13-08-2021, 05:30 PM
आधे घंटे बाद हरीश पहुँचा, उसने मीरा को देखकर सीटी बजाई और बोला- इतना बड़ा लंड तुम्हारे पड़ोस में होकर बैंगन क्यों घुसा रही हो…
उसकी बेधड़क बात सुन कर मीरा शरमा गई…
हरीश ने मुझे उसकी दोनों टांगें पकड़ने को कहा और उसकी चूत पर एक्स्पोज़र लगाया।अब चूत के अन्दर का साफ साफ दिख रहा था, नाख़ून लगने से अन्दर जख्म हुए थे।
हरीश ने अपने औजारों से बैंगन के टुकड़े करके बैंगन चूत से निकाला तो मीरा के चेहरे पर छुटकारे का आनन्द दिख रहा था…
उसने कहा- थेंक यू डॉक्टर…
हरीश ने कहा- मैं आपको यह मलहम देता हूँ.. इसे दिन में दो बार अन्दर लगाइएगा.. 4-5 दिन में जख्म ठीक हो जायेंगे… चेक अप लिए जरूर आइयेगा…
वो उठने लगा तो मीरा ने पूछा- आपकी फ़ीस?
हरीश बोला- फ़ीस तो हम दोनों लेंगे पर पहले ठीक हो जाओ.. हम दोनों के बैंगन तुम्हारी चूत में जाने के लिए बेताब हैं…
हम दोनों हंस पड़े और वो शरमा गई।
हरीश के जाने के बाद मीरा बोली- विनोद, आज तुम नहीं होते तो मेरा क्या हाल हुआ होता…
मैंने कहा- अब घबराओ मत, इसके बाद तुम्हे बैंगन की जरूरत नहीं पड़ेगी…
ऐसा कह कर मैंने उसके लबों को चूम और चूस भी लिया… यह कहानी आप ////.live पर पढ़ रहे हैं।
उसने कहा- अब मलहम लगा दोगे प्लीज…
फिर क्या ५ दिन तक उसके पति के ऑफिस जाने के बाद और आने से पहले मैं मलहम लगाने जाता रहा… 5 दिन के बाद चेकअप करने के लिए मैंने हरीश से वक्त लिया… उसने दोपहर को लंच टाइम में आने को कहा।
मैं और मीरा समय पर पहुँच गए… हरीश का छोटा सा क्लिनिक था…
उसने डॉक्टर आउट का बोर्ड लटकाकर हमें अन्दर बुला लिया। उसके बाद हरीश ने मीरा की सलवार उतारकर चूत चेक की और बोला- अरे वाह, तुम्हारी चूत तो अब बैंगन घुसाने के लिए एकदम तैयार है…
मीरा बोली- नहीं अब फिर नहीं करुँगी…
हरीश हंसकर बोला- ..जी, मैं हमारे बैंगन की बात कर रहा हूँ… यही तो हमारी फ़ीस है।…ऐसा कहते हुए हरीश ने उसके होंठ चूमते हुए मम्मे दबाने शुरू किये… मैं भी शुरू होगया… मैंने उसकी कमीज उतार कर ब्रा सरकाते हुए मम्मे चूसना शुरू किया.. उसकी चूत एकदम साफ और चिकनी थी… मुझे उस दिन की याद आई और मैंने सीधा उसकी चूत पर मुँह रख दिया… इधर मैं चूत और उधर हरीश मम्मे चूस रहा था..
मीरा अब गर्म होने लगी थी, मेरे मुँह पर चूत रगड़ते हुए… आह… उई माँ… उफ़… ईई… आह… आ… करने लगी।
तभी डॉक्टर ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह चूत पर लगा दिया। मीरा एग्ज़ामिनेशन टेबल पर लेटी हुई थी.. मैंने अपने कपड़े उतार कर 8 इंच का लंड उसके मुँह में दे दिया। वो उसे मजे से चूस रही थी… अब डॉक्टर ने अपने कपड़े उतार कर उसकी चूत में लंड डाल दिया।
अब उसे और मजा आने लगा- …चोदो मुझे… जोर से… और जोर… से.. स…आह…उफ़…करो…राजा…चोदे मुझे… कह कर चुदने लगी.. उसकी आवाजें सुन कर डॉक्टर ने गति बढ़ा दी… वैसे ही उसने जोरसे मेरा लंड चूसना शुरू किया…
तभी हरीश ने लंड बाहर निकलते हुए उसका मुंह खीचते हुए लंड मुँह में ठूंस दिया… मैंने मौका पाकर मीरा की चूत पेलनी शुरू की। हरीश ने सारा माल उसके मुँह में डाल दिया और वो मजे से पीने लगी।
इधर मैं धक्के पे धक्के मारे जा रहा था.. इस बीच मीरा दो बार झड़ चुकी थी… मैंने जैसे ही गति बढ़ाई तो वो अपने हाथ से चूत मसलते हुए आह… और जोर चोद मुझे… मेरी प्यास बुझा… आह… उई…मर… गयी… इ इ… स…स…कहते हुए झड़ने लगी।
मैं अब चरम सीमा पर था, मैंने आख़िर के धक्के मारते हुए सारा माल चूत में डाल दिया।
कुछ देर बाद वो सामान्य हुई तो बोली- विनोद, तुमने तो सारा माल अन्दर डाल दिया ..अब गड़बड़ हो गई तो?
मैंने कहा- तो फिर यह डॉक्टर किस लिए है…
अब जब भी मौका मिलता है, हम हरीश के क्लिनिक में सेक्स का मजा लूटते हैं…
समाप्त
उसकी बेधड़क बात सुन कर मीरा शरमा गई…
हरीश ने मुझे उसकी दोनों टांगें पकड़ने को कहा और उसकी चूत पर एक्स्पोज़र लगाया।अब चूत के अन्दर का साफ साफ दिख रहा था, नाख़ून लगने से अन्दर जख्म हुए थे।
हरीश ने अपने औजारों से बैंगन के टुकड़े करके बैंगन चूत से निकाला तो मीरा के चेहरे पर छुटकारे का आनन्द दिख रहा था…
उसने कहा- थेंक यू डॉक्टर…
हरीश ने कहा- मैं आपको यह मलहम देता हूँ.. इसे दिन में दो बार अन्दर लगाइएगा.. 4-5 दिन में जख्म ठीक हो जायेंगे… चेक अप लिए जरूर आइयेगा…
वो उठने लगा तो मीरा ने पूछा- आपकी फ़ीस?
हरीश बोला- फ़ीस तो हम दोनों लेंगे पर पहले ठीक हो जाओ.. हम दोनों के बैंगन तुम्हारी चूत में जाने के लिए बेताब हैं…
हम दोनों हंस पड़े और वो शरमा गई।
हरीश के जाने के बाद मीरा बोली- विनोद, आज तुम नहीं होते तो मेरा क्या हाल हुआ होता…
मैंने कहा- अब घबराओ मत, इसके बाद तुम्हे बैंगन की जरूरत नहीं पड़ेगी…
ऐसा कह कर मैंने उसके लबों को चूम और चूस भी लिया… यह कहानी आप ////.live पर पढ़ रहे हैं।
उसने कहा- अब मलहम लगा दोगे प्लीज…
फिर क्या ५ दिन तक उसके पति के ऑफिस जाने के बाद और आने से पहले मैं मलहम लगाने जाता रहा… 5 दिन के बाद चेकअप करने के लिए मैंने हरीश से वक्त लिया… उसने दोपहर को लंच टाइम में आने को कहा।
मैं और मीरा समय पर पहुँच गए… हरीश का छोटा सा क्लिनिक था…
उसने डॉक्टर आउट का बोर्ड लटकाकर हमें अन्दर बुला लिया। उसके बाद हरीश ने मीरा की सलवार उतारकर चूत चेक की और बोला- अरे वाह, तुम्हारी चूत तो अब बैंगन घुसाने के लिए एकदम तैयार है…
मीरा बोली- नहीं अब फिर नहीं करुँगी…
हरीश हंसकर बोला- ..जी, मैं हमारे बैंगन की बात कर रहा हूँ… यही तो हमारी फ़ीस है।…ऐसा कहते हुए हरीश ने उसके होंठ चूमते हुए मम्मे दबाने शुरू किये… मैं भी शुरू होगया… मैंने उसकी कमीज उतार कर ब्रा सरकाते हुए मम्मे चूसना शुरू किया.. उसकी चूत एकदम साफ और चिकनी थी… मुझे उस दिन की याद आई और मैंने सीधा उसकी चूत पर मुँह रख दिया… इधर मैं चूत और उधर हरीश मम्मे चूस रहा था..
मीरा अब गर्म होने लगी थी, मेरे मुँह पर चूत रगड़ते हुए… आह… उई माँ… उफ़… ईई… आह… आ… करने लगी।
तभी डॉक्टर ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह चूत पर लगा दिया। मीरा एग्ज़ामिनेशन टेबल पर लेटी हुई थी.. मैंने अपने कपड़े उतार कर 8 इंच का लंड उसके मुँह में दे दिया। वो उसे मजे से चूस रही थी… अब डॉक्टर ने अपने कपड़े उतार कर उसकी चूत में लंड डाल दिया।
अब उसे और मजा आने लगा- …चोदो मुझे… जोर से… और जोर… से.. स…आह…उफ़…करो…राजा…चोदे मुझे… कह कर चुदने लगी.. उसकी आवाजें सुन कर डॉक्टर ने गति बढ़ा दी… वैसे ही उसने जोरसे मेरा लंड चूसना शुरू किया…
तभी हरीश ने लंड बाहर निकलते हुए उसका मुंह खीचते हुए लंड मुँह में ठूंस दिया… मैंने मौका पाकर मीरा की चूत पेलनी शुरू की। हरीश ने सारा माल उसके मुँह में डाल दिया और वो मजे से पीने लगी।
इधर मैं धक्के पे धक्के मारे जा रहा था.. इस बीच मीरा दो बार झड़ चुकी थी… मैंने जैसे ही गति बढ़ाई तो वो अपने हाथ से चूत मसलते हुए आह… और जोर चोद मुझे… मेरी प्यास बुझा… आह… उई…मर… गयी… इ इ… स…स…कहते हुए झड़ने लगी।
मैं अब चरम सीमा पर था, मैंने आख़िर के धक्के मारते हुए सारा माल चूत में डाल दिया।
कुछ देर बाद वो सामान्य हुई तो बोली- विनोद, तुमने तो सारा माल अन्दर डाल दिया ..अब गड़बड़ हो गई तो?
मैंने कहा- तो फिर यह डॉक्टर किस लिए है…
अब जब भी मौका मिलता है, हम हरीश के क्लिनिक में सेक्स का मजा लूटते हैं…
समाप्त