13-08-2021, 12:03 PM
अब हालत यह थी कि मैं धक्के तो लगा सकता था पर पूरा लंड बाहर नहीं निकाल सकता था। आधे लंड को ही बाहर निकाला जा सकता था। सुधा ने नीचे की ओर एक धक्का और लगाया और मेरा बाकी का लंड भी उसकी गांड में समां गया। वो धीरे धीरे धक्का लगा रही थी और सीत्कार भी कर रही थी। “ओह … उई … अहह। या … ओईईई … माँ ….”
उसकी कोरी नाजुक मखमली गांड का अहसास मुझे मस्त किये जा रहा था। कई दिनों के बाद ऐसी गांड मिली थी। ऐसी गांड तो मुझे कालेज में पढ़ने वाली सिमरन की भी नहीं लगी थी और न ही निशा (मधु की कजिन) की। इतनी मस्त गांड साला रमेश चूतिया कैसे नहीं मारता मुझे ताज्जुब है।
मुझे धक्के लगाने में कुछ परेशानी हो रही थी। मैंने सुधा से कहा “शहद रानी ऐसे मजा नहीं आएगा। तुम डॉगी स्टाइल में हो जाओ तो कुछ बात बने। ”
पर बिना लंड बाहर निकाले यह संभव नहीं था। और लंड तो ऐसे फंसा हुआ था जैसे किसी कुतिया ने लंड अन्दर दबोच रखा था। अगर मैं जोर लगा कर अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करता तो उसकी गांड की नरम झिल्ली और छल्ला दोनों बाहर आ जाते और हो सकता है वो फट ही जाती।
उसने धीरे से अपनी एक टांग उठाई और मेरे पैरों की ओर घूम गई। अब वो मेरे पैरों के बीच में उकडू होकर बैठी थी। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में फंसा था। अब मैंने उसे अपने ऊपर लेटा सा लिया और फिर एक कलाबाजी खाई और वो नीचे और मैं ऊपर आ गया। फिर उसने अपने घुटने मोड़ने शुरू किये और मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया। अब हम डॉगी स्टाइल में हो गए थे।
अब तो हम दोनों ही सातवें आसमान पर थे। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी चालू कर दी। आह …। असली मजा तो अब आ रहा था। मेरा आधा लंड बाहर निकालता और फिर गच्च से उसकी गांड में चला जाता। मुझे लगा जैसे अन्दर कोई रसदार चिकनाई भरी पड़ी है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि वो थोड़ी देर पहले जब अपनी चूत साफ़ कर रही थी तभी उसने गांड मरवाने का भी सोच लिया था। और क्रीम की आधी ट्यूब उसने अपनी गांड में निचोड़ ली थी। अब मेरी समझ में आया कि इतनी आसानी से मेरा लंड कैसे उसकी कोरी गांड में घुस गया था। पता नहीं साली ने कहाँ से ट्रेनिंग ली है।
“भाभी यह बाते आप मधु को क्यों नहीं समझाती !”
“मुझे पता है वो तुम्हें गांड नहीं मारने देती और तुम उससे नाराज रहते हो !”
“आपको कैसे पता ?”
“मधु ने मुझे सब बता दिया है। पर तुम फिक्र मत करो। बच्चा होने के बाद जब चूत फुद्दी बन जाती है तब पति को चूत में ज्यादा मजा नहीं आता तब उसकी पड़ोसन ही काम आती है नहीं तो मर्द कहीं और दूसरी जगह मुंह मारना चालू कर देता है। इसी लिए वो गांड नहीं मारने दे रही थी। अब तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। बस एक महीने के बाद उसकी कुंवारी गांड के साथ सुहागरात मना लेना !” सुधा हंसते हुए बोली।
“साली मधु की बच्ची !” मेरे मुंह से धीरे से निकला, पता नहीं सुधा ने सुना या नहीं वो तो मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाने में ही मस्त थी। उसकी गांड का छेद अब छोटी बच्ची की हाथ की चूड़ी जितना तो हो ही गया था। बिलकुल लाल पतला सा रिंग। जब लंड अन्दर जाता तो वो रिंग भी अन्दर चला जाता और जब मेरा लंड बाहर की ओर आता तो लाल लाल घेरा बाहर साफ़ नजर आता।
मैं तो मस्ती के सागर में गोते ही लगा रहा था। सुधा भी मस्त हिरानी की तरह आह … उछ … उईई …। मा …। किये जा रही थी। उसकी बरसों की प्यास आज बुझी थी। उसने बताया था कि रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी अब तक अनछुई और कुंवारी थी। बस कभी कभार अंगुल बाजी वो जरूर कराती रही है। मेरे मुंह से सहसा निकल गया “चूतिया है साला ! इतनी ख़ूबसूरत गांड मेरे लिए छोड़ दी !”
मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत के छेद में डाल दी। वो तो इस समय रस की कुप्पी बनी हुई थी। मैंने अपनी अंगुली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी। फ़च्छ … फ़च्छ. की आवाज गूंजने लगी। एक हाथ से मैं उसके स्तन भी मसल रहा था। उसको तो तिहरा मज़ा मिल रहा था वो कितनी देर ठहर पाती। ऊईई … माँ आ. करती हुई एक बार झड़ गई और मेरी अंगुली मीठे गरम शहद से भर गई मैंने उसे चाट लिया। सुधा ने एक बार जोर से अपनी गांड सिकोड़ी तो मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है।
मैंने सुधा से कहा- मैं भी जाने वाला हूँ !कहा निकालु?
तो वो बोली “मैं तो रस चूत में नेही लेना चाहती थी पर अब ये बाहर तो निकलेगा नहीं तो अन्दर ही निकाल दो पर ४-५ धक्के जोर से लगाओ !”
मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। मैंने उसकी कमर कस कर पकड़ी और जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, “ले मेरी सुधा रानी ले. और ले … और ले …” मुझे लगा कि मेरी पिचकारी छूटने ही वाली है।
वो तो मस्त हुई बस ओह.। आह्ह। उईई। या ….हईई … ओईई … कर रही थी। मेरे चीकू उसकी चूत की फांकों से टकरा रहे थे। उसने एक हाथ से मेरे चीकू (अण्डों) कस कर पकड़ लिए। ये तो कमाल ही हो गया। मुझे लगता था कि मेरा निकलने वाला है पर अब तो मुझे लगा कि जैसे किसी ने उस सैलाब (बाढ़) को थोड़ी देर के लिए जैसे रोक सा दिया है। मैंने फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए। १०-१५ धक्कों के बाद उसने जैसे ही मेरे अण्डों को छोड़ा मेरे लंड ने तो जैसे फुहारे ही छोड़ दी। उसकी गांड लबालब मेरे गर्म गाढ़े वीर्य से भर गई। वो धीरे धीरे नीचे होने लगी तो मैं भी उसके ऊपर ही पड़ गया। हम इसी अवस्था में कोई १० मिनट तक लेटे रहे। उसका गुदाज़ बदन तो कमाल का था। फिर मेरा पप्पू धीरे धीरे बाहर निकलने लगा। एक पुच की हलकी सी आवाज के साथ पप्पू पास हो गया। सुधा की गांड का छेद अब भी ५ रुपये के सिक्के जितना खुला रह गया था उसमे से मेरा वीर्य बह कर बाहर आ रहा था। मैंने एक अंगुली उसमें डाली और उस रस में डुबो कर सुधा के मुंह में डाल दी। उसने चटकारा लेकर उसे चाट लिया।
वो जब उठकर बैठी तो मैंने पूछा “भाभी एक बात समझ नहीं आई आप गांड के बजाये चूत में पानी क्यों लेना चाहती थी ?”
“अरे मेरे भोले राजा ! क्या मुझे एक सुन्दर सा बेटा नहीं चाहिए ? मैं रमेश के भरोसे कब तक बैठी रहूंगी” सुधा ने मेरी ओर आँख मारते हुए कहा और जोर से फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
इतने में मोबाइल पर मैसेज का सिग्नल आया। बधाई हो बेटा हुआ है। मैंने एक बार फिर से सुधा की चुदाई कर दी। मैं तो गांड मारना चाहता था पर सुधा ने कहा- नहीं पहले चूत में अपना डालो तो मुझे चूत मार कर ही संतोष करना पड़ा।
सुबह हॉस्पिटल जाने से पहले एक बार गांड भी मार ही ली, भले ही पानी गांड में नहीं चूत में निकाला था। यह सिलसिला तो अब रोज ही चलने वाला था जब तक उसकी गांड के सुनहरे छेद के चारों ओर गोल कला घेरा नहीं बन जाएगा तब तक।।
End
चौकीदार संग चुत चुदाई :------
सभी पाठकगण को रश्मि की ओर से नमस्कार। आज मै आपके सामने अपनी एक और आपबीती रखने जा रही हूं। आशा करती हूं, की आपको यह कहानी पसंद आएगी मुझे ऑफिस में चौकीदार रमेश ने बहुत बार बॉस के साथ देखा था, और उसे शायद पता भी था हमारे बीच के सेक्स सम्बंधों के बारे में।
लेकिन मैने कभी नही सोचा था कि, उसकी इतनी हिम्मत होगी की वो इस बारे में आकर मुझसे कुछ कहे। रमेश एक हट्टा-कट्टा नौजवान मर्द है, जिसे देखकर मन डोलने लगे। कसरती शरीर, चौडा सीना और उसकी आँखों मे जादू था, जो किसी भी लडकी को उसकी ओर आकर्षित कर सकता था।
काम के सिलसिले में मै बॉस के साथ लखनऊ गई थी।जहां बॉस और मैने काफी मजे किए। लखनऊ से वापस आने के बाद कुछ दिन बॉस ने छुट्टी ले ली। तो एक दिन मै अब अपना काम खत्म करके ऑफिस से निकलने वाली ही थी कि, रमेश अंदर आ पहुंचा। वो रोज इसी समय पर अंदर आता था, तो मैने ज्यादा ध्यान न देते हुए कहा, “बस ५ मिनट और लगेंगे।”
वो फिर मेरे पास आकर रुक गया। मेरा काम खत्म होते ही मै निकलने लगी तो उसने पीछे से मेरे चुतड़ों पर हाथ फेरकर उन्हें दबा दिया। इससे मै गुस्सा हो गई, मैने कभी नही सोचा था की, इसकी इतनी हिम्मत होगी। मैने उसकी तरफ मुडकर उसे एक थप्पड मारने के लिए हाथ उठाया; लेकिन उसने मेरा हाथ पकड लिया। और हाथ पकडकर अपनी तरफ खींच दिया।
उसके ऐसे अचानक खींचने से मै जाकर सीधा उसके शरीर पे गिर गई। रमेश एक भी मौका छोडना नही चाहता था, उसने इसी मौके का फायदा उठाते हुए मुझे जोर से गले लगा लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर फिर से मेरे चूतड दबा दिए। अब तो जैसे मेरा गुस्सा सांतवे आसमान पर था, मैने उसे जोर से चिल्लाकर ऊंची आवाज में बात करते हुए कहा, “तुम नही जानते इसका अंजाम क्या होगा?
बॉस को आने दो, फिर तुम्हे पता चलेगा।”
पता नही मै गुस्से में और भी क्या क्या कहने लगी थी। लेकिन वो था कि, मुझे छोडने की बजाय और अपने से चिपकाए जा रहा था। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै उसकी मजबूत पकड से नही छूट पाई। आखिर में मैने हार मानकर उससे कहा, “तुम मुझसे क्या चाहते हो? क्यूं ऐसा कर रहे हो मेरे साथ?”
तो उसने मुझे छोडते हुए अपना फोन निकाल लिया और उसमें एक वीडियो चला दिया। वो वीडियो मुझे दिखाते हुए कहने लगा, “यही करना चाहता हूं मै भी तुम्हारे साथ।”
उस वीडियो में मै और बॉस थे, और मै मजे से बॉस का लंड चूस रही थी। यह वीडियो देखकर मै एकदम से घबरा गई, मेरी हालत तो भीगी बिल्ली की तरह हो गई थी कि, काटो तो खून नही। एक पल को तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, मै क्या करूं ? लेकिन अगले ही पल मै रमेश के सामने गिडगिडाने लगी कि, प्लीज इसे डिलीट कर दो। लेकिन वह टस से मस नही हुआ था। फिर उसने कहा, “तुम्हे पहली बार देखते ही मै समझ गया था, तो तबसे तुम पर नजर रखे हूं। आज बहुत मुश्किल से हाथ लगी हो, ऐसे तो छोडने से रहा।”
मैने उसे समझाते हुए कहा, “मै वैसी लडकी नही हूं, ये वीडियो कहीं किसी ने देख लिया, तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।”
यह सुनते ही रमेश के चेहरे पे विजयी मुस्कान आ गई। और वो बोलने लगा, “तुम भी अगर मेरा साथ दोगी, तो बाहर किसी को कुछ पता नही चलेगा। बदनामी भी नही होगी और तुम भी मजे करोगी।”
अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नही था। और अब मै भी समझ चुकी थी, यह मुझे चोदे बिना मानने वाला है नही। तो मै भी अब अपना मन बनाने लगी थी। वैसे मै भी यही चाहती थी, लेकिन बदनामी से डर रही थी। उसकी बात सुनने के बाद मैंने अपनी आंखें नीचे झुका ली और शांत खडी रही।
उसने इसी को मेरी हां मानकर मेरे और पास आ गया। मेरे पास आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। और एक हाथ मेरे बालों में घुसाकर मेरे बंधे हुए बालों को खुला कर दिया। फिर मेरे बालों को पकडकर मेरे सर को अपनी तरफ ले लिया और मेरे नाजुक कोमल से होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वो मेरे होठों को चुम कम चूस और काट ज्यादा रहा था।
किस शुरू करने के बाद वह रुकने का नाम ही नही ले रहा था। पांच-छह मिनट के बाद मैने ही उसे अपने से दूर धकेल कर अलग करते हुए कहा, “रमेश आज मुझे जाने दो, अब बहुत लेट हो गया है। तुम्हे मेरे साथ जो करना है, कल कर लेना।”
लेकिन वह कुछ सुनने के मूड में कहां था। वह तो बस अपने मे ही मस्त लगा था। उसने मुझे फिर से अपने पास खींचते हुए चूमना चालू कर दिया। वह बहुत ही जोर जोर से मेरे होठों को चूस रहा था, जिससे बहुत जल्द ही वह दर्द करने लगे थे। होठों के बाद उसने मेरे चेहरे पे ऐसी एक भी जगह नही छोडी जहां उसने किस ना किया हो। कोई भी जगह नही बची थी, जहां उसने काट खाया न हो। मेरा पूरा चेहरा उसके चूसने और काटने से लाल पड गया था।
चेहरे के बाद फिर उसने पहले तो मुझे घुमा दिया, जिससे मेरी पीठ उसके सामने आ गई। फिर रमेश ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पे रखकर मेरे आमों को मसलना शुरू कर दिया। यह सब वो बहुत जोर जोर से कर रहा था, जिससे मुझे एक अजीब सा दर्द हो रहा था। लेकिन मजा भी बहुत ज्यादा आ रहा था, तो मै भी उसका साथ दे रही थी।
वो मेरे स्तनों को मसलते हुए अपना लंड मेरी गांड की दरार में रगड रहा था और अपने होठों से मेरी गर्दन पर चुम रहा था। चूमते चूमते पता नही उसने न जाने कितनी बार मेरी गर्दन पे काटा, जिससे मेरे मुंह से एक आह निकल जाती थी। उसके इस तरह मुझे छूने से, सहलाने से, मसलने से मुझ पर एक अलग ही नशा सा छाने लगा था। फिर उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को अपनी हथेली में भींच लिया। उसके मेरी चुत को इस तरह सहलाने से भी मुझे एक अलग ही अहसास की अनुभूती हो रही थी।
फिर उसने मुझे एक झटके से अलग करके टेबल पर बिठा दिया और मेरी कमीज को उतारने के लिए नीचे से उसे उठाने लगा। अब तक तो मै भी मस्त हो चुकी थी, लेकिन थोडा विरोध तो करना ही था। तो मैने उससे कहा, “जो करना है, ऊपर से ही करो। कोई आ गया तो गडबड हो जाएगी।”
उसने कहा, “टेंशन ना ले, आते वक्त मैं गेट को अंदर से लॉक करके आया हूँ। तो अंदर कोई नही आ सकता।”
और इतना कहकर उसने मेरी कमीज कंधो तक उठा दी, जिससे मुझे हाथ उठाकर उसकी सहायता करनी थी। मेरे हाथ उठाते ही उसने कमीज को निकालकर साइड में रख दिया और एक भूखे शेर की तरह मेरे आमों को देखने लगा। उसको ऐसा घूरते हुए देखकर मै बोल पडी, “अब सिर्फ देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?”
इस पर जैसे उसकी नींद खुली, उसने हंसकर मेरी तरफ देखा और फिर सीधा मेरे स्तनों के ऊपर से ब्रा को भी हटाकर अपना मुंह लगा दिया। रमेश ने ब्रा को निकाला नही था, बस उसके कप को उठाकर स्तनों के ऊपर कर दिया और नीचे से स्तनों को बाहर निकाल दिया। अब रमेश मस्त होकर मेरे स्तनों को चूस रहा था, और तभी उसने थोडी देर बाद अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिससे ब्रा नीचे गिरकर हम दोनों के बीच आ गई। रमेश ने ब्रा को भी मेरी कमीज के पास रख दिया और फिर से स्तनों को मसलने लगा।
थोडी देर बाद उसने मुझे टेबल से उठाया और खुद अपनी पैंट निकाल दी। पैंट निकालते ही अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लंड का साइज साफ पता चल रहा था। वह अपने पूरे जोश में था। उसने फिर मुझे पकडकर नीचे को बिठाया, जिसका मतलब मै समझ गई। मैने नीचे बैठते हुए पहले अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को अच्छे से सहलाते हुए नाप लिया। और फिर उसके अंडरवियर को एक झटके में नीचे खिसकाकर लंड को आजाद कर दिया।
अंडरवियर को नीचे खिसकाते ही रमेश का लंड एक झटके के साथ बाहर निकल आया और हवा में लहराने लगा। उसका लंड बहुत बडा था, बॉस के लंड से लम्बा भी था। फिर मैंने धीरे से पहले उसके लंड को हाथ मे पकडकर सहलाया। उसका लंड करीब ८ इंच का होगा। सहलाते हुए उसके अग्रभाग पर मैने एक चुम्मा दे दिया, जिससे उसका लंड और उछलने लगा।
पहले ही ऑफिस में काफी समय हो चुका था, और जल्दी से घर भी जाना था। तो मैने सोचा, आज के लिए रमेश के लंड को चूसकर माल निकाल दुंगी, और फिर बाकी का बाद में कभी देखा जाएगा। अब रमेश मेरे सामने खडा था, और मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को थी। मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को मुंह मे भरने जा रही थी।.
अब तक तो रमेश का लंड भी एकदम तनकर सलाम ठोकने लगा था। तो मैने भी ज्यादा देरी न करते हुए, उसको सहलाते हुए लंड अपने मुंह मे भर लिया। अब अगर जल्द से जल्द घर जाना होगा तो जल्द ही उसका पानी निकालना जरूरी था। जल्दी से मै घर के लिए निकल जाऊं इसलिए मै मस्त होकर उसके लंड को चूस रही थी।
थोडी देर चूसने के बाद ही रमेश ने मेरे सर को पीछे से पकड लिया, और अब मेरे मुंह मे धक्के लगाने लगा। वह मेरे मुंह को चोदे जा रहा था। रमेश का लंड बहुत लंबा होने की वजह से पूरा मेरे मुंह मे नही जा रहा था। जैसे ही वो मेरे सर को पकडकर अपना पूरा लंड मेरे मुंह मे घुसाना चाहता, मुझे एक उबकाई सी आ जाती और फिर वो अपना लंड बाहर निकाल लेता। एक दो बार तो उसने अचानक बहुत जोर से धक्का लगा दिया था, जिस वजह से मेरी सांस ही अटक गई थी।
अब मै उसके लंड को चूसते हुए अपने हाथ से उसके अंडकोषों को भी सहला रही थी। लगभग १५ मिनट तक उसने मुझे अपना लंड चुसवाया, और फिर मेरे मुंह मे ही अपना सारा वीर्य गिरा दिया। रमेश के लंड से निकली हुई पिचकारियां मेरे मुंह मे, चेहरे पर, चूचियों पर सब तरफ बिखर चुकी थी। फिर मै जल्दी से उठकर उसका लंड साफ करने लगी, और साथ ही खुद को भी साफ कर लिया।
वैसे भी अब तक काफी समय हो चुका था, और मुझे लगा, अब रमेश भी मान जाएगा। लेकिन वह मानने के मूड मे था ही नही। उसने मुझसे कहा, “क्या हुआ, इतनी जल्दबाजी क्यूं दिखा रही हो?”
तो मैने रमेश से कहा, “रमेश बात को समझो, अभी बहुत लेट हो गया है और घर पे समय से नही पहुंची तो फिर बवाल हो जाएगा। बाकी फिर कभी करते है, आज मुझे जाने दो प्लीज।”
लेकिन वो माननेवालों में से नही था। उसने कहा, “बहुत दिनों के इंतजार के बाद तू हाथ लगी है। मै तुझे आज चोदे बिना तो छोडूंगा नही।”
यह सुनकर मै उसके सामने गिडगिडाने लगी, लेकिन उस बेरहम पर इसका कोई असर नही हुआ। उसने मुझे फिर से अपने पास खींच लिया, और मेरे स्तनों को मसलते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूमते हुए चूसने लगा। मै उसका विरोध कर रही थी, उसको अपने से दूर धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै खुद को उसकी मजबूत पकड से छुडा नही पाई।
जब मै समझ गई कि, यह आज मुझे चोदे बिना ऑफिस से निकलने नही देगा तो मैने भी अब खुद को उसके हवाले सौंप दिया। मेरी तरफ से विरोध कम होते देखकर उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार का नाडा खोल दिया। सलवार का नाडा खोलते ही सलवार नीचे गिरकर मेरे पैरों में आ गई, जिसे मैने थोडी ही देर में अपने शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही उसने देखा, मै उसकी सहायता कर रही हूं, वह मुझसे अलग होकर अपनी शर्ट निकालने लगा।
अब रमेश मेरे सामने बिल्कुल नंगा खडा था, और मै सिर्फ अपनी पैंटी में थी। मेरी पैंटी मुश्किल से मेरी चुत को ढक पा रही थी। रमेश अपनी शर्ट उतारने के बाद मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ गया।
रमेश ने मेरे चुतड़ों पे अपनी पकड मजबूत कर ली और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को सूंघने लगा। धीरे से अपनी नाक से मेरी चुत को सहलाने लगा। फिर धीरे से अपनी एक उंगली से उसने मेरी पैंटी को साइड कर दिया और चुत के मुंह पे एक चुम्मी दे दी।
अब रमेश मेरी चुत का रसपान करना चाह रहा था लेकिन पैंटी उसके बीच आ रही थी। तो उसने अपनी उंगलियां पैंटी में फंसाकर उसे धीरे से नीचे खिसकाने लगा। और आखिर में अब मै अपने ऑफिस के एक चौकीदार के सामने पूरी नंगी खडी थी।
मुझे थोडी शर्म भी लग रही थी, लेकिन चुदास शर्म पर हावी थी। रमेश ने मेरी पैंटी उतारकर साइड में रख दी। और तुरंत ही मेरी चुत का रसपान करने लगा।
रमेश बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुत चाट रहा था। उसको देखकर लग रहा था, वो चुत के रस का बरसों से इंतजार कर रहा था। वह लगभग मेरी चुत को खाने की ही कोशिश कर रहा था। उसके इस तरह से चुत चाटने से जल्द ही मेरा शरीर अकडने लगा। मैने कांपते हुए पैरों के साथ उसके सर को अपनी चुत पे दबाकर अपना फव्वारा छोड दिया। रमेश ने भी तब तक चुत से अपना मुंह नही हटाया जब तक एक एक बूंद उसने साफ ना कर दी हो।
चुत से हटने के बाद रमेश उठा और उसने मुझे टेबल की तरफ मुंह करके टेबल पे हाथ रखकर खडा किया। और फिर मुझे थोडा नीचे झुकाया, और मेरी चुत के द्वार को देखने लगा। उसने अपने दोनों हाथों को मेरे दोनों पैरों के बीच मे घुसाकर मेरे पैरों को फैला दिया। और अपने एक हाथ पे ढेर सारा थूक लेकर मेरी चुत के मुहाने पे लगा दिया। फिर वह मेरे पीछे आया, और मेरे चुतड़ों को फैलाकर उसपे एक थप्पड जड दिया।
रमेश ने फिर अपने हाथों से मेरी कमर को कसकर पकड लिया और दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पे टिकाकर एक जोर का धक्का लगा दिया। बॉस का लंड लेकर मेरी चुत पहले ही खुल चुकी थी, और बॉस का लंड रमेश से मोटा भी था। तो रमेश का लंड अंदर घुसने में कोई खास परेशानी हुई नही। तो रमेश ने बिना रुके दूसरा धक्का भी मार दिया, जिससे उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। लंड बच्चेदानी से टकराते ही मेरे मुंह से चीख निकल गई, जिसे सुनकर रमेश खुश होने लगा।
अब रमेश ने मेरी कमर छोडकर अपने हाथों में मेरे दोनों स्तन पकड लिए, और उन्हें मसलते हुए धक्के लगाए जा रहा था। उसके हर धक्के के साथ लंड बच्चेदानी से टकरा जाता, जिससे मै उछल पडती। इसी बीच वह कभी मेरे बालों को पकडकर खींचता और मेरे मुंह को चूम लेता, तो कभी मेरे चुतड़ों पे थप्पड लगा देता। उसके चोदने के तरीके में एक अलग ही वहशीपन दिखाई दे रहा था, लेकिन मुझे भी यह अच्छा लगने लगा था और मै भी मजे लेने लगी थी।
थोडी देर बाद उसने अचानक अपना लंड खींचकर मेरी चुत से बाहर निकाल लिया। लंड के अचानक बाहर निकलने से मुझे लगा, मुझसे किसीने मेरी बहुत कीमती चीज छीन ली हो।
मैने पलटकर रमेश की तरफ सवालिया नजर से देखा तो उसने कहा, “अब तुम मेरी तरफ मुंह करके टेबल पर बैठ जाओ।”
तो मै भी तुरंत ही उसके कहे अनुसार टेबल पर बैठ गई, और अपनी बांहे खोलकर उसे अपनी तरफ बुला लिया। रमेश ने मेरा हाथ अपने कंधे पर रखा और आगे आकर लंड को मेरी चुत के द्वार पे रखकर एक धक्का दे दिया। इस बार एक ही झटके में उसका लंड अंदर चला गया और अब वो मेरे होठों का रसपान करते हुए मेरी चुत बजाए जा रहा था।
लंड पूरा अंदर जाते ही मैने भी अपने हाथों के हार को उसके गले में डाल दिया और दोनों पैरों को उसकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया।
थोडी ही देर में मेरा शरीर अकडने लगा तो मैने अपने पैरों को रमेश की कमर पे और जोर से जकड लिया और झड गई। जैसे ही उसने फिर से देखा कि, मेरी पकड ढीली पड रही है, उसने मुझे उसी पोजिशन में उठा लिया। अब रमेश मुझे अपनी गोदी में उठाकर चोद रहा था।
उसका कसरती और गठीला शरीर अब पसीने से भीग रहा था, जिसकी खुशबू मेरे नथुनों में घुस रही थी। मै भी उसके सीने पे चूमते हुए अपने हाथों की उंगलियों से उसके सीने के बालों के साथ खेलने लगी।
थोडी देर धक्के लगाने के बाद उसने कहा,--- “मै आने वाला हूं, अपना माल कहां गिराऊं?”
मैने उससे कहा,--- “अंदर ही अपना वीर्य गिरा दो, मै अंदर महसूस करना चाहती हु। बाद में मै गर्भनिरोधक पिल ले लुंगी, तो टेंशन मत लेना।”
तो उसने और कुछ तेज झटके मारे और मेरी चुत के अंदर ही झड़ते हुए अपना सारा वीर्य मेरी चुत में भर दिया। उसके झडने के बाद उसने मुझे टेबल पर बिठाया और खुद मेरी कुर्सी पर बैठ गया।
थोडी देर बाद हम दोनों उठे, अपने आप को साफ किया और कपडे पहनकर चुपके से ऑफिस से निकल लिए।
End
उसकी कोरी नाजुक मखमली गांड का अहसास मुझे मस्त किये जा रहा था। कई दिनों के बाद ऐसी गांड मिली थी। ऐसी गांड तो मुझे कालेज में पढ़ने वाली सिमरन की भी नहीं लगी थी और न ही निशा (मधु की कजिन) की। इतनी मस्त गांड साला रमेश चूतिया कैसे नहीं मारता मुझे ताज्जुब है।
मुझे धक्के लगाने में कुछ परेशानी हो रही थी। मैंने सुधा से कहा “शहद रानी ऐसे मजा नहीं आएगा। तुम डॉगी स्टाइल में हो जाओ तो कुछ बात बने। ”
पर बिना लंड बाहर निकाले यह संभव नहीं था। और लंड तो ऐसे फंसा हुआ था जैसे किसी कुतिया ने लंड अन्दर दबोच रखा था। अगर मैं जोर लगा कर अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करता तो उसकी गांड की नरम झिल्ली और छल्ला दोनों बाहर आ जाते और हो सकता है वो फट ही जाती।
उसने धीरे से अपनी एक टांग उठाई और मेरे पैरों की ओर घूम गई। अब वो मेरे पैरों के बीच में उकडू होकर बैठी थी। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में फंसा था। अब मैंने उसे अपने ऊपर लेटा सा लिया और फिर एक कलाबाजी खाई और वो नीचे और मैं ऊपर आ गया। फिर उसने अपने घुटने मोड़ने शुरू किये और मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया। अब हम डॉगी स्टाइल में हो गए थे।
अब तो हम दोनों ही सातवें आसमान पर थे। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी चालू कर दी। आह …। असली मजा तो अब आ रहा था। मेरा आधा लंड बाहर निकालता और फिर गच्च से उसकी गांड में चला जाता। मुझे लगा जैसे अन्दर कोई रसदार चिकनाई भरी पड़ी है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि वो थोड़ी देर पहले जब अपनी चूत साफ़ कर रही थी तभी उसने गांड मरवाने का भी सोच लिया था। और क्रीम की आधी ट्यूब उसने अपनी गांड में निचोड़ ली थी। अब मेरी समझ में आया कि इतनी आसानी से मेरा लंड कैसे उसकी कोरी गांड में घुस गया था। पता नहीं साली ने कहाँ से ट्रेनिंग ली है।
“भाभी यह बाते आप मधु को क्यों नहीं समझाती !”
“मुझे पता है वो तुम्हें गांड नहीं मारने देती और तुम उससे नाराज रहते हो !”
“आपको कैसे पता ?”
“मधु ने मुझे सब बता दिया है। पर तुम फिक्र मत करो। बच्चा होने के बाद जब चूत फुद्दी बन जाती है तब पति को चूत में ज्यादा मजा नहीं आता तब उसकी पड़ोसन ही काम आती है नहीं तो मर्द कहीं और दूसरी जगह मुंह मारना चालू कर देता है। इसी लिए वो गांड नहीं मारने दे रही थी। अब तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। बस एक महीने के बाद उसकी कुंवारी गांड के साथ सुहागरात मना लेना !” सुधा हंसते हुए बोली।
“साली मधु की बच्ची !” मेरे मुंह से धीरे से निकला, पता नहीं सुधा ने सुना या नहीं वो तो मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाने में ही मस्त थी। उसकी गांड का छेद अब छोटी बच्ची की हाथ की चूड़ी जितना तो हो ही गया था। बिलकुल लाल पतला सा रिंग। जब लंड अन्दर जाता तो वो रिंग भी अन्दर चला जाता और जब मेरा लंड बाहर की ओर आता तो लाल लाल घेरा बाहर साफ़ नजर आता।
मैं तो मस्ती के सागर में गोते ही लगा रहा था। सुधा भी मस्त हिरानी की तरह आह … उछ … उईई …। मा …। किये जा रही थी। उसकी बरसों की प्यास आज बुझी थी। उसने बताया था कि रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी अब तक अनछुई और कुंवारी थी। बस कभी कभार अंगुल बाजी वो जरूर कराती रही है। मेरे मुंह से सहसा निकल गया “चूतिया है साला ! इतनी ख़ूबसूरत गांड मेरे लिए छोड़ दी !”
मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत के छेद में डाल दी। वो तो इस समय रस की कुप्पी बनी हुई थी। मैंने अपनी अंगुली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी। फ़च्छ … फ़च्छ. की आवाज गूंजने लगी। एक हाथ से मैं उसके स्तन भी मसल रहा था। उसको तो तिहरा मज़ा मिल रहा था वो कितनी देर ठहर पाती। ऊईई … माँ आ. करती हुई एक बार झड़ गई और मेरी अंगुली मीठे गरम शहद से भर गई मैंने उसे चाट लिया। सुधा ने एक बार जोर से अपनी गांड सिकोड़ी तो मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है।
मैंने सुधा से कहा- मैं भी जाने वाला हूँ !कहा निकालु?
तो वो बोली “मैं तो रस चूत में नेही लेना चाहती थी पर अब ये बाहर तो निकलेगा नहीं तो अन्दर ही निकाल दो पर ४-५ धक्के जोर से लगाओ !”
मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। मैंने उसकी कमर कस कर पकड़ी और जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, “ले मेरी सुधा रानी ले. और ले … और ले …” मुझे लगा कि मेरी पिचकारी छूटने ही वाली है।
वो तो मस्त हुई बस ओह.। आह्ह। उईई। या ….हईई … ओईई … कर रही थी। मेरे चीकू उसकी चूत की फांकों से टकरा रहे थे। उसने एक हाथ से मेरे चीकू (अण्डों) कस कर पकड़ लिए। ये तो कमाल ही हो गया। मुझे लगता था कि मेरा निकलने वाला है पर अब तो मुझे लगा कि जैसे किसी ने उस सैलाब (बाढ़) को थोड़ी देर के लिए जैसे रोक सा दिया है। मैंने फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए। १०-१५ धक्कों के बाद उसने जैसे ही मेरे अण्डों को छोड़ा मेरे लंड ने तो जैसे फुहारे ही छोड़ दी। उसकी गांड लबालब मेरे गर्म गाढ़े वीर्य से भर गई। वो धीरे धीरे नीचे होने लगी तो मैं भी उसके ऊपर ही पड़ गया। हम इसी अवस्था में कोई १० मिनट तक लेटे रहे। उसका गुदाज़ बदन तो कमाल का था। फिर मेरा पप्पू धीरे धीरे बाहर निकलने लगा। एक पुच की हलकी सी आवाज के साथ पप्पू पास हो गया। सुधा की गांड का छेद अब भी ५ रुपये के सिक्के जितना खुला रह गया था उसमे से मेरा वीर्य बह कर बाहर आ रहा था। मैंने एक अंगुली उसमें डाली और उस रस में डुबो कर सुधा के मुंह में डाल दी। उसने चटकारा लेकर उसे चाट लिया।
वो जब उठकर बैठी तो मैंने पूछा “भाभी एक बात समझ नहीं आई आप गांड के बजाये चूत में पानी क्यों लेना चाहती थी ?”
“अरे मेरे भोले राजा ! क्या मुझे एक सुन्दर सा बेटा नहीं चाहिए ? मैं रमेश के भरोसे कब तक बैठी रहूंगी” सुधा ने मेरी ओर आँख मारते हुए कहा और जोर से फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
इतने में मोबाइल पर मैसेज का सिग्नल आया। बधाई हो बेटा हुआ है। मैंने एक बार फिर से सुधा की चुदाई कर दी। मैं तो गांड मारना चाहता था पर सुधा ने कहा- नहीं पहले चूत में अपना डालो तो मुझे चूत मार कर ही संतोष करना पड़ा।
सुबह हॉस्पिटल जाने से पहले एक बार गांड भी मार ही ली, भले ही पानी गांड में नहीं चूत में निकाला था। यह सिलसिला तो अब रोज ही चलने वाला था जब तक उसकी गांड के सुनहरे छेद के चारों ओर गोल कला घेरा नहीं बन जाएगा तब तक।।
End
चौकीदार संग चुत चुदाई :------
सभी पाठकगण को रश्मि की ओर से नमस्कार। आज मै आपके सामने अपनी एक और आपबीती रखने जा रही हूं। आशा करती हूं, की आपको यह कहानी पसंद आएगी मुझे ऑफिस में चौकीदार रमेश ने बहुत बार बॉस के साथ देखा था, और उसे शायद पता भी था हमारे बीच के सेक्स सम्बंधों के बारे में।
लेकिन मैने कभी नही सोचा था कि, उसकी इतनी हिम्मत होगी की वो इस बारे में आकर मुझसे कुछ कहे। रमेश एक हट्टा-कट्टा नौजवान मर्द है, जिसे देखकर मन डोलने लगे। कसरती शरीर, चौडा सीना और उसकी आँखों मे जादू था, जो किसी भी लडकी को उसकी ओर आकर्षित कर सकता था।
काम के सिलसिले में मै बॉस के साथ लखनऊ गई थी।जहां बॉस और मैने काफी मजे किए। लखनऊ से वापस आने के बाद कुछ दिन बॉस ने छुट्टी ले ली। तो एक दिन मै अब अपना काम खत्म करके ऑफिस से निकलने वाली ही थी कि, रमेश अंदर आ पहुंचा। वो रोज इसी समय पर अंदर आता था, तो मैने ज्यादा ध्यान न देते हुए कहा, “बस ५ मिनट और लगेंगे।”
वो फिर मेरे पास आकर रुक गया। मेरा काम खत्म होते ही मै निकलने लगी तो उसने पीछे से मेरे चुतड़ों पर हाथ फेरकर उन्हें दबा दिया। इससे मै गुस्सा हो गई, मैने कभी नही सोचा था की, इसकी इतनी हिम्मत होगी। मैने उसकी तरफ मुडकर उसे एक थप्पड मारने के लिए हाथ उठाया; लेकिन उसने मेरा हाथ पकड लिया। और हाथ पकडकर अपनी तरफ खींच दिया।
उसके ऐसे अचानक खींचने से मै जाकर सीधा उसके शरीर पे गिर गई। रमेश एक भी मौका छोडना नही चाहता था, उसने इसी मौके का फायदा उठाते हुए मुझे जोर से गले लगा लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर फिर से मेरे चूतड दबा दिए। अब तो जैसे मेरा गुस्सा सांतवे आसमान पर था, मैने उसे जोर से चिल्लाकर ऊंची आवाज में बात करते हुए कहा, “तुम नही जानते इसका अंजाम क्या होगा?
बॉस को आने दो, फिर तुम्हे पता चलेगा।”
पता नही मै गुस्से में और भी क्या क्या कहने लगी थी। लेकिन वो था कि, मुझे छोडने की बजाय और अपने से चिपकाए जा रहा था। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै उसकी मजबूत पकड से नही छूट पाई। आखिर में मैने हार मानकर उससे कहा, “तुम मुझसे क्या चाहते हो? क्यूं ऐसा कर रहे हो मेरे साथ?”
तो उसने मुझे छोडते हुए अपना फोन निकाल लिया और उसमें एक वीडियो चला दिया। वो वीडियो मुझे दिखाते हुए कहने लगा, “यही करना चाहता हूं मै भी तुम्हारे साथ।”
उस वीडियो में मै और बॉस थे, और मै मजे से बॉस का लंड चूस रही थी। यह वीडियो देखकर मै एकदम से घबरा गई, मेरी हालत तो भीगी बिल्ली की तरह हो गई थी कि, काटो तो खून नही। एक पल को तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, मै क्या करूं ? लेकिन अगले ही पल मै रमेश के सामने गिडगिडाने लगी कि, प्लीज इसे डिलीट कर दो। लेकिन वह टस से मस नही हुआ था। फिर उसने कहा, “तुम्हे पहली बार देखते ही मै समझ गया था, तो तबसे तुम पर नजर रखे हूं। आज बहुत मुश्किल से हाथ लगी हो, ऐसे तो छोडने से रहा।”
मैने उसे समझाते हुए कहा, “मै वैसी लडकी नही हूं, ये वीडियो कहीं किसी ने देख लिया, तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।”
यह सुनते ही रमेश के चेहरे पे विजयी मुस्कान आ गई। और वो बोलने लगा, “तुम भी अगर मेरा साथ दोगी, तो बाहर किसी को कुछ पता नही चलेगा। बदनामी भी नही होगी और तुम भी मजे करोगी।”
अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नही था। और अब मै भी समझ चुकी थी, यह मुझे चोदे बिना मानने वाला है नही। तो मै भी अब अपना मन बनाने लगी थी। वैसे मै भी यही चाहती थी, लेकिन बदनामी से डर रही थी। उसकी बात सुनने के बाद मैंने अपनी आंखें नीचे झुका ली और शांत खडी रही।
उसने इसी को मेरी हां मानकर मेरे और पास आ गया। मेरे पास आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। और एक हाथ मेरे बालों में घुसाकर मेरे बंधे हुए बालों को खुला कर दिया। फिर मेरे बालों को पकडकर मेरे सर को अपनी तरफ ले लिया और मेरे नाजुक कोमल से होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वो मेरे होठों को चुम कम चूस और काट ज्यादा रहा था।
किस शुरू करने के बाद वह रुकने का नाम ही नही ले रहा था। पांच-छह मिनट के बाद मैने ही उसे अपने से दूर धकेल कर अलग करते हुए कहा, “रमेश आज मुझे जाने दो, अब बहुत लेट हो गया है। तुम्हे मेरे साथ जो करना है, कल कर लेना।”
लेकिन वह कुछ सुनने के मूड में कहां था। वह तो बस अपने मे ही मस्त लगा था। उसने मुझे फिर से अपने पास खींचते हुए चूमना चालू कर दिया। वह बहुत ही जोर जोर से मेरे होठों को चूस रहा था, जिससे बहुत जल्द ही वह दर्द करने लगे थे। होठों के बाद उसने मेरे चेहरे पे ऐसी एक भी जगह नही छोडी जहां उसने किस ना किया हो। कोई भी जगह नही बची थी, जहां उसने काट खाया न हो। मेरा पूरा चेहरा उसके चूसने और काटने से लाल पड गया था।
चेहरे के बाद फिर उसने पहले तो मुझे घुमा दिया, जिससे मेरी पीठ उसके सामने आ गई। फिर रमेश ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पे रखकर मेरे आमों को मसलना शुरू कर दिया। यह सब वो बहुत जोर जोर से कर रहा था, जिससे मुझे एक अजीब सा दर्द हो रहा था। लेकिन मजा भी बहुत ज्यादा आ रहा था, तो मै भी उसका साथ दे रही थी।
वो मेरे स्तनों को मसलते हुए अपना लंड मेरी गांड की दरार में रगड रहा था और अपने होठों से मेरी गर्दन पर चुम रहा था। चूमते चूमते पता नही उसने न जाने कितनी बार मेरी गर्दन पे काटा, जिससे मेरे मुंह से एक आह निकल जाती थी। उसके इस तरह मुझे छूने से, सहलाने से, मसलने से मुझ पर एक अलग ही नशा सा छाने लगा था। फिर उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को अपनी हथेली में भींच लिया। उसके मेरी चुत को इस तरह सहलाने से भी मुझे एक अलग ही अहसास की अनुभूती हो रही थी।
फिर उसने मुझे एक झटके से अलग करके टेबल पर बिठा दिया और मेरी कमीज को उतारने के लिए नीचे से उसे उठाने लगा। अब तक तो मै भी मस्त हो चुकी थी, लेकिन थोडा विरोध तो करना ही था। तो मैने उससे कहा, “जो करना है, ऊपर से ही करो। कोई आ गया तो गडबड हो जाएगी।”
उसने कहा, “टेंशन ना ले, आते वक्त मैं गेट को अंदर से लॉक करके आया हूँ। तो अंदर कोई नही आ सकता।”
और इतना कहकर उसने मेरी कमीज कंधो तक उठा दी, जिससे मुझे हाथ उठाकर उसकी सहायता करनी थी। मेरे हाथ उठाते ही उसने कमीज को निकालकर साइड में रख दिया और एक भूखे शेर की तरह मेरे आमों को देखने लगा। उसको ऐसा घूरते हुए देखकर मै बोल पडी, “अब सिर्फ देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?”
इस पर जैसे उसकी नींद खुली, उसने हंसकर मेरी तरफ देखा और फिर सीधा मेरे स्तनों के ऊपर से ब्रा को भी हटाकर अपना मुंह लगा दिया। रमेश ने ब्रा को निकाला नही था, बस उसके कप को उठाकर स्तनों के ऊपर कर दिया और नीचे से स्तनों को बाहर निकाल दिया। अब रमेश मस्त होकर मेरे स्तनों को चूस रहा था, और तभी उसने थोडी देर बाद अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिससे ब्रा नीचे गिरकर हम दोनों के बीच आ गई। रमेश ने ब्रा को भी मेरी कमीज के पास रख दिया और फिर से स्तनों को मसलने लगा।
थोडी देर बाद उसने मुझे टेबल से उठाया और खुद अपनी पैंट निकाल दी। पैंट निकालते ही अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लंड का साइज साफ पता चल रहा था। वह अपने पूरे जोश में था। उसने फिर मुझे पकडकर नीचे को बिठाया, जिसका मतलब मै समझ गई। मैने नीचे बैठते हुए पहले अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को अच्छे से सहलाते हुए नाप लिया। और फिर उसके अंडरवियर को एक झटके में नीचे खिसकाकर लंड को आजाद कर दिया।
अंडरवियर को नीचे खिसकाते ही रमेश का लंड एक झटके के साथ बाहर निकल आया और हवा में लहराने लगा। उसका लंड बहुत बडा था, बॉस के लंड से लम्बा भी था। फिर मैंने धीरे से पहले उसके लंड को हाथ मे पकडकर सहलाया। उसका लंड करीब ८ इंच का होगा। सहलाते हुए उसके अग्रभाग पर मैने एक चुम्मा दे दिया, जिससे उसका लंड और उछलने लगा।
पहले ही ऑफिस में काफी समय हो चुका था, और जल्दी से घर भी जाना था। तो मैने सोचा, आज के लिए रमेश के लंड को चूसकर माल निकाल दुंगी, और फिर बाकी का बाद में कभी देखा जाएगा। अब रमेश मेरे सामने खडा था, और मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को थी। मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को मुंह मे भरने जा रही थी।.
अब तक तो रमेश का लंड भी एकदम तनकर सलाम ठोकने लगा था। तो मैने भी ज्यादा देरी न करते हुए, उसको सहलाते हुए लंड अपने मुंह मे भर लिया। अब अगर जल्द से जल्द घर जाना होगा तो जल्द ही उसका पानी निकालना जरूरी था। जल्दी से मै घर के लिए निकल जाऊं इसलिए मै मस्त होकर उसके लंड को चूस रही थी।
थोडी देर चूसने के बाद ही रमेश ने मेरे सर को पीछे से पकड लिया, और अब मेरे मुंह मे धक्के लगाने लगा। वह मेरे मुंह को चोदे जा रहा था। रमेश का लंड बहुत लंबा होने की वजह से पूरा मेरे मुंह मे नही जा रहा था। जैसे ही वो मेरे सर को पकडकर अपना पूरा लंड मेरे मुंह मे घुसाना चाहता, मुझे एक उबकाई सी आ जाती और फिर वो अपना लंड बाहर निकाल लेता। एक दो बार तो उसने अचानक बहुत जोर से धक्का लगा दिया था, जिस वजह से मेरी सांस ही अटक गई थी।
अब मै उसके लंड को चूसते हुए अपने हाथ से उसके अंडकोषों को भी सहला रही थी। लगभग १५ मिनट तक उसने मुझे अपना लंड चुसवाया, और फिर मेरे मुंह मे ही अपना सारा वीर्य गिरा दिया। रमेश के लंड से निकली हुई पिचकारियां मेरे मुंह मे, चेहरे पर, चूचियों पर सब तरफ बिखर चुकी थी। फिर मै जल्दी से उठकर उसका लंड साफ करने लगी, और साथ ही खुद को भी साफ कर लिया।
वैसे भी अब तक काफी समय हो चुका था, और मुझे लगा, अब रमेश भी मान जाएगा। लेकिन वह मानने के मूड मे था ही नही। उसने मुझसे कहा, “क्या हुआ, इतनी जल्दबाजी क्यूं दिखा रही हो?”
तो मैने रमेश से कहा, “रमेश बात को समझो, अभी बहुत लेट हो गया है और घर पे समय से नही पहुंची तो फिर बवाल हो जाएगा। बाकी फिर कभी करते है, आज मुझे जाने दो प्लीज।”
लेकिन वो माननेवालों में से नही था। उसने कहा, “बहुत दिनों के इंतजार के बाद तू हाथ लगी है। मै तुझे आज चोदे बिना तो छोडूंगा नही।”
यह सुनकर मै उसके सामने गिडगिडाने लगी, लेकिन उस बेरहम पर इसका कोई असर नही हुआ। उसने मुझे फिर से अपने पास खींच लिया, और मेरे स्तनों को मसलते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूमते हुए चूसने लगा। मै उसका विरोध कर रही थी, उसको अपने से दूर धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै खुद को उसकी मजबूत पकड से छुडा नही पाई।
जब मै समझ गई कि, यह आज मुझे चोदे बिना ऑफिस से निकलने नही देगा तो मैने भी अब खुद को उसके हवाले सौंप दिया। मेरी तरफ से विरोध कम होते देखकर उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार का नाडा खोल दिया। सलवार का नाडा खोलते ही सलवार नीचे गिरकर मेरे पैरों में आ गई, जिसे मैने थोडी ही देर में अपने शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही उसने देखा, मै उसकी सहायता कर रही हूं, वह मुझसे अलग होकर अपनी शर्ट निकालने लगा।
अब रमेश मेरे सामने बिल्कुल नंगा खडा था, और मै सिर्फ अपनी पैंटी में थी। मेरी पैंटी मुश्किल से मेरी चुत को ढक पा रही थी। रमेश अपनी शर्ट उतारने के बाद मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ गया।
रमेश ने मेरे चुतड़ों पे अपनी पकड मजबूत कर ली और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को सूंघने लगा। धीरे से अपनी नाक से मेरी चुत को सहलाने लगा। फिर धीरे से अपनी एक उंगली से उसने मेरी पैंटी को साइड कर दिया और चुत के मुंह पे एक चुम्मी दे दी।
अब रमेश मेरी चुत का रसपान करना चाह रहा था लेकिन पैंटी उसके बीच आ रही थी। तो उसने अपनी उंगलियां पैंटी में फंसाकर उसे धीरे से नीचे खिसकाने लगा। और आखिर में अब मै अपने ऑफिस के एक चौकीदार के सामने पूरी नंगी खडी थी।
मुझे थोडी शर्म भी लग रही थी, लेकिन चुदास शर्म पर हावी थी। रमेश ने मेरी पैंटी उतारकर साइड में रख दी। और तुरंत ही मेरी चुत का रसपान करने लगा।
रमेश बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुत चाट रहा था। उसको देखकर लग रहा था, वो चुत के रस का बरसों से इंतजार कर रहा था। वह लगभग मेरी चुत को खाने की ही कोशिश कर रहा था। उसके इस तरह से चुत चाटने से जल्द ही मेरा शरीर अकडने लगा। मैने कांपते हुए पैरों के साथ उसके सर को अपनी चुत पे दबाकर अपना फव्वारा छोड दिया। रमेश ने भी तब तक चुत से अपना मुंह नही हटाया जब तक एक एक बूंद उसने साफ ना कर दी हो।
चुत से हटने के बाद रमेश उठा और उसने मुझे टेबल की तरफ मुंह करके टेबल पे हाथ रखकर खडा किया। और फिर मुझे थोडा नीचे झुकाया, और मेरी चुत के द्वार को देखने लगा। उसने अपने दोनों हाथों को मेरे दोनों पैरों के बीच मे घुसाकर मेरे पैरों को फैला दिया। और अपने एक हाथ पे ढेर सारा थूक लेकर मेरी चुत के मुहाने पे लगा दिया। फिर वह मेरे पीछे आया, और मेरे चुतड़ों को फैलाकर उसपे एक थप्पड जड दिया।
रमेश ने फिर अपने हाथों से मेरी कमर को कसकर पकड लिया और दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पे टिकाकर एक जोर का धक्का लगा दिया। बॉस का लंड लेकर मेरी चुत पहले ही खुल चुकी थी, और बॉस का लंड रमेश से मोटा भी था। तो रमेश का लंड अंदर घुसने में कोई खास परेशानी हुई नही। तो रमेश ने बिना रुके दूसरा धक्का भी मार दिया, जिससे उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। लंड बच्चेदानी से टकराते ही मेरे मुंह से चीख निकल गई, जिसे सुनकर रमेश खुश होने लगा।
अब रमेश ने मेरी कमर छोडकर अपने हाथों में मेरे दोनों स्तन पकड लिए, और उन्हें मसलते हुए धक्के लगाए जा रहा था। उसके हर धक्के के साथ लंड बच्चेदानी से टकरा जाता, जिससे मै उछल पडती। इसी बीच वह कभी मेरे बालों को पकडकर खींचता और मेरे मुंह को चूम लेता, तो कभी मेरे चुतड़ों पे थप्पड लगा देता। उसके चोदने के तरीके में एक अलग ही वहशीपन दिखाई दे रहा था, लेकिन मुझे भी यह अच्छा लगने लगा था और मै भी मजे लेने लगी थी।
थोडी देर बाद उसने अचानक अपना लंड खींचकर मेरी चुत से बाहर निकाल लिया। लंड के अचानक बाहर निकलने से मुझे लगा, मुझसे किसीने मेरी बहुत कीमती चीज छीन ली हो।
मैने पलटकर रमेश की तरफ सवालिया नजर से देखा तो उसने कहा, “अब तुम मेरी तरफ मुंह करके टेबल पर बैठ जाओ।”
तो मै भी तुरंत ही उसके कहे अनुसार टेबल पर बैठ गई, और अपनी बांहे खोलकर उसे अपनी तरफ बुला लिया। रमेश ने मेरा हाथ अपने कंधे पर रखा और आगे आकर लंड को मेरी चुत के द्वार पे रखकर एक धक्का दे दिया। इस बार एक ही झटके में उसका लंड अंदर चला गया और अब वो मेरे होठों का रसपान करते हुए मेरी चुत बजाए जा रहा था।
लंड पूरा अंदर जाते ही मैने भी अपने हाथों के हार को उसके गले में डाल दिया और दोनों पैरों को उसकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया।
थोडी ही देर में मेरा शरीर अकडने लगा तो मैने अपने पैरों को रमेश की कमर पे और जोर से जकड लिया और झड गई। जैसे ही उसने फिर से देखा कि, मेरी पकड ढीली पड रही है, उसने मुझे उसी पोजिशन में उठा लिया। अब रमेश मुझे अपनी गोदी में उठाकर चोद रहा था।
उसका कसरती और गठीला शरीर अब पसीने से भीग रहा था, जिसकी खुशबू मेरे नथुनों में घुस रही थी। मै भी उसके सीने पे चूमते हुए अपने हाथों की उंगलियों से उसके सीने के बालों के साथ खेलने लगी।
थोडी देर धक्के लगाने के बाद उसने कहा,--- “मै आने वाला हूं, अपना माल कहां गिराऊं?”
मैने उससे कहा,--- “अंदर ही अपना वीर्य गिरा दो, मै अंदर महसूस करना चाहती हु। बाद में मै गर्भनिरोधक पिल ले लुंगी, तो टेंशन मत लेना।”
तो उसने और कुछ तेज झटके मारे और मेरी चुत के अंदर ही झड़ते हुए अपना सारा वीर्य मेरी चुत में भर दिया। उसके झडने के बाद उसने मुझे टेबल पर बिठाया और खुद मेरी कुर्सी पर बैठ गया।
थोडी देर बाद हम दोनों उठे, अपने आप को साफ किया और कपडे पहनकर चुपके से ऑफिस से निकल लिए।
End