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Misc. Erotica All HoT Hindi choti (Hindi Font)
#3
मेरी मां की समझदारी, मुझे चोदना सिखाया:-------
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मेरा नाम रोहन है। मैं यह स्टोरी सबको बताना चाहता हूं क्योंकि सबको यह समझना चाहिए कि मां कभी अनजान नहीं रहती खास करके अपने बच्चों से।

मेरी मां मृणाली सबसे अच्छी मां है और खूबसूरत भी है, तन से भी और मन से भी!
उन्होंने मुझे समझा, मेरे लिए यही सबसे बड़ी बात है। मेरे पापा जो सब जानकर भी अनजान रहे… उन्होंने मेरी मां को हमेशा यही समझाया कि बच्चों का हमेशा ख्याल रखना, उन्हें जो भी जरूरी हो उस चीज की शिक्षा उन्हें घर पर ही देना।

मेरे घर वाले बहुत ही खुले विचारों वाले हैं और आपस में बहुत फ्रेंडली हैं। मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, मैं और मुझसे छोटी बहन है, मैं और मेरी बहन हमेशा साथ-साथ नहाते थे पर मेरे मन में कभी गलत ख्याल नहीं आया।

मैं शुरु से ही मम्मी और बहन के साथ नहाता था, वह भी बिल्कुल नंगा… मेरी मम्मी और मेरी बहन भी नंगी होकर मेरे साथ नहाया करती थी और मेरे सामने ही कपड़े पहना करती थी। कभी-कभी मैं उनकी चूत भी छू लेता था पर वे कुछ नहीं कहती थी बल्कि उसे दिखा कर बताती थी कि यहाँ से पेशाब करते हैं और खोल कर दिखा देती थी।

कभी-कभी उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल हुआ करते थे… तो कभी-कभी उनकी चूत एकदम साफ हुआ करती थी ताकि मुझे उनकी चूत आसानी से देखने को मिले।
मम्मी को भी अपनी चूत पर बाल पसंद नहीं थे।

कई बार नहाते वक्त मैंने मम्मी के बूब्स भी छूए और दबाए हैं, मेरी मम्मी के बूब्स एकदम कसे हुए और गोलाकार हैं जब कभी वह घर पर अकेली होती हैं तो गर्मियों में बिना ब्रा के सिफ पैंटी में ही घर के काम करती हैं… उनका उपरी हिस्सा बिल्कुल खुला हुआ होता है।
कभी-कभी यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो जाता था… पर मम्मी कुछ नहीं कहती थी..
वे कहती थी- यह सब नेचुरल है और अगर सेक्स के बारे में कभी कुछ पूछना हो तो बेहिचक मुझसे पूछ लेना…
पर मैं शरमाता था।

मेरी मम्मी की नजर में मैं कभी गलत नहीं था क्योंकि वे जानती थी कि जिन लड़कों को यह सब छूने या देखने को नहीं मिलती, वे या तो बाहर किसी वेश्या के साथ सेक्स करते हैं या फिर ड्रग्स का सहारा लेते हैं और फिर किसी के साथ देह शोषण कर देते हैं।

यह बात 2 साल पहले की है, एक रात मैं सो रहा था… मेरी आंख खुल गई।
सर्दियों का समय था, मैं हमेशा मम्मी के साथ ही सोता था उनकी रजाई में… उस रात मैंने देखा कि मम्मी सोई हुई थी… तो मैंने अपना हाथ उनके ऊपर रख दिया।

वैसे तो मैंने कई बार अपने मम्मी पापा की चुदाई देखी है और वह सब देख कर मैं इतना तो जान ही गया था कि लंड को चूत में कैसे डालते हैं और कुछ पोजीशंस भी देख ली थी… पर मैंने आज तक कभी मुट्ठ नहीं मारी थी।

मम्मी ने एक ढीला गाउन पहन रखा था… मम्मी सिर्फ रात को ही गाउन पहन कर सोती थी। मेरे मन में ना जाने क्या हुआ, मैंने उनका गाउन ऊपर करना शुरु कर दिया और धीरे-धीरे डरते हुए मैंने उनका गाउन जांघों तक ऊपर कर दिया। मम्मी का गाउन जांघों से ज्यादा ऊपर नहीं हुआ।

मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था… मैंने अपना पजामा उतार दिया, पर डर रहा था कि अगर मम्मी उठ गई तो क्या होगा।

पर शायद मम्मी जागी हुई थी, उन्होंने करवट ली तो मैंने पीछे से ही उनका गाउन पेट तक पूरा ऊपर उठा दिया और फिर मैं उनसे लिपट कर सोने का नाटक करने लगा।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, मैं अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ने लगा।

मैं ऐसे ही मजे ले रहा था… मम्मी भी अपनी गांड को पीछे की तरफ मेरे लंड पर दबाने लगी। मैं समझ चुका था कि मम्मी जागी हुई है।

थोड़ी देर बाद मम्मी को भी लगा कि शायद मैं आगे से भी अपना लंड उनकी चूत से लगाना चाहता हूं… तो उन्होंने मेरी तरफ करवट ली। फिर मैं धीरे धीरे उनकी टांगों पर हाथ फेरने लगा तो मम्मी ने अपने पैरों को खोल दिया… मैं एकदम से डर गया।

मैं रजाई उठाकर उन्हें देखने लगा… नाइट लैंप की रोशनी में मम्मी बहुत ही सुंदर दिख रही थी। मैंने धीरे से उनकी पेंटी को उनकी जांघों तक उतार दिया और फिर अपना लंड उनकी चूत पर लगाया और अंदर करने करने लगा। पर मेरा लंड उनकी चूत के अंदर नहीं जा पाया क्योंकि उस पर कोई ऑयल नहीं लगा था और फिर उस रात मैं उसी तरह थक कर सो गया।

सुबह मम्मी उठी पर उन्होंने कुछ नहीं कहा, हम दोनों में रोज की तरह ही बात हुई और मैं कॉलेज चला गया। पर सारा दिन मैं रात के बारे में सोचता रहा!
खैर रात हुई और हम लोग खाना खाकर सोने चले गए। मैं भी अपनी मम्मी पापा के साथ सोने लगा पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।

रात को पापा उठे, उन्होंने मम्मी को भी उठाया, फिर वे दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और फिर धीरे से पापा ने अपना लंड मम्मी की चूत में डाल दिया और फिर पापा धीरे धीरे उन्हें चोदने लगे।

यह सब देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।

मम्मी के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी धीरे से पापा के कान में बोली- जरा आराम से करो… वरना बेटा जाग जाएगा! फिर पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद वे दोनों झड़ गए।

थोड़ी देर बाद पापा सो गए तो मम्मी उठी और अपनी चूत साफ करने लगी और फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा और हंस पड़ी… वे जानती थी कि मैं जाग रहा हूं।फिर भी मैं आंखें बंद करके सोया रहा।

फिर मैंने धीरे से आंख खोल कर देखा कि मम्मी अपनी चूत पर वैसलीन लगा रही थी, उन्होंने ढेर सारी वैसलीन अपनी चूत पर लगाई और फिर वेसलिन की डिब्बी मेरे पास रख कर बिस्तर पर लेट गई।
मैं समझ गया था कि मम्मी यह सब क्यों कर रही थी।

थोड़ी देर बाद मम्मी भी सो गई… फिर मैं उठा और मम्मी की तरफ देखा, उन्होंने अपना गाउन थोड़ा ऊपर किया हुआ था।
मैंने धीरे से रजाई हटाई और धीरे धीरे उनका गाउन कमर तक ऊपर कर दिया… मैंने अपना पजामा भी उतार दिया, मेरा लंड अच्छा खासा मोटा और लंबा था जिसे मम्मी मुझे नहलाते वक्त देखती थी।

खैर फिर मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाकर अपने लंड पर अच्छी तरह से वैसलिन की मालिश की और फिर मम्मी की चूत पर अपना लंड लगा दिया।

मुझे मम्मी की चूत के छेद का पता तो था ही… क्योंकि मैं कई बार उनकी चूत देख चुका था… फिर अपने लंड को धीरे धीरे मम्मी की चूत के अंदर डालने लगा।
मेरा लगभग आधा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया।
मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था पर मुझे चोदने का भी कोई एक्सपीरियंस नहीं था… फिर भी मैं धीरे-धीरे मम्मी की चूत चोदने लगा।
वैसलीन लगी होने की वजह से मेरा पूरा लंड मम्मी की चूत के अंदर घुस गया। मैंने मम्मी की चूत में जोर से धक्के देना शुरु कर दिया… और फिर मेरे लंड से पेशाब जैसा कुछ बाहर आने लगा जो मैंने मम्मी की चूत के अंदर ही डाल दिया… पर मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था शायद उसके लिए मम्मी भी तैयार थी।

उस रात मैंने एक और बार मम्मी को चोदा… पर मम्मी ने अपनी आँखें नहीं खोली।

अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो मैं डर रहा था कि कल रात जो हुआ उसके लिए मम्मी भी रजामंद थी या यह मेरा सिर्फ एक वहम था। अगर मम्मी ने यह बात किसी को बता दी तो मैं तो मर ही जाऊंगा।
पर ऐसा नहीं हुआ… मम्मी रोज की तरह ही मेरे साथ व्यवहार कर रही थी। अब मुझे पक्का विश्वास हो गया था… कि इस सबमें मम्मी भी आनंद लेती हैं।

फिर तो यह मेरा रोज का नियम बन गया, तकरीबन अगले 10 दिन तक मैं रोज रात को मम्मी को चोदता और फिर अपना पेशाब उनकी चूत में ही भर देता था।

हम लोग फिर भी रोज एक साथ नहाते थे… नहाते वक्त मम्मी जानबूझकर अपनी चूत खोलकर साफ करती थी और जब मैं पीछे खड़ा होता था… तो मेरा लंड हमेशा खड़ा रहता था और पीछे से मम्मी की गांड को टच करता था पर मम्मी ने कभी कुछ नहीं कहा।मम्मी इस सब से बिल्कुल अंजान बन रही थी जैसे कि कुछ हो ही नहीं रहा हो।

रात को पहले पापा मम्मी को चोदते थे और फिर उनके सो जाने के बाद मैं मम्मी को चोदा करता था पर हम दोनों हमेशा इस बात से अनजान बनते रहे।

सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था… पर एक रात मम्मी ने पापा को बोला- आप रोज अपना पानी मेरी चूत में छोड़ देते हो… अगर मैं प्रेगनेंट हो गई तो… अब आप मुझे चोदते समय अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया करो।
मम्मी कि इस बात पर पापा बोले- ठीक है… वैसे तो मैं हमेशा ही कंडोम लगाता हूं और जब कंडोम नहीं होता तुम्हें तुम्हारे बूब्स पर अपना रस निकाल देता हूं।

तब मम्मी ने कहा- कंडोम कैसे लगाते हैं… एक बार चढ़ा कर दिखाओ ना? और हा.. कंडोम हमेशा बिस्तर के नीचे ही पड़े होते हैं, आप वहीं से उठा लिया करो।
मैं समझ गया कि मम्मी यह सब मुझे कह रही हैं।


मैंने हल्के से आंखें खोलकर देखा कि पापा अपने मोटे लंड पर कंडोम लगा रहे थे पर मुझे पूरी तरह से समझ में नहीं आया।
फिर पापा ने मम्मी की टांगों को फैलाया और टांगों के बीच में आकर अपना लंड उनकी चूत के अंदर डालने लगे और उन्होंने मम्मी की चूत को चोदना शुरू कर दिया।
मम्मी भी पूरे जोश के साथ पापा से चुद रही थी।

थोड़ी देर बाद वे दोनों झड़ कर सो गए… थोड़ी देर बाद मैंने भी उठ कर बिस्तर के नीचे से कंडोम का एक पैकेट निकाल लिया और उसे अपने लंड पर चढ़ाने लगा… पर मैं उसे चढ़ा नहीं पाया और फिर वापस आकर मम्मी से लिपट गया।

मम्मी ने भी नींद में मेरी तरफ करवट ले ली, फिर मैंने उनके गाउन को पूरा खोल दिया। आज मम्मी ने अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी इसीलिए गाउन खुलते ही वह पूरी नंगी हो गई।

मैंने मम्मी के बड़े-बड़े मम्मों में अपना मुंह छुपा लिया और उन्हें सूंघने लगा… मैं उनको दबाना और चाटना भी चाहता था पर मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाल दिया।।

मम्मी की चूत अंदर से बहुत गीली थी इसीलिए मेरा लंड आसानी से उनकी चूत के अंदर घुस गया, मैं उनकी चूत में अपने लंड को अंदर करने लगा।

थोड़ी देर की एक तरफा चुदाई के बाद फिर से मैंने अपना पेशाब मम्मी की चूत में लबालब भर दिया। फिर मैंने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाला और वापस उनके गाउन को पहना दिया और फिर मैं भी सो गया।

अगले दिन सुबह उठ कर पापा काम पर चले गए… और छोटी बहन कॉलेज चली गई… उस दिन मैं कॉलेज नहीं गया था… तो थोड़ी देर बाद मम्मी और मैं साथ में ही नहा लिए।

अब तो रोज नहाते वक्त मम्मी को नंगी देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाया करता था… जिसे मम्मी कभी-कभी अपने हाथ में लेकर साबुन दिया करती थी और मुझे देखकर हँस देती थी।

नहाने के बाद मम्मी और मैं कमरे के अंदर आकर कपड़े पहनने लगे… मम्मी भी पूरी नंगी हो कर मेरे सामने कपड़े पहन रही थी… मुझे मेरी चड्डी नहीं मिल रही थी… तो मैंने मम्मी से पूछा- मेरी चड्डी कहां है?

मम्मी बोली- शायद बिस्तर के नीचे हो… वहां देख ले।
मुझे पता था… कि वहाँ कंडोम के पैकेट भी पड़े हैं और मम्मी जान बूझकर मुझसे यह बोल रही हैं।

मैंने बिस्तर उठा कर देखा… तो वहां बहुत सारे कंडोम के पैकेट पड़े हुए थे, मैंने मम्मी से पूछा – मम्मी यह क्या है… तो मम्मी ने कहा… यह तेरे मतलब की चीज नहीं है.. ये कंडोम हैं।

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी.. मैंने इसके बारे में सुना तो बहुत है… पर आज तक कभी समझ नहीं पाया… कि ये होता क्या है?
मेरी इस बात को सुनकर मम्मी बोली- बड़े लोग इसे शादी से पहले या शादी के बाद यूज करते हैं!
तो मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी… बड़े लोग इसे कैसे यूज करते हैं, बताओ ना?

मैं पहले भी आपको बता चुका हूं कि मेरी मम्मी मुझसे पहले ही बोल चुकी थी कि अगर सेक्स से संबंधित कोई भी या कुछ भी पूछना हो तो बेशक पूछ लेना.. मैं बता दिया करूंगी।

तो मम्मी बोली- ला, मैं सिखा देती हूं तुझे…

मम्मी अभी भी पूरी नंगी थी और मेरा लंड उनकी चिकनी चूत को देखकर बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मम्मी बोली- देखो रोहन… मैं तुम्हें यह सब इसलिए बता रही हूं… ताकि तुम बाहर से यह सब ना सीखो।

फिर मम्मी ने एक कंडोम का पैकेट उठाया और उसे खोल दिया और फिर मुझसे बोली- लो इसे अपनी नूनू पर चढ़ाओ।

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी इसे कैसे चढ़ाते हैं?
तो उन्होंने अपने हाथों से मेरे खडे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और फिर उस पर कंडोम चढ़ाने लगी।
कंडोम चढ़ाने के बाद मम्मी मुझसे बोली- देख लिया.. कंडोम को ऐसे चढ़ाते हैं!

मैंने उनसे बोला- मम्मी… इसके बाद क्या करते हैं?
तो मम्मी बोली- जो लड़कियों के पास होती है… जहां से वो पेशाब करती हैं… इसे वहां डालते हैं.. और फिर सेक्स करते हैं।

मैंने अनजान बनकर मम्मी की चूत पर हाथ रखकर उनसे पूछा- मम्मी..यहां पर?
तो मम्मी बोली- हाँ यहीं… इसी जगह!

मम्मी की यह बात सुनकर मैं मम्मी से बोला- मम्मी.. मेरी नुनू तो इतनी बड़ी है.. वो इसके अंदर कैसे जा सकती है?
मेरी इस बात पर मम्मी हंसते हुए बोली- हां.. जाता है…
मैंने भी अनजान बनते हुए बोला- कैसे मम्मी.. क्या मैं इसे डाल कर देख सकता हूं… सिर्फ एक बार?

इस पर मम्मी कुछ नहीं बोली और कुछ सोचने लगी।
मैंने मम्मी से कहा- कोई बात नहीं मम्मी… मैं सिर्फ देखना चाहता था कि मेरी नुनू अंदर कैसे जाती है… पर कोई बात नहीं… अगर आपको हर्ट करता हो… तो मैं नहीं करूंगा।

मम्मी बोली- ठीक है… पर सिर्फ आज के लिए और थोड़ा जल्दी करना!
तो मैंने मम्मी से कहा- मैं अगर कभी भूल गया तो?
मम्मी बोली- अगर भूल गया तो कोई बात नहीं… मैं फिर से बता दूंगी।

मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड मम्मी की चूत पर लगाया और फिर धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मम्मी की चूत के अंदर डाल दिया.. और फिर वैसे ही खड़ा हो गया।
मम्मी बोली- हां… बस ऐसे ही…

तो मैंने मम्मी से कहा- क्या इसे ही सेक्स कहते हैं।
मम्मी बोली- नहीं… इसके बाद नूनू को अंदर बाहर करते हैं.. और धक्के लगाते हैं।

तो मैंने मम्मी से कहा- क्या मैं भी एक बार धक्के लगा कर… अपनी नूनू अंदर बाहर कर के देख सकता हूं?
मम्मी बोली- ठीक है… बस सिर्फ एक बार कर लो.. फिर बार-बार मत कहना… मैं यह सब तुम्हें सिखाने के लिए कर रही हूं।

मैंने मम्मी से कहा- मैं फिर कभी नहीं करूंगा.. पर अगर भूल गया… तो आप दोबारा सिखाओगी ना?
मम्मी बोली- हां… सिखा दूंगी!
और फिर मैं धीरे धीरे से मम्मी की चूत में लंड डालकर धक्के लगाने लगा, फिर मैंने मम्मी को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया और थोड़ी ही देर बाद मेरा पेशाब फिर से निकल गया और मैंने मम्मी को कसकर पकड़ लिया।

मेरा लंड अभी भी मम्मी की चूत के अंदर था… मम्मी बोली- क्या हुआ तुझे?
मैंने कहा- मम्मी.. मेरा पेशाब निकल गया है कंडोम के अंदर… तो मम्मी ने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और फिर मेरे लंड से कंडोम को उतार दिया।

मेरे लंड से कुछ सफेद जैसा गाढ़ा पानी निकल रहा था… मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी यह क्या है… ये पेशाब तो नहीं है।।
मम्मी बोली- नहीं… यह पेशाब नहीं है… यह सफेद सफेद गाढ़ा पानी वीर्य होता है।
और मुझे देखते हुए बोली- जो तू रोज रात को मेरी चूत के अंदर भर देता है।

हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे, मैं डर रहा था, मैंने मम्मी से कहा- सॉरी मम्मी!
तो मम्मी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया… हम दोनों के नंगे जिस्म आपस में चिपके हुए थे, मम्मी बोली- कोई बात नहीं!

तो मैंने मम्मी से कहा- मम्मी… रोज रात को जब मैं आपके साथ सेक्स करता था तो आपने मुझे रोका क्यों नहीं.. और मुझसे कुछ कहा क्यों नहीं?
मम्मी बोली- मैंने तुझसे पहले भी कई बार बोला था कि सेक्स के बारे में मुझसे कुछ भी बेहिचक पूछ लेना।

फिर मैंने मम्मी से बोला- मम्मी… सेक्स करने से पहले नुनू पर कंडोम क्यों लगाते हैं?
तो मम्मी बोली- यह एक तरह की सेफ्टी होती है.. जिससे लंड से निकला हुआ पानी चूत के अंदर ना जाए।

तो मैंने मम्मी से पूछा- अगर पानी आपकी चूत के अंदर चला जाएगा तो उससे क्या होगा?
मम्मी बोली- अगर किसी का वीर्य चूत के अंदर स्खलित हो जाता है… तो वह गर्भवती हो जाती है और फिर नौ महीने बाद तुम्हारे जैसे सुंदर बच्चे को जन्म देती है।

मम्मी के इतना बोलते ही मैंने अपनी नंगी मां को फिर से अपने गले से लगा लिया, मैंने मम्मी को थैंक यू बोला तो मम्मी बोली- अब तेरी नूनु… नूनु नहीं रही अब तो ये लंड बन गया है।

फिर मम्मी बोली- मैं ऐसी नहीं हूं कि तुझे कुछ ना सिखाऊं… पर यह बात किसी को मत बताना!
तो मैंने कहा- हां मम्मी… मैं किसी को नहीं बताऊंगा।
मम्मी बोली- लेकिन तुझे भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी… मैं तुझे यह सब इसलिए सिखा रही हूं कि कहीं तू बाहर जाकर यह सब ना करने लगे! आजकल की लड़कियाँ पहले तो सेक्स कर लेती है… और फिर बाद में ब्लैकमेल करती हैं… और बाहर सेक्स करने से एड्स का भी खतरा रहता है… तुझे जब भी जरूरत हो… मेरे पास आ जाना।

मैंने मम्मी से वादा किया और बोला- मम्मी, आपके होते हुए मैं कभी बाहर नहीं जाऊंगा!

फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और मम्मी घर के काम करने लगी।

उसके बाद जब भी मेरा मन करता… मैं मम्मी के साथ सेक्स कर लेता था और मम्मी भी खुशी खुशी मेरा साथ देती थी।

एक रात पापा मम्मी को चोद रहे थे और मैं हल्की आंखें खोल कर उन्हें देख रहा था।
पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मम्मी की गांड में डाल दिया। मम्मी के मुंह से एक जोरदार उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह निकल पड़ी… तो पापा ने अपने हाथों से मम्मी का मुंह बंद कर दिया।

मम्मी को चाहे कितना भी दर्द हो पर वो पापा को उनकी इच्छा के लिए कभी मना नहीं करती थी।
फिर पापा ने उनकी गांड मारना शुरू कर दिया और फिर कुछ देर बाद उन्होंने अपना सफेद पानी मम्मी की गांड के अंदर ही छोड़ दिया और फिर मम्मी पापा सो गए।

मैं भी उन दोनों की चुदाई देखकर काफी उत्तेजित हो गया था… मैंने धीरे से मम्मी को जगाया और उनके कान में कहा – क्या आज मैं भी सिर्फ एक बार आपकी गांड में अपना लंड डाल सकता हूं… आज बहुत इच्छा हो रही है।

तो मम्मी बोली- नहीं, अगर तुम्हारे पापा जाग गए तो?
मैंने मम्मी से बोला- पापा को बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा… मैं बिल्कुल धीरे धीरे करूंगा।

मम्मी मान गई.. पर वे बोली- तू पहले अपने लंड पर कंडोम लगा ले।
मैंने उठ कर कंडोम निकाला और फिर लेटे लेटे ही अपने लंड पर चढ़ा लिया।

मम्मी मेरी तरफ को पीठ करके लेट गई और अपनी टांगों को खोल दिया, मैंने भी अपने एक हाथ से मम्मी की गांड के छेद को खोला और अपना लंड उनकी गांड पर लगा कर अगले तीन धक्कों में मम्मी की गांड के अंदर घुसा दिया।

मम्मी की गांड बहुत कसी हुई थी… शायद पापा कभी कभी ही उनकी गांड मारा करते थे!

कुछ देर तक मम्मी की गांड मारने के बाद मैं झड़ने लगा और फिर वैसे ही अपना लंड मम्मी की गांड में डाल कर उनसे लिपट गया।
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा… तो मैंने अपना लंड मम्मी की गांड से निकालकर… लंड से कंडोम उतार दिया और फिर उनकी चूत में डाल दिया।

फिर मैं मम्मी की टांगों को पकड़कर उन्हें चोदने लगा… थोड़ी देर बाद मैं उठकर मम्मी के ऊपर लेट गया और फिर उनके ऊपर लेटे लेटे ही उन्हें चोदने लगा।

कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने लगा, मम्मी भी मेरे साथ झड़ने लगी मैंने अपना सारा का सारा सफेद पानी मम्मी की चूत के अंदर भर दिया।
फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला और फिर अपने लंड को साफ करने लगा।
मम्मी की चूत से पानी रिस कर बाहर आ रहा था तो मम्मी ने भी उठ कर अपनी चूत को साफ किया और फिर वापस आकर लेट गई।।

आज भी जब मेरा मन करता है, मैं अपनी मम्मी के साथ सेक्स कर लेता हूं और मम्मी भी मुझसे चुदवा लेती है।
मुझे एक ऐसी मां मिली जिन्होंने मुझे बाहर जाकर सेक्स करने से बचाया और मुझे गलत सोसाइटी में नहीं पड़ने दिया।

थैंक्स टू माय मॉम एंड डैड… आई लव यू मम्मी… जो आप जैसी मम्मी मुझे मिली।

End
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All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 11:44 AM
RE: All HoT Hindi choti (Hindi Font) - by Pagol premi - 13-08-2021, 11:52 AM



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