13-08-2021, 12:16 PM
आंटी और उनकी बेटी का प्यार और चूत चुदाई :----
प्रणाम दोस्तो.. मैं सैम आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर आया हूँ। पिछली कहानी मामा की लड़की की चूत चुदाई को बहुतों ने पसंद किया.. आप सभी का शुक्रिया।
मैं एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था.. जिस कारण से मुझे जगह-जगह जाना पड़ता था.. जिसमें कि कभी-कभी बहुत दिन भी लग जाते थे.. और कभी कुछ काम जल्दी भी हो जाते थे।
नवम्बर 2012 की बात है, इस बार मुझे कुछ ज्यादा ही दिन के लिए काम के सिलसिले में दूसरी जगह जो कि एक गांव था.. उसमें जाना पड़ा, जहाँ मुझे एक महीना रुकना पड़ा था।
मैं सुबह बस से वहाँ के लिए निकल गया। मेरी कम्पनी ने मेरे रहने-खाने की व्यवस्था कर दी थी।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उन सबने मेरा स्वागत किया। मुझे भी अच्छा लगा कि कम्पनी ने मेरी अच्छी जगह पर व्यवस्था की है। वहाँ पहुँचने के बाद सबसे मेरा परिचय हुआ..
जिस घर में रहना था.. वहाँ पर 4 सदस्य रहते थे, अंकल राजेश यादव 50 वर्ष.. आंटी रुक्मणी यादव, 42 वर्ष और उनके 2 बच्चे निक्की 20 साल और बंटी 18 साल के थे।
उनका घर बहुत बड़ा हवेली जैसा था, अंकल वहाँ के जमींदार थे, उनका शौक भी नवाबी था.. दारू हुक्का बहुत पीते थे।
बंटी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया। फ्रेश हो कर मैं अंकल से मिलने गया और साईट के बारे में पूछा.. तो अंकल ने मुझे साईट के बारे में बताया।
मैं बोला- साईट देखने जाना है।
वो बोले- खाने के बाद जायेंगे.. ठीक है।
इतना बोल कर वे चलने लगे। फिर मैं उनकी हवेली देखने के लिए उनको रोक कर पूछने लगा.. तो उन्होंने बंटी को आवाज लगाई.. पर वो नहीं आया और उसकी जगह निक्की आई।
तो अंकल ने उससे पूछा- बंटी कहाँ है?
निक्की बोली- उसे मम्मी ने सामान लेने शहर भेजा है।
अंकल बोले- सैम को हवेली दिखा दे.. मैं थोड़ा आराम करने जा रहा हूँ।
‘जी ठीक है..’
इतना बोल कर वे चले गए। फिर निक्की मुझे हवेली दिखाने लगी और उसके बारे में बताने लगी। सब जगह एकदम बेहतरीन नजारा लग रहा था।
मैं बोला- तुम्हारा घर बहुत खूबसूरत है.. पर तुम इससे भी ज्यादा खूबसूरत हो।
तो वो गुस्से से मुझे देखने लगी.. तो मैं बोला- कुछ गलत बोला क्या?
तो वो बोली- नहीं.. लेकिन दुबारा मत बोलना.. नहीं तो पापा को बता दूँगी।
मेरी बात करने की शैली मेरे हिसाब से ठीक-ठाक है।
मैं निक्की को बोला- मैं तुम्हारी तारीफ अंकल के सामने कर दूँगा, तुम्हें बताने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी।
वो मुझे देखने लगी और हँस के चली गई।
फिर कुछ देर बाद अंकल और मैं साईट पर चले गए। साइट देख कर घर आए और शाम को सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे। अंकल ने पूछा- हवेली देख ली सैम?
मैं अंकल से बोला- आपकी हवेली देखने में बहुत खूबसूरत है और दिखाने वाली भी बहुत खूबसूरत हैं अंकल।
अंकल ने कुछ नहीं कहा।
फिर रात को खाना खाने बैठे.. सब थे पर अंकल नहीं थे.. तो आंटी से पूछा- अंकल कहाँ हैं?
तो आंटी बोली- और कहाँ गए होंगे.. गए हैं अपनी मौज-मस्ती करने.. दारू- सारू पीने के लिए..
वो बोल कर बैठ गईं और बड़बड़ाने लगीं।
वे दु:खी होकर रोते हुए चली गईं।
मैंने बंटी से पूछा- आंटी क्यों चली गईं?
तो वो बोला- पापा नशे में आते हैं और मम्मी को मारते हैं.. जिसके कारण मम्मी परेशान रहती हैं। तुम खाओ इनका रोज का यही हाल है।
फिर मैं बंटी और निक्की खाना खत्म करने के बाद उठ गए।
जाते वक्त मैंने बंटी को बोला- खाना बहुत लज़ीज़ था, किसने बनाया था?
बन्टी बोला- निक्की ने खाना बनाया था।
मैं निक्की से बोला- निक्की जी.. आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए शुक्रिया।
निक्की बोली- आप हमारे मेहमान हैं और मेहमान-नवाजी में हम कोई कमी नहीं करते हैं।
फिर हम लोग सोने चले गए।
देर रात को अंकल जी आए और अंकल-आंटी के बीच में बहुत झगड़ा हुआ। आवाजें सुनाई दे रही थीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने बाहर जाकर देखा.. निक्की बन्टी बाहर बैठ कर रो रहे थे।
मुझे बुरा लगा.. मैं उनको साथ लेकर अंकल के कमरे में गया और उनको डांटने लगा और बच्चों को रोते हुए दिखाया। बच्चों को देख आर उनके आँख में आँसू आ गए.. वो सीधे सोने चले गए।
अब आंटी को उन्होंने बहुत मारा था.. जिस कारण से वो ठीक से नहीं चल पा रही थीं। हम तीनों ने आंटी को सहारा देकर कमरे में लेकर आए और उन्हें बिस्तर पर बिठा दिया, निक्की ने उनको पानी दिया।
आंटी पानी पीने के बाद कुछ देर बैठी रहीं.. और बन्टी व निक्की के साथ उनके कमरे में चली गईं।
मुझे भी सोने जाने को बोलीं.. मैं अपने कमरे में चला गया.. और सो गया।
मैं सुबह 6:30 पर उठा.. तो निक्की मेरे कमरे में चाय लेकर आई। मुझे विश किया और चाय देकर चल दी। क्या क़यामत लग रही थी.. मन कर रहा था कि वहीं पकड़ कर चोद दूँ.. उसे देख कर लण्ड खड़ा हो गया था। मैं निक्की की याद में बाथरूम में जाकर मुठ्ठ मारने लगा।
निक्की का फ़िगर 34-30-36 का था। क्या गदराया जिस्म था.. तन-मन में आग लगा दे।
आधा घंटे तक निक्की की याद में 61-62 निक्की-निक्की करते-करते मुठ्ठ मार के फ्रेश होकर आया।
तभी बन्टी नाश्ते के लिए बुलाने आया नाश्ते की टेबल में निक्की से मुलाकात हुई, मैं उसे देख कर मुस्कुरा दिया.. उसने भी मुझे देख़ कर स्माइल दी।
मैं और बन्टी साथ में बैठे थे, आंटी शायद अभी भी सोई हुई थी।
मैंने बन्टी से पूछा.. तो बन्टी ने बताया- मम्मी को बुखार आ रहा है।
‘और अंकल कहाँ हैं?’
बन्टी बोला- वो सुबह-सुबह दूसरे गांव चले गए हैं। वहाँ कोई रिश्तेदार खत्म हो गया है.. इसलिए वो गए हुए हैं। वो 7 दिन के बाद आएंगे।
‘और तुम लोग वहाँ जाओगे या नहीं?
बन्टी बोला- मैं और निक्की कल जायेंगे.. आज हमारा अर्धवार्षिक पेपर खत्म होने वाले हैं।
‘और आंटी कैसे करेंगी?’
बोला- माँ की तबियत ख़राब है.. और पापा और माँ का झगड़ा हुआ है.. तो वो घर पर ही रहेंगी और तुम भी तो हो उनका ख्याल रखने के लिए।
‘हम्म..’
‘अच्छा.. अब हम कॉलेज चलते हैं.. पेपर को लेट हो जाएँगे।’
वो दोनों कॉलेज चले गए.. रह गए मैं और आंटी।
आंटी सोई हुई थीं.. मैं गया.. उनको बताने के लिए कि मैं साईट पर जा रहा हूँ। पर आंटी बेसुध सोई हुई थीं.. उनका पेटीकोट ऊपर उठा हुआ था। जिसके कारण उनकी पैंटी दिखाई दे रही थी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया..
तभी आंटी भी जाग गई थीं.. उन्होंने मेरे लण्ड को उभरे हुए देख लिया और सोने का नाटक करने लगीं.. मैं कमरे में थोड़ा अन्दर जाकर आंटी के बदन को निहार कर देखने लगा। उनका मस्त उभरा हुआ सीना जिस में ब्लाउज़ से ढके हुए उनके मम्मे तने हुए थे।
फिर मैंने बाहर आकर आंटी को आवाज़ दी- आंटी मैं साईट पर जा रहा हूँ।
ऐसा बोल कर मैं साईट पर चला गया और जब वहाँ भी मेरा मन नहीं लगा.. तो जल्दी ही घर वापस आ गया।
घर में आकर देखा तो आंटी इस प्रकार सोई हुई थीं कि मैं उनके पास गया तो एकदम सेक्सी नजारा दिख रहा था।
आंटी बस पेटीकोट और ब्लाउज़ पहने हुई लेटी थीं। मैंने आंटी को कामुक निगाहों से घूर कर देखा.. तो उनके पेटीकोट से सीधे उनकी चूत के दीदार हो रहे थे। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया। गजब का रोएंदार चूत थी।
मैं कमरे से बाहर आ गया और आंटी को आवाज़ देने लगा.. पर आंटी बोलीं- सैम.. मैं नहीं उठ सकती.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। क्या तुम रसोई से थोड़ा सा सरसों का तेल लाकर मेरी थोड़ी देर मालिश कर दोगे.. अगर तुमको बुरा न लगे तो?
मेरे लिए तो सोने पे सुहागा जैसा हो गया, मैं बोला- ठीक है.. आंटी लेकर आ रहा हूँ।
मैं सरसों का तेल लेकर आया और बोला- आंटी ठीक से लेट जाओ।
आंटी बोलीं- जाओ पहले दरवाज़ा बन्द करके आओ।
मैं दरवाज़ा बन्द करके आया.. बोला- आंटी तेल कहाँ लगाना है?
आंटी बोलीं- पूरे बदन में दर्द है।
मैं बोला- ठीक से लेट जाओ और कपड़ों को जरा ऊपर को कर दो।
आंटी ने लेट कर कपड़ों को ऊपर किया, मैंने तेल लगाना चालू किया। पहले मैंने उनके हाथों में लगाया.. फिर उनके पैरों में लगाया।
फिर आंटी को बोला- आंटी कपड़ों को थोड़ा ऊपर को कर दो.. नहीं तो तेल लग जाएगा.. तो कपड़े ख़राब हो जाएंगे।
आंटी बोलीं- तुम ही कर दो।
मैं खुश हो गया और उनके कपड़ों को कूल्हों तक ऊपर कर दिया। अब आंटी का पूरा भोसड़ा दिख रहा था। मैंने मालिश की.. धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को उनकी चूत में टच कर देता था.. जिसके कारण आंटी भी उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ देर बाद बोलीं- ऊपर भी तेल लगा दे न..
मैं बोला- किधर लगाऊँ.. पीठ में.. कि सीने में?
आंटी बोली- पहले अपने कपड़ा खोल दे.. फिर मेरी पीठ में लगा दे.. बाद में सीने में भी लगा देना।
मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
अब आगे..
अभी पूरा मेरा खड़ा लण्ड आंटी की गांड में लग रहा था, अब वो भी आँख बंद करके लौड़े के मजे ले रही थीं।
फिर मैंने उनसे रात के बारे में पूछा- क्यों लड़ाई कर रहे थे?
तो आंटी ने बताया- तुम्हारे अंकल का गांव की एक औरत के साथ लफड़ा है.. वो हर रात उसी कमीनी औरत के साथ अपनी माँ चुदवाता हैं.. फिर घर आता है और घर आकर साला मुझे मारता है.. 9 महीने हो गए हैं.. मादरचोद मेरा आदमी उस औरत के मायाजाल में फंस गया है, मुझ से रात को सोते समय दूर रहता है।
मैं आंटी के मुँह से गाली और उनका गुस्सा देख कर अवाक रह गया।
मैंने आंटी को बोला- क्या वो औरत आपसे ज्यादा अच्छी दिखती है?
आंटी बोलीं- हाँ.. दिखती है। कमीनी मेरी ही सहेली है.. मादरचोद मेरे घर को डुबा रही है।
फिर आंटी बोलीं- उसको छोड़.. तू मालिश क़र..
मैं आंटी की मालिश करने लगा.. मेरा हाथ उनके बगल से उनके मम्मों में टच हो रहा था।
आंटी पहले से ही उत्तेजित थीं.. अभी और ज्यादा हो रही थी। इधर मेरा उठा हुआ लण्ड उनकी गांड की दरार में बार-बार घुस रहा था.. जिससे कि आंटी और ज्यादा उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ ही देर बाद आंटी से रहा ना गया और वो बोलीं- सैम.. अब आगे भी आ जाओ ना..।
मैं साइड में पड़े तौलिया को लपेट कर आंटी को सीधा होने को बोला और वे फट से चित्त हो गईं। मैंने उनके मम्मों में तेल लगाना चालू किया। आंटी अपनी आँखों को बंद करके लगातार सिसकार रही थीं और अंकल को गाली दे रही थीं।
फिर आंटी ने अपनी आँखें खोलीं। अब मेरे तौलिया की तरफ ध्यान से देख रही थीं और तौलिया के अन्दर से मेरा लण्ड पूरे 90 डिग्री में तने हुए टेंट के खम्बे की तरह दिख रहा था।
आंटी मेरे लण्ड को तौलिया की ऊपर से छू कर देखने लगीं, वे आँख मारते हुए बोलीं- पूरा लोहा है सैम..
मैं बोला- आंटी अभी तो बस ट्रेलर देखा है.. फ़िल्म तो अभी बाकी है।
आंटी बोलीं- सैम.. तुम भी तौलिया खोल कर आ जाओ.. मैं भी तुमको तेल लगा देती हूँ।
मैं अपना तौलिया खोल कर जैसे ही आंटी के सामने आया, आंटी मेरे तने हुए लण्ड महाशय को देख कर अवाक रह गईं.. उनका मुँह खुला रह गया।
मैं बोला- क्यों.. आंटी हथियार देख कर डर लग रहा है क्या?
आंटी बोलीं- नहीं.. मुझे तो बहुत ख़ुशी हो रही है कि आज पहली बार मैं अपने पति के अलावा तुम्हारे साथ सेक्स करूँगी.. ख़ुश इसलिए हूँ कि तुम्हारा लण्ड बहुत सख्त और बड़ा है। आज मैं अपने मादरचोद पति से बदला लूँगी.. वो मेरे सहेली के साथ चुदाई करता है ना.. आज मैं तेरे साथ चुद कर उससे बदला लूँगी।
ऐसा बोल कर वो मेरे लण्ड को पकड़ के खेलने लगी।
मैं बोला- आंटी आप बहुत गाली देती हो..
तो आंटी बोलीं- सैम.. आज 21 साल के बाद मुँह खुला है। उसमें भी सीधा तुम्हारा लण्ड मुँह में है..
ऐसा बोल कर वो सीधा मेरे लण्ड को मुँह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
बोलीं- सैम तेरा लण्ड बहुत सख्त है रे.. आज ये तो मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। तेरे अंकल का लण्ड 5″ ही लम्बा है और केवल मोमबत्ती के बराबर 1.5 इंच मोटा है.. पर तेरा तो 8″ का है और मोटा भी 3 इंच है.. सैम आ जा.. मेरा दूध पी ले.. बहुत मालिश कर ली सैम.. अब आजा.. मत तड़पा.. मेरे सैम..
मैं आंटी से बोला- आंटी तेरी तो आज मस्त तरीके से चूत मारूँगा.. आज तेरा सब दर्द दूर क़र दूँगा मादरचोदी।
आंटी- ओ तेरी तो.. ले दूध चूस हरामी..
मैंने उसके मम्मों को पीना चालू कर दिया। उसके निप्पलों से खेलते हुए एक हाथ से उसकी चूत की भग को मसलने लगा.. जिससे आंटी और उत्तेजित होने लगीं। वो मेरे लण्ड को जोर-जोर से चूसने लगीं.. लगता था जैसे पूरा लौड़ा कच्चा खा जाने का विचार हो।
बस मेरा लौड़ा उनके मुँह में आधा ही जा पा रहा था।
‘सैम.. आह्ह.. अब और अन्दर नहीं जा रहा है.. अब मत तड़पा.. आजा मेरे चूत का भोसड़ा बना दे.. सैम आ जा..’
‘रुक जा मादरचोद आंटी.. आ रहा हूँ तेरी चूत का भोसड़ा बनाने..’
मैंने आंटी की चूत में अपना लण्ड सैट किया.. थोड़ा सा धक्का दिया.. पर नहीं गया.. क्योंकि बहुत दिनों से नहीं चुदी थी.. तो रास्ता बन्द हो गया था।
मैं पास से क्रीम उठा लाया और लण्ड में और चूत में क्रीम लगा कर आंटी की चूत में लौड़ा सैट करके.. एक जोर का झटका मारा.. आंटी चीखती हुई बोलीं- सैम रुक जा.. सैम बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. थोड़ा धीरे कर…
मैं बोला- साली मादरचोदी.. रंडी आंटी.. चूत का भोसड़ा बनाने को बहुत बोल रही थी.. अब क्या हुआ .. फट गई मादरचोद।
मैंने और एक बमपिलाट धक्का फिर से लगा दिया.. इस बार पूरा लण्ड चूत के अन्दर जा चुका था। आंटी के पैर थरथरा रहे थे.. जिस कारण से मुझे कुछ देर रुकना पड़ा।
थोड़ी देर बाद आंटी अपनी गांड ऊपर उठा के हिला रही थीं। मैं भी अब आंटी के निप्पल को चूसते हुए धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।
आंटी बोलीं- आह्ह.. चोद.. सैम बना दो इस चूत का भोसड़ा.. भैन की लौड़ी ने बहुत तड़पाया है मुझे.. आज पूरा मिटा दे इसकी प्यास को.. आह्ह.. मेरे सैम.. आज से तू ही है सब कुछ मेरा.. अब तेरे अंकल को बताती हूँ.. चोदो सैम.. चोदो आआ आआअहह.. सैमम्म म्मम.. आईईई ईईईई..
आंटी सिसकारते हुए मेरे पीठ को नाखूनों से खरोंचते हुए बड़बड़ाए जा रही थीं, मुझे 10 मिनट से ज्यादा हो चुका था, आंटी शायद झड़ चुकी थीं.. लेकिन मेरे झड़ने की बारी नहीं आई थी।
थोड़ी देर बाद मैं चिल्ला उठा- आंटी मेरा निकलने वाला है कहा निकालु ?????..
आंटी बोलीं- आ जा.. बहुत दिनों से मेरी चूत प्यासी है.. उसी में डाल दे.. आह्ह!
मैंने कहा - आप पेट से हो गई तो ??????
आंटी बोलीं- घबरा मत.. मेरा नसबंदी का ऑपरेशन हो चुका है.. कोई घबराने की बात नहीं है।
मैं आंटी की चूत में ही झड़ गया। मेरा पूरा माल उसकी बच्चेदानी के अन्दर तक पहुँच गया।
कुछ देर लण्ड को आंटी की चूत के अन्दर ही रख कर हम दोनों वैसे ही लेटे हुए थे।
आंटी बोलीं- सैम, कितने बजे हैं?
मैंने बताया- दो बज चुके हैं।
आंटी बोलीं- निक्की और बन्टी 1 बजे तक आ जाते हैं आज पता नहीं क्या हुआ।
दोनों उठ कर बाहर आए तो बस निक्की आई थी और अपनी कच्छी खोल कर अपनी चूत को हाथ से सहला रही थी। साथ ही वो एक हाथ से अपने चूचे दबा कर सिस्कार रही थी। शायद उसने हमारे चुदाई समारोह को देख लिया था और वो उत्तेजित हो गई थी। वो अपनी आँखों को बन्द करके एक ऊँगली अपनी चूत में डाल रही थी।
मैंने आंटी की तरफ देखा.. तो आंटी बोलीं- लगता है इसको हमारे बारे में पता चल गया है.. अब क्या करें सैम?
मैंने आंटी से कहा- इसे भी अपने ग्रुप में मिला लेते हैं आंटी.. नहीं तो आपकी बदनामी हो जाएगी।
आंटी बोलीं- यह मेरी बेटी है.. उसके साथ मैं कैसे ये सब करवा सकती हूँ।
मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’
मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।
मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’
मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।
अब आगे..
मैं निक्की को अपनी बाँहों में उठा कर उसके होंठों को चुम्बन करने लगा, वो अपने मुँह से कुछ भी नहीं बोल पा रही थी, मैं उसे उठा कर आंटी के कमरे में ले गया।
वहाँ आंटी पानी लेकर खड़ी थीं, मैं बेहताशा निक्की को चुम्बन कर रहा था.. निक्की लगातार गर्म हो रही थी, उसका श्वास गति बढ़ रही थी।
वो बोली- सैम आई लव यू.. पर तुमने मुझे धोखा दिया है..
मैंने उसे सब समझाया.. तो वो समझ गई.. और मुझसे लिपट गई।
आंटी भी मुझसे लिपट गईं।
फिर मैंने निक्की.. को नंगी करके उसके बदन को ध्यान से निहारा। उसका मस्त 32-24-34 का फ़िगर.. पतली कमर.. सीना और गांड फूला हुआ.. एकदम कामिनी लग रही थी, उसकी आँखें गोल-गोल.. काला सुरमा लगा कर और भी नशीली लग रही थीं।
वो इस वक्त ऊपर से नीचे तक पूरी कयामत लग रही थी।
मैंने उसे अपनी तरफ खींचते हुए सीधा उसके होंठों को चुम्बन करने लगा। एक हाथ से मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और एक हाथ से मैं उसकी भग को छेड़ रहा था। उसकी गुलाबी अनछूई चूत एकदम मस्त लग रही थी।
निक्की से अब रहा नहीं जा रहा था.. पर उसे पूरा गर्म करना जरूरी था।
आंटी नीचे बैठ कर मेरे लण्ड और अन्डकोषों को चूस रही थीं। मेरा लण्ड भी तन गया था..
निक्की सिसकारते हुए बोली- सैम.. मेरी जान और मत तड़पा.. डाल दे तेरे लण्ड को मेरी चूत में.. तोड़ दे सील इसकी..
पर अभी तक निक्की का ध्यान मेरे लण्ड पर नहीं गया था। उसे मैंने बिस्तर पर लिटा कर अपने लण्ड को उसके मम्मों से रगड़ते हुए.. उसके मुँह में डाल दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और निक्की की कुंवारी चूत का स्वाद लेने के लिए उससे उठने वाली महक बहुत मस्त थी। मैं उसे चूसने लगा।
निक्की बोली- सैम.. इतने बड़े लण्ड से मैं तो मर जाऊँगी।
मैं बोला- तेरी माँ तो नहीं मरी मादरचोद.. बड़ी आई तू मरने वाली।
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया और निक्की से अब सहन के बाहर हो गया, उसके पैर काँपने लगे, वो मेरे सर को अपनी चूत में दबाने लगी और ‘उईईईई ईईईई..’ चिल्लाते हुए झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैं आंटी के साथ काम-क्रीड़ा करने लगा और इधर निक्की हम दोनों को देख कर फिर से जोश में आ गई।
मैंने आंटी को क्रीम लाने को बोला.. आंटी लेकर आईं और लण्ड और निक्की चूत में ढेर सारी क्रीम लगा दी ताकि लण्ड अच्छी तरह से फिसल कर चूत में सटासट चले..
अब मैंने लण्ड को उसकी कुँवारी चूत में सैट किया और सील तोड़ने को एकदम रेडी हो गया, आंटी भी उसके सर के पास जा कर उसे सहला रही थीं।
अब मैंने एक बार झटका दिया.. नहीं गया.. दुबारा जोर से झटका दिया.. लण्ड चूत को चीरता हुआ 2 इंच अन्दर चला गया। निक्की जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों से आँसू निकल आए, उसके पैर अकड़ गए.. वो थरथरा रही थी।
लगभग 5 मिनट रुकने के बाद उसको चुम्बन करते हुए थोड़ी देर निक्की के रिलैक्स होने तक रुक कर मैं कभी आंटी के दूध को दबाता.. तो कभी निक्की के समोसे मसकता।
निक्की के रिलेक्स होने के बाद चुम्बन करते हुए मैं बहुत जोर से झटका मारते हुए लण्ड को अन्दर घुसाने लगा। अबकी बार लण्ड 6 इंच अन्दर चला गया, निक्की का शील भंग करते हुए लण्ड पूरा अन्दर चूत की जड़ तक पहुँच गया था।
निक्की का मुँह मेरे मुँह से दबा था.. उसके चीख़ नहीं निकली.. पर उसका शरीर पूरा कांप रहा था.. निक्की को पानी पिलाने के बाद.. करीब 15 मिनट रुकने के बाद निक्की का दर्द कम हुआ। फिर वो अपनी गांड हिलाने लगी.. तो मैंने भी अब चोदना चालू किया।
पहले एक बार मेरा पानी आंटी की चूत में निकल चुका था.. तो इस बार लण्ड ने पानी निकालने के लिए बहुत समय लिया।
आंटी और निक्की को ऊपर-नीचे लिटाकर बारी-बारी से मैंने लण्ड को दोनों की चूतों की चुदाई में लगा दिया। दोनों को खूब मजा आ रहा था।
आंटी थक गईं तो अपनी गांड हिलाते हुए उठ कर पानी पीने चली गईं।
अब मैंने निक्की से पूछा- बन्टी कहाँ गया?
तो निक्की बोली- वो टीचर के साथ रुक गया है.. शाम को 5 बजे तक आएगा।
‘ओके..’
फिर मैं निक्की को बेफिक्र होकर धकापेल चोदने लगा। निक्की सिसकार रही थी.. उसके मुँह से कामुक शब्द निकल रहे थे ‘सैमम्मम्म लव यू जानू.. चोदो मुझे.. चोदो.. मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ।’
अब मैंने निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कहा और उसके पीछे से लण्ड डालने लगा।
मेरा पूरा लण्ड अन्दर जा रहा था। निक्की को दर्द अभी भी थोड़ा-थोड़ा हो रहा था। थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था।
मैंने निक्की को बोला- कहाँ निकालु ..?
वो बोली-.. अन्दर ही निकाल दो.. पहली बार ही चुदी हूँ.. और चूत को प्यासी नहीं रख सकती।
मैंने अन्दर ही माल डाल दिया। फिर थोड़ी देर बाद आंटी आईं.. निक्की और आंटी दोनों नंगी थीं और मैं भी नंगा था।
मैंने दोनों को अपने अगल-बगल लिटाया और दोनों को सहलाते हुए प्यार करने लगा।
फिर कुछ देर बाद आंटी कुछ खाने को लेकर आईं.. हम सभी ने खाया।
बन्टी के आने के बाद तैयार होकर बाहर घूमने चले गए।
रात को खाना आदि खा कर सब सोने चले गए। रात के 12 बजे निक्की मेरे कमरे में आई और मैंने उसको पकड़ कर चुम्बन करते हुए उसके कपड़े उतार कर उसके दूध पीने लगा। वो मेरे लण्ड को निकाल कर खूब सहला रही थी और चूसने के लिए अपने मुँह के पास ले रही थी.. तो मैं लौड़े को थोड़ा इधर-उधर कर रहा था।
फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गए और एक-दूसरे के अंगों को चूसने लगे।
निक्की और मैं दोनों अब उत्तेजित हो गए थे। निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कह कर मैंने पीछे से लण्ड को उसकी चूत में डालने लगा.. पर जा नहीं रहा था। फिर थोड़ा सा क्रीम लगा कर चूत में लौड़ा डाल ही दिया। अब भी थोड़ा टाइट जा रहा था.. पर कुछ देर में आसानी से चला गया.. थोड़ा सा खून निकल आया।
फिर पीछे से उसके मम्मों को दबाते हुए मैं आधा घंटे तक उसको चोदता रहा। इसके बाद निक्की को सीधा चित्त लिटा कर उसके ऊपर से लण्ड को चूत में डाल कर चुदाई करने लगा।
अबकी बार हम दोनों देर तक चुदाई करते रहे। निक्की इस बीच झड़ चुकी थी और मेरा निकल गया था.. पर जोश के कारण पता नहीं चल रहा था।
थोड़ी देर रुक कर निक्की चली गई। उसके जाने के बाद मैं सो गया और सुबह 10 बजे नींद खुली, देखा कि आंटी मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं।
मैंने बन्टी के बारे में पूछा.. तो आंटी बोलीं- वो कॉलेज चला गया।
‘और निक्की?’
आंटी बोलीं- निक्की नहा रही है..
‘ओके.. आंटी.. तो मैं भी थोड़ा फ्रेश हो जाता हूँ।’
मैं आंटी को चुम्बन करके सीधे निक्की के कमरे वाले बाथरूम में गया और दरवाजा खटखटा कर अन्दर घुस गया। मैंने निक्की को चुम्बन करके वहीं पर उसे चोदना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद आंटी भी आ गईं। उन दोनों को शॉवर चालू करके मैंने खूब चोदा.. दोनों को शांत कर दिया।
मुझे भी दोनों ने निचोड़ लिया था।
मैं वहाँ काम के सिलसिले में पूरे 2 महीने रुका था और आंटी और निक्की के साथ पूरी अय्याशी की। आते वक़्त आंटी ने मुझे 15 हजार रूपये दिए और मुझे बीच-बीच में आने को बोला।
मैं अब भी वहाँ जाता हूँ और निक्की की शादी तक उसको चोदता रहा और उसके बाद भी उसको चोदता रहा।
End
प्रणाम दोस्तो.. मैं सैम आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर आया हूँ। पिछली कहानी मामा की लड़की की चूत चुदाई को बहुतों ने पसंद किया.. आप सभी का शुक्रिया।
मैं एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था.. जिस कारण से मुझे जगह-जगह जाना पड़ता था.. जिसमें कि कभी-कभी बहुत दिन भी लग जाते थे.. और कभी कुछ काम जल्दी भी हो जाते थे।
नवम्बर 2012 की बात है, इस बार मुझे कुछ ज्यादा ही दिन के लिए काम के सिलसिले में दूसरी जगह जो कि एक गांव था.. उसमें जाना पड़ा, जहाँ मुझे एक महीना रुकना पड़ा था।
मैं सुबह बस से वहाँ के लिए निकल गया। मेरी कम्पनी ने मेरे रहने-खाने की व्यवस्था कर दी थी।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उन सबने मेरा स्वागत किया। मुझे भी अच्छा लगा कि कम्पनी ने मेरी अच्छी जगह पर व्यवस्था की है। वहाँ पहुँचने के बाद सबसे मेरा परिचय हुआ..
जिस घर में रहना था.. वहाँ पर 4 सदस्य रहते थे, अंकल राजेश यादव 50 वर्ष.. आंटी रुक्मणी यादव, 42 वर्ष और उनके 2 बच्चे निक्की 20 साल और बंटी 18 साल के थे।
उनका घर बहुत बड़ा हवेली जैसा था, अंकल वहाँ के जमींदार थे, उनका शौक भी नवाबी था.. दारू हुक्का बहुत पीते थे।
बंटी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया। फ्रेश हो कर मैं अंकल से मिलने गया और साईट के बारे में पूछा.. तो अंकल ने मुझे साईट के बारे में बताया।
मैं बोला- साईट देखने जाना है।
वो बोले- खाने के बाद जायेंगे.. ठीक है।
इतना बोल कर वे चलने लगे। फिर मैं उनकी हवेली देखने के लिए उनको रोक कर पूछने लगा.. तो उन्होंने बंटी को आवाज लगाई.. पर वो नहीं आया और उसकी जगह निक्की आई।
तो अंकल ने उससे पूछा- बंटी कहाँ है?
निक्की बोली- उसे मम्मी ने सामान लेने शहर भेजा है।
अंकल बोले- सैम को हवेली दिखा दे.. मैं थोड़ा आराम करने जा रहा हूँ।
‘जी ठीक है..’
इतना बोल कर वे चले गए। फिर निक्की मुझे हवेली दिखाने लगी और उसके बारे में बताने लगी। सब जगह एकदम बेहतरीन नजारा लग रहा था।
मैं बोला- तुम्हारा घर बहुत खूबसूरत है.. पर तुम इससे भी ज्यादा खूबसूरत हो।
तो वो गुस्से से मुझे देखने लगी.. तो मैं बोला- कुछ गलत बोला क्या?
तो वो बोली- नहीं.. लेकिन दुबारा मत बोलना.. नहीं तो पापा को बता दूँगी।
मेरी बात करने की शैली मेरे हिसाब से ठीक-ठाक है।
मैं निक्की को बोला- मैं तुम्हारी तारीफ अंकल के सामने कर दूँगा, तुम्हें बताने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी।
वो मुझे देखने लगी और हँस के चली गई।
फिर कुछ देर बाद अंकल और मैं साईट पर चले गए। साइट देख कर घर आए और शाम को सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे। अंकल ने पूछा- हवेली देख ली सैम?
मैं अंकल से बोला- आपकी हवेली देखने में बहुत खूबसूरत है और दिखाने वाली भी बहुत खूबसूरत हैं अंकल।
अंकल ने कुछ नहीं कहा।
फिर रात को खाना खाने बैठे.. सब थे पर अंकल नहीं थे.. तो आंटी से पूछा- अंकल कहाँ हैं?
तो आंटी बोली- और कहाँ गए होंगे.. गए हैं अपनी मौज-मस्ती करने.. दारू- सारू पीने के लिए..
वो बोल कर बैठ गईं और बड़बड़ाने लगीं।
वे दु:खी होकर रोते हुए चली गईं।
मैंने बंटी से पूछा- आंटी क्यों चली गईं?
तो वो बोला- पापा नशे में आते हैं और मम्मी को मारते हैं.. जिसके कारण मम्मी परेशान रहती हैं। तुम खाओ इनका रोज का यही हाल है।
फिर मैं बंटी और निक्की खाना खत्म करने के बाद उठ गए।
जाते वक्त मैंने बंटी को बोला- खाना बहुत लज़ीज़ था, किसने बनाया था?
बन्टी बोला- निक्की ने खाना बनाया था।
मैं निक्की से बोला- निक्की जी.. आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए शुक्रिया।
निक्की बोली- आप हमारे मेहमान हैं और मेहमान-नवाजी में हम कोई कमी नहीं करते हैं।
फिर हम लोग सोने चले गए।
देर रात को अंकल जी आए और अंकल-आंटी के बीच में बहुत झगड़ा हुआ। आवाजें सुनाई दे रही थीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने बाहर जाकर देखा.. निक्की बन्टी बाहर बैठ कर रो रहे थे।
मुझे बुरा लगा.. मैं उनको साथ लेकर अंकल के कमरे में गया और उनको डांटने लगा और बच्चों को रोते हुए दिखाया। बच्चों को देख आर उनके आँख में आँसू आ गए.. वो सीधे सोने चले गए।
अब आंटी को उन्होंने बहुत मारा था.. जिस कारण से वो ठीक से नहीं चल पा रही थीं। हम तीनों ने आंटी को सहारा देकर कमरे में लेकर आए और उन्हें बिस्तर पर बिठा दिया, निक्की ने उनको पानी दिया।
आंटी पानी पीने के बाद कुछ देर बैठी रहीं.. और बन्टी व निक्की के साथ उनके कमरे में चली गईं।
मुझे भी सोने जाने को बोलीं.. मैं अपने कमरे में चला गया.. और सो गया।
मैं सुबह 6:30 पर उठा.. तो निक्की मेरे कमरे में चाय लेकर आई। मुझे विश किया और चाय देकर चल दी। क्या क़यामत लग रही थी.. मन कर रहा था कि वहीं पकड़ कर चोद दूँ.. उसे देख कर लण्ड खड़ा हो गया था। मैं निक्की की याद में बाथरूम में जाकर मुठ्ठ मारने लगा।
निक्की का फ़िगर 34-30-36 का था। क्या गदराया जिस्म था.. तन-मन में आग लगा दे।
आधा घंटे तक निक्की की याद में 61-62 निक्की-निक्की करते-करते मुठ्ठ मार के फ्रेश होकर आया।
तभी बन्टी नाश्ते के लिए बुलाने आया नाश्ते की टेबल में निक्की से मुलाकात हुई, मैं उसे देख कर मुस्कुरा दिया.. उसने भी मुझे देख़ कर स्माइल दी।
मैं और बन्टी साथ में बैठे थे, आंटी शायद अभी भी सोई हुई थी।
मैंने बन्टी से पूछा.. तो बन्टी ने बताया- मम्मी को बुखार आ रहा है।
‘और अंकल कहाँ हैं?’
बन्टी बोला- वो सुबह-सुबह दूसरे गांव चले गए हैं। वहाँ कोई रिश्तेदार खत्म हो गया है.. इसलिए वो गए हुए हैं। वो 7 दिन के बाद आएंगे।
‘और तुम लोग वहाँ जाओगे या नहीं?
बन्टी बोला- मैं और निक्की कल जायेंगे.. आज हमारा अर्धवार्षिक पेपर खत्म होने वाले हैं।
‘और आंटी कैसे करेंगी?’
बोला- माँ की तबियत ख़राब है.. और पापा और माँ का झगड़ा हुआ है.. तो वो घर पर ही रहेंगी और तुम भी तो हो उनका ख्याल रखने के लिए।
‘हम्म..’
‘अच्छा.. अब हम कॉलेज चलते हैं.. पेपर को लेट हो जाएँगे।’
वो दोनों कॉलेज चले गए.. रह गए मैं और आंटी।
आंटी सोई हुई थीं.. मैं गया.. उनको बताने के लिए कि मैं साईट पर जा रहा हूँ। पर आंटी बेसुध सोई हुई थीं.. उनका पेटीकोट ऊपर उठा हुआ था। जिसके कारण उनकी पैंटी दिखाई दे रही थी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया..
तभी आंटी भी जाग गई थीं.. उन्होंने मेरे लण्ड को उभरे हुए देख लिया और सोने का नाटक करने लगीं.. मैं कमरे में थोड़ा अन्दर जाकर आंटी के बदन को निहार कर देखने लगा। उनका मस्त उभरा हुआ सीना जिस में ब्लाउज़ से ढके हुए उनके मम्मे तने हुए थे।
फिर मैंने बाहर आकर आंटी को आवाज़ दी- आंटी मैं साईट पर जा रहा हूँ।
ऐसा बोल कर मैं साईट पर चला गया और जब वहाँ भी मेरा मन नहीं लगा.. तो जल्दी ही घर वापस आ गया।
घर में आकर देखा तो आंटी इस प्रकार सोई हुई थीं कि मैं उनके पास गया तो एकदम सेक्सी नजारा दिख रहा था।
आंटी बस पेटीकोट और ब्लाउज़ पहने हुई लेटी थीं। मैंने आंटी को कामुक निगाहों से घूर कर देखा.. तो उनके पेटीकोट से सीधे उनकी चूत के दीदार हो रहे थे। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया। गजब का रोएंदार चूत थी।
मैं कमरे से बाहर आ गया और आंटी को आवाज़ देने लगा.. पर आंटी बोलीं- सैम.. मैं नहीं उठ सकती.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। क्या तुम रसोई से थोड़ा सा सरसों का तेल लाकर मेरी थोड़ी देर मालिश कर दोगे.. अगर तुमको बुरा न लगे तो?
मेरे लिए तो सोने पे सुहागा जैसा हो गया, मैं बोला- ठीक है.. आंटी लेकर आ रहा हूँ।
मैं सरसों का तेल लेकर आया और बोला- आंटी ठीक से लेट जाओ।
आंटी बोलीं- जाओ पहले दरवाज़ा बन्द करके आओ।
मैं दरवाज़ा बन्द करके आया.. बोला- आंटी तेल कहाँ लगाना है?
आंटी बोलीं- पूरे बदन में दर्द है।
मैं बोला- ठीक से लेट जाओ और कपड़ों को जरा ऊपर को कर दो।
आंटी ने लेट कर कपड़ों को ऊपर किया, मैंने तेल लगाना चालू किया। पहले मैंने उनके हाथों में लगाया.. फिर उनके पैरों में लगाया।
फिर आंटी को बोला- आंटी कपड़ों को थोड़ा ऊपर को कर दो.. नहीं तो तेल लग जाएगा.. तो कपड़े ख़राब हो जाएंगे।
आंटी बोलीं- तुम ही कर दो।
मैं खुश हो गया और उनके कपड़ों को कूल्हों तक ऊपर कर दिया। अब आंटी का पूरा भोसड़ा दिख रहा था। मैंने मालिश की.. धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को उनकी चूत में टच कर देता था.. जिसके कारण आंटी भी उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ देर बाद बोलीं- ऊपर भी तेल लगा दे न..
मैं बोला- किधर लगाऊँ.. पीठ में.. कि सीने में?
आंटी बोली- पहले अपने कपड़ा खोल दे.. फिर मेरी पीठ में लगा दे.. बाद में सीने में भी लगा देना।
मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
अब आगे..
अभी पूरा मेरा खड़ा लण्ड आंटी की गांड में लग रहा था, अब वो भी आँख बंद करके लौड़े के मजे ले रही थीं।
फिर मैंने उनसे रात के बारे में पूछा- क्यों लड़ाई कर रहे थे?
तो आंटी ने बताया- तुम्हारे अंकल का गांव की एक औरत के साथ लफड़ा है.. वो हर रात उसी कमीनी औरत के साथ अपनी माँ चुदवाता हैं.. फिर घर आता है और घर आकर साला मुझे मारता है.. 9 महीने हो गए हैं.. मादरचोद मेरा आदमी उस औरत के मायाजाल में फंस गया है, मुझ से रात को सोते समय दूर रहता है।
मैं आंटी के मुँह से गाली और उनका गुस्सा देख कर अवाक रह गया।
मैंने आंटी को बोला- क्या वो औरत आपसे ज्यादा अच्छी दिखती है?
आंटी बोलीं- हाँ.. दिखती है। कमीनी मेरी ही सहेली है.. मादरचोद मेरे घर को डुबा रही है।
फिर आंटी बोलीं- उसको छोड़.. तू मालिश क़र..
मैं आंटी की मालिश करने लगा.. मेरा हाथ उनके बगल से उनके मम्मों में टच हो रहा था।
आंटी पहले से ही उत्तेजित थीं.. अभी और ज्यादा हो रही थी। इधर मेरा उठा हुआ लण्ड उनकी गांड की दरार में बार-बार घुस रहा था.. जिससे कि आंटी और ज्यादा उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ ही देर बाद आंटी से रहा ना गया और वो बोलीं- सैम.. अब आगे भी आ जाओ ना..।
मैं साइड में पड़े तौलिया को लपेट कर आंटी को सीधा होने को बोला और वे फट से चित्त हो गईं। मैंने उनके मम्मों में तेल लगाना चालू किया। आंटी अपनी आँखों को बंद करके लगातार सिसकार रही थीं और अंकल को गाली दे रही थीं।
फिर आंटी ने अपनी आँखें खोलीं। अब मेरे तौलिया की तरफ ध्यान से देख रही थीं और तौलिया के अन्दर से मेरा लण्ड पूरे 90 डिग्री में तने हुए टेंट के खम्बे की तरह दिख रहा था।
आंटी मेरे लण्ड को तौलिया की ऊपर से छू कर देखने लगीं, वे आँख मारते हुए बोलीं- पूरा लोहा है सैम..
मैं बोला- आंटी अभी तो बस ट्रेलर देखा है.. फ़िल्म तो अभी बाकी है।
आंटी बोलीं- सैम.. तुम भी तौलिया खोल कर आ जाओ.. मैं भी तुमको तेल लगा देती हूँ।
मैं अपना तौलिया खोल कर जैसे ही आंटी के सामने आया, आंटी मेरे तने हुए लण्ड महाशय को देख कर अवाक रह गईं.. उनका मुँह खुला रह गया।
मैं बोला- क्यों.. आंटी हथियार देख कर डर लग रहा है क्या?
आंटी बोलीं- नहीं.. मुझे तो बहुत ख़ुशी हो रही है कि आज पहली बार मैं अपने पति के अलावा तुम्हारे साथ सेक्स करूँगी.. ख़ुश इसलिए हूँ कि तुम्हारा लण्ड बहुत सख्त और बड़ा है। आज मैं अपने मादरचोद पति से बदला लूँगी.. वो मेरे सहेली के साथ चुदाई करता है ना.. आज मैं तेरे साथ चुद कर उससे बदला लूँगी।
ऐसा बोल कर वो मेरे लण्ड को पकड़ के खेलने लगी।
मैं बोला- आंटी आप बहुत गाली देती हो..
तो आंटी बोलीं- सैम.. आज 21 साल के बाद मुँह खुला है। उसमें भी सीधा तुम्हारा लण्ड मुँह में है..
ऐसा बोल कर वो सीधा मेरे लण्ड को मुँह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
बोलीं- सैम तेरा लण्ड बहुत सख्त है रे.. आज ये तो मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। तेरे अंकल का लण्ड 5″ ही लम्बा है और केवल मोमबत्ती के बराबर 1.5 इंच मोटा है.. पर तेरा तो 8″ का है और मोटा भी 3 इंच है.. सैम आ जा.. मेरा दूध पी ले.. बहुत मालिश कर ली सैम.. अब आजा.. मत तड़पा.. मेरे सैम..
मैं आंटी से बोला- आंटी तेरी तो आज मस्त तरीके से चूत मारूँगा.. आज तेरा सब दर्द दूर क़र दूँगा मादरचोदी।
आंटी- ओ तेरी तो.. ले दूध चूस हरामी..
मैंने उसके मम्मों को पीना चालू कर दिया। उसके निप्पलों से खेलते हुए एक हाथ से उसकी चूत की भग को मसलने लगा.. जिससे आंटी और उत्तेजित होने लगीं। वो मेरे लण्ड को जोर-जोर से चूसने लगीं.. लगता था जैसे पूरा लौड़ा कच्चा खा जाने का विचार हो।
बस मेरा लौड़ा उनके मुँह में आधा ही जा पा रहा था।
‘सैम.. आह्ह.. अब और अन्दर नहीं जा रहा है.. अब मत तड़पा.. आजा मेरे चूत का भोसड़ा बना दे.. सैम आ जा..’
‘रुक जा मादरचोद आंटी.. आ रहा हूँ तेरी चूत का भोसड़ा बनाने..’
मैंने आंटी की चूत में अपना लण्ड सैट किया.. थोड़ा सा धक्का दिया.. पर नहीं गया.. क्योंकि बहुत दिनों से नहीं चुदी थी.. तो रास्ता बन्द हो गया था।
मैं पास से क्रीम उठा लाया और लण्ड में और चूत में क्रीम लगा कर आंटी की चूत में लौड़ा सैट करके.. एक जोर का झटका मारा.. आंटी चीखती हुई बोलीं- सैम रुक जा.. सैम बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. थोड़ा धीरे कर…
मैं बोला- साली मादरचोदी.. रंडी आंटी.. चूत का भोसड़ा बनाने को बहुत बोल रही थी.. अब क्या हुआ .. फट गई मादरचोद।
मैंने और एक बमपिलाट धक्का फिर से लगा दिया.. इस बार पूरा लण्ड चूत के अन्दर जा चुका था। आंटी के पैर थरथरा रहे थे.. जिस कारण से मुझे कुछ देर रुकना पड़ा।
थोड़ी देर बाद आंटी अपनी गांड ऊपर उठा के हिला रही थीं। मैं भी अब आंटी के निप्पल को चूसते हुए धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।
आंटी बोलीं- आह्ह.. चोद.. सैम बना दो इस चूत का भोसड़ा.. भैन की लौड़ी ने बहुत तड़पाया है मुझे.. आज पूरा मिटा दे इसकी प्यास को.. आह्ह.. मेरे सैम.. आज से तू ही है सब कुछ मेरा.. अब तेरे अंकल को बताती हूँ.. चोदो सैम.. चोदो आआ आआअहह.. सैमम्म म्मम.. आईईई ईईईई..
आंटी सिसकारते हुए मेरे पीठ को नाखूनों से खरोंचते हुए बड़बड़ाए जा रही थीं, मुझे 10 मिनट से ज्यादा हो चुका था, आंटी शायद झड़ चुकी थीं.. लेकिन मेरे झड़ने की बारी नहीं आई थी।
थोड़ी देर बाद मैं चिल्ला उठा- आंटी मेरा निकलने वाला है कहा निकालु ?????..
आंटी बोलीं- आ जा.. बहुत दिनों से मेरी चूत प्यासी है.. उसी में डाल दे.. आह्ह!
मैंने कहा - आप पेट से हो गई तो ??????
आंटी बोलीं- घबरा मत.. मेरा नसबंदी का ऑपरेशन हो चुका है.. कोई घबराने की बात नहीं है।
मैं आंटी की चूत में ही झड़ गया। मेरा पूरा माल उसकी बच्चेदानी के अन्दर तक पहुँच गया।
कुछ देर लण्ड को आंटी की चूत के अन्दर ही रख कर हम दोनों वैसे ही लेटे हुए थे।
आंटी बोलीं- सैम, कितने बजे हैं?
मैंने बताया- दो बज चुके हैं।
आंटी बोलीं- निक्की और बन्टी 1 बजे तक आ जाते हैं आज पता नहीं क्या हुआ।
दोनों उठ कर बाहर आए तो बस निक्की आई थी और अपनी कच्छी खोल कर अपनी चूत को हाथ से सहला रही थी। साथ ही वो एक हाथ से अपने चूचे दबा कर सिस्कार रही थी। शायद उसने हमारे चुदाई समारोह को देख लिया था और वो उत्तेजित हो गई थी। वो अपनी आँखों को बन्द करके एक ऊँगली अपनी चूत में डाल रही थी।
मैंने आंटी की तरफ देखा.. तो आंटी बोलीं- लगता है इसको हमारे बारे में पता चल गया है.. अब क्या करें सैम?
मैंने आंटी से कहा- इसे भी अपने ग्रुप में मिला लेते हैं आंटी.. नहीं तो आपकी बदनामी हो जाएगी।
आंटी बोलीं- यह मेरी बेटी है.. उसके साथ मैं कैसे ये सब करवा सकती हूँ।
मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’
मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।
मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’
मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।
अब आगे..
मैं निक्की को अपनी बाँहों में उठा कर उसके होंठों को चुम्बन करने लगा, वो अपने मुँह से कुछ भी नहीं बोल पा रही थी, मैं उसे उठा कर आंटी के कमरे में ले गया।
वहाँ आंटी पानी लेकर खड़ी थीं, मैं बेहताशा निक्की को चुम्बन कर रहा था.. निक्की लगातार गर्म हो रही थी, उसका श्वास गति बढ़ रही थी।
वो बोली- सैम आई लव यू.. पर तुमने मुझे धोखा दिया है..
मैंने उसे सब समझाया.. तो वो समझ गई.. और मुझसे लिपट गई।
आंटी भी मुझसे लिपट गईं।
फिर मैंने निक्की.. को नंगी करके उसके बदन को ध्यान से निहारा। उसका मस्त 32-24-34 का फ़िगर.. पतली कमर.. सीना और गांड फूला हुआ.. एकदम कामिनी लग रही थी, उसकी आँखें गोल-गोल.. काला सुरमा लगा कर और भी नशीली लग रही थीं।
वो इस वक्त ऊपर से नीचे तक पूरी कयामत लग रही थी।
मैंने उसे अपनी तरफ खींचते हुए सीधा उसके होंठों को चुम्बन करने लगा। एक हाथ से मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और एक हाथ से मैं उसकी भग को छेड़ रहा था। उसकी गुलाबी अनछूई चूत एकदम मस्त लग रही थी।
निक्की से अब रहा नहीं जा रहा था.. पर उसे पूरा गर्म करना जरूरी था।
आंटी नीचे बैठ कर मेरे लण्ड और अन्डकोषों को चूस रही थीं। मेरा लण्ड भी तन गया था..
निक्की सिसकारते हुए बोली- सैम.. मेरी जान और मत तड़पा.. डाल दे तेरे लण्ड को मेरी चूत में.. तोड़ दे सील इसकी..
पर अभी तक निक्की का ध्यान मेरे लण्ड पर नहीं गया था। उसे मैंने बिस्तर पर लिटा कर अपने लण्ड को उसके मम्मों से रगड़ते हुए.. उसके मुँह में डाल दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और निक्की की कुंवारी चूत का स्वाद लेने के लिए उससे उठने वाली महक बहुत मस्त थी। मैं उसे चूसने लगा।
निक्की बोली- सैम.. इतने बड़े लण्ड से मैं तो मर जाऊँगी।
मैं बोला- तेरी माँ तो नहीं मरी मादरचोद.. बड़ी आई तू मरने वाली।
मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया और निक्की से अब सहन के बाहर हो गया, उसके पैर काँपने लगे, वो मेरे सर को अपनी चूत में दबाने लगी और ‘उईईईई ईईईई..’ चिल्लाते हुए झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैं आंटी के साथ काम-क्रीड़ा करने लगा और इधर निक्की हम दोनों को देख कर फिर से जोश में आ गई।
मैंने आंटी को क्रीम लाने को बोला.. आंटी लेकर आईं और लण्ड और निक्की चूत में ढेर सारी क्रीम लगा दी ताकि लण्ड अच्छी तरह से फिसल कर चूत में सटासट चले..
अब मैंने लण्ड को उसकी कुँवारी चूत में सैट किया और सील तोड़ने को एकदम रेडी हो गया, आंटी भी उसके सर के पास जा कर उसे सहला रही थीं।
अब मैंने एक बार झटका दिया.. नहीं गया.. दुबारा जोर से झटका दिया.. लण्ड चूत को चीरता हुआ 2 इंच अन्दर चला गया। निक्की जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों से आँसू निकल आए, उसके पैर अकड़ गए.. वो थरथरा रही थी।
लगभग 5 मिनट रुकने के बाद उसको चुम्बन करते हुए थोड़ी देर निक्की के रिलैक्स होने तक रुक कर मैं कभी आंटी के दूध को दबाता.. तो कभी निक्की के समोसे मसकता।
निक्की के रिलेक्स होने के बाद चुम्बन करते हुए मैं बहुत जोर से झटका मारते हुए लण्ड को अन्दर घुसाने लगा। अबकी बार लण्ड 6 इंच अन्दर चला गया, निक्की का शील भंग करते हुए लण्ड पूरा अन्दर चूत की जड़ तक पहुँच गया था।
निक्की का मुँह मेरे मुँह से दबा था.. उसके चीख़ नहीं निकली.. पर उसका शरीर पूरा कांप रहा था.. निक्की को पानी पिलाने के बाद.. करीब 15 मिनट रुकने के बाद निक्की का दर्द कम हुआ। फिर वो अपनी गांड हिलाने लगी.. तो मैंने भी अब चोदना चालू किया।
पहले एक बार मेरा पानी आंटी की चूत में निकल चुका था.. तो इस बार लण्ड ने पानी निकालने के लिए बहुत समय लिया।
आंटी और निक्की को ऊपर-नीचे लिटाकर बारी-बारी से मैंने लण्ड को दोनों की चूतों की चुदाई में लगा दिया। दोनों को खूब मजा आ रहा था।
आंटी थक गईं तो अपनी गांड हिलाते हुए उठ कर पानी पीने चली गईं।
अब मैंने निक्की से पूछा- बन्टी कहाँ गया?
तो निक्की बोली- वो टीचर के साथ रुक गया है.. शाम को 5 बजे तक आएगा।
‘ओके..’
फिर मैं निक्की को बेफिक्र होकर धकापेल चोदने लगा। निक्की सिसकार रही थी.. उसके मुँह से कामुक शब्द निकल रहे थे ‘सैमम्मम्म लव यू जानू.. चोदो मुझे.. चोदो.. मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ।’
अब मैंने निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कहा और उसके पीछे से लण्ड डालने लगा।
मेरा पूरा लण्ड अन्दर जा रहा था। निक्की को दर्द अभी भी थोड़ा-थोड़ा हो रहा था। थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था।
मैंने निक्की को बोला- कहाँ निकालु ..?
वो बोली-.. अन्दर ही निकाल दो.. पहली बार ही चुदी हूँ.. और चूत को प्यासी नहीं रख सकती।
मैंने अन्दर ही माल डाल दिया। फिर थोड़ी देर बाद आंटी आईं.. निक्की और आंटी दोनों नंगी थीं और मैं भी नंगा था।
मैंने दोनों को अपने अगल-बगल लिटाया और दोनों को सहलाते हुए प्यार करने लगा।
फिर कुछ देर बाद आंटी कुछ खाने को लेकर आईं.. हम सभी ने खाया।
बन्टी के आने के बाद तैयार होकर बाहर घूमने चले गए।
रात को खाना आदि खा कर सब सोने चले गए। रात के 12 बजे निक्की मेरे कमरे में आई और मैंने उसको पकड़ कर चुम्बन करते हुए उसके कपड़े उतार कर उसके दूध पीने लगा। वो मेरे लण्ड को निकाल कर खूब सहला रही थी और चूसने के लिए अपने मुँह के पास ले रही थी.. तो मैं लौड़े को थोड़ा इधर-उधर कर रहा था।
फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गए और एक-दूसरे के अंगों को चूसने लगे।
निक्की और मैं दोनों अब उत्तेजित हो गए थे। निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कह कर मैंने पीछे से लण्ड को उसकी चूत में डालने लगा.. पर जा नहीं रहा था। फिर थोड़ा सा क्रीम लगा कर चूत में लौड़ा डाल ही दिया। अब भी थोड़ा टाइट जा रहा था.. पर कुछ देर में आसानी से चला गया.. थोड़ा सा खून निकल आया।
फिर पीछे से उसके मम्मों को दबाते हुए मैं आधा घंटे तक उसको चोदता रहा। इसके बाद निक्की को सीधा चित्त लिटा कर उसके ऊपर से लण्ड को चूत में डाल कर चुदाई करने लगा।
अबकी बार हम दोनों देर तक चुदाई करते रहे। निक्की इस बीच झड़ चुकी थी और मेरा निकल गया था.. पर जोश के कारण पता नहीं चल रहा था।
थोड़ी देर रुक कर निक्की चली गई। उसके जाने के बाद मैं सो गया और सुबह 10 बजे नींद खुली, देखा कि आंटी मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं।
मैंने बन्टी के बारे में पूछा.. तो आंटी बोलीं- वो कॉलेज चला गया।
‘और निक्की?’
आंटी बोलीं- निक्की नहा रही है..
‘ओके.. आंटी.. तो मैं भी थोड़ा फ्रेश हो जाता हूँ।’
मैं आंटी को चुम्बन करके सीधे निक्की के कमरे वाले बाथरूम में गया और दरवाजा खटखटा कर अन्दर घुस गया। मैंने निक्की को चुम्बन करके वहीं पर उसे चोदना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद आंटी भी आ गईं। उन दोनों को शॉवर चालू करके मैंने खूब चोदा.. दोनों को शांत कर दिया।
मुझे भी दोनों ने निचोड़ लिया था।
मैं वहाँ काम के सिलसिले में पूरे 2 महीने रुका था और आंटी और निक्की के साथ पूरी अय्याशी की। आते वक़्त आंटी ने मुझे 15 हजार रूपये दिए और मुझे बीच-बीच में आने को बोला।
मैं अब भी वहाँ जाता हूँ और निक्की की शादी तक उसको चोदता रहा और उसके बाद भी उसको चोदता रहा।
End