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Adultery C. M. S. [Choot Maar Service]
#19
अध्याय - 12
_______________





नास्ता करने के बाद मैं अपने एक अलग कमरे में आराम कर रहा था कि तभी मेरे कमरे पर किसी ने दस्तक दी। मैं बेड पर लेटा हुआ था और अपनी बदली हुई ज़िन्दगी के बारे में ही सोच रहा था। ख़ैर दस्तक हुई तो मैं उठा और जा कर दरवाज़ा खोला। दरवाज़े के बाहर कोमल और तबस्सुम खड़ी हुईं थी। उन दोनों को देखते ही मेरे दिल की धड़कनें बढ़ चलीं, जबकि मुझ पर नज़र पड़ते ही वो दोनों बड़ी अदा से मुस्कुराईं और कमरे के अंदर दाखिल हो ग‌ईं। मैं जानता था कि वो दोनों मेरे पास किस लिए आईं थी इस लिए मैंने ख़ामोशी से दरवाज़ा बंद किया और पलट कर उनकी तरफ देखा। वो दोनों बेड पर जा कर बैठ चुकीं थी।

"तो तुम तैयार हो न हमारे साथ मज़े के सागर में डूबने के लिए?" कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर मुझसे पूछा।
"और किस लिए आया हूं मैं यहाँ?" मैंने बड़ी हिम्मत से और बड़े कॉन्फिडेंस के साथ कहा तो दोनों के होठों पर मुस्कान उभर आई।

"बहुत खूब।" तबस्सुम ने उसी मुस्कान के साथ कहा____"माया के साथ वक़्त गुज़ारने के बाद काफी बदलाव दिख रहा है तुम में। ख़ैर ये तो अच्छी बात हुई, क्योंकि हम तो ये सोच रहे थे कि तुम मारे शर्म और झिझक के हम दोनों के साथ खुल कर मज़े कैसे कर पाओगे?"

"कोशिश कर रहा हूं कि मेरे अंदर से शर्म और झिझक जितना जल्दी हो सके पूरी तरह निकल जाए।" मैंने आगे बढ़ते हुए कहा____"बाकि तुम दोनों तो हो ही मेरी शर्म और झिझक को दूर करने के लिए।"

"वो तो हम हैं ही।" कोमल ने कहा____"लेकिन शर्म और झिझक तो इंसान के स्वभाव में होती है जिसे इंसान को खुद ही दूर करनी पड़ती है। तुम जिस लाइन में जाने वाले हो उसमें इसके लिए कोई जगह नहीं है। अपने अंदर से शर्म और झिझक को दूर करने का बस एक ही तरीका है कि जब भी किसी औरत के पास सेक्स के लिए जाओ तो अपने ज़हन में ये विचार बिलकुल भी पैदा न होने दो कि वो औरत तुम्हारे बारे में क्या सोचेगी अथवा तुम उसे खुश कर पाओगे कि नहीं, बल्कि सिर्फ ये सोच रखो कि तुम एक हलब्बी लंड के मालिक हो जिसके बलबूते पर तुम दुनियां की किसी भी औरत को मस्त कर सकते हो।"

"अपने आप पर यकीन होना बहुत ज़रूरी है डियर।" तबस्सुम ने कहा____"अगर खुद पर यकीन नहीं होगा तो हलब्बी लंड के होते हुए भी तुम किसी औरत को खुश नहीं कर पाओगे। इस लिए अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर यकीन होना चाहिए। उसके बाद जब किसी के साथ सेक्स की शुरुआत हो जाती है तो सब कुछ अपने आप ही होता चला जाता है। उस समय हमारा ज़हन अपने आप ही अलग अलग तरह की चीज़ों की कल्पना करते हुए कार्य करने लगता है।"

"तुम्हारे लिए सबसे अच्छी बात ये है डियर कि तुम्हें सब कुछ बड़े पैमाने पर पहले से ही कुदरत ने दे दिया है।" कोमल ने कहा____"अब ज़रूरत है उसका सही तरह से उपयोग करने की। हर दिन और हर किसी के साथ एक अलग ही अनुभव मिलेगा तुम्हें जो कि तुम्हारी कला को और तुम्हारी क्षमता को भी बढ़ाता रहेगा। ख़ैर अब छोड़ो ये सब और शुरू हो जाओ। तुम इस वक़्त ये समझो कि तुम हमारे पास अपनी ड्यूटी पूरी करने आए हो। इस लिए अपनी ड्यूटी निभाते हुए तुम्हें हम दोनों को खुश करना है।"

मैं दोनों की बातें बड़े गौर से सुन रहा था और सच तो ये था कि मेरा मन तरह तरह के विचारों से भरता जा रहा था। मैं निर्णय नहीं कर पा रहा था कि अब मैं किस तरह आगे बढ़ूं और उन दोनों के साथ वो सब करूं जिसके लिए इस वक़्त वो दोनों मेरे कमरे में आईं थी? कुछ देर सोचने के बाद मैंने एक गहरी सांस ली और फिर ये सोच कर आगे बढ़ा कि अब जो होगा देखा जाएगा।

कोमल और तबस्सुम दोनों ने इस वक़्त टाइट फिटिंग के कपड़े पहन रखे थे जिसमें उनकी गुदाज टांगों पर टाइट जीन्स था और ऊपर ऐसी टी शर्ट जिसमें उन दोनों की बड़ी बड़ी छातियां साफ़ तौर पर अपना आकार दिखा रहीं थी। मैं अपनी बढ़ चली धड़कनों को काबू करते हुए बेड पर उनके पास आया और बैठ गया। वो दोनों मुझे ही अपलक देखे जा रहीं थी। उनके सुर्ख होठों पर मनमोहक मुस्कान थी जिसकी वजह से मुझे मेरा आत्मविश्वास डगमगाता सा प्रतीत हो रहा था।

माया के साथ मैं पूरी तरह खुल चुका था और उसके साथ अब मुझे शर्म या झिझक नहीं महसूस होती थी लेकिन कोमल और तबस्सुम मेरे लिए अभी इस क्षेत्र में न‌ई थीं। ख़ैर मैंने आँखें बंद कर के एक लम्बी सांस ली और फिर आँखें खोल कर तबस्सुम की तरफ बढ़ा। मैंने आगे बढ़ कर अपनी दोनों हथेलियों के बीच उसका खूबसूरत सा चेहरा लिया और फिर उसकी आँखों में देखने के बाद मैं उसके सुर्ख और रसीले होठों की तरफ झुकने लगा। कमरे में इस वक़्त ब्लेड की धार की मानिन्द सन्नाटा छाया हुआ था। कुछ ही पलों में मैंने अपने होठ तबस्सुम के रसीले होठों पर रख दिए। जैसे ही मेरे होठ उसके होठों से छुए तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी हुई। बस उसके बाद मैंने अपने ज़हन से सब कुछ निकाल दिया।

आंखें बंद किए मैं बड़े ही आहिस्ता से तबस्सुम के लजीज़ होठों को चूम रहा था। उसके होठों को चूमने में मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था। मेरी रंगों में दौड़ता हुआ लहू एकदम से तेज़ होने लगा था और इसके साथ ही मैं तबस्सुम के होठों को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अभी मैं उसके होठों को चूसने ही लगा था कि तभी मेरी पीठ पर किसी का हाथ आया और ऐसे अंदाज़ से मेरी पीठ पर घूमने लगा कि मुझे गुदगुदी सी होने लगी। मैंने तबस्सुम के होठों से अपने होठ अलग कर के एक बार पलट कर देखा तो कोमल को अपने पीछे अपने आप से सटा हुआ पाया। वो मेरी पीठ को सहलाए जा रही थी। मुझे अपनी तरफ देखता देख उसके होठों पर मुस्कान उभर आई थी।

मैंने कोमल से नज़र हटा कर अपनी गर्दन सीधी की और फिर से तबस्सुम के होठों को मुँह में भर कर चूसने लगा। उसके होठों को चूसते हुए मैंने अपने दाहिने हाथ से उसकी दाहिनी छाती को पकड़ा और टी शर्ट के ऊपर से ही उसे अपनी मुट्ठी में भर कर मसलने लगा। मेरे ऐसा करते ही तबस्सुम का जिस्म मचलने लगा और उसने अपने हाथों से मेरे सिर को थाम कर होठ चूसने में मेरा साथ देने लगी। इधर मेरे पीछे से कोमल अभी भी मेरे जिस्म को सहलाए जा रही थी और मेरे शर्ट के बटनों को वो पीछे से ही हाथ बढ़ा कर खोलने लगी थी।

मैंने कुछ देर तबस्सुम के होठों को चूसा और जब हम दोनों की साँसें काबू से बाहर होने लगीं तो मैंने उसके होठों को आज़ाद कर दिया। आँखें खुलते ही हमारी नज़रें मिली तो मैंने देखा तबस्सुम की आँखों में सुर्खी छा गई थी। मैंने एक झटके में उसकी टी शर्ट को पकड़ कर ऊपर खींचा और उसके सिर से निकाल दिया। टी शर्ट के निकलते ही ब्रा में कैद उसकी बड़ी बड़ी छातियां उछल कर मेरे सामने आ ग‌ईं। मैंने झट से एक को अपने हाथ में लिया और मसलते हुए झुक कर तबस्सुम के गले के हर हिस्से पर चूमने लगा। तबस्सुम ने मेरे सिर को फिर से थाम लिया था। उधर कोमल ने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिए थे और अब वो मेरे जिस्म से मेरी शर्ट निकाल रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों को पीछे किया तो कोमल ने शर्ट मेरे जिस्म से निकाल कर बेड पर ही एक तरफ उछाल दिया। शर्ट के अंदर मैंने बनियान नहीं पहन रखी थी इस लिए अब मैं ऊपर से नंगा ही हो गया था।

उधर तबस्सुम को चूमते हुए मैंने उसे बेड पर सीधा लेटा दिया और उसके ऊपर आ कर मैं इस बार उसके सीने पर चूमने लगा। उसकी छातियों की घाटी को चूमते हुए मैं उसकी छाती को भी मसल रहा था। तभी मैंने महसूस किया कि पीछे से कोमल मेरी नंगी पीठ पर चूमने लगी थी। मुझसे रहा न गया तो मैं एकदम से सीधा हुआ और उसे पकड़ कर उसे भी बेड पर तबस्सुम के बगल से लेटा दिया और झुक कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।

एक साथ दो दो लड़कियां बेड पर लेटी हुईं थी। एक ऊपर से सिर्फ ब्रा में थी तो दूसरी के जिस्म में अभी भी टी शर्ट थी। मैंने कुछ देर कोमल को रसीले होठों को चूसा और फिर उसकी टी शर्ट को भी उसके जिस्म से निकाल दिया था। वो दोनों ऊपर से ब्रा में थी। दोनों बेहद ही खूबसूरत थीं और दोनों के ही जिस्म मक्कन की तरह चिकने और मुलायम थे। मेरा जी कर रहा था कि मैं दोनों के जिस्मों को चाटते हुए खा ही जाऊं। कभी मैं कोमल को तो कभी तबस्सुम के साथ मज़े ले रहा था। मेरा लंड तो बुरी तरह अकड़ गया था, लेकिन मेरा ध्यान अभी सिर्फ उन दोनों को चूमने चाटने और मसलने में ही लगा हुआ था।

कोमल के नंगे सपाट पेट को चूमते हुए मैं तबस्सुम की छाती को मसल रहा था। मैंने बारी बारी से दोनों के पेट को चूमा चाटा और फिर उन दोनों के जीन्स को खोल कर उनकी टांगों से अलग कर दिया। मक्कन की तरह चिकनी टांगों को देख कर मेरा मन मचल उठा और मैं बारी बारी से झुक कर दोनों की टांगों पर अपनी जीभ चलाने लगा। टांगों के बीच पतली सी पेंटी थी जिसमें दोनों की फूली हुई चूत का उभार साफ नज़र आ रहा था। मैंने सीधा हो कर बारी बारी से दोनों को देखा और फिर झुक कर तबस्सुम की नाभि पर अपनी जीभ की नोक को घुसा दिया। मेरे ऐसा करते ही वो मचल उठी और मेरे सिर को अपने पेट पर दबाने लगी। मेरा एक हाथ कोमल के पेट को सहलाते हुए उसकी चूत पर पहुंच गया था। मैं एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था और दूसरे हाथ से तबस्सुम के पेट को पकड़े मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ को कुरेद रहा था। कुछ देर उसकी नाभि पर अपनी जीभ कुरेदने के बाद मैं नीचे आया और उसकी गुदाज़ जाँघों को चूमते हुए उसकी चूत पर आ गया।

मैंने पेंटी के ऊपर से ही तबस्सुम की चूत को दो तीन बार चूमा और फिर एकदम से मैंने उसकी चूत को मुँह में भर कर हल्के से काटा तो तबस्सुम के जिस्म को झटका लगा और उसके मुख से ज़ोरदार सिसकी निकल गई। मैं फौरन ही सीधा बैठा और बारी बारी से दोनों की ब्रा पेंटी को उनके जिस्म से अलग कर दिया। अब वो दोनों मेरे सामने पूरी तरह नंगी लेटी हुईं थी। बल्ब की रौशनी में दोनों का गोरा जिस्म चमक रहा था। मुझे समझ न आया कि पहले किसको चखूं। मैंने नज़र ऊपर कर के दोनों की तरफ देखा तो दोनों को अपनी तरफ देखता हुआ ही पाया। नज़र मिलते ही दोनों मुस्कुराईं। मेरी नज़र उनके चेहरों से फिसल कर उनकी छातियों पर पड़ी तो मैंने झट से झुक कर कोमल की छाती के एक निप्पल को मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चुभलाने लगा।

जीवन में पहली बार मैं ऐसे काम कर रहा था और वो भी दो दो लड़कियों के साथ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं किसके साथ आगे बढ़ूं और किसको पहले खुश करने की कोशिश करूं? मैं अपनी समझ में वही करता जा रहा था जो करने का मेरा मन करता जा रहा था। काफी देर तक मैं दोनों की छातियों को ऐसे ही मुँह में भर कर चूमता चूसता रहा। जब मेरा मन भर गया तो मैं नीचे आया और तबस्सुम की चिकनी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी चूत बुरी तरह धधक रही थी और उसका कामरस रिसने लगा था जो मेरी जीभ पर प्रतिपल लगता जा रहा था। मैं पागलों की तरह तबस्सुम की चूत पर अपनी जीभ चला रहा था और उसका जिस्म बिना पानी के मछली की तरह मचल रहा था। इस बीच कोमल उठ गई थी और वो मेरा पैंट खोलने लगी थी। थोड़ी ही देर में उसने मेरा पैंट निकाल दिया। उसके बाद वो मेरे कच्छे के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी। उसके ऐसा करते ही मरे जिस्म में मज़े की तरंगें उठने लगीं थी और मैं दुगुने जोश में तबस्सुम की चूत को मुँह में भर कर चूसने लगा था।

तबस्सुम दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़े अपनी चूत पर दबाए जा रही थी और साथ ही आँखें बंद किए मज़े में सिसकारियां भर रही थी। उसकी चूत से रिस रहा कामरस मेरे मुँह में जा रहा था जिसका नशा प्रतिपल मुझ पर चढ़ता जा रहा था। कोमल की तरफ से मेरा ध्यान ही हट गया था, हालांकि वो अभी भी मेरे लंड को कच्छे के ऊपर से सहलाए जा रही थी।

मैंने एकदम से अपने हाथ की दो ऊँगली तबस्सुम की चूत में घुसा दी और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा। मेरे ऐसा करते ही तबस्सुम के जिस्म को झटके लगने लगे। वो अपनी कमर को उठा उठा कर बेड पर पटकने लगी थी। शायद वो मज़े के चरम पर थी और कुछ ही पलों में मुझे इसका सबूत भी मिल गया। तबस्सुम की कमर कमान की तरह हवा में तन गई और उसने बुरी तरह मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया। उसके बाद झटके खाते हुए वो झड़ने लगी। उसकी चूत से निकला गरम गरम कामरस मेरे चेहरे को भिगोता चला गया। कुछ देर में वो एकदम से शांत पड़ गई जिससे उसकी पकड़ ढीली हो गई।

मैने फ़ौरन ही उसकी चूत से अपना चेहरा उठाया और पलटते हुए कोमल को पकड़ लिया। मैंने कोमल को अपनी तरफ खींचा और तबस्सुम के कामरस से भीगा चेहरा लिए मैं उसके होठों को मुँह में भर कर चूसने लगा। एक हाथ से मैं उसकी छाती को बुरी तरह भींचने लगा था।

कोमल खुद भी मेरे होठों को चूसने लगी थी। एकाएक उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरे अकड़े हुए लंड को पकड़ कर ज़ोर से भीचा तो मेरे मुँह से सिसकी निकल गई। मैं फ़ौरन ही कोमल से अलग हुआ और तेज़ी से अपना कच्छा उतार कर तथा उसे धक्का दे कर लेटा दिया। उसके बाद मैंने पहले उसकी दोनों छातियों को मुँह में भर कर चूसा और फिर सरक कर नीचे उसकी चूत पर आ गया। उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, मैंने जीभ निकाल कर उसकी फांकों पर चलाना शुरू कर दिया और एक हाथ की ऊँगली भी उसकी चूत में डाल दी। कुछ ही देर में कोमल का भी तबस्सुम की तरह बुरा हाल होने लगा। वो दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़े अपनी चूत में दबाए जा रही थी।

क़रीब पांच मिनट की चूत चुसाई के बाद ही कोमल का जिस्म अकड़ने लगा और वो आहें भरते हुए भरभरा कर झड़ने लगी। एक बार फिर से मेरा चेहरा चूत से निकले कामरस से सराबोर होता चला गया था। कोमल जब शांत पड़ गई तो मैंने तबस्सुम की तरफ रुख किया। तबस्सुम अपने एक हाथ से कोमल की छाती को सहला रही थी।

मैं आगे बढ़ा और तबस्सुम के होठों पर टूट पड़ा। कुछ देर उसके होठों को चूसने के बाद मैं उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। मेरा लंड अब बुरी तरह अकड़ कर दर्द करने लगा था। इस लिए मैं उठा और तबस्सुम के चेहरे के पास सरक उसकी तरफ अपना लंड किया तो उसने मेरी तरफ देखा और मेरे लंड को पकड़ लिया।

कुछ देर वो मेरे लंड को सहलाती रही और फिर उठ कर बैठते हुए उसने मेरे लंड को मुँह में भर लिया। उसके गरम मुख में जैसे ही मेरा लंड गया तो मज़े से सिसकी लेते हुए मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और साथ ही उसके सिर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड की तरफ खींचने लगा।

तबस्सुम बड़े मज़े से मेरा लंड चूस रही थी और मैं मज़े के अथाह सागर में गोते लगाने लगा था। तबस्सुम के सिर को पकड़े मैं अपनी कमर को हिला हिला कर उसके मुख को चोद रहा था। तभी मेरी नज़र कोमल पर पड़ी। वो तबस्सुम के मुँह में मेरे लंड को अंदर बाहर होता देख रही थी। मैंने एक झटके से अपना लंड तबस्सुम के मुँह से निकाला और आगे बढ़ कर कोमल की तरफ कर दिया। तबस्सुम के थूक और लार से नहाए हुए मेरे लंड को देख कर कोमल ने पहले मेरी तरफ देखा और फिर अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया। ये देख कर तबस्सुम भी कोमल के पास सरक आई और एक हाथ से मेरे टट्टों को सहलाते हुए वो कोमल के सिर पर हाथ फेरने लगी।

मेरी आँखों के सामने अचानक ही गन्दी किताब में बने चित्र घूम गए और मैंने फ़ौरन ही उन चित्रों का अनुसरण किया। कोमल के मुँह से लंड निकाल कर मैंने तबस्सुम के मुँह की तरफ बढ़ाया तो वो अपना मुँह खोल कर जल्दी ही मेरे लंड को मुँह में भर कर चूसने लगी। मैं जैसे स्वर्ग में था। दो खूबसूरत लड़कियां बारी बारी से मेरा लंड चूस रहीं थी और मैं मज़े के सातवें आसमान में गोते लगा रहा था।

मैंने एक झटके में तबस्सुम के मुँह से अपना लंड निकाला और उसे धक्का दे कर बेड पर सीधा लेटा दिया। उसके बाद उसकी दोनों टांगों को पकड़ कर फैलाते हुए उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया।

"आहहह एक ही झटके में अपने इस हलब्बी लंड को मेरी चूत में डाल दो डियर।" तबस्सुम ने सिसियाते हुए कहा____"मैं देखना चाहती हूं कि तुम्हारा ये मोटा लंड जब एक झटके में मेरी चूत में जाएगा तो मेरी चीख कितनी तेज़ निकलती है।"

तबस्सुम की बात सुन कर मैंने ऐसा ही किया। उसकी चूत के छेंद पर अपने टोपे को घुसा कर मैंने पूरी ताकत से धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर की तरफ समाता चला गया। मेरे इस धक्के से तबस्सुम हलक फाड़़ कर चिल्लाई। इधर मेरे मुँह से भी दर्द में डूबी कराह निकल गई। तबस्सुम की चूत मेरे लंड के लिए संकरी थी और जब मैंने पूरी ताकत से धक्का मारा तो मेरे लंड की चमड़ी भी तेज़ी से पीछे होती चली गई थी जिससे मुझे दर्द हुआ था। कुछ पल रुकने के बाद मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। उधर कोमल उठ कर तबस्सुम के मुँह पर बैठ गई थी जिससे उसकी चूत उसके मुँह पर छूने लगी थी। तबस्सुम ने अपने मुँह पर कोमल की चूत को महसूस किया तो उसने फ़ौरन ही जीभ निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया।

मैं कोमल को तबस्सुम के मुँह में अपनी चूत टिकाए धीरे धीरे हिलते देख कर पहले तो चकित हुआ फिर जब मेरी नज़र कोमल की नज़र से मिली तो वो मुझे देखते हुए पहले मुस्कुराई फिर अपनी तरफ आने का इशारा किया तो मैं उसकी तरफ खुद को एडजस्ट करते हुए झुका। कुछ ही पलों में मेरे होठ कोमल के होठों से जा मिले। हम तीनों की पोजीशन अब कमाल की बन गई थी। तबस्सुम बेड पर सीधा लेटी हुई थी जिसकी दोनों टाँगें फैलाए मैं उसकी चूत में अपना लंड डाले धक्के लगा रहा था और कोमल अपनी चूत को तबस्सुम के मुँह पर रखे हल्के हल्के हिल रही थी जिससे नीचे से तबस्सुम उसकी चूत पर अपनी ज़ुबान चला रही थी और इधर मैं और कोमल एक दूसरे की तरफ झुके एक दूसरे के होठों को चूम रहे थे। मैं पलक झपकते ही मज़े की तरंग में पहुंच गया था और साथ ही ये सब देख कर बेहद रोमांचित भी हो उठा था।

मैंने कोमल के होठों से अपने होठ छुड़ाए और तेज़ तेज़ अपनी कमर को चलाते हुए तबस्सुम को चोदने लगा। मेरे हर धक्के पर वो आगे की तरफ उछल जाती थी जिससे उसकी चूचियां उछल पड़तीं थी और साथ ही उसके मुख से कोमल की चूत हट जाती थी। कोमल कुछ पलों तक उसके मुँह में अपनी चूत को घिसती रही उसके बाद वो उसके ऊपर से उतर कर उसकी एक चूची के निप्पल को चुभलाने लगी। इस पोजीशन में कोमल की गांड जो कि मेरी तरफ घूमी हुई थी वो उठ गई थी। मेरी नज़र उसकी गांड के गुलाबी छेंद पर पड़ी और फिर उसके नीचे पनियाई हुई चूत पर। ये देख कर मैंने ज़ोर से एक थप्पड़ उसकी गांड पर मारा तो वो एकदम से उछल पड़ी और साथ ही पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा।

मैंने उसे उसी पोजीशन में तबस्सुम के ऊपर आने को कहा तो वो वैसे ही अपने घुटने को इस तरफ कर के तबस्सुम के ऊपर आ गई। एक तरह से वो तबस्सुम के ऊपर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी उठी हुई गांड मेरी आँखों के सामने थी। मैंने तबस्सुम की टांगों को छोड़ा और कोमल के गोरे गोरे लेकिन भारी चूतड़ों को अपनी मुट्ठियों में भीचते हुए उसकी गांड के छेंद को उभारने लगा। कोमल की गांड का गुलाबी छेंद और उसके थोड़ा सा ही नीचे लिसलिसी चूत को देख कर मेरा मन जैसे मचल उठा तो मैं जल्दी से झुका और उसकी भारी गांड के मांस को मुँह में भर कर ज़ोर से काटा जिससे कोमल की दर्द भरी कराह निकल गई। मैंने इतने पर ही बस नहीं किया बल्कि दो तीन बार और काटा और फिर अपना मुँह पीछे से उसकी चूत पर लगा कर अपनी जीभ से उसकी रस बहाती चूत को चाटने लगा। खटमिट्ठा स्वाद मेरी जीभ पर पड़ा तो मैं और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा। इस क्रिया की वजह से मेरे धक्के बहुत ही धीमे हो गए थे, इस लिए नीचे से तबस्सुम खुद ही अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत पर लेने लगी थी।

मेरी आँखों के सामने गन्दी किताब का एक चित्र फिर से घूम गया तो मैंने झट से अपना लंड तबस्सुम की चूत से निकाला और थोड़ा ऊपर हो कर पीछे से कोमल की चूत में एक झटके से डाल दिया। कोमल को मेरे द्वारा ऐसा किए जाने की उम्मीद नहीं थी इस लिए जैसे ही मैंने ज़ोर का धक्का मारा तो वो एकदम से तबस्सुम के ऊपर पसर गई थी और उसके मुख से आह निकल गई थी। मैं कोमल की कमर को पकड़े तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा था। दो दो खूबसूरत लड़कियों को मैं एक दूसरे के ऊपर लेटाए चोद रहा था। इस वक़्त मैं बेहद खुश था और इसी ख़ुशी के जोश में मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाए जा रहा था। उधर नीचे पड़ी तबस्सुम कोमल के होठों को मुँह में भरे चूस रही थी और साथ ही उसकी चूचियों को भी मसले जा रही थी। पूरे कमरे में सेक्स का घमासान मचा हुआ था।

मैं काफी देर से उसी पोजीशन में धक्के लगा रहा था इस लिए अब मैं बुरी तरह हांफने लगा था और साथ ही मेरी कमर भी दुखने लगी थी। इस लिए मैंने कोमल की चूत अपना लंड निकाल लिया। मेरी आँखों के सामने गन्दी किताब का एक और चित्र घूम गया था और अब मैं उसी चित्र की तरह पोजीशन लेना चाह रहा था। मैंने जब लंड निकाल लिया तो कोमल ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे बताया कि मुझे पोजीशन चेंज करनी है।

मेरी बात सुन कर दोनों बेड से उठ ग‌ईं। उनके उठते ही मैं सीधा लेट गया। मेरा तना हुआ लंड कोमल और तबस्सुम के कामरस से चमक रहा था और बुरी तरह हवा में झटके मार रहा था। दोनों की नज़र उस पर पड़ी तो वो दोनों भूखी शेरनी की तरह उस पर झपटीं और मुँह में ले कर उसे चूसने लगीं। बारी बारी से दोनों ने उसे मुँह में भर कर चूसा, उसके बाद तबस्सुम उठी और मेरे ऊपर आ कर मेरे लंड को अपनी चूत में डाल लिया। तबस्सुम की गरम गरम चूत में जैसे ही मेरा लंड गया तो मज़े से मेरी सिसकी निकल गई। मैंने तबस्सुम की एक चूची को पकड़ अपनी तरफ खींचा और उसे मुँह में भर कर चूसने लगा। कुछ देर उसकी चूची को चूसने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया। उधर जैसे ही मैंने उसकी चूची को छोड़ा तो कोमल मेरे मुँह पर अपनी चूत रख कर बैठ गई। मैं कोमल की चिपचिपी चूत पर अपनी ज़ुबान को लपलपाने लगा और उधर तबस्सुम मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड को पटकने लगी थी। एक बार फिर से चुदाई का माहौल गरम हो उठा था। मैं कोमल की चूत को चाटता भी जा रहा था और उस पर ऊँगली भी करता जा रहा था जिससे वो मज़े में सिसकारियां भर रही थी।

तबस्सम काफी देर तक मेरे लंड पर अपनी गांड को पटकती रही। उसके बाद जब वो थक गई तो उसने अपनी गांड को पटकना बंद कर दिया। मैंने नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर धक्के लगाने की कोशिश की लेकिन मुझसे बराबर धक्का नहीं लगाया गया इस लिए मैंने उन्हें अपने ऊपर से हटने को कहा तो वो दोनों मेरे ऊपर से हट ग‌ईं। मैंने तबस्सुम को फिर से सीधा लेटाया और उसकी चूत में अपना लंड डाल कर ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा। तबस्सुम बुरी तरह सिसिया रही थी और अपने हाथ से ही अपनी चूचियों को मसले जा रही थी। कुछ ही देर में उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर कसती हुई महसूस हुई और फिर वो एकदम से अकड़ने लगी। तबस्सुम को झटके लगने लगे थे और वो बुरी तरह चीखते हुए झड़ने लगी थी। वो झड़ रही थी और मैं धक्के लगाए जा रहा था। जब वो झड़ कर शांत पड़ गई तो कोमल मुझे इशारा करते हुए फ़ौरन ही लेट गई।

कोमल अपनी टाँगें फैला कर लेटी तो मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा। असल में अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं रुकना नहीं चाहता था। मैंने दोनों हाथ बढ़ा कर कोमल की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ा और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा। कुछ ही देर में कोमल की आहें तेज़ हो ग‌ईं। इधर मेरे जिस्म में भी अब हलचल होने लगी थी। मेरे अंडकोषों में बड़ी तेज़ी से झुरझुरी होने लगी थी और मैं मज़े के सातवें आसमान की तरफ बढ़ता चला जा रहा था। जैसे जैसे मैं अपनी चरम सीमा की तरफ पहुंच रहा था वैसे वैसे मेरे धक्कों की स्पीड भी तेज़ होती जा रही थी। उधर कोमल मुख से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकालते हुए जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी थी। करीब पांच मिनट बाद ही कोमल का जिस्म ऐंठा और वो झड़ने लगी। उसकी चूत से निकला गरम गरम पानी जैसे ही मेरे लंड को भिगोया तो मैं उसका ताप सहन न कर सका और मैं भी आहें भरते हुए झड़ने लगा।

झड़ने के बाद मैं बेहोश सा हो कर कोमल के ऊपर ही ढेर हो गया। कमरे में उखड़ी हुई साँसों का तूफ़ान गर्म था। मैं उन दोनों खूबसूरत हसीनाओ के साथ एकदम पस्त सा पड़ा था। जाने कितनी ही देर तक हम तीनो यूं ही बेहोश से पड़े रहे उसके बाद सबसे पहले तबस्सुम उठी। उसने बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा और बाथरूम की तरफ चली गई।  कुछ देर बाद हम दोनों भी उठे। सेक्स की गर्मी शांत हुई और जब मैंने कोमल की तरफ देखा तो उससे नज़र मिलते ही मेरे होठों पर मुस्कान उभर आई और साथ ही हल्की शर्म भी। कोमल मेरे चेहरे पर आई हल्की शर्म को देख कर मुस्कुरा पड़ी। ख़ैर तबस्सुम के आने के बाद हम दोनों भी बारी बारी से बाथरूम गए और खुद को साफ़ किया।

"तुमने तो कमाल कर दिया डियर।" तबस्सुम ने मुस्कुराते हुए कहा____"मुझे ज़रा भी उम्मीद नहीं थी कि पहली बार में तुम्हारा परफॉरमेंस इतना अच्छा होगा। तुम्हें सच में खुदा ने ख़ास बना कर भेजा है।"

"सही कहा तुमने।" कोमल ने कहा____"ऐसा पहला मर्द देखा है मैंने जो पहली बार में दो दो लड़कियों को झाड़ने के बाद खुद झड़ा हो। जब कि ऐसा होना लगभग असंभव सा होता है। ख़ैर मुझे भी लगता है कि तुम्हें ऊपर वाले ने कुछ ज़्यादा ही ख़ास बना कर भेजा है।"

"तुम दोनों की बातों से तो लगता है।" मैंने दोनों को बारी बारी से देखते हुए कहा_____"कि मैं तुम दोनों की परीक्षा में पास हो गया हूं।"
"बिल्कुल पास हो गए हो डियर।" कोमल ने कहा____"बल्कि अगर ये कहूं तो ज़्यादा बेहतर होगा कि तुमने पहली बार में इतना अच्छा परफॉरमेंस दे कर हम दोनों को हैरान कर दिया है।"

कोमल और तबस्सुम की ये बातें सुन कर मैं अंदर ही अंदर बेहद खुश हो गया था और अपने आप पर प्राउड सा फील करने लगा था जिसकी वजह से मैं एकदम से तन कर बैठ गया था। दोनों की बातों ने मेरे मनोबल को बढ़ा दिया था जिसकी वजह से मेरे अंदर एक अलग ही तरह का एहसास होने लगा था। मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे अब मैं मुकम्मल मर्द बन गया हूं और अब मैं किसी भी औरत को खुश कर सकता हूं।

कुछ देर हम तीनों इसी बारे में बातें करते रहे उसके बाद वो दोनों मुझे आराम करने का बोल कर कमरे से चली ग‌ईं। दुबारा करने के लिए न उन्होंने कहा और ना ही मेरा मन था। क्योंकि दोनों को पेलने के बाद मैं बुरी तरह थक गया था। ख़ैर दोपहर को लंच करने के बाद मैं अपने एक अलग कमरे में सोने चला गया।

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C. M. S. [Choot Maar Service] - by Shubham Kumar1 - 30-07-2021, 11:28 PM
RE: C. M. S. [Choot Maar Service] - by Eswar P - 01-08-2021, 08:21 PM
RE: C. M. S. [Choot Maar Service] - by Shubham Kumar1 - 18-08-2021, 12:14 AM



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