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Misc. Erotica All HoT Hindi choti (Hindi Font)
#9
महिला अधिकारी और उसकी शादीशुदा सहेली :----


कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपना परिचय दे दूँ। मैं एक 28 साल का कुवांरा बंदा हूँ, नाम लव है। पेशे से मैं सरकारी नौकरी में मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा हूँ। दिखने में, ऐसा कहते हैं कि, मैं आज भी 20 साल के कॉलेज गोइंग स्टुडेंट की तरह नजर आता हूँ।मेरी हाईट 6 फ़ुट है, एक दिन जिज्ञासावश मैंने अपना लंड नापा तो वो 18 सेमी का था।

मुझे निरीक्षण के सिलसिले में एक तालुका में जाना पड़ा। वहाँ उस अवसर पर बहुत से बड़े अधिकारियों का आगमन हुआ।

जब हमें समझाने के लिए वहाँ की अधीक्षक आई तो मैं देख कर दंग रह गया, उसकी उम्र करीब 40 साल की रही होगी, उसने मस्त सा टॉप तथा स्किन टच सलेक्स पहने हुए थे। मैं उसके सलेक्स को देखते ही उसकी जांघों में खो गया।

भाई एक बात तो है, अगर जांघें मस्त हों तो आप उसमें छुपी हुई चूत का अंदाज़ लगा सकते हैं कि वो कितनी जबरदस्त होगी।

बात करने पर पता चला कि वो शादीशुदा नहीं थी। हम मीटिंग्स ख़त्म करने के बाद लंच के लिए साथ बैठे तो वो बोली कि वो मेरे विचारो से बहुत प्रभावित हुई है और मुझसे कभी अकेले में समय लेकर तालुका स्तर पर सुविधाएँ बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा करना चाहेगी।

थोड़े समय बाद ही वो मेरे कमरे में दो और महिलाओं के साथ आई और मेरा परिचय करवाया। वो दोनों महिलायें भी उस तालुका में ही अधिकारी थी। उनमें से एक को देखते ही लंड महाराज ने अपनी निद्रा तोड़ ली। उसकी जांघें पहली वाली से भी क़यामत थी, उम्र भी करीब 35-40 के बीच होगी।

मेरा मानना है कि सेक्स का असली मजा इन उम्र वाली महिलाओं के साथ ही आता है क्योंकि इनका अनुभव और मांसल बदन सेक्स का मजा दोगुना कर देता है या यूँ कहें कि आग में पेट्रोल का काम करता है। इन मैडम की एक ख़ास बात और थी वो यह कि यह करीब 5 फ़ुट की हाईट की थी, वहीं पहले वाली मैडम की हाईट लगभग साढ़े पाँच फ़ुट के करीब होगी। छोटी हाईट की महिलाओं के साथ जब आप सेक्स करते हैं तो जो उनके दोनों पैर आपके कमर पर लिपटने के बाद जो उनके पैरों से धक्के लगते हैं उसका मजा इतना होता है कि आप सोचेंगे की उम्र बस इस चूत में ही गुजर जाये।

खैर मैंने उन्हें अपना फ़ोन नंबर दिया और वापस आ गया।

दो दिन बाद ही अधीक्षक मैडम का फ़ोन आया, बोली कि उन्हें कुछ तकनीकी मुद्दों पर चर्चा करनी है और पार्टी भी देनी है तो मुझे रविवार को बुला लिया।

मैं वहाँ पहुँचा तो देखा ऑफिस तो बंद है और मोबाइल भी बंद है। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मुझे मैडम की वही मस्त वाली दोस्त नजर आई। मैं सोच में पड़ गया और सच बोलूँ तो मुझे अंदाज़ा भी नहीं था कि जिसके साथ सेक्स करने को सोच कर मैं कितनी बार हस्त मैथुन कर चुका हूँ वो खुद इस मंसूबे से ही मेरे पास होगी।

मैंने उन्हें नमस्ते की और बोला- मैडम, आपकी सखी ने मुझे मार्गदर्शन के लिए बुलाया है।

तो वो बोली- आज सन्डे है और मैडम आज अपने फ्लैट पर ही हैं और तुम्हें लेने मुझे भेजा है।

मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने हेतल बताया (काल्पनिक नाम)। रास्ते में वो मुझे अपने बारे में बताती रही और मैं अपने बारे में उन्हें बताता रहा।

बातों ही बातों में पता चला कि उनके पति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन नामक बीमारी है। मैं इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जनता था मगर यह जानता था कि यह मर्दों की बीमारी है। फिर मैंने मैडम के बारे में पूछा तो हेतल ने बताया कि मैडम का नाम अनुभूति देसाई है।

मैंने पूछा- अनुभूति जी के पति क्या करते हैं?
तो वो बोली- उनकी शादी नहीं हुई।

कारण पूछने पर पता चला कि उनके कुंडली में दोष होने के कारण उन्हें शुरुआत मैं कोई लड़का नहीं मिला फिर 35 साल निकल जाने के बाद उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला किया। मैं सोच में पड़ गया तो मेरा ध्यान तोड़ते हुई हेतल बोली- तुम्हारी शादी नहीं हुई क्या?

मैंने कहा- मुझे अब तक कोई मिली नहीं और मैं जीवन को अपने तरीके से जीना चाहता हूँ।
वो बोली- मतलब?

मैंने खुले विचारों को दर्शाते हुए कहा- मैं जिन्दगी को एक यात्रा समझता हूँ और यात्रा का मतलब है चलते जाना न कि किसी को साथ में रख लेना। इसलिए मैं हर जगह को एन्जॉय करना चाहता हूँ और हर किसी से वही रिलेशन बनाना चाहता हूँ जो वो मुझसे बनाना चाहती हो।
हेतल अचानक बोली- तो तुम मेरी हेल्प करोगे?
मैंने कहा- जी जरूर! इतनी दूर तुम्हारी हेल्प करने ही तो आया हूँ!
वो बोली- ऐसा नहीं है, मैंने तुम्हें अपने पति की बीमारी के बारे में बताया, तुम मेरी मदद करोगे या नहीं?

मैं तब तक कुछ नहीं समझा था और बोल दिया- मैं आपसे वादा करता हूँ कि जो कुछ मैं कर सकता हूँ आपके लिए जरूर करूँगा।

वो बोली- तो ठीक है, अनुभूति से बाद में मिल लेंगे, अभी मेरे फ्लैट पर चलते हैं, आप फ्रेश हो जाना, फिर अगर चाहेंगे तो अनु को यहीं मेरे फ्लैट पर बुला लेंगे, सन्डे को मेरे पति एक आश्रम में जाते हैं और वहाँ से देर रात तक आते हैं तो डिस्कशन भी हो जायेगा, अनुभूति को मैं कॉल भी कर दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।

उनके फ्लैट पर पहुँचने के बाद वो मुझे कमरे में छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई। मैं समझ नहीं पा रहा था, फिर बाथरूम जाकर फ्रेश होकर बेडरूम में टीवी देखने लग गया। तभी मुझे दूसरे कमरे से आवाज आई- आप यहीं आ जाइए, उस कमरे में एयर कंडिशनर नहीं है।

मैं दूसरे कमरे में गया तो वो गुलाबी साड़ी में बैठी थी, मैंने कहा- आपने कपड़े चेंज कर लिए?
तो बोली- हाँ!
और जाकर कमरे का दरवाज़ा लोक कर दिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?
तो बोली- एयर कंडिशनर चालू है ना, इसलिए।
मैंने पूछा- अनुभूति को कॉल किया?

तो वो बोली- अनुभूति के पापा बाहर जा रहे हैं, वो उन्हें सी ऑफ करने गई है, इसलिए मैं आपको लेने आई थी और वो 3-4 घंटे बाद ही आ पाएंगी। आपको बुरा न लगे इसलिए मैं आपको यहाँ ले आई, आप यहाँ आराम कर लीजिये।

ऐसा बोल कर वो सोफे पर लेट गई और मैं बेड पर।

हम बातें करने लगे तो बातों ही बातों में हेतल ने कहा- इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब होता है कि उनका प्राइवेट अंग उत्तेजना के समय खड़ा नहीं हो पाता है।

मैं बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो वो बोली- आपको क्या लगता है? मैं कितने दिनों से परेशान हूँ।
मैं बोला- बताओ कब से?
वो बोली- पिछले दो सालो से मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया है।

ऐसा बोल कर वो रुआंसी सी होकर जाने लगी तो मैं बोला- हेतल, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँ?
इतने में वो मेरे बेड के पास आकर बोली- क्या आप मेरे साथ…?
मैं अधूरे में ही समझ गया और बोला- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर क्या यह सच में मदद है?
तो वो मेरे सीने पर अपना सर रख कर बोली- चुप हो जाओ, बस मुझे संतुष्ट कर दो।

मैं आगे बढ़ता, इससे पहले उसने मेरी पेंट की जिप खोल कर मेरा लंड निकाल लिया।
मैं अपना आपा खो चुका था और तुरंत ही उसका ब्लाऊज खोल दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसती गई और मुझे लगने लगा कि मैं वाकई जन्नत में हूँ।

मैं आपको बता दूँ कि जब मैंने पहले बार उसको मीटिंग में देखा था तब हेतल की जांघें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
मैंने तुरंत उससे कहा- साड़ी उतारो!
तो उसने साड़ी अलग कर दी, फिर मैंने उसका पेटेकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसका पेटीकोट उतार दिया, पेंटी भी उसने नहीं पहनी थी।

उसका पेटीकोट खोलते ही मुझे जन्नत के दर्शन हो गए, उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था, गोरी गोरी जांघों के बीच कॉफ़ी कलर की चूत देखते ही लगा मानो सारी तमन्नाएँ पूरी हो गई हों और मन ही मन मैं लंड से बोला- बेटा आज तो तू गया।

मैंने हेतल से कहा- एक मिनट रुको।और अपने आपको पूरा नंगा करके उसे पलंग पर लिटा दिया और सीधा अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत के छल्लों को चाटते हुए चूत के अन्दर गुलाबी वाले हिस्से में गई, हेतल के मुँह से सिसकारियों का सैलाब आ गया- उह्ह आह आःह्ह ऊई उई ईई हुम्म्म अह्ह्ह्ह बस बस प्लीज़ ओह ह ह्ह्ह्हह! डाल दो न प्लीज़ लव! मर जाऊँगी ईई ईई म्म्म्मआःह्ह्ह ह्हआः ह्हआःह्ह जल्दी करो।

मगर मैं तो उसकी चूत से निकलने वाले रस को पीने में मस्त था, उसकी चूत से इतना रस निकला कि पूरा गद्दा चूत के नीचे से भीग गया था।

यह आलम तो तब था जब मैं उसका पानी चाट चाट के पी रहा था।

फ़िर मैंने अपना लंड जो उसकी लार से गीला था, उसकी चूत पर रगड़ा और हल्का सा सेट सा किया कि गपप्पप की आवाज़ के साथ पूरा अन्दर घुस गया।

कमाल की बात यह है कि अब तक मैंने उसके होठों को छुआ भी नहीं था और अब होंठों को चूसने का काम शुरू हुआ भी तो लंड के चूत-ए-जन्नत में जाने के बाद!

थोड़ी देर तक मैं लंड अन्दर डाल कर उसकी चूत की गर्मी का एहसास करता रहा और उसे मेरे लंड का एहसास करवाता रहा। लंड को अन्दर रखते हुए मैं उसके चुचूकों के चारों तरफ ऊँगलियाँ गोल गोल घुमाता रहा और वो पागलों की तरह मस्त होकर बोलने लगी- अब और मत तड़पाओ, फाड़ दो इसे! इस लायक भी मत छोड़ो कि तुम्हारे सिवा किसी का लंड ले पाए! चोद चोद के सूजा दो इसे।

दोस्तो, सच कह रहा हूँ कि चुदाई का मजा जो सूकून से करने में है वो दुनिया की कोई चीज़ में नहीं।मैं धीरे धीरे लंड बाहर निकलता फिर चूत पर रगड़ता हुआ अन्दर तक पेल देता।

कोई कहता है कि बड़े लंड से औरत की फट जाती है! यारों जब मजे का दर्द हो तो मजा और ही होता है यहाँ तो मेरा मजा दोगुना हो गया जब वो बोलने लगी कि तुम्हारा वाकई बहुत बड़ा है और उस वक़्त लगता है कि लंड कितना ही बड़ा क्यों न हो मजा सिर्फ सुकून से चुदाई में है।

फिर जब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और धीरे से चूत पर लंड टिकाते हुए बोला- अन्दर निकालूँ या बाहर?

वो बोली- आज तो इस पानी का मजा चूत को भी जी भर के लेने दो, मैं पिल खा लूँगी।

सुनते ही मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये लगाये और झटके से लंड चूत में पेल कर धक्के लगाने लगा। उसकी नाभि के पास बार बार बल पड़ रहे थे और साथ ही वो आगे की तरफ धक्के मार कर यह बताना चाह रही थी कि बस एक इंच भी बाहर मत रखो, पूरा अन्दर डाल दो।

खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।

मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।

मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राऊँड लगायेंगे।

सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राऊँड दूसरा राऊँड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राऊँड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।
फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राऊँड और लगा देना प्लीज़।

खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।
मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।

मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राऊँड लगायेंगे।

सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राऊँड दूसरा राऊँड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राऊँड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।

फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राऊँड और लगा देना प्लीज़।

मैंने उसे कहा- जब तुम्हारी दो साल में इतनी चुदासी सी हालत हो गई है तो बिना चुदे अनुभूति की क्या हालत होगी।

तो हेतल बोली- तुम अनुभूति के साथ भी कुछ पल बिता सकते हो, ठीक ऐसे अन्तरंग पल जैसे मेरे साथ बिताये हैं। हम दोनों एक दूसरे की प्यास आपस में ही मिटाती हैं। पहले हम दोनों अहमदाबाद में रहती थी तो एक लड़का था जिसे हम कुछ पैसे दिया करते थे, वह आकर हर एक दिन हम दोनों को संतुष्ट कर जाता था पर पिछले एक साल से हम अहमदाबाद से 500 किमी दूर हैं और यहाँ किसी पर भरोसा नहीं कर सकते। आपको देख कर लगा कि बस अब तड़पना काम हो जायेगा।

मैं सुनता रहा फ़िर पूछा- अनुभूति की शादी नहीं हुई और वो खेली खायी लगती है?

तो वो बोली- करना पड़ता है लव, 4 दिन नहीं करोगे, 5 दिन नहीं करोगे, आखिर इच्छा तो होती ही है और उम्र भी इतनी है कि बस नैतिकता जैसी बातें बेकार सी लगती हैं।

मैंने कहा- ठीक है, मैं उन्हें भी चोदूँगा, उनके घर आज रात मेरे रुकने का बंदोबस्त कर दो, शाम तक तुम्हें चोदता हूँ, रात को उन्हें चोद लूँगा। क्या करें साहब, लंड है कि मानता नहीं।

ऐसा सुन कर वो कमरे से बाहर गई और दस मिनट बाद लौटी, कहने लगी- अनुभूति से बात हो गई है, उनके पापा भी आज बाहर गए हैं तो रात आप उनके फ्लैट पर ही रुक जाना!

मैं अनकही बात को समझने लगा था, मैंने कहा- ठीक है, अब मेरा लंड फिर से तैयार हो गया है, चलो आ जाओ।

अबकी बार मैंने उससे पूछा- तुम्हारे फ्रिज में कुछ ठंडा सा है?
तो वो बोली- तुम ही देख लो।

मैं हेतल को जन्नत दिखाने का वादा करते हुए खड़ा हुआ और फ्रिज से दही, कुल्फी, जैम और चोकलेट सीरप ले आया।

हेतल बोली- क्या मूड है लव?
मैंने अपने अंदाज़ में कहा- डोंट वरी, किचन नहीं खोलनी तुम्हारी चूत में मुझे। जन्नत में जाने का प्रबंध करने गया था।
फिर उसे बोला- कुछ मत बोलना बस अब महसूस करो।

और उनकी गांड के नीचे दो तकिये लगा कर दोनों टांगें अपने कन्धों पर लेते हुए दो उँगलियों को दही से भर के चूत मैं तब तक दही भरता रहा जब तक कि कॉफ़ी कलर की चूत सफ़ेद न दिखने लगी।

सच बता रहा हूँ ऐसे मूड में जब गोरी गोरी जांघें और उसके बीच भूरी चूत पर लगा सफ़ेद दही ऐसा लग रहा था मानो कोई पेंटर जीवंत पेंटिंग करना चाहता हो।

बहरहाल बकचोदी छोड़ के मुद्दे पर आते हैं, मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए दही को अपनी जुबान से चाटने लगा, सच बता रहा हूँ आपको, दही का स्वाद मानो हज़ार गुना बढ़ गया हो और थोड़ी देर बाद जब उसकी सिसकारियों के साथ चूत से जो पानी का रिसाव चालू हुआ तो अनुभव आप सोच नहीं सकते कि कैसा रहा होगा। जब उसके पानी का रिसाव दही मैं मिक्स हो रहा था और मैं और ज्यादा मजे से चाटने लगा तो वो स्वाद मैं आपको बयाँ नहीं कर सकता। बस ऐसा लग रहा था कि दही में कोई नमकीन शरबत घोल कर चाटने को दे रहा हो।

वो इस दही की चटाई में ही दो बार झड़ चुकी थी और मैं था कि उस एहसास का अनुभव करना चाहता था जब औरत की चूत का सारा दम निकल जाये और हमारा सब्र तब भी जिन्दा हो ताकि सुकून से चुदाई का मजा लिया जा सके।

फिर मैंने जैम को उसकी चूत पर अच्छे लगा कर कुल्फी जो फ्रिज से हाल ही में निकाल के लाया था उसकी चूत में घुसाने लगा, चूत की गर्मी को कुल्फी की ठंडक से शांत करने के लिए 30 सेकिंड कुल्फी चूत में डालता और जब ठंडी ठंडी कुल्फी गरम गरम चूत में जाकर पिघलती तो उसे जीभ से अन्दर तक डाल कर चाटने लगता। पूरी कुल्फी और जैम मैंने चाट चाट के समाप्त कर दिए और हेतल की हालत ऐसी हो गई कि किसी ने चूत की गहराई में छिपा हुआ पानी का एक-एक कतरा निकाल लिया हो। वो मुझ से चुदाई की भीख मांगती रही- जान निकल जायेगी मेरी, प्लीज़ लंड डाल दो अब।

उसकी कमर के झटके पिछले 30 मिनट से लगातार चल रहे थे। फिर मैंने चूतनगरी छोड़ कर बोबों पर निगाहे डाली। बोबों पर चोकलेट सीरप डाल के उन्हें 5 मिनट तक चाटता रहा।

फिर वो बोली- अब मुझमें जान नहीं बची है, जो करना है जल्दी कर लो!

तो मैंने अपना लंड जो इतना भीग चुका था कि किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी, को चूत पर रखा और चूत जो चाटने की वजह से नर्म होकर गीली हो चुकी थी वो तुरंत ही गप के साथ लंड को पूरा अपने में समां ले गई।

चुदाई के धक्के फिर से लगने लगे। क्योंकि मेरा यह दूसरा राउण्ड था तो मैं लगभग 20 मिनट फिर से सुकून से चुदाई करता रहा और जब पानी निकलने लगा तो उसके मुँह में निकाल दिया। वो भी पानी को इतना ही स्वाद लेकर पी गई जितना स्वाद लेकर मैं उसकी फ़ुद्दी चाट रहा था।

हम दोनों अलग हुए और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।

मैं सोच रहा था कि अभी तो दूसरी मैडम की पूरी रात चुदाई करनी है, यह सोच कर ताकत के लिए थोड़ा जूस मंगवाया और पीकर तैयार हो गया।

हेतल भी खिली खली नजर आ रही थी मानो असली चुदाई के बाद खिल गई हो।

सच कहते हैं कि चुदाई के बाद दिल और दिमाग भी एकदम टेंशन फ्री हो जाते हैं। ऐसा ही मुझे लग रहा था।

फिर हेतल से मैंने अनुभूति के बारे में पूछा कि वो फ्री हुई या नहीं?

उसने मुझे अनुभूति के फ्लैट पर छोड़ आने की बात कह कर कार निकाली और हम चल दिए अनुभूति के घर की तरफ…

शाम के 7 बजे थे, हेतल मुझे अनुभूति के घर छोड़ के मुझसे मेरा नंबर लेकर चली गई और जाते जाते यह वादा लेकर गई कि जब भी वो बुलाएगी मैं जरूर आऊँगा।

मैंने भी व्यंगात्मक स्वर में कह दिया- हेतल, इस शानदार चुदाई की अबकी बार फीस लगेगी।

वो मुस्कुरा कर यह बोलती हुई चल दी- आज जैसी शानदार सुकून वाली चुदाई के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।

खैर मैंने अनुभूति के दरवाज़े की घण्टी बजाई और मैडम वही स्किन टच सलेक्स पहने हुए डार्क लिपस्टिक लगाए हुए थी, मैं देखता रह गया।

वो बोली- सर अन्दर तो आइये, देख बाद में लेना।

मैं अन्दर आया, उसने दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया और बोली- मैं चेंज करके आती हूँ, आप बैठिये।

मैं बोला- आप सुबह से कहाँ थी, मैं कब से आप का वेट कर रहा था, हेतल जी के घर पर बैठा के बोर हो गया था।

मैंने वैसे ही अंजान बनते हुए कहा।
तो वो बोली- मैं दिन भर पापा के साथ थी, अभी वो जामनगर गए हैं तो मैं अब बिल्कुल फ्री हूँ।
और मुझसे बोलने लगी- आपको देख कर लगता तो नहीं कि हेतल ने आपको बोर किया होगा।

उसकी इस व्यंगात्मक बात में शरारत सी नजर आई मुझे। तो जैसे कि मुझे हेतल ने बताया था कि उसने सारी बात अनुभूति से कर दी है, रात भर अनुभूति की चुदाई का जश्न मनाना है, इस बात को ध्यान में रख कर मैंने शरारती बनते हुए अनु से पूछा- आप चेंज क्यों करना चाहती हैं? अच्छी तो लग रही हैं इन स्किन टच सलेक्स में!

यह सुनते ही वो मुस्कुराई तो मैंने दूसरा तीर छोड़ दिया, मैंने कहा- अनु जी, यहाँ बैठिये, मेरे पास ज्यादा वक़्त नहीं है, मुझे वापस शहर जाना है, जल्दी से बात कर लेते हैं।

तो वो बात रिकवर करते हुए बोली- हेतल ने तो बताया था कि आप आज रात यहाँ रुकने वाले हैं, और इस कारण से मैंने सारे इंतजामात कर रखे हैं।

मैं बोला- ठीक है जी, मैं रुक जाता हूँ।

वो बोली- हेतल बता रही थी कि आपकी प्लानिंग बहुत अच्छी होती है, आज आप रात भर मुझे प्लानिंग करना बताएँगे।

मैंने कहा- वो सब तो ठीक है, पहले डिनर हो जाये?

अनू बोली- हम्म चलिए, आपके पास ज्यादा टाइम नहीं है, आप नहा लीजिये, मैं तब तक खाना लगा देती हूँ, फिर हम अपना सेशन शुरु करेंगे।

मैंने हलकी सी मुस्कराहट दी और नहाने चला गया।

मैं सोच रहा था कि चुदाई तो शायद एक घंटे बाद शुरू करेंगे, तब तक गर्म पानी से शावर ले लूँ। यही सोच कर मैं शावर लेने लग गया।

अनु थोड़ी देर बाद आई और मुझसे बोली- शम्पू चाहिए क्या?
मैंने कहा- दे दो।

मैंने जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोला, अनु को देखता ही रह गया और पप्पू अपनी नींद तोड़ कर खड़ा हो गया।

मैंने फ्रेंच चड्डी पहनी हुई थी और अनु ने वही स्किन टच सलेक्स पहनी हुई थी मगर ऊपर सिर्फ ब्रा थी, टॉप वो निकाल चुकी थी।

आप जानते हैं कि जब लंड बड़ा हो तो चड्डी उसे संभाल नहीं पाती है और वो बाहर निकल आता है, ठीक ऐसा ही मेरा साथ हुआ, मेरा लंड देखते ही उसकी नजर मेरी चड्डी पर रुक गयी और मेरी उसकी सलेक्स पर।

मैं हिम्मत करके बोला- अन्दर आ जाओ अनु।

तो वो मुस्कुराते हुए अन्दर आ गई, मैंने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर दिया और झट से अपनी फ्रेंच चड्डी निकाल दी और नीचे झुक कर उसकी सलेक्स को चाटने लगा, कभी जांघों पर, कभी चूत के पास, कभी पिंडलियों पर!

थोड़ी देर बाद उसने अपने आप ही सलेक्स निकाल दी और मैंने उनकी चड्डी निकाल फेंकने में टाइम नहीं लगाया। सीधे मेरी नजर उसकी चूत पर गई, चूत आज भी ऐसी ही थी जैसी नई या कम चुदी चूत होती है। साथ ही जहाँ मैंने हेतल की बाल रहित चूत का मजा लिया था तो यहाँ हल्के-हल्के बाल उसकी चूत की शोभा बढ़ा रहे थे।

वैसे तो दोस्तो, चूत किसी भी स्थिति में हो, अच्छी ही लगती है, हर चूत की झांकी की अपनी एक बात है और झांट के बाल चूत का श्रृंगार हैं।

उसकी चूत भी एकदम मस्त लग रही थी, मैंने उससे कहा- आपको पता है, हेतल और मैंने।।।

इतने में वो बोली- मुझे सब पता है, और मैं भी वैसे ही चुदना चाहती हूँ मगर सुकून से, पूरी रात है हमारे पास।

मैंने कहा- फिर एक बार सीधे चुदाई कर लेते हैं बाकी काम बाद में खाने के बाद कर लेंगे।
वो बोली- ठीक है।

और मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ लगाया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी ऊपर से शावर का गरम गरम पानी!
उसने कहा- मेरी एक शर्त है!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- तुम्हें मेरा मूत पीना पड़ेगा, वो भी चाट चाट कर!
मैंने कहा- ठीक है!

और मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ लगाया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी ऊपर से शावर का गरम गरम पानी!
उसने कहा- मेरी एक शर्त है!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- तुम्हें मेरा मूत पीना पड़ेगा, वो भी चाट चाट कर!
मैंने कहा- ठीक है!

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई और धीरे धीरे जीभ को अन्दर बाहर करने लगा और वो धीरे धीरे थोड़ा-थोड़ा पेशाब मेरी जीभ पर छोड़ती गई।

सही बता रहा हूँ कि मजा आ गया! जो टेस्ट आ रहा था उससे मेरी कामोत्तेज़ना और बढ़ गई। उसने सिसकारियाँ लेनी चालू कर दी थी- आःह्ह ऊई उई ईई हुम अह्ह्हह!

और चूत से चिकना चिकना पानी पेशाब और मेरी जीभ तीनों एकजुट हो चुके थे। मैं सब कुछ पी गया और चिकनी चूत पर लंड टिका के धीरे धीरे अन्दर डालने लगा।
अकसर हम कहानियों में पढ़ते हैं कि उसने एक झटके से लंड डाल दिया।
लड़की हो या औरत, एक झटके में डालने से उसे थोड़ा दर्द होता ही है।और वो साथ देने लगी, जब पूरा अन्दर दाल दिया तब मुझसे बोली- आपने कंडोम नहीं लगाया?
मैंने कहा- मैं लाया नहीं हूँ।

फिर वो बोली- होने को तो मेरे पास पड़े हैं कंडोम, मगर अब मजा आ रहा है, छोड़ कर नहीं जा सकती, तुम अन्दर ही निकाल देना, मैं पिल खा लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर बोली- रात भर जब भी करो अन्दर ही निकालना!
मैंने कहा- ओके!

और धीरे धीरे झटके देता रहा। उसकी आवाज़ बढती जा रही थी अह अहह उई ईईई हुम्म्म उई हुम्म्म ईई हम्म तेज्ज करो नाआ आ!

साथ ही लंड की चिकनी चूत में जाने की गप्प गप्प की आवाज़ आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा कर तेज़ झटके दिए और सारा माल उसकी चूत के अंतिम गहराई में डाल दिया।

वो भी शांत हुई और हम दोनों शावर में नहा कर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे, फिर दोनों एक ही तौलिये में लिपट कर बाहर निकले और मैं जैसे ही कपड़े पहनने जाने लगा, वो बोली- रहने दो ना! आज रात कोई जरूरत नहीं है इस दायरे की।

हम दोनों नंगे ही बैठ कर खाना खाने लगे।
खाना खाकर मैं बिस्तर पर लेट गया, वो बोली- मैं नीचे के साफ़ बाल करके आती हूँ, रात को तकलीफ नहीं होगी।

अनु बाथरूम में चली गई, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो उसके गोरे बदन पर काली चूत की कालिमा जा चुकी थी और उसकी जगह भूरे रंग के छोटा सा दाना लिए हुए शानदार चूत थी।

चूत तो वाकई शानदार और डबल रोटी की तरह फूली हुई लग रही थी, मैं देर न करते हुए तुरंत ही उसकी चूत को किस करने के लिए आगे बढ़ गया। उसकी चूत को देखते ही फिर से चूत में रसोई खोलने का विचार बन गया।
अपना क्या था, उससे बोला- घर में शहद और रूहअफजा है?
वो बोली- हाँ है।

मैंने तुरंत उससे दोनों चीजें मंगवा ली, मैंने उससे पूछा- क्या पसंद है?
वो बोली- मैं रूहअफजा के साथ तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ।

मैंने तुरंत लंड को रूहअफजा में नहलाया और उसकी चूत में अन्दर तक शहद और रूहअफजा को उंगली से तर किया और 69 की स्थिति में लेट गए, दोनों ने चुसाई चालू की।

मेरे लंड का पानी और रूहअफजा का स्वाद उसे जन्नत का एहसास करवा रहा था और मैं चूत को पूरा स्वाद लेकर चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मैं अब चुदाई का इच्छुक हूँ।

तो जैसे कि वो तड़प रही थी और पानी का आलम इस तरह बहा चुकी थी कि बेडशीट पर लग रहा था कि किसी ने चाशनी गिरा रखी हो।

मैंने तुरंत ही भीगा हुआ लंड उसकी साफ़ चिकनी भीगी हुई चूत पर रखा तो लंड ने अपना रास्ता खुद ही ढूंढ लिया और गप्प की आवाज के साथ अन्दर घुस गया।

हमारे झटके पुरजोर चलते रहे, वो नीचे से खुद भी झटके देकर बराबर का साथ दे रही थी और भांति भांति की कामुक आवाज निकाल रही थी।

अंततः उसने मुझे कमर से जोर से पकड़ा और मेरे लंड के ऊपर इस तरह जोर लगाने लगी कि मुझे लगा कि आज तो मेरे आण्ड भी चूत की सैर कर लेंगे।

और चूत से कुछ रिसाव जैसा महसूस हुआ जो गर्म था।

मैंने, जैसे कि मैं चूत चाटने का शौकीन हूँ, तुरंत ही लंड निकाल कर मुँह में पूरे रस को चाट लिया और फिर से अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ दिया, पूरा माहौल मस्त था, फिर लंड को उस अद्भुत पानी में और नहलाया और पेल दिया चूत में!

तेज़ झटके के साथ मैं भी झड़ गया। पूरी रात ऐसा ही चटाई-चुदाई का माहौल बनता रहा। तीन ट्रिप के बाद मैं थक गया और सुबह जल्दी उठ कर उसे एक ट्रिप का आनन्द देकर मैं वहाँ से चला आया।

वो आज भी मुझे कॉल करती है मगर अब मन करता है की किसी ऐसी महिला की प्यास बुझाऊ जो वाकई जरूरतमंद हो।

End
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All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 11:44 AM
RE: All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 03:56 PM



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