19-08-2021, 06:51 AM
मलाई- एक रखैल-3
दुनिया के हिसाब से अगर साल के 12 महीने हैं तो हमारे देश में साल के 12 महीनों में 30 त्यौहार है|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंने मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखती है| और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंन मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखी और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
खैर जो भी हो, जब अनिमेष घर पर होता था तब मैंने इस बात का बहुत ध्यान रखा कि अनिमेष कि सो जाने के बाद ही मैं बहुत सावधानी से अपना सूटकेस निकालूं और उसके बाद तीज त्यौहार कि कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक मैं वही कपड़े पहनूं जो कि मुझे कमला मौसी ने दिए थे|
और मान लो, कि जैसे किसी परी ने जादू की छड़ी घुमा दी….
हमारी दुकान की बिक्री दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ने लगी…
क्योंकि अब तो दुकान में ग्राहकों का तांता लगा ही रहेगा, खासकर तब जब कमला मौसी की दुकान में एक जवान लड़की कटे खुले ब्लाउज और एक महंगी साड़ी पहनकर खुले बालों में मौसी का हाथ बंटाया करती है और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मर्दों को छोड़कर कुछ औरतों को भी इस बात का गौर किया था कि मैं उन दिनों ब्रा नहीं पहना करती थी…
लेकिन मुझे आज तक कभी भी वह टीशर्ट और जींस पहनने का मौका नहीं मिला था... खैर ऐसा लगता है कि शायद कोई ऐसा है जो मेरी इच्छाओं को सुन रहा है और यह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया
***
जुलाई का महीना खत्म होने वाला था और अगस्त का महीना शुरू, बरसात हफ्ते भर पहले ही दस्तक दे चुकी थी काफी बारिश हुआ कर रही थी कि इतने में कमला मौसी के फोन पर एक मैसेज आया|
कमला मौसी के स्वर्गवासी पति के दोस्त सचिन अंकल भारत आने वाले थे... और कमला मौसी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह कोई होटल में ना रुक कर हमारे घर पर ही रुके|
आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल हमारे घर आने वाले थे... और हमेशा की तरह मेरे पतिदेव काम के सिलसिले में हैदराबाद के हुए थे|
सुबह-सुबह मैंने जल्दी-जल्दी घर के सारे काम निपटा लिए और उसके बाद नहाने को जाने लगी तब कमला मौसी ने मुझे एप्पल एलोवेरा शैंपू की बोतल पकड़ाई और बोली, "आज अपने बालों को अच्छी तरह से इस शैंपू से धो ले, मैंने तेरे लिए एक खास तरह का परफ्यूम भी मंगा रखा है... चल अब जल्दी से नहा ले, मैं तेरे लिए कपड़े निकाल कर दे रही हूं... तूने अपने कपड़े अपने उस बड़े वाले सूटकेस में ही रखे हैं ना?"
मैंने कहा, “हां..”
जब तक मैं नहा धोकर सिर्फ एक तौलिया लपेटकर अपने बालों को पूछती ही बाथरूम से बाहर आए तब तक मैंने देखा कि कमला मौसी ने मेरे लिए कपड़े निकाल कर रखे थे|
मुझे थोड़ा आश्चर्य से लगा क्योंकि उन्होंने मेरे लिए सिर्फ एक लाल रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और जींस निकाली थी बगल में सिर्फ पैंटी रखी हुई थी...
मैंने कहा, “कमला मौसी क्या मैं यह पहन कर ही एयरपोर्ट जाऊंगी?”
उन्होंने कहा, “हां, आखिर सचिन अंकल अमेरिका में रहते हैं, तू अगर ऐसे कपड़े पहन कर जाएगी तो तुझे देखकर उन्हें अच्छा लगेगा...”
“लेकिन आपने तो ब्रा निकाली नहीं मैं कौन सा ब्रा पहनूं?”
“ब्रा पहनने की कोई जरूरत नहीं है”
“लेकिन मौसी अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तुम मेरे मम्मे हिलेंगे दुलेंगे और चूचियाँ भी उभर कर आ आएंगी…”
“तो क्या हुआ तेरे (मम्मे).. इतने बड़े-बड़े जो है... क्या साइज बताया था तूने अपना? हां, 34dd... वैसे भी तू 25 साल की है लेकिन लगती 20 की है इस उम्र में फैशन नहीं करेगी तो कब करेगी?” कमला मौसी थोड़ा मुस्कुराई,और फिर बोली, “ठीक है अगर तुझे इतनी शर्म आती है तो ऊपर से एक दुपट्टा ले लेना लेकिन सिर्फ सीना ढकने के लिए.... पर बाहें खुली रखना और हां बालों में चोटी करने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक अच्छा सा जुड़ा बांध ले... अब जल्दी कर तैयार हो जा मैं तेरे लिए Uber बुला कर देती हूँ... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा”
क्रमशः
दुनिया के हिसाब से अगर साल के 12 महीने हैं तो हमारे देश में साल के 12 महीनों में 30 त्यौहार है|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंने मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखती है| और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंन मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखी और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
खैर जो भी हो, जब अनिमेष घर पर होता था तब मैंने इस बात का बहुत ध्यान रखा कि अनिमेष कि सो जाने के बाद ही मैं बहुत सावधानी से अपना सूटकेस निकालूं और उसके बाद तीज त्यौहार कि कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक मैं वही कपड़े पहनूं जो कि मुझे कमला मौसी ने दिए थे|
और मान लो, कि जैसे किसी परी ने जादू की छड़ी घुमा दी….
हमारी दुकान की बिक्री दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ने लगी…
क्योंकि अब तो दुकान में ग्राहकों का तांता लगा ही रहेगा, खासकर तब जब कमला मौसी की दुकान में एक जवान लड़की कटे खुले ब्लाउज और एक महंगी साड़ी पहनकर खुले बालों में मौसी का हाथ बंटाया करती है और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मर्दों को छोड़कर कुछ औरतों को भी इस बात का गौर किया था कि मैं उन दिनों ब्रा नहीं पहना करती थी…
लेकिन मुझे आज तक कभी भी वह टीशर्ट और जींस पहनने का मौका नहीं मिला था... खैर ऐसा लगता है कि शायद कोई ऐसा है जो मेरी इच्छाओं को सुन रहा है और यह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया
***
जुलाई का महीना खत्म होने वाला था और अगस्त का महीना शुरू, बरसात हफ्ते भर पहले ही दस्तक दे चुकी थी काफी बारिश हुआ कर रही थी कि इतने में कमला मौसी के फोन पर एक मैसेज आया|
कमला मौसी के स्वर्गवासी पति के दोस्त सचिन अंकल भारत आने वाले थे... और कमला मौसी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह कोई होटल में ना रुक कर हमारे घर पर ही रुके|
आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल हमारे घर आने वाले थे... और हमेशा की तरह मेरे पतिदेव काम के सिलसिले में हैदराबाद के हुए थे|
सुबह-सुबह मैंने जल्दी-जल्दी घर के सारे काम निपटा लिए और उसके बाद नहाने को जाने लगी तब कमला मौसी ने मुझे एप्पल एलोवेरा शैंपू की बोतल पकड़ाई और बोली, "आज अपने बालों को अच्छी तरह से इस शैंपू से धो ले, मैंने तेरे लिए एक खास तरह का परफ्यूम भी मंगा रखा है... चल अब जल्दी से नहा ले, मैं तेरे लिए कपड़े निकाल कर दे रही हूं... तूने अपने कपड़े अपने उस बड़े वाले सूटकेस में ही रखे हैं ना?"
मैंने कहा, “हां..”
जब तक मैं नहा धोकर सिर्फ एक तौलिया लपेटकर अपने बालों को पूछती ही बाथरूम से बाहर आए तब तक मैंने देखा कि कमला मौसी ने मेरे लिए कपड़े निकाल कर रखे थे|
मुझे थोड़ा आश्चर्य से लगा क्योंकि उन्होंने मेरे लिए सिर्फ एक लाल रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और जींस निकाली थी बगल में सिर्फ पैंटी रखी हुई थी...
मैंने कहा, “कमला मौसी क्या मैं यह पहन कर ही एयरपोर्ट जाऊंगी?”
उन्होंने कहा, “हां, आखिर सचिन अंकल अमेरिका में रहते हैं, तू अगर ऐसे कपड़े पहन कर जाएगी तो तुझे देखकर उन्हें अच्छा लगेगा...”
“लेकिन आपने तो ब्रा निकाली नहीं मैं कौन सा ब्रा पहनूं?”
“ब्रा पहनने की कोई जरूरत नहीं है”
“लेकिन मौसी अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तुम मेरे मम्मे हिलेंगे दुलेंगे और चूचियाँ भी उभर कर आ आएंगी…”
“तो क्या हुआ तेरे (मम्मे).. इतने बड़े-बड़े जो है... क्या साइज बताया था तूने अपना? हां, 34dd... वैसे भी तू 25 साल की है लेकिन लगती 20 की है इस उम्र में फैशन नहीं करेगी तो कब करेगी?” कमला मौसी थोड़ा मुस्कुराई,और फिर बोली, “ठीक है अगर तुझे इतनी शर्म आती है तो ऊपर से एक दुपट्टा ले लेना लेकिन सिर्फ सीना ढकने के लिए.... पर बाहें खुली रखना और हां बालों में चोटी करने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक अच्छा सा जुड़ा बांध ले... अब जल्दी कर तैयार हो जा मैं तेरे लिए Uber बुला कर देती हूँ... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा”
क्रमशः
*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া