़ाने के लिए पूछा, "क्यों? आप खाना बाहर से क्या मंगवा रहे हैं? क्या मेरे हाथ का बनाया हुआ खाना आपको पसंद नहीं आया?"
"हा हा हा हा हा", सचिन अंकल हंस पड़े और बोले, "नहीं, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे पसंद है... इसलिए जिस दिन मैं दुबारा यहाँ का चक्कर लगाऊंगा, उस दिन सिर्फ तुम्हारे हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा... लेकिन मुझे मालूम है, मलाई- तुम्हें इस घर के सारे काम खुद ही करती हो... दिन भर खटती रहती हो... यह सारी बातें मुझे तुम्हारी कमला मौसी ने बताई थी... इसलिए मैं चाहता हूं; कि जब तक मैं यहां हूँ... तुम्हें थोड़ा आराम मिल जाए... और इसमें मेरा स्वार्थ भी है... मैं चाहता हूं कि तुम पूरी तरह से बिल्कुल मेरी बन कर रहो; मुझे तुम बहुत पसंद हो मलाई...”
मैं शर्मा कर थोड़ा हंस पड़ी और फिर बोली, "जैसा आप ठीक समझें, सचिन अंकल... मैं बीयर की बोतलें फ्रिज में रख देती हूं- और फ्रिज को क़ुइक फ्रिज में डाल देती हूं… मुझे उम्मीद है कि बोतले जल्दी ही ठंडी हो जाएंगी "
माफ करना आप सचिन अंकल आज मैं काफी देर तक सोती रही| मुझे जैसी सयानी लड़की को इतनी देर तक सोना नहीं चाहिए... मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि आपने सुबह की चाय पी भी कि नहीं? अगर आप कहें तो मैं आपके लिए चाय बना दूँ?"
सचिन करने मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरा और बोले, "तुम देर तक सोती रही इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं| मैंने तुम्हें कल रात को सोने ही नहीं दिया था... खैर फिलहाल मैं सिर्फ बियर पीने के मूड में हूं... मैं चाहता हूं कि तुम बिन मेरे साथ बैठकर बियर पियो... बस एक बोतल खोल लेना... बाकियों को फ्रिज में रख कर आओ... उसके बाद तुम नहा लेना और फिर बाद में, मैं नहा लूंगा और मुझे उम्मीद है तब तक पिज़्ज़ा की डिलीवरी भी हो जाएगी... और हां तुम्हारी कमला मौसी ने मुझे बोला था कि उसे आज दुकान में बहुत काम है इसलिए मैंने उसके हिस्से का पिज़्ज़ा दुकान में ही डिलीवरी करने का इंतजाम कर दिया है|"
मैंने कहा, "जी, अच्छा..." फिर मैंने उत्सुकता वश पूछ ही लिया, "आपको कैसे पता कि मैं अब तक नहाई नहीं हूं?"
सचिन अंकल ने जवाब दिया, " तुम्हारी आंखों को देख कर ऐसा लग रहा है कि बस तुम अभी थोड़ी देर पहले ही नींद से जागी हो... और दूसरी बात तुम्हारी ही खूबसूरत काले- रेशमी- घने और लंबे बाल बिल्कुल भी गीले नहीं है" यह कहकर सचिन अंकल ने मेरे बालों का जुड़ा खोल दिया और बोले, "मलाई... तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं- अगर मेरी मौजूदगी में तुम अपने बालों को खुला रखोगी तो मुझे खुशी होगी"
“जी अच्छा, लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगी... कॉलेज के जमाने से ही मेरे बाल लंबे हैं... इसलिए बचपन से ही इन्हें बांध कर रखने की आदत सी पड़ गई है... आजा मैं सो करके उठे तो अनजाने में ही शायद मैंने अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था; क्योंकि इतने लंबे बालों को अगर मैं खुला छोड़ दूं दोनों संभालने में थोड़ी बहुत मुश्किल होती है...”
“हा हा हा हा हा मैं समझ सकता हूं| लेकिन मुझे उम्मीद है यह दो-चार दिन जो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम मेरे खातिर यह छोटी सी मुश्किल को जरूर उठा लोगी...”
मैंने शर्माते हुए मुस्कुरा कर कहा, “जी अच्छा मैं आगे से ध्यान रखूंगी...” और फिर मैंने मन ही मन सोचा अब जब मैं नहा कर निकलूंगी, तो जानबूझकर ही मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी... आखिर कमला मौसी ने मुझे हिदायत दी थी कि यह चंद दिन मुझे सचिन अंकल की औरत- उनकी रखैल- बन कर बितानी है... मुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह मुझे, और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे मुझे...
“ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैं अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी| सचिन अंकल के सवाल ने मानो मुझे चौंका कर असलियत पर लाकर खड़ा कर दिया|
और अब मुझे ध्यान आया कि मैं अब तक एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में बियर का थैला पकड़ कर ही खड़ी थी...
सचिन अंकल ने मुझे एक अजीब सी ललचाई नजरों से मुझे देखा और फिर मेरे पास आकर उन्होंने कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया... मैं भी उनसे लिपटना चाहती थी लेकिन मेरे दोनों हाथों में सामान था इसलिए मैं यूं ही सीधी खड़ी रही| उन्होंने मेरे सर के पीछे से मेरे बालों का एक गुच्छा पकड़ कर के मेरे चेहरे को ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने होठों को मेरे होठों पर जमा दिए... मैंने कोई एतराज नहीं किया... वह मेरे होंठों को चूमते रहे चाटते रहे और फिर उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अंदर डाल दी... मैंने भी अपनी जुबान उनकी जुबान से लड़ाई... और देखते ही देखते न जाने कब मेरी जुबान उनके मुंह में थी... उन्होंने दांतो से मेरी जुबान को दबाया और फिर मेरी जुबान को चूसने लग गया... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ रही थी... चंद मिनटों बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और उन्होंने फिर से पूछा, “अब बताओ, ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैंने झेंप कर कहा, "जी कुछ नहीं बस यूं ही..."
“हा हा हा हा हा”, सचिन अंकल हंस पड़े, “कोई बात नहीं, तुम्हें काम करो तुम एक बोतल यहीं रख कर जाओ और बाकी सारी बोतल को फ्रिज में डाल दो और हां, जैसा कि तुमने कहा फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड में डाल देना... और किचन से दो गिलासे भी लेकर आना मुझसे रहा नहीं जा रहा... मुझे तुम्हारे साथ बैठकर बियर की चुस्कियां लेने का बड़ा मन कर रहा है...”
“जी ठीक है, लेकिन आप पहले क्यों नहीं नहा लेते?”
“हा हा हा, तो मुझे बाथरूम से नहाकर निकलती हो तो पूरे बाथरूम में एक मदहोश कर देने वाली खुशबू भरी हुई रहती है इसलिए...”
“जी बहुत अच्छा, जैसा आप कहें... मैं बस अभी आई”
क्रमशः
सचिन अंकल हां दरवाजा खोलकर अंदर आए, दरवाजे के खुलते ही बाहर की ठंडी हवाओं के झोंके घर के अंदर आने लगे और मानो घर का पूरा माहौल बिल्कुल बदल सा गया... पहले वाली घुटन और उमस न जाने कहां गायब हो गई... वैसे तो पहले ही कमला मौसी से बात करने के बाद मेरी थोड़ी ढाँढस बंधी थी और अब सचिन अंकल के आ जाने के बाद मेरा मिजाज बिल्कुल बदल गया|
मैंने गौर किया कि उन्होंने सिर्फ एक हाफ पेंट और टीशर्ट पहन रखी थी... आंखों में चश्मा और उनके सर के बाल थोड़े बहुत बिखरे हुए... न जाने क्यों मुझे बहुत आकर्षक लग रहे थे... मैं उन्हें देख कर मुस्कुराई... उनके एक हाथ में एक थैला उसके साथ प्लास्टिक का एक पैकेट जिसमें शायद लंबा सा एक कार्डबोर्ड का बक्सा था और दूसरे में छाता... मैनें उनके हाथों से थैला और छाता ले लिया, लेकिन जब मैं वह प्लास्टिक का पैकेट उनके हाथ से लेने गई, तो उन्होंने मुझसे कहा, " इस रहने दो, इसे मैं ही रख लूंगा"
थैले में से पहले से ही ठन ठन के बजे आ रही थी... मैं जानती थी उस थैले में बीयर की बोतले हैं, लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उनसे पूछा, "अंकल जी क्या है इस थैले में?"
सचिन अंकल ने एक शरारत भरी मुस्कान के बीच मुझसे बोले, " बस आज थोड़ा बीयर पीने का मन कर रहा था, और करेगा क्यों नहीं? मुझे तुम्हारे जैसी जवान और खूबसूरत है लड़की का साथ जो मिल रखा है... लेकिन मलाई मेरी तुमसे एक रिक्वेस्ट है; आज तुम भी मेरे साथ बैठकर बीयर पीयोगी"
कमला मौसी ना तुम मुझे इस बारे में पहले ही बता दिया था लेकिन फिर भी मैं भोली और अनजान बन रही थी, "लेकिन अंकल मैंने तो पहले कभी बियर पी नहीं"
सचिन अंकल का जवाब भी कमला मौसी जैसा ही था, "कोई बात नहीं आज भी लेना, मलाई... और हां जब तक मैं यहां हूं, तुम्हें या फिर तुम्हारी कमला मौसी को किचन में घुस के खाना बनाने की मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है... हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेंगे"
मैंने यूं ही उनको चिढ़ाने के लिए पूछा, "क्यों? आप खाना बाहर से क्या मंगवा रहे हैं? क्या मेरे हाथ का बनाया हुआ खाना आपको पसंद नहीं आया?"
"हा हा हा हा हा", सचिन अंकल हंस पड़े और बोले, "नहीं, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे पसंद है... इसलिए जिस दिन मैं दुबारा यहाँ का चक्कर लगाऊंगा, उस दिन सिर्फ तुम्हारे हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा... लेकिन मुझे मालूम है, मलाई- तुम्हें इस घर के सारे काम खुद ही करती हो... दिन भर खटती रहती हो... यह सारी बातें मुझे तुम्हारी कमला मौसी ने बताई थी... इसलिए मैं चाहता हूं; कि जब तक मैं यहां हूँ... तुम्हें थोड़ा आराम मिल जाए... और इसमें मेरा स्वार्थ भी है... मैं चाहता हूं कि तुम पूरी तरह से बिल्कुल मेरी बन कर रहो; मुझे तुम बहुत पसंद हो मलाई...”
मैं शर्मा कर थोड़ा हंस पड़ी और फिर बोली, "जैसा आप ठीक समझें, सचिन अंकल... मैं बीयर की बोतलें फ्रिज में रख देती हूं- और फ्रिज को क़ुइक फ्रिज में डाल देती हूं… मुझे उम्मीद है कि बोतले जल्दी ही ठंडी हो जाएंगी "
माफ करना आप सचिन अंकल आज मैं काफी देर तक सोती रही| मुझे जैसी सयानी लड़की को इतनी देर तक सोना नहीं चाहिए... मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि आपने सुबह की चाय पी भी कि नहीं? अगर आप कहें तो मैं आपके लिए चाय बना दूँ?"
सचिन करने मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरा और बोले, "तुम देर तक सोती रही इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं| मैंने तुम्हें कल रात को सोने ही नहीं दिया था... खैर फिलहाल मैं सिर्फ बियर पीने के मूड में हूं... मैं चाहता हूं कि तुम बिन मेरे साथ बैठकर बियर पियो... बस एक बोतल खोल लेना... बाकियों को फ्रिज में रख कर आओ... उसके बाद तुम नहा लेना और फिर बाद में, मैं नहा लूंगा और मुझे उम्मीद है तब तक पिज़्ज़ा की डिलीवरी भी हो जाएगी... और हां तुम्हारी कमला मौसी ने मुझे बोला था कि उसे आज दुकान में बहुत काम है इसलिए मैंने उसके हिस्से का पिज़्ज़ा दुकान में ही डिलीवरी करने का इंतजाम कर दिया है|"
मैंने कहा, "जी, अच्छा..." फिर मैंने उत्सुकता वश पूछ ही लिया, "आपको कैसे पता कि मैं अब तक नहाई नहीं हूं?"
सचिन अंकल ने जवाब दिया, " तुम्हारी आंखों को देख कर ऐसा लग रहा है कि बस तुम अभी थोड़ी देर पहले ही नींद से जागी हो... और दूसरी बात तुम्हारी ही खूबसूरत काले- रेशमी- घने और लंबे बाल बिल्कुल भी गीले नहीं है" यह कहकर सचिन अंकल ने मेरे बालों का जुड़ा खोल दिया और बोले, "मलाई... तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं- अगर मेरी मौजूदगी में तुम अपने बालों को खुला रखोगी तो मुझे खुशी होगी"
“जी अच्छा, लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगी... कॉलेज के जमाने से ही मेरे बाल लंबे हैं... इसलिए बचपन से ही इन्हें बांध कर रखने की आदत सी पड़ गई है... आजा मैं सो करके उठे तो अनजाने में ही शायद मैंने अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था; क्योंकि इतने लंबे बालों को अगर मैं खुला छोड़ दूं दोनों संभालने में थोड़ी बहुत मुश्किल होती है...”
“हा हा हा हा हा मैं समझ सकता हूं| लेकिन मुझे उम्मीद है यह दो-चार दिन जो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम मेरे खातिर यह छोटी सी मुश्किल को जरूर उठा लोगी...”
मैंने शर्माते हुए मुस्कुरा कर कहा, “जी अच्छा मैं आगे से ध्यान रखूंगी...” और फिर मैंने मन ही मन सोचा अब जब मैं नहा कर निकलूंगी, तो जानबूझकर ही मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी... आखिर कमला मौसी ने मुझे हिदायत दी थी कि यह चंद दिन मुझे सचिन अंकल की औरत- उनकी रखैल- बन कर बितानी है... मुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह मुझे, और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे मुझे...
“ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैं अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी| सचिन अंकल के सवाल ने मानो मुझे चौंका कर असलियत पर लाकर खड़ा कर दिया|
और अब मुझे ध्यान आया कि मैं अब तक एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में बियर का थैला पकड़ कर ही खड़ी थी...
सचिन अंकल ने मुझे एक अजीब सी ललचाई नजरों से मुझे देखा और फिर मेरे पास आकर उन्होंने कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया... मैं भी उनसे लिपटना चाहती थी लेकिन मेरे दोनों हाथों में सामान था इसलिए मैं यूं ही सीधी खड़ी रही| उन्होंने मेरे सर के पीछे से मेरे बालों का एक गुच्छा पकड़ कर के मेरे चेहरे को ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने होठों को मेरे होठों पर जमा दिए... मैंने कोई एतराज नहीं किया... वह मेरे होंठों को चूमते रहे चाटते रहे और फिर उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अंदर डाल दी... मैंने भी अपनी जुबान उनकी जुबान से लड़ाई... और देखते ही देखते न जाने कब मेरी जुबान उनके मुंह में थी... उन्होंने दांतो से मेरी जुबान को दबाया और फिर मेरी जुबान को चूसने लग गया... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ रही थी... चंद मिनटों बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और उन्होंने फिर से पूछा, “अब बताओ, ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैंने झेंप कर कहा, "जी कुछ नहीं बस यूं ही..."
“हा हा हा हा हा”, सचिन अंकल हंस पड़े, “कोई बात नहीं, तुम्हें काम करो तुम एक बोतल यहीं रख कर जाओ और बाकी सारी बोतल को फ्रिज में डाल दो और हां, जैसा कि तुमने कहा फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड में डाल देना... और किचन से दो गिलासे भी लेकर आना मुझसे रहा नहीं जा रहा... मुझे तुम्हारे साथ बैठकर बियर की चुस्कियां लेने का बड़ा मन कर रहा है...”
“जी ठीक है, लेकिन आप पहले क्यों नहीं नहा लेते?”
“हा हा हा, तो मुझे बाथरूम से नहाकर निकलती हो तो पूरे बाथरूम में एक मदहोश कर देने वाली खुशबू भरी हुई रहती है इसलिए...”
“जी बहुत अच्छा, जैसा आप कहें... मैं बस अभी आई”
क्रमशः
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া