18-04-2019, 10:33 PM
आज ज्योति की शादी थी। दिन भर सब इधर उधर के कामों में व्यस्त रहे। सारे रस्मो रिवाज होते रहे, हँसी मज़ाक होता रहा। पूनम बंटी से दूर दूर ही रह रही थी। उसे हर वक़्त ये डर लगा हुआ था कि पता नहीं कब बंटी फिर से उसके जिस्म को सहलाने लगा। ये सच भी था। बंटी पूनम के आसपास ही मँडरा रहा था और इस ताक में था कि किसी तरह अकेले में वो पूनम से बात कर सके, और उसे अपने शीशे में उतार सके। बंटी के दिमाग में ये बात चल रही थी की आज ज्योति की शादी हो जाने वाली थी और कल पूनम को वापस अपने घर चले जाना है। उसके पास बस आज ही की दिन और आज ही की रात थी पूनम के साथ कुछ करने के लिए। बंटी पूनम जैसी लड़की को बिना कुछ किये नहीं जाने देना चाहता था।
पूनम जैसी मस्त माल को तो हर कोई खाना चाहता था, लेकिन बंटी उनलोगों में से था जो सिर्फ चाहता नहीं था, जो चाहता था उसे पाने की भरपूर कोशिश करता था। दोपहर होने वाला था, लेकिन बंटी की कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हुई थी। आज भीड़ काफी थी तो वो ज्योति से भी बात नहीं कर पा रहा था ज्योति के पास हमेशा भीड़ लगी हुई ही थी। रात तो उसने ज्योति के साथ गुजार लिया था, लेकिन तब उसकी सिर्फ मेहँदी लगी थी, वो शादी से पहले एक और बार ज्योति के साथ चुदाई करना चाहता था जब वो पूरी तरह दुल्हन बन चुकी हो।
बंटी अपनी प्लानिंग सोचने में व्यस्त था कि अचानक उसकी नज़र पूनम पर गयी जो स्टोर रूम की तरफ जा रही थी। ये बहुत अच्छा मौका था क्यों की उधर कोई नहीं था। स्टोर रूम सबसे अंतिम वाला कमरा था और गैलरी भी खाली थी। पूनम स्टोर रूम का ताला खोली और अंदर चली गयी। उसके अंदर जाते ही बंटी भी चुपके से अंदर घुस गया। पूनम कुछ ढूंढने में व्यस्त थी और उसका ध्यान बंटी पर नहीं गया।
पूनम अपने कातिल बदन के साथ बंटी की प्यासी नज़रों के सामने खड़ी थी। लेगिंग्स और नी लेंथ कुर्ती में। बंटी के सामने उसकी पीठ थी और उसके बदन के कटाव इस टाइट कपड़े में झलक रहे थे। बंटी का लण्ड तो ये सोच कर ही टाइट था कि वो पूनम के साथ अकेले एक कमरे में है, हालाँकि कमरा अभी बंद नहीं था। उसने कमरा बंद करने का रिस्क भी नहीं लिया नहीं तो पूनम को पता चल जाता और वैसे भी अगर कोई इधर आता तो उसके कदमो की आहट से तो पता चल ही जाता।
बंटी धीरे से आगे बढ़ा और उसने एक हाथ पूनम के हिप पर रखा और दूसरा हाथ सामने लाकर सीने से पकड़ता हुआ उसे अपने बदन से चिपका लिया और गर्दन और पीठ पे खुले हिस्से को चूमने लगा। पूनम अचानक हुए इस हमले से बुरी तरह डर गयी थी और वो छूटने की कोशिश करने लगी। लेकिन बंटी की पकड़ मज़बूत थी। बाज के पंजे में आयी चिड़ियाँ इतनी आसानी से नहीं छूट सकती थी। पूनम को तुरंत पता चल गया थी की वो बंटी की पकड़ में है और इसलिए वो जोर से चीखी तो नहीं, लेकिन छूटने के लिए पूरी ताकत लगाती रही।
बंटी उसके गर्दन पे चूमता हुआ अपने होठों से उसके पीठ को सहला रहा था और इतनी मस्त गदराई माल को अपनी बाँहों में पाकर वो खुद को रोक नहीं पाया और पूनम की गर्दन पे दाँत काटने लगा। अब बंटी का दोनों हाथ सामने से पूनम को पकड़े हुए था और अपने बदन से चिपकाये हुए था। बंटी का एक हाथ पूनम को सीने से दबाये हुए एक चुच्ची को पकड़े था और दूसरा हाथ नीचे पेट से पकड़े हुए था। पूनम छूटने के लिए पूरी ताकत लगा रही थी लेकिन बंटी ने भी पूरे ताकत से उसे जकड़ा हुआ था।
बंटी का दूसरा हाथ कपड़े के ऊपर से पूनम की चुत पर था और वो पूनम को बोला "कितना तड़पाओगे मेरी जान, जब से तुम्हे देखा हूँ, मर रहा हूँ तुम्हे पाने के लिए, लेकिन तुम पता नहीं क्यों मेरे से भाग रही हो।" पूनम छिटकती हुई छूटने की पूरी ताकत लगाते हुए बोली "आह.. छोड़ो मुझे, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी। बंटी भला उसे कहाँ छोड़ने वाला था। वो जोर से पूनम की चुच्ची को मसलता हुआ बोला "पूछी नहीं ज्योति से कितना मज़ा आता है उसे। प्लीज़ मेरी जान, इतना मत तड़पा मुझे।"
पुनम बंटी की पकड़ से छूट गयी और बंटी उससे अलग होता हुआ बोला "क्यों ऐसे कर रही हो। ज्योति ने तुम्हे बताया नहीं। वो तो बोली की तुम अपनी बहन की जगह लेने के लिए तैयार हो।" पूनम हाँफ रही थी और उसका चेहरा गुस्से और गर्मी से लाल हो गया था। वो अभी भी खड़ी थी क्यों की बंटी उसके और दरवाजे के बीच में खड़ा था। पूनम गुस्से से बोली "तुम्हे जो करना है ज्योति दी कि साथ करो, मेरे से दूर रहो। नहीं तो तुम सोच भी नहीं सकते की मैं क्या करुँगी तुम्हारे साथ। मैं बस इसलिए चुप हूँ क्यों की ज्योति दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है। लेकिन अब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी है।"
बंटी को भी डर लग गया कि कहीं ये सच में शोर न करने लग जाए। "ठीक है, आई एम सॉरी, तुम हल्ला मत करो। मैं जा रहा हूँ। किसी को कुछ मत बोलना। आई एम सॉरी। मुझे लगा था कि तुम्हे अच्छा लगा है, इसलिए तुम्हारे पास आया था। आई एम सॉरी।" बोलता हुआ बंटी स्टोर रूम से बाहर निकल गया। बंटी के बाहर जाते ही पूनम राहत की साँस ली और अपने कपड़े ठीक करने लगी। थोड़ी देर बाद वो बाहर निकली और स्टोर रूम को वापस बंद कर के लोगों के बीच में चली गयी।
पूनम को बहुत गुस्सा आया हुआ था। ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने उसे इस तरह छुआ था, बिना उसके मर्ज़ी के। वो उसी गुस्से में सीधे ज्योति के पास गयी। वो बाँकी किसी और को कुछ नहीं बता सकती थी, लेकिन ज्योति को तो बता सकती थी। ज्योति के पास कई सारे लोग बैठे हुए थे, वो उसे छत पर ले जाकर अभी की सारी बात बताई। छत पे उनदोनो के अलावा और कोई नहीं था। पूनम का गुस्सा देखकर ज्योति उसी वक़्त बंटी को कॉल लगायी और उसे डाँटने लगी।
बंटी फ़ोन पर अपनी सफाई दे रहा था। पता नहीं वो क्या क्या बोल रहा था कि 2 मिनट बाद ही ज्योति हँसने लगी थी। ज्योति को इस तरह बंटी से बात करता देझ पूनम का गुस्सा और बढ़ रहा था। पूनम गुस्सा होकर नीचे जाने लगी तो ज्योति उसका हाथ पकड़ कर रोक ली और ये बोलते हुए कॉल कट कर दी की इसे अब से परेशान मत करना।
पूनम गुस्से में ही ज्योति से पूछी "तुम्हे देख कर लगता है कि तुम उसके चक्कर में पागल हो गयी हो। उसने मेरे साथ ऐसा किया और तुम हँस रही थी!" ज्योति कुछ बोलती उसके पहले ही पूनम फिर से गुस्से में बोली "तुम हँस क्यों रही थी?" ज्योति अपनी मुस्कुराहट को रोकते हुए पहले तो बोली "कुछ नहीं। ऐसे ही।" लेकिन जब पूनम दुबारा से पूछी तो ज्योति बोली "बोल रहा था कि तुम्हारा पेट बहुत मुलायम है, अनारों से ज्यादा।" ज्योति आँखों से पूनम के चुच्ची की तरफ इशारा करते हुए बोली। पूनम का गुस्सा अभी तक बरक़रार था।
ज्योति की नज़र पूनम की गर्दन पे गयी जहाँ बंटी के दाँतों के निशान उभर आये थे और वहाँ पर लाल हो गया था। ज्योति अपने आँचल से गर्दन पोछने लगी, लेकिन वो निशान ऐसे इतनी आसानी से तो नहीं ही मिटने वाला था। ज्योति के रगड़ने से दाँत का निशान तो हट गया लेकिन गर्दन के पास पूरा लाल जरूर हो गया था। "उफ़्फ़... कितनी बेदर्दी से मेरी बहन को काटा है। सिर्फ थोड़ी देर के लिए छुआ तो ये कर दिया, पता नहीं पूरी मस्ती करता तो फिर तो पूरा खा ही जाता।"
पूनम को ज्योति की हर बात पर गुस्सा आ रहा था। वो गुस्से में घुरी ज्योति को। ज्योति मुस्कराते हुए "सॉरी सॉरी" बोलते हुए पोछने लगी और फिर बोली "नीचे चलकर बोरोप्लस लगा लेना। कोई काटा था तुम्हे इस तरह आज तक?" पूनम गुस्से में ही बोली "किसी की इतनी औकात ही नहीं थी। ये तो मैं बस तुम्हारी वजह से चुप रही और उसी का नाजायज़ फायदा उठाया वो कमीना।" ज्योति बोली "बाँकी लोग डर जाते होंगे, मेरा बंटी डरता नहीं। इसलिए वो ऐसे कर लिया, बाँकी लोग मन में करते होंगे तुम्हारे साथ।"
पुनम बोली "मन में जो सोचना हो सोचे, जो करना हो करे, मुझे क्या। लेकिन ऐसे तो नहीं करने दे सकती न उसे।" ज्योति बोली "एक बात बोलूं, गुस्सा मत होना और शांति से ठन्डे दिमाग से सोचना।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे पता था कि ज्योति उसे क्या बोलने वाली है। वो बोली "चल नीचे। तुम्हे बोलने से कोई फायदा नहीं। तुम भी उसी की तरह हो।" ज्योति पूनम के साथ नीचे आने लगी और बोली "एक बार करवा ले उससे। मेरा प्रॉमिस रह जायेगा।"
पूनम कुछ नहीं बोली और नीचे आकर बोरोप्लस ली और वापस छत पर चली गयी। यहाँ सबके सामने बोरोप्लस लगाने से सब पूछते की क्या हुआ है, जो वो बता नहीं पाती। जब से पूनम यहाँ शादी में आयी थी तब से वो गुड्डू से बात नहीं की थी। 2-3 बार उसका कॉल आया था, लेकिन हर वक़्त कोई न कोई उसके पास रहता था तो वो बात नहीं की थी। अभी वो छत पे अकेली थी और थोड़ी देर वहीँ रहने वाली थी ताकि गर्दन का लालीपन कुछ कम हो जाये।
पूनम गुड्डू को कॉल लगा दी। अभी कुछ ही देर पहले उसकी चुच्ची और चुत मसली गयी थी और उसे गर्दन पे किस किया गया था। पूनम को बंटी के छूने पे मज़ा आ सकता था, लेकिन समस्या ये थी की बंटी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था। बिना उसकी मर्ज़ी के उसके बदन को छू रहा था और अभी तो उसने हद ही पार कर दिया था। गुड्डू उसकी मर्ज़ी से उसके बदन से खेला तो वो उसके लिए नंगी हो गयी, जब वो इज़ाज़त दी तभी अमित उसे छुआ तो वो अमित से भी चुदवाई, लेकिन बंटी को तो लगता है इस बात से कोई मतलब ही नहीं है कि उसकी मर्ज़ी क्या है, वो क्या चाहती है। उसे इस तरह का इंसान पसंद ही नहीं था।
गुड्डू को कॉल लगाते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और उसे वो छुअन अच्छी लगने लगी थी जो बंटी ने अपने हाथों से दिया था। वो सोचने लगी की 'अगर उस बंद करने में बंटी की जगह गुड्डू होता तो कितना मज़ा आता। फिर तो मैं खुद अपनी लेगिंग्स को नीचे करके अपनी चुत मसलवाती, कुर्ती का चेन खोलकर उसे अपने निप्पल्स को चूसने देती, उसका लण्ड चूसती और फिर खुद टाँगे फैलाकर चुदवाती। कितना अच्छा होता की गुड्डू यहाँ रहता तो जैसे ज्योति रात में छत पर चुदवा रही थी, मैं भी गुड्डू से चुदवाती। लेकिन..... फिर गुड्डू भी वही करता जो बंटी कर रहा है, वो भी ज्योति को चोदने को कहता। '
पूरा रिंग होकर फोन कट गया था। गुड्डू ने फ़ोन रिसीव नहीं किया। पूनम अपनी सोच में फिर से डूब गयी। पूनम सोचने लगी की 'वो और ज्योति एक साथ अगर छत पर अगल बगल में बंटी और गुड्डू से चुदवाते तो गुड्डू भी ज्योति को चोदने के लिए बोलता और बंटी तो बोल ही रहा है मुझे चोदने। बंटी बोल देता तो ज्योति तो गुड्डू से भी चुदवाने के लिए तैयार हो ही जाती और फिर वो लोग बोलते की आपस में अदला बदली कर लेते हैं। गुड्डू और बंटी दोनों को और किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं है, बस हमारी चुत से मतलब है, हमें चोदने से मतलब है। फिर मैं क्या करती ये तो पता नहीं, लेकिन ज्योति जरूर गुड्डू से चुदवाती और मुझे तो वो अभी भी बंटी से चुदवाने कह ही रही है, फिर तो शायद मैं भी चुदवा ही लेती। जब मैं विक्की से चुदवाने के लिए तैयार ही हूँ तो बंटी से भी चुदवा ही लेती।'
पूनम अपनी सोच में डूबी हुई थी तभी उसके फोन पे रिंग हुई। गुड्डू का कॉल था तो वो कॉल रिसीव कर ली। गुड्डू पूछा की "बहुत बिजी हो क्या शादी में?" तो पूनम बता दी की "हाँ यहाँ बहुत लोग हैं तो बात करना मुश्किल है। अभी छत पे हूँ तो कॉल लगा दी।" गुड्डू पूछा "कितने लड़कों ने छेड़ा?" पूनम मुस्कुराती हुई जवाब दी "कौन छेड़ेगा मुझे।" गुड्डू फिर बोला "ऐसा हो ही नहीं सकता। तुम्हे तो छेड़ने वालों की लाइन लगी होगी। शादियों में तुम्हारी जैसी लड़कियों पे ही तो सब की नज़र रहती है। कुछ लोग आँखों से चोदते हैं तो कुछ बहादुर हाथों का भी इस्तेमाल कर लेते हैं।" पूनम को बंटी की याद आ गयी की वही एक है जिसने हाथों का इस्तेमाल किया है।
पूनम बोली “तुम लड़कों को और कुछ दिखता ही कहाँ है।” गुड्डू बोला “तुम्हारे जैसी गरम माल जिसकी नज़रों के सामने रहेगी, तो उसे कुछ और दिखना भी नहीं चाहिए। मुझे तो शादियों में आई हुई लड़कियों को चोदने में ज्यादा ही मज़ा आता है। मस्ती करो, फिर तुम अपने रास्ते, हम अपने रास्ते।” पूनम कुछ नहीं बोली। बंटी भी तो यही चाह रहा था।
पूनम बोली “तुमसे लड़की हर जगह मान कैसे जाती है जो तुम हर जगह कर लेते हो।” गुड्डू बोला “क्या कर लेता हूँ?” पूनम मुस्कुरा दी। उसकी चूत पे चीटियाँ रेंगने लगी। बोली “कैसे हर जगह चोद लेते हो सबको? लडकियाँ मान कैसे जाती है?” गुड्डू बोला “अपना स्टाइल है जान, तुम भी तो नहीं मान रही थी, मना लिया न मैंने।”
पूनम को लगा की ‘गुड्डू सही बोल रहा है। मैं तो नफरत करती थी इससे, लेकिन इसने तो मुझे चोदने के लिए तैयार करा ही लिया। वो तो उसके अड्डे पे गयी नहीं, नहीं तो चुदवा ही चुकी होती। और सिर्फ गुड्डू क्या, विक्की से भी चुद चुकी होती। लेकिन इसने कभी जबरदस्ती नहीं किया मेरे साथ। और ये बंटी मुझे परेशान कर रहा है.’ बोली “लड़की मान कैसे जाती है? कोई बोलती नहीं की परेशान कर रहे हो?” गुड्डू बोला “तो सबको थोड़े ही चोद लेता हूँ। जो अच्छी होती है और जिसे देखकर लगता है की पट जाएगी, उसे ही पटाता हूँ यार।”
पूनम को लगने लगा की ‘बंटी उसके बारे में भी यही सोच रहा होगा की ये तो चुदवा ही लेगी। और उसे ये सोंचने बोली होगी मेरी बहन ज्योति। लेकिन वो भी क्या करेगी। चोदते वक़्त अगर गुड्डू मुझे कहता की मैं ज्योति को चोदना चाहता हूँ तो मैं भी यही कहती की चोद लो। और ज्योति तो उसकी फैन है, पागल है उसके चक्कर में, उसकी सारी बात मानती है.’ पूनम अपने ख्यालों में खोयी हुई थी तो गुड्डू बोला “कोई है वहाँ क्या जो कुछ किया है तेरे साथ? पूनम हडबडा गयी। उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी है। वो हड़बड़ाती हुई बोली “नहीं तो।” थोड़ी देर और इधर उधर की कुछ बातें करने के बाद वो फ़ोन रख दी और नीचे आ गयी.
थोड़ी देर बाद फिर बंटी उसके सामने था। वो जब भी पूनम को देख रहा था तो सॉरी बोलने जैसा मुँह बना रहा था और इशारे कर रहा था। उसने कान पकड़ कर माफ़ी मांगने का इशारा भी किया था। पूनम को डर लग रहा था की कोई उन इशारों को देख न ले। वहां बहुत सारे लोग थे और शादी की कोई रस्म हो रही थी। पूनम के मोबाइल पे फ़ोन बजा, कोई अनजान नंबर था। पूनम फ़ोन उठा ली और किनारे होकर बात करने लगी।
दूसरी तरफ बंटी था जो बोल रहा था “सॉरी पूनम, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो यार, आई एम् रियली वैरी सॉरी। प्लीज़ पूनम प्लीज़...” पूनम बोली “तुम्हे ये नंबर कहाँ से मिला?” बंटी फिर से अपने माफ़ी का गीत गाने लगा तो पूनम बोली “ठीक है, माफ़ कर दी। अब प्लीज़ परेशान मत करना।” बंटी बोला “मैं भी क्या करता यार, तुम हो ही इतनी हसीन की दिल फिसल गया। और मैं सच बोल रहा हूँ, ज्योति मुझे बोली की मेरी जगह पूनम से काम चलाना।” पूनम कुछ नहीं बोली और कॉल कट कर दी।
पूनम वापस से भीड़ में लौट गयी. सब हँसी मजाक में व्यस्त थे. पूनम भी नीचे बैठकर कुछ कर रही थी. उसे ध्यान नहीं था, लेकिन नीचे बैठने पर सामने खड़े लोगों को इस कुर्ती में उसकी क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रही थी। अचानक वो नज़र उठाई और सामने बंटी को देखी तो उसे ध्यान आया की वो उसकी क्लीवेज को निहार रहा है। पूनम शर्मा गयी और अपने दुपट्टे को चुपके से धीरे से ठीक करने की कोशिश की, लेकिन कर नहीं पायी क्यूँ की उसके हाथ में रस्म का कुछ सामान था।
पूनम जितना दुपट्टा ठीक की थी, वो पल भर में ही फिर से नीचे हो गया और फिर से उसकी चूचियाँ बंटी की नज़रों के सामने थी और पूनम के कुछ भी हरकत करने पर थिरक रही थी. पूनम फिर से एक बार सामने देखी तो बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। पूनम की नज़र बंटी के हाथ पर गयी तो वो हाथों से चुच्ची मसलने जैसा इशारा कर रहा था। पूनम शर्म से लाल हो गयी की इतने लोगों के बीच में बंटी मानसिक तौर पे उसके बदन से खेल रहा है। पूनम को इसी तरह कुछ देर और बैठे रहना पड़ा। और लोग भी उसके क्लीवेज को देख रहे होंगे, लेकिन इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। फर्क पड़ रहा था बंटी के देखने से क्यूँ की वो सिर्फ देख नहीं रहा था, अपनी नज़रों से ही मसल रहा था पूनम की चुच्ची को।
थोड़ी देर बाद वो रस्म ख़तम हो गया तो पूनम जल्द से वहाँ से उठी। सब खाना खाने बैठने लगे थे। पूनम फिर से चाभी लेकर स्टोर रूम की तरफ जा रही थी और इस बार बंटी भी साथ में गया था सामान लाने और 4-5 और लोग भी गए थे। बंटी बाँकी लोगों को सामान देकर भेज दिया और खुद वहीँ रुक गया। अब फिर से दोनों अकेले थे। पूनम को डर लगने लगा की कहीं बंटी फिर से उसे पकड़ न ले। हालाँकि अभी बंटी उसके सामने था, और उस वक़्त की तरह वो बेखबर नहीं थी अभी।
मुस्कुराते हुए बंटी ने पूनम की चुच्ची की तरफ इशारा करता हुआ अपना हाथ सामने की तरफ बढाया और मुट्ठियों को ऐसे मसलने लगा जैसे पूनम की चूचियों को मसल रहा हो। पूनम उससे दूर थी, लेकिन बंटी की इस हरकत से शर्मा गयी। वो अपनी शर्म भरी मुस्कान को रोक नहीं पाई और बोली “तुम फिर शुरू हो गए। सामान लो और जाओ यहाँ से।” बंटी उसी तरह अपने हाथों से चुच्ची मसलने की एक्टिंग करता हुआ बोला “तुम्हारा बहुत मुलायम है यार, अभी क्या मस्त थिरक रहा था. मेरा तो हाथ उसी वक़्त नहीं रुक रहा था। प्लीज़ यार, एक बार तो मसल लेने दो. प्लीज़।”
पूनम की शर्म और बढ़ गयी। बोली “तुम जाओगे यहाँ से। जिसकी मसलते हो उसकी मसलो जाकर।” बंटी थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला “उसकी कहाँ मसलने मिलेगी अब जान, तुम्हारी भी तो मसलने नहीं ही मिलेगी कल से। इसलिए तो बोल रहा हूँ की एक बार मसल तो लेने दो, प्लीज़।” पूनम डर कर थोड़ी पीछे होती हुई बोली “देखो...., मैं शोर मचा दूँगी।” बंटी मुस्कुराता हुआ ऐसे झुका जैसे पूनम को पकड़ लेगा और फिर नीचे रखा हुआ सामान उठा लिया और बाहर आने लगा। पूनम को लगा की वो मुझे डरा रहा था और मैं डर गयी।
पूनम बाहर आकर स्टोर रूम का दरवाज़ा लॉक करने लगी तब तक बंटी वहीँ खड़ा रहा. पूनम बोली “तुम गए क्यों नहीं? भारी सामान उठा कर खड़े हो।” बंटी आँखों से पूनम की चुचियों की तरफ इशारा करता हुआ बोला “तुम भी तो भारी सामान लिए घूमती रहती हो।" पूनम गुसाते हुए बोली “तुम पागल हो। जाओ यहाँ से, भागो।” बंटी बोला “तुम आगे चलो। कम से कम अच्छे से तुम्हारी बलखाती कमर को तो देख लूँ।" अब पूनम को अजीब लग रहा था। बोली “लगता है तुम ऐसे नहीं ही मानोगे। जाओ आगे।” लेकिन बंटी अपनी जगह से हिला भी नहीं। पूनम को लगा की इस तरह बाहर में खड़ी रहूंगी और कोई देखेगा तो मेरे बारे में ही गलत सोचेगा। हारकर वो अपने हाथों से अपनी कुर्ती को पीछे से ठीक की और चलने लगी। उसे अजीब लग रहा था। वो जान रही थी की बंटी क्या देख रहा होगा।
सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। फिर से कोई रस्म हो रही थी। रस्म एक कमरे में हो रहा था और वहाँ बहुत सारे लोग खड़े थे। बंटी को आगे जाना था और पूनम दीवाल के किनारे में खड़ी थी। बंटी को बैठे बिठाए अच्छा मौका मिल गया था। सब लोग रस्म में व्यस्त रहे और बंटी पूनम के कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और पीछे से उसके बदन से रगड़ता हुआ आगे बढ़ा और पूनम की कमर से हाथ हटाते वक़्त उसने चुच्ची को भी किनारे से छू लिया। मज़ा आ गया बंटी को। बंटी ने जानबूझकर ऐसा किया था, लेकिन जगह ही इतनी थी वहाँ पर। पूनम फिर से कुछ बोल नहीं पाई थी। फिर से बंटी ने उसके बदन को छुआ था। उसे बंटी पे तो गुस्सा आ ही रहा था, खुद पे भी गुस्सा आ रहा था। ऐसी हालत उसकी आज तक नहीं हुई थी। एक ही दिन में इतनी बार उसके बदन को बिना उसकी मर्ज़ी के छुआ गया था।
शाम तक ये सिलसिला चलता रहा. बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, मौका मिलते ही उसे छू ले रहा था और इशारे से उसे छेड़ रहा था. एक जगह पूनम खड़ी थी तो बंटी ने उसके गर्दन के पीछे पीठ पर हाथ सहलाया और जब पूनम गुस्से से पीछे पलटी तो मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में एक कीड़ा दिखाया की “इसे हटा रहा था.” पूनम फिर से मन मसोस कर रह गयी.
पूनम जैसी मस्त माल को तो हर कोई खाना चाहता था, लेकिन बंटी उनलोगों में से था जो सिर्फ चाहता नहीं था, जो चाहता था उसे पाने की भरपूर कोशिश करता था। दोपहर होने वाला था, लेकिन बंटी की कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हुई थी। आज भीड़ काफी थी तो वो ज्योति से भी बात नहीं कर पा रहा था ज्योति के पास हमेशा भीड़ लगी हुई ही थी। रात तो उसने ज्योति के साथ गुजार लिया था, लेकिन तब उसकी सिर्फ मेहँदी लगी थी, वो शादी से पहले एक और बार ज्योति के साथ चुदाई करना चाहता था जब वो पूरी तरह दुल्हन बन चुकी हो।
बंटी अपनी प्लानिंग सोचने में व्यस्त था कि अचानक उसकी नज़र पूनम पर गयी जो स्टोर रूम की तरफ जा रही थी। ये बहुत अच्छा मौका था क्यों की उधर कोई नहीं था। स्टोर रूम सबसे अंतिम वाला कमरा था और गैलरी भी खाली थी। पूनम स्टोर रूम का ताला खोली और अंदर चली गयी। उसके अंदर जाते ही बंटी भी चुपके से अंदर घुस गया। पूनम कुछ ढूंढने में व्यस्त थी और उसका ध्यान बंटी पर नहीं गया।
पूनम अपने कातिल बदन के साथ बंटी की प्यासी नज़रों के सामने खड़ी थी। लेगिंग्स और नी लेंथ कुर्ती में। बंटी के सामने उसकी पीठ थी और उसके बदन के कटाव इस टाइट कपड़े में झलक रहे थे। बंटी का लण्ड तो ये सोच कर ही टाइट था कि वो पूनम के साथ अकेले एक कमरे में है, हालाँकि कमरा अभी बंद नहीं था। उसने कमरा बंद करने का रिस्क भी नहीं लिया नहीं तो पूनम को पता चल जाता और वैसे भी अगर कोई इधर आता तो उसके कदमो की आहट से तो पता चल ही जाता।
बंटी धीरे से आगे बढ़ा और उसने एक हाथ पूनम के हिप पर रखा और दूसरा हाथ सामने लाकर सीने से पकड़ता हुआ उसे अपने बदन से चिपका लिया और गर्दन और पीठ पे खुले हिस्से को चूमने लगा। पूनम अचानक हुए इस हमले से बुरी तरह डर गयी थी और वो छूटने की कोशिश करने लगी। लेकिन बंटी की पकड़ मज़बूत थी। बाज के पंजे में आयी चिड़ियाँ इतनी आसानी से नहीं छूट सकती थी। पूनम को तुरंत पता चल गया थी की वो बंटी की पकड़ में है और इसलिए वो जोर से चीखी तो नहीं, लेकिन छूटने के लिए पूरी ताकत लगाती रही।
बंटी उसके गर्दन पे चूमता हुआ अपने होठों से उसके पीठ को सहला रहा था और इतनी मस्त गदराई माल को अपनी बाँहों में पाकर वो खुद को रोक नहीं पाया और पूनम की गर्दन पे दाँत काटने लगा। अब बंटी का दोनों हाथ सामने से पूनम को पकड़े हुए था और अपने बदन से चिपकाये हुए था। बंटी का एक हाथ पूनम को सीने से दबाये हुए एक चुच्ची को पकड़े था और दूसरा हाथ नीचे पेट से पकड़े हुए था। पूनम छूटने के लिए पूरी ताकत लगा रही थी लेकिन बंटी ने भी पूरे ताकत से उसे जकड़ा हुआ था।
बंटी का दूसरा हाथ कपड़े के ऊपर से पूनम की चुत पर था और वो पूनम को बोला "कितना तड़पाओगे मेरी जान, जब से तुम्हे देखा हूँ, मर रहा हूँ तुम्हे पाने के लिए, लेकिन तुम पता नहीं क्यों मेरे से भाग रही हो।" पूनम छिटकती हुई छूटने की पूरी ताकत लगाते हुए बोली "आह.. छोड़ो मुझे, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी। बंटी भला उसे कहाँ छोड़ने वाला था। वो जोर से पूनम की चुच्ची को मसलता हुआ बोला "पूछी नहीं ज्योति से कितना मज़ा आता है उसे। प्लीज़ मेरी जान, इतना मत तड़पा मुझे।"
पुनम बंटी की पकड़ से छूट गयी और बंटी उससे अलग होता हुआ बोला "क्यों ऐसे कर रही हो। ज्योति ने तुम्हे बताया नहीं। वो तो बोली की तुम अपनी बहन की जगह लेने के लिए तैयार हो।" पूनम हाँफ रही थी और उसका चेहरा गुस्से और गर्मी से लाल हो गया था। वो अभी भी खड़ी थी क्यों की बंटी उसके और दरवाजे के बीच में खड़ा था। पूनम गुस्से से बोली "तुम्हे जो करना है ज्योति दी कि साथ करो, मेरे से दूर रहो। नहीं तो तुम सोच भी नहीं सकते की मैं क्या करुँगी तुम्हारे साथ। मैं बस इसलिए चुप हूँ क्यों की ज्योति दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है। लेकिन अब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी है।"
बंटी को भी डर लग गया कि कहीं ये सच में शोर न करने लग जाए। "ठीक है, आई एम सॉरी, तुम हल्ला मत करो। मैं जा रहा हूँ। किसी को कुछ मत बोलना। आई एम सॉरी। मुझे लगा था कि तुम्हे अच्छा लगा है, इसलिए तुम्हारे पास आया था। आई एम सॉरी।" बोलता हुआ बंटी स्टोर रूम से बाहर निकल गया। बंटी के बाहर जाते ही पूनम राहत की साँस ली और अपने कपड़े ठीक करने लगी। थोड़ी देर बाद वो बाहर निकली और स्टोर रूम को वापस बंद कर के लोगों के बीच में चली गयी।
पूनम को बहुत गुस्सा आया हुआ था। ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने उसे इस तरह छुआ था, बिना उसके मर्ज़ी के। वो उसी गुस्से में सीधे ज्योति के पास गयी। वो बाँकी किसी और को कुछ नहीं बता सकती थी, लेकिन ज्योति को तो बता सकती थी। ज्योति के पास कई सारे लोग बैठे हुए थे, वो उसे छत पर ले जाकर अभी की सारी बात बताई। छत पे उनदोनो के अलावा और कोई नहीं था। पूनम का गुस्सा देखकर ज्योति उसी वक़्त बंटी को कॉल लगायी और उसे डाँटने लगी।
बंटी फ़ोन पर अपनी सफाई दे रहा था। पता नहीं वो क्या क्या बोल रहा था कि 2 मिनट बाद ही ज्योति हँसने लगी थी। ज्योति को इस तरह बंटी से बात करता देझ पूनम का गुस्सा और बढ़ रहा था। पूनम गुस्सा होकर नीचे जाने लगी तो ज्योति उसका हाथ पकड़ कर रोक ली और ये बोलते हुए कॉल कट कर दी की इसे अब से परेशान मत करना।
पूनम गुस्से में ही ज्योति से पूछी "तुम्हे देख कर लगता है कि तुम उसके चक्कर में पागल हो गयी हो। उसने मेरे साथ ऐसा किया और तुम हँस रही थी!" ज्योति कुछ बोलती उसके पहले ही पूनम फिर से गुस्से में बोली "तुम हँस क्यों रही थी?" ज्योति अपनी मुस्कुराहट को रोकते हुए पहले तो बोली "कुछ नहीं। ऐसे ही।" लेकिन जब पूनम दुबारा से पूछी तो ज्योति बोली "बोल रहा था कि तुम्हारा पेट बहुत मुलायम है, अनारों से ज्यादा।" ज्योति आँखों से पूनम के चुच्ची की तरफ इशारा करते हुए बोली। पूनम का गुस्सा अभी तक बरक़रार था।
ज्योति की नज़र पूनम की गर्दन पे गयी जहाँ बंटी के दाँतों के निशान उभर आये थे और वहाँ पर लाल हो गया था। ज्योति अपने आँचल से गर्दन पोछने लगी, लेकिन वो निशान ऐसे इतनी आसानी से तो नहीं ही मिटने वाला था। ज्योति के रगड़ने से दाँत का निशान तो हट गया लेकिन गर्दन के पास पूरा लाल जरूर हो गया था। "उफ़्फ़... कितनी बेदर्दी से मेरी बहन को काटा है। सिर्फ थोड़ी देर के लिए छुआ तो ये कर दिया, पता नहीं पूरी मस्ती करता तो फिर तो पूरा खा ही जाता।"
पूनम को ज्योति की हर बात पर गुस्सा आ रहा था। वो गुस्से में घुरी ज्योति को। ज्योति मुस्कराते हुए "सॉरी सॉरी" बोलते हुए पोछने लगी और फिर बोली "नीचे चलकर बोरोप्लस लगा लेना। कोई काटा था तुम्हे इस तरह आज तक?" पूनम गुस्से में ही बोली "किसी की इतनी औकात ही नहीं थी। ये तो मैं बस तुम्हारी वजह से चुप रही और उसी का नाजायज़ फायदा उठाया वो कमीना।" ज्योति बोली "बाँकी लोग डर जाते होंगे, मेरा बंटी डरता नहीं। इसलिए वो ऐसे कर लिया, बाँकी लोग मन में करते होंगे तुम्हारे साथ।"
पुनम बोली "मन में जो सोचना हो सोचे, जो करना हो करे, मुझे क्या। लेकिन ऐसे तो नहीं करने दे सकती न उसे।" ज्योति बोली "एक बात बोलूं, गुस्सा मत होना और शांति से ठन्डे दिमाग से सोचना।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे पता था कि ज्योति उसे क्या बोलने वाली है। वो बोली "चल नीचे। तुम्हे बोलने से कोई फायदा नहीं। तुम भी उसी की तरह हो।" ज्योति पूनम के साथ नीचे आने लगी और बोली "एक बार करवा ले उससे। मेरा प्रॉमिस रह जायेगा।"
पूनम कुछ नहीं बोली और नीचे आकर बोरोप्लस ली और वापस छत पर चली गयी। यहाँ सबके सामने बोरोप्लस लगाने से सब पूछते की क्या हुआ है, जो वो बता नहीं पाती। जब से पूनम यहाँ शादी में आयी थी तब से वो गुड्डू से बात नहीं की थी। 2-3 बार उसका कॉल आया था, लेकिन हर वक़्त कोई न कोई उसके पास रहता था तो वो बात नहीं की थी। अभी वो छत पे अकेली थी और थोड़ी देर वहीँ रहने वाली थी ताकि गर्दन का लालीपन कुछ कम हो जाये।
पूनम गुड्डू को कॉल लगा दी। अभी कुछ ही देर पहले उसकी चुच्ची और चुत मसली गयी थी और उसे गर्दन पे किस किया गया था। पूनम को बंटी के छूने पे मज़ा आ सकता था, लेकिन समस्या ये थी की बंटी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था। बिना उसकी मर्ज़ी के उसके बदन को छू रहा था और अभी तो उसने हद ही पार कर दिया था। गुड्डू उसकी मर्ज़ी से उसके बदन से खेला तो वो उसके लिए नंगी हो गयी, जब वो इज़ाज़त दी तभी अमित उसे छुआ तो वो अमित से भी चुदवाई, लेकिन बंटी को तो लगता है इस बात से कोई मतलब ही नहीं है कि उसकी मर्ज़ी क्या है, वो क्या चाहती है। उसे इस तरह का इंसान पसंद ही नहीं था।
गुड्डू को कॉल लगाते ही पूनम की चुत गीली हो गयी और उसे वो छुअन अच्छी लगने लगी थी जो बंटी ने अपने हाथों से दिया था। वो सोचने लगी की 'अगर उस बंद करने में बंटी की जगह गुड्डू होता तो कितना मज़ा आता। फिर तो मैं खुद अपनी लेगिंग्स को नीचे करके अपनी चुत मसलवाती, कुर्ती का चेन खोलकर उसे अपने निप्पल्स को चूसने देती, उसका लण्ड चूसती और फिर खुद टाँगे फैलाकर चुदवाती। कितना अच्छा होता की गुड्डू यहाँ रहता तो जैसे ज्योति रात में छत पर चुदवा रही थी, मैं भी गुड्डू से चुदवाती। लेकिन..... फिर गुड्डू भी वही करता जो बंटी कर रहा है, वो भी ज्योति को चोदने को कहता। '
पूरा रिंग होकर फोन कट गया था। गुड्डू ने फ़ोन रिसीव नहीं किया। पूनम अपनी सोच में फिर से डूब गयी। पूनम सोचने लगी की 'वो और ज्योति एक साथ अगर छत पर अगल बगल में बंटी और गुड्डू से चुदवाते तो गुड्डू भी ज्योति को चोदने के लिए बोलता और बंटी तो बोल ही रहा है मुझे चोदने। बंटी बोल देता तो ज्योति तो गुड्डू से भी चुदवाने के लिए तैयार हो ही जाती और फिर वो लोग बोलते की आपस में अदला बदली कर लेते हैं। गुड्डू और बंटी दोनों को और किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं है, बस हमारी चुत से मतलब है, हमें चोदने से मतलब है। फिर मैं क्या करती ये तो पता नहीं, लेकिन ज्योति जरूर गुड्डू से चुदवाती और मुझे तो वो अभी भी बंटी से चुदवाने कह ही रही है, फिर तो शायद मैं भी चुदवा ही लेती। जब मैं विक्की से चुदवाने के लिए तैयार ही हूँ तो बंटी से भी चुदवा ही लेती।'
पूनम अपनी सोच में डूबी हुई थी तभी उसके फोन पे रिंग हुई। गुड्डू का कॉल था तो वो कॉल रिसीव कर ली। गुड्डू पूछा की "बहुत बिजी हो क्या शादी में?" तो पूनम बता दी की "हाँ यहाँ बहुत लोग हैं तो बात करना मुश्किल है। अभी छत पे हूँ तो कॉल लगा दी।" गुड्डू पूछा "कितने लड़कों ने छेड़ा?" पूनम मुस्कुराती हुई जवाब दी "कौन छेड़ेगा मुझे।" गुड्डू फिर बोला "ऐसा हो ही नहीं सकता। तुम्हे तो छेड़ने वालों की लाइन लगी होगी। शादियों में तुम्हारी जैसी लड़कियों पे ही तो सब की नज़र रहती है। कुछ लोग आँखों से चोदते हैं तो कुछ बहादुर हाथों का भी इस्तेमाल कर लेते हैं।" पूनम को बंटी की याद आ गयी की वही एक है जिसने हाथों का इस्तेमाल किया है।
पूनम बोली “तुम लड़कों को और कुछ दिखता ही कहाँ है।” गुड्डू बोला “तुम्हारे जैसी गरम माल जिसकी नज़रों के सामने रहेगी, तो उसे कुछ और दिखना भी नहीं चाहिए। मुझे तो शादियों में आई हुई लड़कियों को चोदने में ज्यादा ही मज़ा आता है। मस्ती करो, फिर तुम अपने रास्ते, हम अपने रास्ते।” पूनम कुछ नहीं बोली। बंटी भी तो यही चाह रहा था।
पूनम बोली “तुमसे लड़की हर जगह मान कैसे जाती है जो तुम हर जगह कर लेते हो।” गुड्डू बोला “क्या कर लेता हूँ?” पूनम मुस्कुरा दी। उसकी चूत पे चीटियाँ रेंगने लगी। बोली “कैसे हर जगह चोद लेते हो सबको? लडकियाँ मान कैसे जाती है?” गुड्डू बोला “अपना स्टाइल है जान, तुम भी तो नहीं मान रही थी, मना लिया न मैंने।”
पूनम को लगा की ‘गुड्डू सही बोल रहा है। मैं तो नफरत करती थी इससे, लेकिन इसने तो मुझे चोदने के लिए तैयार करा ही लिया। वो तो उसके अड्डे पे गयी नहीं, नहीं तो चुदवा ही चुकी होती। और सिर्फ गुड्डू क्या, विक्की से भी चुद चुकी होती। लेकिन इसने कभी जबरदस्ती नहीं किया मेरे साथ। और ये बंटी मुझे परेशान कर रहा है.’ बोली “लड़की मान कैसे जाती है? कोई बोलती नहीं की परेशान कर रहे हो?” गुड्डू बोला “तो सबको थोड़े ही चोद लेता हूँ। जो अच्छी होती है और जिसे देखकर लगता है की पट जाएगी, उसे ही पटाता हूँ यार।”
पूनम को लगने लगा की ‘बंटी उसके बारे में भी यही सोच रहा होगा की ये तो चुदवा ही लेगी। और उसे ये सोंचने बोली होगी मेरी बहन ज्योति। लेकिन वो भी क्या करेगी। चोदते वक़्त अगर गुड्डू मुझे कहता की मैं ज्योति को चोदना चाहता हूँ तो मैं भी यही कहती की चोद लो। और ज्योति तो उसकी फैन है, पागल है उसके चक्कर में, उसकी सारी बात मानती है.’ पूनम अपने ख्यालों में खोयी हुई थी तो गुड्डू बोला “कोई है वहाँ क्या जो कुछ किया है तेरे साथ? पूनम हडबडा गयी। उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी है। वो हड़बड़ाती हुई बोली “नहीं तो।” थोड़ी देर और इधर उधर की कुछ बातें करने के बाद वो फ़ोन रख दी और नीचे आ गयी.
थोड़ी देर बाद फिर बंटी उसके सामने था। वो जब भी पूनम को देख रहा था तो सॉरी बोलने जैसा मुँह बना रहा था और इशारे कर रहा था। उसने कान पकड़ कर माफ़ी मांगने का इशारा भी किया था। पूनम को डर लग रहा था की कोई उन इशारों को देख न ले। वहां बहुत सारे लोग थे और शादी की कोई रस्म हो रही थी। पूनम के मोबाइल पे फ़ोन बजा, कोई अनजान नंबर था। पूनम फ़ोन उठा ली और किनारे होकर बात करने लगी।
दूसरी तरफ बंटी था जो बोल रहा था “सॉरी पूनम, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो यार, आई एम् रियली वैरी सॉरी। प्लीज़ पूनम प्लीज़...” पूनम बोली “तुम्हे ये नंबर कहाँ से मिला?” बंटी फिर से अपने माफ़ी का गीत गाने लगा तो पूनम बोली “ठीक है, माफ़ कर दी। अब प्लीज़ परेशान मत करना।” बंटी बोला “मैं भी क्या करता यार, तुम हो ही इतनी हसीन की दिल फिसल गया। और मैं सच बोल रहा हूँ, ज्योति मुझे बोली की मेरी जगह पूनम से काम चलाना।” पूनम कुछ नहीं बोली और कॉल कट कर दी।
पूनम वापस से भीड़ में लौट गयी. सब हँसी मजाक में व्यस्त थे. पूनम भी नीचे बैठकर कुछ कर रही थी. उसे ध्यान नहीं था, लेकिन नीचे बैठने पर सामने खड़े लोगों को इस कुर्ती में उसकी क्लीवेज साफ़ साफ़ दिख रही थी। अचानक वो नज़र उठाई और सामने बंटी को देखी तो उसे ध्यान आया की वो उसकी क्लीवेज को निहार रहा है। पूनम शर्मा गयी और अपने दुपट्टे को चुपके से धीरे से ठीक करने की कोशिश की, लेकिन कर नहीं पायी क्यूँ की उसके हाथ में रस्म का कुछ सामान था।
पूनम जितना दुपट्टा ठीक की थी, वो पल भर में ही फिर से नीचे हो गया और फिर से उसकी चूचियाँ बंटी की नज़रों के सामने थी और पूनम के कुछ भी हरकत करने पर थिरक रही थी. पूनम फिर से एक बार सामने देखी तो बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था। पूनम की नज़र बंटी के हाथ पर गयी तो वो हाथों से चुच्ची मसलने जैसा इशारा कर रहा था। पूनम शर्म से लाल हो गयी की इतने लोगों के बीच में बंटी मानसिक तौर पे उसके बदन से खेल रहा है। पूनम को इसी तरह कुछ देर और बैठे रहना पड़ा। और लोग भी उसके क्लीवेज को देख रहे होंगे, लेकिन इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। फर्क पड़ रहा था बंटी के देखने से क्यूँ की वो सिर्फ देख नहीं रहा था, अपनी नज़रों से ही मसल रहा था पूनम की चुच्ची को।
थोड़ी देर बाद वो रस्म ख़तम हो गया तो पूनम जल्द से वहाँ से उठी। सब खाना खाने बैठने लगे थे। पूनम फिर से चाभी लेकर स्टोर रूम की तरफ जा रही थी और इस बार बंटी भी साथ में गया था सामान लाने और 4-5 और लोग भी गए थे। बंटी बाँकी लोगों को सामान देकर भेज दिया और खुद वहीँ रुक गया। अब फिर से दोनों अकेले थे। पूनम को डर लगने लगा की कहीं बंटी फिर से उसे पकड़ न ले। हालाँकि अभी बंटी उसके सामने था, और उस वक़्त की तरह वो बेखबर नहीं थी अभी।
मुस्कुराते हुए बंटी ने पूनम की चुच्ची की तरफ इशारा करता हुआ अपना हाथ सामने की तरफ बढाया और मुट्ठियों को ऐसे मसलने लगा जैसे पूनम की चूचियों को मसल रहा हो। पूनम उससे दूर थी, लेकिन बंटी की इस हरकत से शर्मा गयी। वो अपनी शर्म भरी मुस्कान को रोक नहीं पाई और बोली “तुम फिर शुरू हो गए। सामान लो और जाओ यहाँ से।” बंटी उसी तरह अपने हाथों से चुच्ची मसलने की एक्टिंग करता हुआ बोला “तुम्हारा बहुत मुलायम है यार, अभी क्या मस्त थिरक रहा था. मेरा तो हाथ उसी वक़्त नहीं रुक रहा था। प्लीज़ यार, एक बार तो मसल लेने दो. प्लीज़।”
पूनम की शर्म और बढ़ गयी। बोली “तुम जाओगे यहाँ से। जिसकी मसलते हो उसकी मसलो जाकर।” बंटी थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला “उसकी कहाँ मसलने मिलेगी अब जान, तुम्हारी भी तो मसलने नहीं ही मिलेगी कल से। इसलिए तो बोल रहा हूँ की एक बार मसल तो लेने दो, प्लीज़।” पूनम डर कर थोड़ी पीछे होती हुई बोली “देखो...., मैं शोर मचा दूँगी।” बंटी मुस्कुराता हुआ ऐसे झुका जैसे पूनम को पकड़ लेगा और फिर नीचे रखा हुआ सामान उठा लिया और बाहर आने लगा। पूनम को लगा की वो मुझे डरा रहा था और मैं डर गयी।
पूनम बाहर आकर स्टोर रूम का दरवाज़ा लॉक करने लगी तब तक बंटी वहीँ खड़ा रहा. पूनम बोली “तुम गए क्यों नहीं? भारी सामान उठा कर खड़े हो।” बंटी आँखों से पूनम की चुचियों की तरफ इशारा करता हुआ बोला “तुम भी तो भारी सामान लिए घूमती रहती हो।" पूनम गुसाते हुए बोली “तुम पागल हो। जाओ यहाँ से, भागो।” बंटी बोला “तुम आगे चलो। कम से कम अच्छे से तुम्हारी बलखाती कमर को तो देख लूँ।" अब पूनम को अजीब लग रहा था। बोली “लगता है तुम ऐसे नहीं ही मानोगे। जाओ आगे।” लेकिन बंटी अपनी जगह से हिला भी नहीं। पूनम को लगा की इस तरह बाहर में खड़ी रहूंगी और कोई देखेगा तो मेरे बारे में ही गलत सोचेगा। हारकर वो अपने हाथों से अपनी कुर्ती को पीछे से ठीक की और चलने लगी। उसे अजीब लग रहा था। वो जान रही थी की बंटी क्या देख रहा होगा।
सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। फिर से कोई रस्म हो रही थी। रस्म एक कमरे में हो रहा था और वहाँ बहुत सारे लोग खड़े थे। बंटी को आगे जाना था और पूनम दीवाल के किनारे में खड़ी थी। बंटी को बैठे बिठाए अच्छा मौका मिल गया था। सब लोग रस्म में व्यस्त रहे और बंटी पूनम के कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और पीछे से उसके बदन से रगड़ता हुआ आगे बढ़ा और पूनम की कमर से हाथ हटाते वक़्त उसने चुच्ची को भी किनारे से छू लिया। मज़ा आ गया बंटी को। बंटी ने जानबूझकर ऐसा किया था, लेकिन जगह ही इतनी थी वहाँ पर। पूनम फिर से कुछ बोल नहीं पाई थी। फिर से बंटी ने उसके बदन को छुआ था। उसे बंटी पे तो गुस्सा आ ही रहा था, खुद पे भी गुस्सा आ रहा था। ऐसी हालत उसकी आज तक नहीं हुई थी। एक ही दिन में इतनी बार उसके बदन को बिना उसकी मर्ज़ी के छुआ गया था।
शाम तक ये सिलसिला चलता रहा. बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, मौका मिलते ही उसे छू ले रहा था और इशारे से उसे छेड़ रहा था. एक जगह पूनम खड़ी थी तो बंटी ने उसके गर्दन के पीछे पीठ पर हाथ सहलाया और जब पूनम गुस्से से पीछे पलटी तो मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में एक कीड़ा दिखाया की “इसे हटा रहा था.” पूनम फिर से मन मसोस कर रह गयी.