13-08-2021, 12:11 PM
चाची का सैक्स भरा प्यार:---------
मेरा नाम राजवीर है, मैं हरियाणा के जिला रोहतक का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और हाइट लगभग 6 फीट की है।
मैं दिखने में एक आकर्षक युवक हूँ और एक बड़ी आई कंपनी में सीनियर ऑपरेशन एग्ज़िक्यूटिव हूँ।
दोस्तो.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ। किसी की भावनाओं को ठेस ना लगे इसलिए मैंने कहानी के पात्रों और जगह के नाम बदल दिए हैं।
यह मेरी अपनी आप बीती हुई सच्ची घटना है।
बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था और कोई 18 साल का रहा होऊँगा। मैं अपने पापा के बहुत ही खास दोस्त के पास रहता था.. क्योंकि मेरे पापा जी का ट्रान्स्फर ऐसी जगह हो गया था जहाँ पर 10 वीं के बाद कॉलेज नहीं था.. इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए पापा ने अपने दोस्त से विचार-विमर्श करके उन्हीं के पास एक कॉलेज में दाखिला दिला दिया था।
दाखिला होने के बाद.. मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया।
मेरे पापा के दोस्त के मकान में दो हिस्से थे.. एक हिस्से में उनका छोटा भाई और दूसरे हिस्से में वो खुद रहते थे। मुझे अपनी पढ़ाई और रहने के लिए आगे की तरफ़ बैठक वाला कमरा दे दिया गया था। मेरे खाने का इंतज़ाम भी पापा के दोस्त.. जिन्हें मैं चाचा जी कहता हूँ.. के पास ही किया था।
रहने और खाने के खर्चे आदि की पापा से उनकी क्या बात हुई.. मुझे नहीं मालूम था और ना ही मैंने ज़्यादा इस बारे में सोचा.. ना ही कभी उनसे पूछा।
वैसे भी मैं शुरू से ही थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था और किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं पाता था। मुझे थोड़ा समय लगता था दूसरों के साथ एडजस्ट होने में।
पापा के दोस्त की पत्नी.. जिन्हें मैं चाची जी कहता हूँ और जिनका नाम सुमन है.. वो जानती थीं कि मैं अपने मामी-पापा को याद करके थोड़ा उदास रहता हूँ.. इसलिए वो हर तरह से मुझे खुश रखने का प्रयत्न करती थीं।
वो हमेशा मुझसे हँसी-मज़ाक करती रहती थीं इसलिए मैं थोड़ा उनके साथ खुल के बात कर लेता था.. लेकिन ये सब मर्यादा में होता था।
पापा के दोस्त के छोटे भाई और बीवी थोड़ा गुस्से वाले थे.. इसलिए मेरी उनसे ज्यदा नहीं पटती थी और मैं उनसे दूर ही रहता था।
शुरू के तीन-चार महीने सब अच्छा चलता रहा.. पर उसके बाद मैं ना जाने क्यों धीरे-धीरे सुमन चाची की तरफ़ आकर्षित होने लगा और उनका साथ मुझे अच्छा लगने लगा। मुझ पर भी अब जवानी का नशा चढ़ने लगा था और किसी लड़की का साथ पाने की इच्छा बल पकड़ने लगी थी।
दोस्तो.. यह उम्र ही ऐसी होती है.. फिर सुमन चाची थीं भी तो बला की खूबसूरत.. और उनकी उम्र भी मुश्किल 26-27 साल की ही होगी, बिल्कुल गोरा रंग.. तराशा हुआ हूर सा बदन.. दो बच्चों की माँ होने पर भी उनका शरीर किसी नवयौवना जैसा ही लगता था।
उस समय उनकी बड़ी बेटी की उम्र 6 साल थी और छोटे बेटे की उम्र 4 साल के आसपास थी..
पर मेरी चाची ने अपने शरीर का बहुत ख्याल रखा था.. इसलिए कोई नहीं कह सकता था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। कसे हुए और मस्त मम्मे.. मखमली गोरा पेट.. और उस पर उनकी लचकती कमर.. जब वो कूल्हे मटका कर चलती थीं.. तो मेरा दिल मचल जाता था। मेरा दिल करता था कि इनको पकड़ कर अभी चोद दूँ।
दोस्तो.. आप भी सोचेंगे कि अभी मैंने लिखा कि मैं शर्मीला हूँ.. और अभी चुदाई की बात कर रहा हूँ।
तो बात ऐसी है कि कॉलेज की पढ़ाई के समय से ही मैंने भी इस विषय पर थोड़ा-थोड़ा जानना और पढ़ना शुरू कर दिया था। सेक्स क्या है और चुदाई कैसे करते हैं.. यह सब छोटी उम्र से ही जान गया था।
मैंने एक-दो बार उन्हें छूने की कोशिश भी की.. पर फिर डर जाता था कि मेरी ऐसी हरकतों से बात बिगड़ सकती है और कहीं नाराज़ होकर उन्होंने चाचा जी को बता दिया तो हो गई पढ़ाई.. और मामी-पापा की डांट अलग पड़ेगी। हो सकता है.. इसके बाद वो मुझे अपने पास बुला लें.. शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी.. वो अलग..
पर कहते हैं ना.. कि अगर आप दिल से कुछ माँगो.. तो मिल ही जाता है।
हुआ यों कि चाचा जी को अपनी नौकरी के सिलसिले में 6-7 महीने की लिए बिहार जाना पड़ा। बिहार में भी उनका काम घूमने-फिरने का था.. इसलिए वो परिवार को भी साथ नहीं ले जा सकते थे।
दूसरे मेरी भी ज़िम्मेदारी भी पापा जी ने उन्हीं को दे रखी थी इसलिए वो अकेले ही जा रहे थे।
जब वो जाने लगे तो मुझसे बोले- राजवीर.. चाची का और बच्चों का ख्याल रखना.. कोई बाज़ार का.. या फिर छोटा-मोटा काम हो.. तो कर देना।
मैंने कहा- चाचा जी.. आप निश्चिन्त हो कर जाएं.. मैं सब सम्भाल लूँगा।
मेरे ऐसा कहने पर चाचा जी खुश हो कर चले गए।
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए और मैं फिर से अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आया। मैं सुमन चाची के आस-पास रहने की कोशिश करने लगा।
चाचा जी को गए दो महीने होने को आए.. अब चाची थोड़ी उदास सी रहने लगी थीं..
मैंने पूछा भी कि आप उदास क्यों रहती हैं.. तो वो हंस कर टाल देती थीं।
एक दिन.. जब मैं कॉलेज से वापिस आया तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई के घर पर ताला लगा है। फिर मैं चाचा जी की तरफ़ गया.. तो उधर भी कोई नहीं था। मैं जैसे ही वापिस जाने लगा.. मुझे बाहर वाले बाथरूम से किसी के नहाने की आवाज़ आई। मैंने आवाज़ लगाई.. तो सुमन चाची बोलीं- मैं नहा रही हूँ.. तुम्हारा खाना रखा है.. खा लो।
मैंने कहा- ठीक है..
पर तभी मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई.. और मैंने सोचा कि चाची को नहाते हुए देखना चाहिए। फिर मैं धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास गया और कोई छेद ढूँढ़ने लगा। फिर थोड़ी सी कोशिश करने पर एक छोटा सा छेद दिख गया। मैंने जैसे ही छेद पर आँख लगाई.. मेरा दिमाग़ घूम गया। चाची अपने चूत में उंगली कर रही थीं.. ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
दोस्तो.. मैं दूसरे लोगों की तरह तो नहीं कहता कि मेरा लंड बहुत लंबा व मोटा है.. भगवान जाने वो सच कहते हैं या झूठ.. पर मेरे लंड लगभग 6.7 इंच लंबा और 3.8 इंच गोलाई में मोटा है और खड़ा होने पर एकदम सख्त हो जाता है।
चाची को चूत में उंगली करते देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया और मैं चाची को देख कर मस्त हुआ जा रहा था।
तभी चाची को लगा कि बाहर कोई है.. और उन्होंने ज़ोर से पूछा- कौन है?
मैं डर गया और भाग कर अपने कमरे में चला गया।
कुछ देर बाद सुमन चाची नहा कर आ गईं और मुझे खाने के लिए आवाज़ लगाई।
मैं डरते-डरते उनके पास गया.. तो वो बिल्कुल नॉर्मल सी लगीं.. उन्होंने मेरे लिए खाना लगा दिया।
मैं चुपचाप खाने लगा.. वो मेरे पास ही बैठ गईं और अपने बाल संवारने लगीं।
अचानक उन्होंने पूछा- राजवीर दरवाजे के बाहर तुम ही थे ना?
मुझे काटो तो खून नहीं.. मैंने माफी मांगते हुए ‘हाँ’ कर दी और बोला- दोबारा ऐसा नहीं होगा।
वो हंस कर बोलीं- ऐसा करना ग़लत बात होती है.. वैसे तुम देख क्या रहे थे?
मैंने बोला- कुछ नहीं..
पर तभी वो थोड़ा गुस्से में बोलीं- सच बताओ.. नहीं तो तुम्हारे मामी-पापा को बता दूँगी।
मैं डर गया और उनसे दुबारा माफी मांगने लगा।
वो फिर बोलीं- ठीक है.. मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. पर तुम सच बताओ.. क्या देख रहे थे?
मैंने डरते-डरते बोला- मैं आपको ही देख रहा था..
वो बोलीं- क्यों?
मैंने फिर धीरे से कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।
वो हंस दीं और बोलीं- और क्या देखा.. साफ-साफ बताओ?
अब मैं थोड़ा नॉर्मल हो चुका था, मैं बोला- आप अपनी चूत में उंगली कर रही थीं..
वो थोड़ी सकपकाईं और बोलीं- ठीक है.. ठीक है.. अब दुबारा ऐसी हरकत मत करना।
बात आई गई हो गई.. पर उस दिन के बाद सुमन चाची का व्यवहार कुछ बदल सा गया था, अब वो भी मुझे किसी ना किसी बहाने छूने लग गई थीं और खुल कर हँसी-मज़ाक करने लग गई थीं।
फिर वो दिन भी आया.. जब मैंने अपनी चाची को जी भर के चोदा..
यह बात सितम्बर की है, मेरे मिड-टर्म एग्जाम चल रहे थे और अगले एग्जाम से पहले 3 दिन की छुट्टी थी इसलिए मैं भी थोड़ा रिलेक्स था। उस दिन मैं 11 बजे पढ़ने बैठा और फिर 4 बजे तक पढ़ता रहा।
फिर हल्का सा नाश्ता करने के बाद मैं सो गया। लगभग 6 बजे आँख खुली.. तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ कहीं जा रहे थे।
मैंने पूछा तो बोले- हम सब एक दोस्त की शादी में जा रहे हैं दो दिन बाद आएंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं भी अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया। लगभग 2 घंटे के बाद वापिस आया.. तो सुमन चाची ने कहा- राजवीर फ्रेश हो जाओ.. खाना तैयार है।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश हो कर आ गया। इसके बाद सबने मिल कर खाना खाया.. खाना खा कर दोनों बच्चे और मैं टीवी देखने लगे।
टीवी देखते-देखते बच्चे सोने लगे.. तो मैंने चाची को आवाज़ लगाई और वो दोनों बच्चों को सुलाने के लिए अपने कमरे में ले गईं।
मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम लेकर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं, हम दोनों टीवी देखने लगे।
सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
दोस्तों मेरी इस सच्ची कहानी के अगले भाग में आपको मालूम हो जाएगा.. कि आगे क्या हुआ क्या चाची ने मुझे कुछ करने दिया या सब कुछ एक सपना ही होकर रह गया।
मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम ले कर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं। हम दोनों टीवी देखने लगे। सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
अब आगे..
इसी तरह एक घंटा निकल गया और मेरा लंड बुरी तरह तन गया था। इसलिए मैं उठा और अपना लंड छुपाते हुआ बोला- मुझे नींद आ रही.. मैं सोने जा रहा हूँ।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैं तेज़ी से अपने कमरे में आ गया। उनके नाम की मुठ्ठ मारी और सो गया।
मुझे एग्जाम के दिनों में सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने की आदत है.. इसलिए मैं 3:30 पर उठा और चाय बनाने के लिए रसोई में गया। बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और जब मैं चाय बना रहा था..
तभी सुमन चाची आईं और बोलीं- राजवीर थोड़ी चाय मुझे भी दे देना.. मेरा सर भारी हो रहा है.. इसलिए नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर चाय बनाने के बाद एक कप चाय उनको देने के लिए उनके कमरे में गया तो देखा कि चाची बिस्तर पर लेटी हुई हैं और दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे हैं।
मैंने आवाज़ लगाई- चाची.. चाय ले लो..
वो उठ कर बैठ गईं और चाय लेकर बोलीं- राजवीर कुछ देर यहीं बैठ जाओ.. मुझे नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं यहीं अपनी किताब ले आता हूँ।
मैं किताब लेकर आ गया और वहीं चाची के बिस्तर पर पैरों की तरफ बैठ गया..
चाची चाय पीकर लेट गईं और बोलीं- हल्की ठंड है.. तुम चादर ओढ़ लो..
उनके ऐसा कहने पर मैंने चाची के पैरों की तरफ़ पैर अन्दर करके चादर ओढ़ ली। चाची आँखें बंद करके लेटी हुई थीं और उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे।
कुछ देर तक तो सब ठीक था.. पर फिर मुझे लगा कि सुमन चाची अपने पैरों से मेरे पैर को रगड़ रही हैं। मैंने सोचा कि शायद ये मेरा वहम है और मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
लेकिन कुछ देर बाद ही चाची की पैर मेरे लंड तक पहुँच गए और उसे हिलाने लगीं। मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था.. मैंने नज़र उठा कर चाची को देखा तो अदखुली आँखों से मेरी तरफ़ देख रही थीं.. आज उनकी आँखों में अजीब सी चुदास की खुमारी छाई हुई दिख रही थी। मैंने फिर से आँखें नीचे कर लीं।
अब चाची मेरे लंड को अपने पैरों से पकड़ कर मेरे लोवर के बाहर से ही ऊपर-नीचे करने लगी थीं और मुझे भी अब मज़ा आने लगा था।
कुछ देर ऐसे ही होता रहा.. मैंने फिर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ आने का इशारा किया।
मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि शायद आज चाची की चूत चोदने को मिल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से उठा और उनके सिरहाने की तरफ़ जा कर बैठ गया। अब वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी थीं।
फिर मैंने भी थोड़ी हिम्मत करते हुए अपने होंठ चाची के गुलाबी होंठों पर रख दिए।
मेरे ऐसा करते ही चाची तेज़ी से मेरा निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैंने भी अब उनका साथ देना शुरू कर दिया और धीरे से उनके बगल में लेट गया।
हाय क्या नरम और सेक्सी होंठ थे उनके.. मन कर रहा था कि इन्हें चूसता ही रहूँ। धीरे-धीरे मैंने अपने हाथों को चाची की कसी हुए छाती पर फिराना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करने से वो और ज़्यादा गर्म होने लगीं और मेरे होंठों को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं।
हम दोनों ही पर अब उत्तेजना और मस्ती छाने लगी थी। हम दोनों ही एक हो जाने के लिए आपस में एक-दूसरे से चिपटने लगे थे।
हमें यh भी ध्यान नहीं रहा कि पास में ही दोनों बच्चे सो रहे हैं।
अचानक उनकी बेटी को खाँसी आई और हम दोनों झटके से एक-दूसरे से अलग हुए.. पर शुक्र था कि उनकी बेटी अभी भी नींद में ही थी और उठी नहीं।
दोनों बच्चों को अच्छे से सुलाने के बाद चाची बोलीं- चलो.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं।
लगता था कि आज चाची भी चुदने के मूड में थीं।
मैंने बोला- ठीक है।
फिर मैंने वो किया.. जिसकी उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मैंने उन्हें गोद में उठाया और मेरे ऐसा करते ही वो मुस्करा कर मेरे गले से लग गईं।
इसके बाद मैंने उनके कमरे का दरवाजा हल्के से बंद किया और उन्हें अपने कमरे में ले आया।
मेरे कमरे में ज़्यादा सामान नहीं था.. सिर्फ़ एक स्टडी टेबल और एक सिंगल बिस्तर था।
मैंने सुमन चाची को उसी बिस्तर पर हल्के से लिटा दिया और मैं भी उनके बगल में लेट कर उनके होंठ चूसने लगा। हम दोनों 10 मिनट से एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.. पर कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। लगता था.. चाची कई दिनों की प्यासी थीं।
इसी बीच में मैंने धीरे से उनके कमीज के अन्दर हाथ डाल दिया।
चाची ने आज ब्रा नहीं पहनी थी.. इसलिए सीधे ही उनकी सख्त चूचियां मेरे हाथों में आ गईं और मैं उन्हें धीरे से.. प्यार से सहलाने लगा।.
हम दोनों एक-दूसरे की तरफ़ मुँह करके लेटे हुए थे.. इसलिए उनकी चूचियों पर हाथ फिराने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
चाची मेरी इस तकलीफ़ को समझ गईं और मेरे होंठ छोड़ कर बैठ गईं और बोलीं- ये कपड़े अपने मिलन में अड़चन डाल रहे हैं.. इसलिए इन्हें उतार देते हैं।
ऐसा कहते ही उन्होंने अपना सलवार सूट उतार दिया.. अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मैं तो उनको यूँ नंगा देख कर अपने होश ही खो बैठा।
क्या जिस्म पाया था उन्होंने… दोस्तों, एकदम साँचे में ढला हुआ… भरी हुई मस्त एकदम दूध जैसी सफेद चूचियाँ और उन पर छोटे गुलाबी निप्पल.. नाज़ुक पतली कमर.. गोरा चिकना पेट.. हाँ.. उस पर थोड़े निशान थे जो बच्चे पैदा होने के कारण बन गए थे।
उनके चिकने पेट पर गहरी नाभि को देख कर किसी का भी दिल मचल जाए.. भारी मस्त चूतड़ किसी भी लंड का पानी निकलवा दें। मैं उनको ऐसे देख ही रहा था कि चाची बोलीं- सिर्फ़ देखोगे ही.. या कुछ आगे भी करोगे?
मैं होश में आया और बोला- चाची आप हो ही इतनी मस्त कि आपके बदन से नज़र ही नहीं हट रही है।
वो हंस दीं और बोलीं- मुझे तो नंगा देख लिया.. अब अपना ‘सामान’ भी तो दिखाओ.. एक बात और.. आज रात तुम मुझे चाची नहीं.. सिर्फ़ सुमन कहोगे.. और अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आख़िर मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
मैंने भी उनकी आज्ञा का पालन किया और फिर अपना लोवर व टी-शर्ट उतार दी।
मैंने तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था तो मुझे नंगा देख कर वो हँसते हुए बोलीं- तुम तो जवान हो गए हो.. तुम्हारा लंड भी जबरदस्त लग रहा है। तुम्हारे चाचा जी का लंड भी इतना ही लंबा है.. बस तुमसे जरा पतला है।
अब वो पूरी तरह खुल चुकी थीं और पूरी मस्ती में बातें कर रही थीं।
वो बोलीं- अब तक कितनी लड़कियों को चोद चुके हो?
मैंने शरमाते हुए कहा- चाची मैंने आज तक कभी किसी को नहीं चोदा.. बस कभी-कभी मुठ्ठ मार लेता हूँ।
वो खुश होते हुए बोलीं- ओह.. अगर ये सच है.. तो आज इसका उद्घाटन मुझे ही करना होगा और तुम्हें सीखना भी होगा कि चोदते कैसे हैं।
हालाँकि मुझे चुदाई का ज्ञान पहले से ही है.. पर किसी को अभी तक चोदा नहीं था.. इसलिए मैंने भी अंजान बनते हुए कहा- चाची मैं तो अनाड़ी हूँ.. आज रात आप जो सिखाना चाहें.. सिखा सकती हैं।
वो बोलीं- ठीक है.. पर तुम मुझे चाची कहना बंद करो और मेरा नाम लेकर बुलाओ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब नहीं कहूँगा।
वो बोलीं- अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ..
उनके कहने पर मैं बिस्तर पर लेट गया। इसके बाद आगे की कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली.. धीरे से मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे मुँह में ले कर चूसने लगीं।
मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया.. और आनन्द से मेरी आँखें बंद होने लगीं।
उन्हें लंड चूसते हुए अभी 7-8 मिनट ही हुए थे कि मेरे लंड से माल की कई पिचकारियाँ उनके मुँह में छूट गईं।
क्या करता.. एक तो पहली बार एक औरत मेरा लंड चूस रही थी और दूसरा उनकी गुनगुनी गर्म जीभ का स्पर्श.. मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ।
उनका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया.. वो भी मज़े से मेरा सारा वीर्य पी गईं। वीर्य पीने के बाद भी वो लंड को लगातार चूस रही थीं। मेरे लंड में फिर से हल्की-हल्की गुदगुदी होने लगी।
कुछ ही देर और लंड चूसने के बाद वो बोलीं- चलो अब तुम ऊपर आकर मेरी इन चूचियों को प्यार से चूसो।
मुझे तो मेरी मन मांगी मुराद मिल गई.. मैं धीरे से उनके ऊपर आया और उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।
मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ?
वो मेरी तरफ हैरत से देखने लगीं.. और फिर..
दोस्तो, चाची से जब मैंने उनकी चूत चाटने के लिए कहा तो उनका क्या जबाव था.. क्या वास्तव में आज मेरा सपना पूरा हो जाने वाला था..
दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।
मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ..?
अब आगे..
अबकी बार मैंने उन्हें उनके नाम से पुकारा.. वो धीरे से बोलीं- जो करना है करो.. आज मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ।
मैं झट से उनके पैरों की तरफ़ जाकर उनकी पैन्टी उतारने लगा, उन्होंने अपने कूल्हे थोड़े से ऊपर उठाए ताकि पैन्टी निकालने में मुझे आसानी हो।
पैन्टी उतरते ही उनकी सफाचट चूत मेरे सामने थी, उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. शायद उन्होंने आज ही झाँटों को शेव किया था।
क्या मस्त चूत थी एकदम साफ़.. गुलाबी.. नर्म और कसी हुई। लगता ही नहीं था कि इसमें से दो बच्चे निकल चुके हैं।
मुझे लगता था कि वो इसका बहुत ख्याल रखती थीं।
मैंने पूछा- सुमन.. तुम्हारी चूत तो बहुत मस्त लग रही है..
वो बोलीं- मैं इसकी रोज मालिश करती हूँ.. इसी लिए मेरी चूत इतनी कसी हुई और मस्त है।
मैं हल्के से नीचे झुका और उनकी चूत को अपने होंठों से चूम लिया। मेरे ऐसा करते ही सुमन चाची का पूरा बदन काँप गया और उन्होंने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया। कुछ देर मैं ऐसे ही उनकी चूत से चिपका रहा और फिर मैंने अपने मुँह से उनकी चूत के हर हिस्से को चूमना शुरू कर दिया।
अब तो चाची का अपने ऊपर कंट्रोल ही नहीं रहा और वो पूरी तरह मस्ती में आ गईं और अपनी चूत को उठा-उठा कर चूसने के लिए कहने लगीं।
मैंने भी देर ना करते हुए उनकी टाँगें तनिक चौड़ी कीं और अपनी जीभ की नोक से उनकी चूत के ऊपर भगनासे को चूसने लगा।
अब चाची अपना आपा खो रही थीं और उत्तेजना के मारे मुँह से मस्ती भरी आवाजें निकालने लगी थीं..
मैंने भी अब अपनी जीभ से उनकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू कर दिया और फिर अचानक अपनी जीभ मैंने उनकी चूत में अन्दर घुसेड़ दी।
ऐसा करते ही मारे उत्तेजना के चाची उछल पड़ीं। चाची की चूत से अब नमकीन पानी निकल रहा था।
हाय.. क्या मस्त टेस्ट था उस पानी का.. और उस पानी की महक ने मुझे पागल ही बना दिया था। मैं बहुत तेज़ी से अपनी जीभ चाची की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा और फिर अचानक चाची ने एक चीख मारी और मेरे मुँह को अपने पैरों में जकड़ लिया।
मैं अपना मुँह हिला भी नहीं पा रहा था, लग रहा था कि उनका पानी छूट गया था।
कुछ देर बाद उनकी पकड़ ढीली हुई.. तो मैं धीरे-धीरे उन्हें नीचे से ऊपर की तरफ़ चूमते हुए उनके मुँह की तरफ़ आया और उन्हें गर्दन और होंठों पूरी मस्ती से चूमने लगा, चाची ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपटा लिया।
चाची फिर गर्म हो गई थीं.. कुछ देर बाद वो बोलीं- राजवीर अब और ज़्यादा देर मत करो.. मेरी चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई शुरू करो.. बहुत दिनों की प्यासी है ये चूत.. आज इसकी प्यास अपने लौड़े के पानी से बुझा दो।
अब उत्तेजना के मारे मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.. सो मैंने भी ज़्यादा देर ना करते हुए चुदाई शुरू करने की सोची.. पर सोचा थोड़ा चाची को और तड़पाता हूँ।
मैं बोला- सुमन कुछ बताओ तो.. कि चुदाई कैसे करनी है।
वो थोड़ी हैरान हुईं.. पर फिर मुझे अपनी चूत की तरफ जाने का इशारा किया। मैंने वैसा ही किया और उनकी दोनों टाँगों के बीच बैठ गया।
अब मेरा लंड चाची की चूत के बिल्कुल सामने था और मैं मन में सोच रहा था.. ना जाने कब मेरा ये लण्ड इनकी इस मस्त चूत में जाएगा।
तभी चाची ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर उसको अपनी चूत के छेद पर लगा लिया और बोलीं- राजवीर अब धक्का लगाओ।
चाची के यह कहते ही मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड उनकी टाइट और नर्म चूत में घुसता चला गया।
उनके मुँह से एक घुटी सी चीख निकली.. शायद उन्हें थोड़ा दर्द हुआ था.. क्योंकि आज भी उनकी चूत में बहुत कसावट थी।
मेरा लंड उनकी चूत में फँस गया था और उनकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में दे दिया हो।
चाची बोलीं- थोड़ा धीरे-धीरे डालो.. बहुत दिनों बाद ये चूत लंड ले रही है।
मैं कुछ देर रूका रहा.. ताकि चाची नॉर्मल हो जाएँ.. और मैंने उनकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद ही चाची नीचे से कमर हिलाने लगीं.. तो मैं समझ गया कि अब चाची पूरा लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हैं।
मैंने कहा- सुमन… तुम बहुत सेक्सी हो..
यह कहते ही मैंने दूसरा जोरदार धक्का मार दिया और मेरा लंड उनकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर घुस गया।
चाची इस अचानक लगे धक्के से थोड़ी ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आराम से करो राजवीर.. मैं कहीं भागी थोड़े जा रही हूँ।
फिर मैं कुछ देर उनकी चूत में अपना लंड डाले हुए शांति से रुका रहा।
कुछ देर बाद जब चाची ने भी लंड अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया और दर्द कम हो गया तो बोलीं- अब चुदाई शुरू करो।
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत में आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे अपने धक्कों की रफ़्तार और ताक़त बढ़ाने लगा।
अब चाची को पूरा मज़ा आने लगा था.. और वो मस्त हो कर मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थीं, वे मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से बोल रही थीं- फाड़ दो.. मेरी चूत.. राजवीर.. आह्ह.. निकाल दो इसकी गर्मी.. बहुत दिनों से परेशान कर रही थी यह चूत.. आज इसको सबक सिखा दो..आह्ह..
वे चुदते हुए और भी ना जाने क्या-क्या बके जा रही थीं।
मैं भी अब पूरे जोश से उनको चोदने लगा और वो भी नीचे से कमर हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थीं।
फिर 10 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो ज़ोर से अकड़ गईं और मुझसे कसके लिपट गईं, उनका पानी निकल गया था.. पर मैं अभी भी लगा हुआ था और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चोदे जा रहा था।
सुमन चाची फिर से मस्त में आ गई थीं और मुझे और ज़ोर से चोदने को कह रही थीं।
हम दोनों पसीने में भीग चुके थे और फिर 5 मिनट की और जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे भी लगा कि मेरा वीर्य निकलने वाला है.............
तो मैंने चाची से पूछा- चाची मेरा निकलने वाला है.. क्या करूँ? अन्दर या बाहर निकालु ??????
चाची बोलीं- अन्दर ही निकाल दो.. कुछ नहीं होगा.. अभी 4 दिन पहले ही पीरियड बंद हुए हैं इसलिए बेफिक्र रहो।
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि चाची क्या कहना चाहती हैं।
अब मैं पूरी ताक़त से उनकी चूत में अपना लंड पेलने लगा और फिर 8-9 जबरदस्त धक्कों के बाद ही चाची ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आह्ह.. मैं गई..
तभी 3-4 धक्कों के बाद मेरा भी वीर्य निकल गया, हम दोनों एक ही साथ चरम पर पहुँचे।
हम दोनों एक-दूसरे से ऐसे लिपट गए कि हमारे बीच से हवा भी नहीं गुज़र सकती थी।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे, मेरा लंड भी अब छोटा होकर चाची की चूत से बाहर आ गया था और उनकी चूत से मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य निकल रहा था।
मैं अब उनके ऊपर से उतर कर उनकी बगल में उनके कंधे पर सर रख कर लेट गया।
हम दोनों को कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
जब सुबह 7 बजे आँख खुली तो देखा कि सुमन चाची बिस्तर पर नहीं थीं और वो मेरे नंगे बदन पर चादर डाल कर चली गई थीं। मैं उठा और फ्रेश होकर जैसे ही कमरे में आया तो देखा की सुमन चाची चाय ले आई थीं और बिस्तर पर बैठे मुस्करा रही थीं..
मैंने आगे बढ़कर उनके कोमल चेहरे को हाथों में लेकर उनके गुलाबी होंठों को हल्के से चूम लिया।
वो हौले से मुस्कराईं और हम दोनों साथ बैठ कर चाय पीने लगे।
इसके बाद जब तक चाचा जी नहीं आए और जब भी मौका मिलता.. हम दोनों जी भर के चुदाई करते। सुमन चाची ने मुझे चोदने के कई तरीके सिखाए और मुझे चुदाई में एकदम खिलाड़ी बना दिया।
चाची की गाण्ड भी बहुत मस्त थी.. पर चाची उसे कभी छूने भी नहीं देती थीं।
एक बार उनकी गाण्ड मारने की कोशिश की.. तो वो सख्ती से बोलीं- दुबारा इसका नाम भी मत लेना।
वो कहने लगीं कि मेरी इस गाण्ड को मैंने अभी तक तुम्हारे चाचा को भी नहीं मारने दिया है। लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी और फिर एक दिन मसाज के बहाने उनकी गाण्ड में भी अपना लंड पेल दिया।
End
मेरा नाम राजवीर है, मैं हरियाणा के जिला रोहतक का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और हाइट लगभग 6 फीट की है।
मैं दिखने में एक आकर्षक युवक हूँ और एक बड़ी आई कंपनी में सीनियर ऑपरेशन एग्ज़िक्यूटिव हूँ।
दोस्तो.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ। किसी की भावनाओं को ठेस ना लगे इसलिए मैंने कहानी के पात्रों और जगह के नाम बदल दिए हैं।
यह मेरी अपनी आप बीती हुई सच्ची घटना है।
बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था और कोई 18 साल का रहा होऊँगा। मैं अपने पापा के बहुत ही खास दोस्त के पास रहता था.. क्योंकि मेरे पापा जी का ट्रान्स्फर ऐसी जगह हो गया था जहाँ पर 10 वीं के बाद कॉलेज नहीं था.. इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए पापा ने अपने दोस्त से विचार-विमर्श करके उन्हीं के पास एक कॉलेज में दाखिला दिला दिया था।
दाखिला होने के बाद.. मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया।
मेरे पापा के दोस्त के मकान में दो हिस्से थे.. एक हिस्से में उनका छोटा भाई और दूसरे हिस्से में वो खुद रहते थे। मुझे अपनी पढ़ाई और रहने के लिए आगे की तरफ़ बैठक वाला कमरा दे दिया गया था। मेरे खाने का इंतज़ाम भी पापा के दोस्त.. जिन्हें मैं चाचा जी कहता हूँ.. के पास ही किया था।
रहने और खाने के खर्चे आदि की पापा से उनकी क्या बात हुई.. मुझे नहीं मालूम था और ना ही मैंने ज़्यादा इस बारे में सोचा.. ना ही कभी उनसे पूछा।
वैसे भी मैं शुरू से ही थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था और किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं पाता था। मुझे थोड़ा समय लगता था दूसरों के साथ एडजस्ट होने में।
पापा के दोस्त की पत्नी.. जिन्हें मैं चाची जी कहता हूँ और जिनका नाम सुमन है.. वो जानती थीं कि मैं अपने मामी-पापा को याद करके थोड़ा उदास रहता हूँ.. इसलिए वो हर तरह से मुझे खुश रखने का प्रयत्न करती थीं।
वो हमेशा मुझसे हँसी-मज़ाक करती रहती थीं इसलिए मैं थोड़ा उनके साथ खुल के बात कर लेता था.. लेकिन ये सब मर्यादा में होता था।
पापा के दोस्त के छोटे भाई और बीवी थोड़ा गुस्से वाले थे.. इसलिए मेरी उनसे ज्यदा नहीं पटती थी और मैं उनसे दूर ही रहता था।
शुरू के तीन-चार महीने सब अच्छा चलता रहा.. पर उसके बाद मैं ना जाने क्यों धीरे-धीरे सुमन चाची की तरफ़ आकर्षित होने लगा और उनका साथ मुझे अच्छा लगने लगा। मुझ पर भी अब जवानी का नशा चढ़ने लगा था और किसी लड़की का साथ पाने की इच्छा बल पकड़ने लगी थी।
दोस्तो.. यह उम्र ही ऐसी होती है.. फिर सुमन चाची थीं भी तो बला की खूबसूरत.. और उनकी उम्र भी मुश्किल 26-27 साल की ही होगी, बिल्कुल गोरा रंग.. तराशा हुआ हूर सा बदन.. दो बच्चों की माँ होने पर भी उनका शरीर किसी नवयौवना जैसा ही लगता था।
उस समय उनकी बड़ी बेटी की उम्र 6 साल थी और छोटे बेटे की उम्र 4 साल के आसपास थी..
पर मेरी चाची ने अपने शरीर का बहुत ख्याल रखा था.. इसलिए कोई नहीं कह सकता था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। कसे हुए और मस्त मम्मे.. मखमली गोरा पेट.. और उस पर उनकी लचकती कमर.. जब वो कूल्हे मटका कर चलती थीं.. तो मेरा दिल मचल जाता था। मेरा दिल करता था कि इनको पकड़ कर अभी चोद दूँ।
दोस्तो.. आप भी सोचेंगे कि अभी मैंने लिखा कि मैं शर्मीला हूँ.. और अभी चुदाई की बात कर रहा हूँ।
तो बात ऐसी है कि कॉलेज की पढ़ाई के समय से ही मैंने भी इस विषय पर थोड़ा-थोड़ा जानना और पढ़ना शुरू कर दिया था। सेक्स क्या है और चुदाई कैसे करते हैं.. यह सब छोटी उम्र से ही जान गया था।
मैंने एक-दो बार उन्हें छूने की कोशिश भी की.. पर फिर डर जाता था कि मेरी ऐसी हरकतों से बात बिगड़ सकती है और कहीं नाराज़ होकर उन्होंने चाचा जी को बता दिया तो हो गई पढ़ाई.. और मामी-पापा की डांट अलग पड़ेगी। हो सकता है.. इसके बाद वो मुझे अपने पास बुला लें.. शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी.. वो अलग..
पर कहते हैं ना.. कि अगर आप दिल से कुछ माँगो.. तो मिल ही जाता है।
हुआ यों कि चाचा जी को अपनी नौकरी के सिलसिले में 6-7 महीने की लिए बिहार जाना पड़ा। बिहार में भी उनका काम घूमने-फिरने का था.. इसलिए वो परिवार को भी साथ नहीं ले जा सकते थे।
दूसरे मेरी भी ज़िम्मेदारी भी पापा जी ने उन्हीं को दे रखी थी इसलिए वो अकेले ही जा रहे थे।
जब वो जाने लगे तो मुझसे बोले- राजवीर.. चाची का और बच्चों का ख्याल रखना.. कोई बाज़ार का.. या फिर छोटा-मोटा काम हो.. तो कर देना।
मैंने कहा- चाचा जी.. आप निश्चिन्त हो कर जाएं.. मैं सब सम्भाल लूँगा।
मेरे ऐसा कहने पर चाचा जी खुश हो कर चले गए।
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए और मैं फिर से अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आया। मैं सुमन चाची के आस-पास रहने की कोशिश करने लगा।
चाचा जी को गए दो महीने होने को आए.. अब चाची थोड़ी उदास सी रहने लगी थीं..
मैंने पूछा भी कि आप उदास क्यों रहती हैं.. तो वो हंस कर टाल देती थीं।
एक दिन.. जब मैं कॉलेज से वापिस आया तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई के घर पर ताला लगा है। फिर मैं चाचा जी की तरफ़ गया.. तो उधर भी कोई नहीं था। मैं जैसे ही वापिस जाने लगा.. मुझे बाहर वाले बाथरूम से किसी के नहाने की आवाज़ आई। मैंने आवाज़ लगाई.. तो सुमन चाची बोलीं- मैं नहा रही हूँ.. तुम्हारा खाना रखा है.. खा लो।
मैंने कहा- ठीक है..
पर तभी मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई.. और मैंने सोचा कि चाची को नहाते हुए देखना चाहिए। फिर मैं धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास गया और कोई छेद ढूँढ़ने लगा। फिर थोड़ी सी कोशिश करने पर एक छोटा सा छेद दिख गया। मैंने जैसे ही छेद पर आँख लगाई.. मेरा दिमाग़ घूम गया। चाची अपने चूत में उंगली कर रही थीं.. ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
दोस्तो.. मैं दूसरे लोगों की तरह तो नहीं कहता कि मेरा लंड बहुत लंबा व मोटा है.. भगवान जाने वो सच कहते हैं या झूठ.. पर मेरे लंड लगभग 6.7 इंच लंबा और 3.8 इंच गोलाई में मोटा है और खड़ा होने पर एकदम सख्त हो जाता है।
चाची को चूत में उंगली करते देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया और मैं चाची को देख कर मस्त हुआ जा रहा था।
तभी चाची को लगा कि बाहर कोई है.. और उन्होंने ज़ोर से पूछा- कौन है?
मैं डर गया और भाग कर अपने कमरे में चला गया।
कुछ देर बाद सुमन चाची नहा कर आ गईं और मुझे खाने के लिए आवाज़ लगाई।
मैं डरते-डरते उनके पास गया.. तो वो बिल्कुल नॉर्मल सी लगीं.. उन्होंने मेरे लिए खाना लगा दिया।
मैं चुपचाप खाने लगा.. वो मेरे पास ही बैठ गईं और अपने बाल संवारने लगीं।
अचानक उन्होंने पूछा- राजवीर दरवाजे के बाहर तुम ही थे ना?
मुझे काटो तो खून नहीं.. मैंने माफी मांगते हुए ‘हाँ’ कर दी और बोला- दोबारा ऐसा नहीं होगा।
वो हंस कर बोलीं- ऐसा करना ग़लत बात होती है.. वैसे तुम देख क्या रहे थे?
मैंने बोला- कुछ नहीं..
पर तभी वो थोड़ा गुस्से में बोलीं- सच बताओ.. नहीं तो तुम्हारे मामी-पापा को बता दूँगी।
मैं डर गया और उनसे दुबारा माफी मांगने लगा।
वो फिर बोलीं- ठीक है.. मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. पर तुम सच बताओ.. क्या देख रहे थे?
मैंने डरते-डरते बोला- मैं आपको ही देख रहा था..
वो बोलीं- क्यों?
मैंने फिर धीरे से कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।
वो हंस दीं और बोलीं- और क्या देखा.. साफ-साफ बताओ?
अब मैं थोड़ा नॉर्मल हो चुका था, मैं बोला- आप अपनी चूत में उंगली कर रही थीं..
वो थोड़ी सकपकाईं और बोलीं- ठीक है.. ठीक है.. अब दुबारा ऐसी हरकत मत करना।
बात आई गई हो गई.. पर उस दिन के बाद सुमन चाची का व्यवहार कुछ बदल सा गया था, अब वो भी मुझे किसी ना किसी बहाने छूने लग गई थीं और खुल कर हँसी-मज़ाक करने लग गई थीं।
फिर वो दिन भी आया.. जब मैंने अपनी चाची को जी भर के चोदा..
यह बात सितम्बर की है, मेरे मिड-टर्म एग्जाम चल रहे थे और अगले एग्जाम से पहले 3 दिन की छुट्टी थी इसलिए मैं भी थोड़ा रिलेक्स था। उस दिन मैं 11 बजे पढ़ने बैठा और फिर 4 बजे तक पढ़ता रहा।
फिर हल्का सा नाश्ता करने के बाद मैं सो गया। लगभग 6 बजे आँख खुली.. तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ कहीं जा रहे थे।
मैंने पूछा तो बोले- हम सब एक दोस्त की शादी में जा रहे हैं दो दिन बाद आएंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं भी अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया। लगभग 2 घंटे के बाद वापिस आया.. तो सुमन चाची ने कहा- राजवीर फ्रेश हो जाओ.. खाना तैयार है।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश हो कर आ गया। इसके बाद सबने मिल कर खाना खाया.. खाना खा कर दोनों बच्चे और मैं टीवी देखने लगे।
टीवी देखते-देखते बच्चे सोने लगे.. तो मैंने चाची को आवाज़ लगाई और वो दोनों बच्चों को सुलाने के लिए अपने कमरे में ले गईं।
मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम लेकर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं, हम दोनों टीवी देखने लगे।
सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
दोस्तों मेरी इस सच्ची कहानी के अगले भाग में आपको मालूम हो जाएगा.. कि आगे क्या हुआ क्या चाची ने मुझे कुछ करने दिया या सब कुछ एक सपना ही होकर रह गया।
मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम ले कर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं। हम दोनों टीवी देखने लगे। सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
अब आगे..
इसी तरह एक घंटा निकल गया और मेरा लंड बुरी तरह तन गया था। इसलिए मैं उठा और अपना लंड छुपाते हुआ बोला- मुझे नींद आ रही.. मैं सोने जा रहा हूँ।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैं तेज़ी से अपने कमरे में आ गया। उनके नाम की मुठ्ठ मारी और सो गया।
मुझे एग्जाम के दिनों में सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने की आदत है.. इसलिए मैं 3:30 पर उठा और चाय बनाने के लिए रसोई में गया। बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और जब मैं चाय बना रहा था..
तभी सुमन चाची आईं और बोलीं- राजवीर थोड़ी चाय मुझे भी दे देना.. मेरा सर भारी हो रहा है.. इसलिए नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर चाय बनाने के बाद एक कप चाय उनको देने के लिए उनके कमरे में गया तो देखा कि चाची बिस्तर पर लेटी हुई हैं और दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे हैं।
मैंने आवाज़ लगाई- चाची.. चाय ले लो..
वो उठ कर बैठ गईं और चाय लेकर बोलीं- राजवीर कुछ देर यहीं बैठ जाओ.. मुझे नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं यहीं अपनी किताब ले आता हूँ।
मैं किताब लेकर आ गया और वहीं चाची के बिस्तर पर पैरों की तरफ बैठ गया..
चाची चाय पीकर लेट गईं और बोलीं- हल्की ठंड है.. तुम चादर ओढ़ लो..
उनके ऐसा कहने पर मैंने चाची के पैरों की तरफ़ पैर अन्दर करके चादर ओढ़ ली। चाची आँखें बंद करके लेटी हुई थीं और उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे।
कुछ देर तक तो सब ठीक था.. पर फिर मुझे लगा कि सुमन चाची अपने पैरों से मेरे पैर को रगड़ रही हैं। मैंने सोचा कि शायद ये मेरा वहम है और मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
लेकिन कुछ देर बाद ही चाची की पैर मेरे लंड तक पहुँच गए और उसे हिलाने लगीं। मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था.. मैंने नज़र उठा कर चाची को देखा तो अदखुली आँखों से मेरी तरफ़ देख रही थीं.. आज उनकी आँखों में अजीब सी चुदास की खुमारी छाई हुई दिख रही थी। मैंने फिर से आँखें नीचे कर लीं।
अब चाची मेरे लंड को अपने पैरों से पकड़ कर मेरे लोवर के बाहर से ही ऊपर-नीचे करने लगी थीं और मुझे भी अब मज़ा आने लगा था।
कुछ देर ऐसे ही होता रहा.. मैंने फिर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ आने का इशारा किया।
मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि शायद आज चाची की चूत चोदने को मिल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से उठा और उनके सिरहाने की तरफ़ जा कर बैठ गया। अब वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी थीं।
फिर मैंने भी थोड़ी हिम्मत करते हुए अपने होंठ चाची के गुलाबी होंठों पर रख दिए।
मेरे ऐसा करते ही चाची तेज़ी से मेरा निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैंने भी अब उनका साथ देना शुरू कर दिया और धीरे से उनके बगल में लेट गया।
हाय क्या नरम और सेक्सी होंठ थे उनके.. मन कर रहा था कि इन्हें चूसता ही रहूँ। धीरे-धीरे मैंने अपने हाथों को चाची की कसी हुए छाती पर फिराना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करने से वो और ज़्यादा गर्म होने लगीं और मेरे होंठों को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं।
हम दोनों ही पर अब उत्तेजना और मस्ती छाने लगी थी। हम दोनों ही एक हो जाने के लिए आपस में एक-दूसरे से चिपटने लगे थे।
हमें यh भी ध्यान नहीं रहा कि पास में ही दोनों बच्चे सो रहे हैं।
अचानक उनकी बेटी को खाँसी आई और हम दोनों झटके से एक-दूसरे से अलग हुए.. पर शुक्र था कि उनकी बेटी अभी भी नींद में ही थी और उठी नहीं।
दोनों बच्चों को अच्छे से सुलाने के बाद चाची बोलीं- चलो.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं।
लगता था कि आज चाची भी चुदने के मूड में थीं।
मैंने बोला- ठीक है।
फिर मैंने वो किया.. जिसकी उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मैंने उन्हें गोद में उठाया और मेरे ऐसा करते ही वो मुस्करा कर मेरे गले से लग गईं।
इसके बाद मैंने उनके कमरे का दरवाजा हल्के से बंद किया और उन्हें अपने कमरे में ले आया।
मेरे कमरे में ज़्यादा सामान नहीं था.. सिर्फ़ एक स्टडी टेबल और एक सिंगल बिस्तर था।
मैंने सुमन चाची को उसी बिस्तर पर हल्के से लिटा दिया और मैं भी उनके बगल में लेट कर उनके होंठ चूसने लगा। हम दोनों 10 मिनट से एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.. पर कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। लगता था.. चाची कई दिनों की प्यासी थीं।
इसी बीच में मैंने धीरे से उनके कमीज के अन्दर हाथ डाल दिया।
चाची ने आज ब्रा नहीं पहनी थी.. इसलिए सीधे ही उनकी सख्त चूचियां मेरे हाथों में आ गईं और मैं उन्हें धीरे से.. प्यार से सहलाने लगा।.
हम दोनों एक-दूसरे की तरफ़ मुँह करके लेटे हुए थे.. इसलिए उनकी चूचियों पर हाथ फिराने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
चाची मेरी इस तकलीफ़ को समझ गईं और मेरे होंठ छोड़ कर बैठ गईं और बोलीं- ये कपड़े अपने मिलन में अड़चन डाल रहे हैं.. इसलिए इन्हें उतार देते हैं।
ऐसा कहते ही उन्होंने अपना सलवार सूट उतार दिया.. अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मैं तो उनको यूँ नंगा देख कर अपने होश ही खो बैठा।
क्या जिस्म पाया था उन्होंने… दोस्तों, एकदम साँचे में ढला हुआ… भरी हुई मस्त एकदम दूध जैसी सफेद चूचियाँ और उन पर छोटे गुलाबी निप्पल.. नाज़ुक पतली कमर.. गोरा चिकना पेट.. हाँ.. उस पर थोड़े निशान थे जो बच्चे पैदा होने के कारण बन गए थे।
उनके चिकने पेट पर गहरी नाभि को देख कर किसी का भी दिल मचल जाए.. भारी मस्त चूतड़ किसी भी लंड का पानी निकलवा दें। मैं उनको ऐसे देख ही रहा था कि चाची बोलीं- सिर्फ़ देखोगे ही.. या कुछ आगे भी करोगे?
मैं होश में आया और बोला- चाची आप हो ही इतनी मस्त कि आपके बदन से नज़र ही नहीं हट रही है।
वो हंस दीं और बोलीं- मुझे तो नंगा देख लिया.. अब अपना ‘सामान’ भी तो दिखाओ.. एक बात और.. आज रात तुम मुझे चाची नहीं.. सिर्फ़ सुमन कहोगे.. और अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आख़िर मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
मैंने भी उनकी आज्ञा का पालन किया और फिर अपना लोवर व टी-शर्ट उतार दी।
मैंने तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था तो मुझे नंगा देख कर वो हँसते हुए बोलीं- तुम तो जवान हो गए हो.. तुम्हारा लंड भी जबरदस्त लग रहा है। तुम्हारे चाचा जी का लंड भी इतना ही लंबा है.. बस तुमसे जरा पतला है।
अब वो पूरी तरह खुल चुकी थीं और पूरी मस्ती में बातें कर रही थीं।
वो बोलीं- अब तक कितनी लड़कियों को चोद चुके हो?
मैंने शरमाते हुए कहा- चाची मैंने आज तक कभी किसी को नहीं चोदा.. बस कभी-कभी मुठ्ठ मार लेता हूँ।
वो खुश होते हुए बोलीं- ओह.. अगर ये सच है.. तो आज इसका उद्घाटन मुझे ही करना होगा और तुम्हें सीखना भी होगा कि चोदते कैसे हैं।
हालाँकि मुझे चुदाई का ज्ञान पहले से ही है.. पर किसी को अभी तक चोदा नहीं था.. इसलिए मैंने भी अंजान बनते हुए कहा- चाची मैं तो अनाड़ी हूँ.. आज रात आप जो सिखाना चाहें.. सिखा सकती हैं।
वो बोलीं- ठीक है.. पर तुम मुझे चाची कहना बंद करो और मेरा नाम लेकर बुलाओ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब नहीं कहूँगा।
वो बोलीं- अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ..
उनके कहने पर मैं बिस्तर पर लेट गया। इसके बाद आगे की कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली.. धीरे से मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे मुँह में ले कर चूसने लगीं।
मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया.. और आनन्द से मेरी आँखें बंद होने लगीं।
उन्हें लंड चूसते हुए अभी 7-8 मिनट ही हुए थे कि मेरे लंड से माल की कई पिचकारियाँ उनके मुँह में छूट गईं।
क्या करता.. एक तो पहली बार एक औरत मेरा लंड चूस रही थी और दूसरा उनकी गुनगुनी गर्म जीभ का स्पर्श.. मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ।
उनका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया.. वो भी मज़े से मेरा सारा वीर्य पी गईं। वीर्य पीने के बाद भी वो लंड को लगातार चूस रही थीं। मेरे लंड में फिर से हल्की-हल्की गुदगुदी होने लगी।
कुछ ही देर और लंड चूसने के बाद वो बोलीं- चलो अब तुम ऊपर आकर मेरी इन चूचियों को प्यार से चूसो।
मुझे तो मेरी मन मांगी मुराद मिल गई.. मैं धीरे से उनके ऊपर आया और उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।
मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ?
वो मेरी तरफ हैरत से देखने लगीं.. और फिर..
दोस्तो, चाची से जब मैंने उनकी चूत चाटने के लिए कहा तो उनका क्या जबाव था.. क्या वास्तव में आज मेरा सपना पूरा हो जाने वाला था..
दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।
मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ..?
अब आगे..
अबकी बार मैंने उन्हें उनके नाम से पुकारा.. वो धीरे से बोलीं- जो करना है करो.. आज मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ।
मैं झट से उनके पैरों की तरफ़ जाकर उनकी पैन्टी उतारने लगा, उन्होंने अपने कूल्हे थोड़े से ऊपर उठाए ताकि पैन्टी निकालने में मुझे आसानी हो।
पैन्टी उतरते ही उनकी सफाचट चूत मेरे सामने थी, उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. शायद उन्होंने आज ही झाँटों को शेव किया था।
क्या मस्त चूत थी एकदम साफ़.. गुलाबी.. नर्म और कसी हुई। लगता ही नहीं था कि इसमें से दो बच्चे निकल चुके हैं।
मुझे लगता था कि वो इसका बहुत ख्याल रखती थीं।
मैंने पूछा- सुमन.. तुम्हारी चूत तो बहुत मस्त लग रही है..
वो बोलीं- मैं इसकी रोज मालिश करती हूँ.. इसी लिए मेरी चूत इतनी कसी हुई और मस्त है।
मैं हल्के से नीचे झुका और उनकी चूत को अपने होंठों से चूम लिया। मेरे ऐसा करते ही सुमन चाची का पूरा बदन काँप गया और उन्होंने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया। कुछ देर मैं ऐसे ही उनकी चूत से चिपका रहा और फिर मैंने अपने मुँह से उनकी चूत के हर हिस्से को चूमना शुरू कर दिया।
अब तो चाची का अपने ऊपर कंट्रोल ही नहीं रहा और वो पूरी तरह मस्ती में आ गईं और अपनी चूत को उठा-उठा कर चूसने के लिए कहने लगीं।
मैंने भी देर ना करते हुए उनकी टाँगें तनिक चौड़ी कीं और अपनी जीभ की नोक से उनकी चूत के ऊपर भगनासे को चूसने लगा।
अब चाची अपना आपा खो रही थीं और उत्तेजना के मारे मुँह से मस्ती भरी आवाजें निकालने लगी थीं..
मैंने भी अब अपनी जीभ से उनकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू कर दिया और फिर अचानक अपनी जीभ मैंने उनकी चूत में अन्दर घुसेड़ दी।
ऐसा करते ही मारे उत्तेजना के चाची उछल पड़ीं। चाची की चूत से अब नमकीन पानी निकल रहा था।
हाय.. क्या मस्त टेस्ट था उस पानी का.. और उस पानी की महक ने मुझे पागल ही बना दिया था। मैं बहुत तेज़ी से अपनी जीभ चाची की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा और फिर अचानक चाची ने एक चीख मारी और मेरे मुँह को अपने पैरों में जकड़ लिया।
मैं अपना मुँह हिला भी नहीं पा रहा था, लग रहा था कि उनका पानी छूट गया था।
कुछ देर बाद उनकी पकड़ ढीली हुई.. तो मैं धीरे-धीरे उन्हें नीचे से ऊपर की तरफ़ चूमते हुए उनके मुँह की तरफ़ आया और उन्हें गर्दन और होंठों पूरी मस्ती से चूमने लगा, चाची ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपटा लिया।
चाची फिर गर्म हो गई थीं.. कुछ देर बाद वो बोलीं- राजवीर अब और ज़्यादा देर मत करो.. मेरी चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई शुरू करो.. बहुत दिनों की प्यासी है ये चूत.. आज इसकी प्यास अपने लौड़े के पानी से बुझा दो।
अब उत्तेजना के मारे मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.. सो मैंने भी ज़्यादा देर ना करते हुए चुदाई शुरू करने की सोची.. पर सोचा थोड़ा चाची को और तड़पाता हूँ।
मैं बोला- सुमन कुछ बताओ तो.. कि चुदाई कैसे करनी है।
वो थोड़ी हैरान हुईं.. पर फिर मुझे अपनी चूत की तरफ जाने का इशारा किया। मैंने वैसा ही किया और उनकी दोनों टाँगों के बीच बैठ गया।
अब मेरा लंड चाची की चूत के बिल्कुल सामने था और मैं मन में सोच रहा था.. ना जाने कब मेरा ये लण्ड इनकी इस मस्त चूत में जाएगा।
तभी चाची ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर उसको अपनी चूत के छेद पर लगा लिया और बोलीं- राजवीर अब धक्का लगाओ।
चाची के यह कहते ही मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड उनकी टाइट और नर्म चूत में घुसता चला गया।
उनके मुँह से एक घुटी सी चीख निकली.. शायद उन्हें थोड़ा दर्द हुआ था.. क्योंकि आज भी उनकी चूत में बहुत कसावट थी।
मेरा लंड उनकी चूत में फँस गया था और उनकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में दे दिया हो।
चाची बोलीं- थोड़ा धीरे-धीरे डालो.. बहुत दिनों बाद ये चूत लंड ले रही है।
मैं कुछ देर रूका रहा.. ताकि चाची नॉर्मल हो जाएँ.. और मैंने उनकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद ही चाची नीचे से कमर हिलाने लगीं.. तो मैं समझ गया कि अब चाची पूरा लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हैं।
मैंने कहा- सुमन… तुम बहुत सेक्सी हो..
यह कहते ही मैंने दूसरा जोरदार धक्का मार दिया और मेरा लंड उनकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर घुस गया।
चाची इस अचानक लगे धक्के से थोड़ी ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आराम से करो राजवीर.. मैं कहीं भागी थोड़े जा रही हूँ।
फिर मैं कुछ देर उनकी चूत में अपना लंड डाले हुए शांति से रुका रहा।
कुछ देर बाद जब चाची ने भी लंड अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया और दर्द कम हो गया तो बोलीं- अब चुदाई शुरू करो।
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत में आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे अपने धक्कों की रफ़्तार और ताक़त बढ़ाने लगा।
अब चाची को पूरा मज़ा आने लगा था.. और वो मस्त हो कर मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थीं, वे मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से बोल रही थीं- फाड़ दो.. मेरी चूत.. राजवीर.. आह्ह.. निकाल दो इसकी गर्मी.. बहुत दिनों से परेशान कर रही थी यह चूत.. आज इसको सबक सिखा दो..आह्ह..
वे चुदते हुए और भी ना जाने क्या-क्या बके जा रही थीं।
मैं भी अब पूरे जोश से उनको चोदने लगा और वो भी नीचे से कमर हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थीं।
फिर 10 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो ज़ोर से अकड़ गईं और मुझसे कसके लिपट गईं, उनका पानी निकल गया था.. पर मैं अभी भी लगा हुआ था और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चोदे जा रहा था।
सुमन चाची फिर से मस्त में आ गई थीं और मुझे और ज़ोर से चोदने को कह रही थीं।
हम दोनों पसीने में भीग चुके थे और फिर 5 मिनट की और जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे भी लगा कि मेरा वीर्य निकलने वाला है.............
तो मैंने चाची से पूछा- चाची मेरा निकलने वाला है.. क्या करूँ? अन्दर या बाहर निकालु ??????
चाची बोलीं- अन्दर ही निकाल दो.. कुछ नहीं होगा.. अभी 4 दिन पहले ही पीरियड बंद हुए हैं इसलिए बेफिक्र रहो।
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि चाची क्या कहना चाहती हैं।
अब मैं पूरी ताक़त से उनकी चूत में अपना लंड पेलने लगा और फिर 8-9 जबरदस्त धक्कों के बाद ही चाची ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आह्ह.. मैं गई..
तभी 3-4 धक्कों के बाद मेरा भी वीर्य निकल गया, हम दोनों एक ही साथ चरम पर पहुँचे।
हम दोनों एक-दूसरे से ऐसे लिपट गए कि हमारे बीच से हवा भी नहीं गुज़र सकती थी।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे, मेरा लंड भी अब छोटा होकर चाची की चूत से बाहर आ गया था और उनकी चूत से मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य निकल रहा था।
मैं अब उनके ऊपर से उतर कर उनकी बगल में उनके कंधे पर सर रख कर लेट गया।
हम दोनों को कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
जब सुबह 7 बजे आँख खुली तो देखा कि सुमन चाची बिस्तर पर नहीं थीं और वो मेरे नंगे बदन पर चादर डाल कर चली गई थीं। मैं उठा और फ्रेश होकर जैसे ही कमरे में आया तो देखा की सुमन चाची चाय ले आई थीं और बिस्तर पर बैठे मुस्करा रही थीं..
मैंने आगे बढ़कर उनके कोमल चेहरे को हाथों में लेकर उनके गुलाबी होंठों को हल्के से चूम लिया।
वो हौले से मुस्कराईं और हम दोनों साथ बैठ कर चाय पीने लगे।
इसके बाद जब तक चाचा जी नहीं आए और जब भी मौका मिलता.. हम दोनों जी भर के चुदाई करते। सुमन चाची ने मुझे चोदने के कई तरीके सिखाए और मुझे चुदाई में एकदम खिलाड़ी बना दिया।
चाची की गाण्ड भी बहुत मस्त थी.. पर चाची उसे कभी छूने भी नहीं देती थीं।
एक बार उनकी गाण्ड मारने की कोशिश की.. तो वो सख्ती से बोलीं- दुबारा इसका नाम भी मत लेना।
वो कहने लगीं कि मेरी इस गाण्ड को मैंने अभी तक तुम्हारे चाचा को भी नहीं मारने दिया है। लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी और फिर एक दिन मसाज के बहाने उनकी गाण्ड में भी अपना लंड पेल दिया।
End